symptoms of kidney failure in hindi : किडनी फेल होने के 10 लक्षण ,कारण और बचाव क्या है?

symptoms of kidney failure in hindi : किडनी फेल होने के 10 लक्षण ,कारण और बचाव क्या है?
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किडनी फेल। Kidney failure in Hindi :–

किडनी (गुर्दा) हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण जरूरी अंग है।किडनी से जुड़ी बीमारियों की अगर समय रहते पहचान नहीं की गई तो यह बहुत ही खतरनाक जानलेवा साबित हो सकती है। हमारे शरीर के दोनों किडनियों में छोटे-छोटे लाखों फिल्टर होते हैं जिन्हें nephrons कहते हैं। ये Nephrons हमारे शरीर के खून को साफ करने का काम करते हैं।ये शरीर के नीचले हिस्से यानी lower body part में स्थित होता है।

किडनी का काम होता है हमारे बॉडी में blood को साफ करना और साथ ही साथ शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर करना होता है। किडनी जो है विषैले पदार्थ को यूरिनरी ब्लैडर यानी की मूत्राशय में भेजता है जो की पेशाब के दौरान विषैले पदार्थ को बाहर निकालता है। दोस्तो ये भी बात है किडनी से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर दैनिक कार्य क्रम को प्रभावित कर सकती है।दोस्तो अगर बात करे तो किडनी फेलियर की तो किडनी फेलियर तब होती है जब आपके किडनी आपके ब्लड से विषैले पदार्थ यानी वेस्ट पदार्थों को पर्याप्त रूप से फिल्टर करने यानी छानने में असमर्थ हो जाता है।

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किडनी फेल होना क्या है? What is kidney failure?

किडनी फेल होने का मतलब है कि आपकी जो किडनी है उसकी 85-90% फीसदी काम करने की क्षमता खत्म हो गई है। जिंदा रहने के लिए किडनी का जितना काम करना जरूरी होता है किडनी उस स्थिति में उतना काम नहीं कर पाती है। वैसे किडनी खराब होने पर इसका कोई इलाज संभव नहीं है, लेकिन कुछ सर्जरी डायलिसिस कराके लंबी उम्र तक जिंदा रहा जा सकता है।

किडनी खराब होना या जिसे मेडिकल भाषा में एक्यूट किडनी फेलियर कहते हैं, एक्यूट किडनी फेलियर, जिसे “गुर्दे खराब होना” भी कहा जाता है – कुछ घंटे या कुछ दिनों में तेजी से विकसित हो सकता है। किडनी खराब होना घातक हो सकता है और इसके लिए विशेष उपचार की आवश्यकता होती है। वैसे तो, एक्यूट किडनी फेलियर को वापस सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है। इसके अलावा यदि आपका स्वास्थ्य अच्छा है, तो आप किडनी को सामान्य रूप से काम करने के लिए बेहतर बना सकते हैं।

किडनी खराब होने के प्रकार | Types of Kidney Failure in Hindi :-

किडनी फेलियर के कितने प्रकार हैं?
किडनी फेलियर के दो प्रकार है

  1. एक्यूट किडनी फेलियर
  2. क्रोनिक यानी की दीर्घ किडनी फेलियर।

1) एक्यूट किडनी फेलियर :- इस प्रकार की किडनी फेलियर में अचानक हो जाती है और लोगों को इसका पता भी नहीं चल पाता है ।यह इमरजेंसी चिकित्सकीय स्थिति होती है।

एक्यूट किडनी फेल्योर दो तरीके के होते हैं

  1. एक्यूट प्रीनेटल किडनी फेल्योर
  2. एक्यूट इंट्रेनजिक किडनी फेल्योर

a. एक्यूट प्रीनेटल किडनी फेल्योर | (Acute prenatal kidney failure) :-

किडनी में पर्याप्त ब्लड सर्कुलेशन नहीं होने से एक्यूट किडनी की फेलियर का कारण बन सकता है। ऐसा होने पर किडनी ब्लड से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर नहीं कर सकते हैं। किडनी की फेलियर के इस प्रकार को मुख्य तौर पर ठीक किया जा सकता है। जब आपका डॉक्टर ब्लड सर्कुलेशन में कमी से जुड़े कारणों का इलाज करता है।

b. एक्यूट इंट्रेनजिक किडनी फेल्योर | (Acute intrinsic kidney failure) :-

एक्यूट इंट्रेनजिक  किडनी फेल्योर में टॉक्सिन ओवरलोड और इस्केमिया के कारण किडनी में ऑक्सीजन की कमी जाती है और किडनी फेल हो जाता है।

2) क्रोनिक किडनी फेलियर :- इस प्रकार की किडनी फेलियर की विफलता समय के साथ धीरे-धीरे होता है यानी लंबे समय लगता है। खासकर यह क्रोनिक किडनी की बीमारी का अंतिम चरण होता है। कई बार “क्रोनिक किडनी की विफलता” और “क्रोनिक किडनी रोग” शब्द एक-दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैं।

क्रोनिक किडनी फेल्योर (Chronic kidney failure) :- 

  1. क्रोनिक प्रीरेनल किडनी फेल्योर :– जब एक लंबे समय तक के लिए गुर्दे में ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता है तो गुर्दे सिंक करने लगते हैं और कार्य करने की क्षमता खो देते हैं।
  2. क्रोनिक इंट्रेनजिक  किडनी फेल्योर  (Chronic intrinsic kidney failure):– यह तब होता है जब आंतरिक गुर्दे की बीमारी के कारण गुर्दे को दीर्घकालिक नुकसान होता है। इसमें किडनी में गंभीर ब्लीडिंग या ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
  3. पोस्ट रेनल किडनी फेल्योर (post-renal kidney failure):– ये urinary पथ का एक दीर्घकालिक अवरोध पेशाब को रोकता है। यह दबाव और अंततः गुर्दे की क्षति का कारण बनता है।

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किडनी फेलियर के कारण क्या है? |  Causes kidney failure in Hindi :–

किडनी फेलियर के तीन कारण उत्तरदायी है :–

1. किडनी में रक्त का प्रवाह का न होना :-
रोग और स्थितियां जो किडनी में रक्त के बहाव को धीमा कर सकती हैं और किडनी फेलियर के लिए ज़िम्मेदार हो सकती हैं, उनमें शामिल है।

  • रक्त की हानि होने से।
  • रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) की दवाएं।
  • दिल का दौड़ा
  • हृदय रोग।
  • संक्रमण।
  • लिवर फेलियर
  • एस्पिरिन, इबुप्रोफेन संबंधित दवाओं का प्रयोग करने से।
  • गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया।
  • गंभीर जलन
  • गंभीर निर्जलीकरण

2. किडनी में मूत्र का रुकावट होना  :-
रोग और अवस्थाएं, जो शरीर से मूत्र के बाहर निकलने वाले मार्ग को रुकावट करते हैं और एक्यूट गुर्दे की खराबी का कारण बन सकते हैं, में निम्न शामिल हो सकते हैं।

  • मूत्राशय (ब्लैडर) कैंसर
  • मूत्र पथ में रक्त के थक्के
  • ग्रीवा कैंसर
  • कोलन कैंसर
  • बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि
  • गुर्दे की पथरी
  • मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली नसों से संबंधित तंत्रिका क्षति
  • प्रोस्टेट कैंसर

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3. किडनी को नुकसान :–
रोगों की निम्न कंडिशन और कारक किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं और एक्यूट किडनी फेलियर को उत्पन्न कर सकते हैं तो चलिए देखते है।

  • किडनी में नसों और धमनियों में रक्त के थक्के जमना।
  • कोलेस्ट्रॉल के जमा हो जाने से किडनी में होने वाला रक्त प्रवाह में रुकावट हो जाता है।
  • ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, यानी किडनी में मौजूद छोटे फिल्टर्स में सूजन।
  • लाल रक्त कोशिकाओं के समय से पहले होने वाले अंत के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली स्थिति है।
  • ल्यूपस, एक प्रतिरक्षा प्रणाली विकार जिसके कारण ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस हो जाता है।
  • कुछ दवाएं, जैसे कि कुछ कीमोथेरेपी दवाएं, एंटीबायोटिक्स, इमेजिंग टेस्ट के दौरान उपयोग किये जाने वाले डाई (Dyes), ऑस्टियोपोरोसिस और रक्त में कैल्शियम के उच्च स्तर (हैपरकॉसमिया) का उपचार करने के लिए उपयोग किया जाने वाला जोलेड्रोनिक एसिड (रीक्लास्ट, जोमेटा)
    मल्टीपल माइलोमा, प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर
    स्क्लेरोडर्मा, त्वचा और संयोजी ऊतकों को प्रभावित करने वाले दुर्लभ रोगों का समूह भी किडनी फेलियर के कारण हो सकता है।
  • विषाक्त पदार्थ यानी की पॉइजनिंग जैसे – अल्कोहल, भारी धातुएं और कोकीन का सेवन करने से।
  • रक्त वाहिकाओं की सूजन होना।
  • मधुमेह :– किडनी फेल होने को मधुमेह के प्रकार 1 और 2 से जोड़ा गया है। यदि रोगी का मधुमेह सही तरह से नियंत्रित नहीं है तो चीनी (ग्लूकोज) की अत्यधिक मात्रा रक्त में जमा हो सकती है। किडनी की बीमारी मधुमेह के पहले 10 सालो में आम नहीं होती है। यह बीमारी आमतौर पर मधुमेह के निदान के 15-25 साल बाद होती है।
  • उच्च रक्तचाप :–  उच्च रक्तचाप गुर्दों में पाए जाने वाले ग्लोमेरुली भागों को नुकसान पहुँचा सकता है।  ग्लोमेरुली शरीर में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को छानने में मदद करते हैं।

किडनी फेल्योर के लक्षण | symptoms of kidney failure in hindi :-

symptoms of kidney failure in hindi : किडनी फेल होने के 10 लक्षण ,कारण और बचाव क्या है?

किडनी फेलियर के लक्षण हर किसी में एक जैसा नहीं होता हैं। किडनी फेल्योर के कुछ शुरुआती लक्षणों को देखें, तो उन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि उतना प्रभावी नहीं होता है।वैसे आपको शुरुआत में कुछ निम्न लक्षण दिखाई देते है

  • पेशाब में जलन
  • पेशाब की कमी
  • शरीर में पानी की हमेशा कमी लगना यानी की डिहाइड्रेशन
  • पैरों, घुटनों और शरीर में सूजन रहना
  • सांसों से जुड़ी परेशानी
  • अत्यधिक नींदापन या थकान
  • लगातार मतली और उल्टी
  • उलझन थकान सा महसूस होना
  • सीने में दर्द या दबाव या गैस जैसा अनुभव होना
  • बेहोशी
  • भूख कम लगना, हिचकी आना।
  • एक्यूट किडनी फेल्योर में दोनों किडनी की कार्यक्षमता अल्प अवधि में थोड़े दिनों के लिए कम हो जाती है ।
  • ब्लडप्रेशर का बढ़ जाना ।
  • उच्च रक्त्चाप से सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, शरीर में ऐंठन या झटके, खून की उलटी और असामान्य दिल की धड़कन एवं कोमा जैसे गंभीर और जानलेवा लक्षण भी किडनी की विफलता के कारण बन सकता हैं।
  • कुछ रोगियों में किडनी की विफलता के प्रारंभिक चरण में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं। बीमारी का पता संयोग से चलता है जब अन्य कारणों के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है।

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किडनी फेल होने के सामान्य कुछ लक्षणों में शामिल हैं | symptoms of kidney failure in hind :-

• एनीमिया (खून की कमी)।
• मूत्र में रक्त आना।
• मूत्र का रंग डार्क होना।
• एडिमा – सूजे हुए पैर, हाथ और टखने  (एडिमा के गंभीर होने पर चेहरा भी सूज जाता है।)
• थकान
उच्च रक्तचाप
• अनिद्रा (और पढ़ें – नींद के लिए घरेलू उपाय)
त्वचा में लगातार खुजली होना
• भूख कम लगना।
• रात में तुरंत तुरंत पेशाब का आना।
• मसल्स में अकड़।
• पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना।
• हफना
• यूरीन के साथ प्रोटीन आना।

किडनी फेल्योर से जुड़े जोखिम क्या है? | Kidney failure risk factors in Hindi :–

दोस्तों कुछ लोगों को किडनी फेलियर का जोखिम ज्यादा हो सकता है इसलिए डिटेल में इसके बारे में जानना चाहिए।जैसे कि

डायबिटीज के मरीज को
• उम्र बढ़ने के साथ
• ब्लड सर्कुलेशन की कमी
हाई ब्लड प्रेशर
• दिल से जुड़ी बीमारियां
• गुर्दे की बीमारियां
• लिवर के रोग
• कैंसर
• इसके अलावा भी दोस्तो एक्यूट रिनल फेलियर होने से फेफड़ा में तरल पदार्थ का निर्माण हो सकता है।
• सांस की तकलीफ हो सकती है।
• छाती में दर्द और पेरीकार्डियम हो सकता है।
• मांसपेशियों में कमजोरी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी। एक्यूट किडनी फेलियर से किडनी की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है जिससे लोगो को मृत्यु तक हो सकती है।

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किडनी फेल होने का निदान | Diagnosis of Chronic Kidney Disease in Hindi :-

किडनी फेल होने का निदान कैसे होता है?

डॉक्टर जो है वो लक्षणों की जाँच करेंगे और रोगियों से लक्षणों के बारे में पूछेंगे। इसके आधार पर कुछ टेस्ट लिखेंगे जो निम्न है

  • रक्त परीक्षण यानी ब्लड टेस्ट :– डॉक्टर द्वारा रक्त परीक्षण कराने का सलाह इसलिए दिया जाता है, जिससे ये पता किया जा सके कि शरीर में उत्पन्न वेस्ट पदार्थ अच्छी तरह से फ़िल्टर हो रहे हैं या नहीं। यदि यूरिया और क्रिएटिनिन का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है तो चिकित्सक किडनी की बीमारी के अंतिम चरण का निदान करेंगे।
  • ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर (GFR) :– जीएफआर एक ऐसा परीक्षण है जो ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर को मापता है। यह मरीज के रक्त और मूत्र में अवशिष्ट उत्पादों के स्तर को मापने में काम आता है। जीएफआर यह अनुमान लगाता  है कि कितने मिलीलीटर अपशिष्ट किडनी द्वारा प्रति मिनट फिल्टर किया जा सकता है। आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के गुर्दे 90 मिलीलीटर से अधिक अपशिष्ट प्रति मिनट फ़िल्टर कर सकते हैं।
  • मूत्र परीक्षण :– मूत्र परीक्षण यह पता लगाने में मदद करता है कि मूत्र में रक्त या प्रोटीन की मात्रा है या नहीं।
  • किडनी स्कैन :– किडनी स्कैन में मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (magnetic resonance imaging- MRI) स्कैन, कम्प्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन (CT scan) या अल्ट्रासाउंड भी शामिल हो सकते हैं। इसका मैन मोटिव यानी उद्देश्य यह करना रहता है कि मूत्र प्रवाह में कोई रुकावट तो नही आ रही है । इन स्कैन के द्वारा किडनी के आकार का अनुमान मिल जाता है।
  • छाती का एक्स-रे :– इसमें पल्मोनरी एडिमा जो फेफड़ों में तरल पदार्थ बनाए रखते हैं उसकी की जाँच करना होता है।
  • किडनी बायोप्सी :– इसमें किडनी के ऊतकों का छोटा सा टुकड़ा लिया जाता है और सेल की क्षति की जाँच की जाती है।

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किडनी फेल होने से बचाव कैसे किया जाता हैं?

दोस्तों किडनी फेलियर से बचना है तो इसके शुरूआती लक्षणों पर गौड़ करके तुरंत डॉक्टर से विजिट करना चाहिए।क्योंकि इसके शुरआती लक्षण उतना असरदार नहीं होता है,लेकिन, आप गुर्दों यानी की देखभाल करके अपने जोखिम को कम कर सकते हैं। निम्न निर्देशों का पालन करने का प्रयास करें

• सबसे पहले ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं पर लिखे निर्देशों का पालन करें :– जैसे की एस्पिरिन, एसिटामिनोफेन और इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन आईबी तथा अन्य) जैसी ओटीसी दर्द की दवाओं पर लिखे निर्देशों का पालन करें। इनकी अधिक खुराक लेने से एक्यूट किडनी फेलियर का खतरा बढ़ सकता है। यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब आपको पहले से ही किडनी रोग, मधुमेह या उच्च रक्तचाप हो।

• किडनी से जुड़े की समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए अपने चिकित्सक से बात करें :– किसी भी तरह के किडनी की बीमारी या अन्य रोग, जैसे कि मधुमेह या उच्च रक्तचाप यानी की हाइपरटेंशन है, जो आपके एक्यूट किडनी फेलियर के जोखिम को कम करने के लिए अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
• एक स्वस्थ और खुशहाल इसका आलावा उचित खान पान जीवन शैली को प्राथमिकता दें:– सक्रिय रहें, उचित मात्रा में संतुलित आहार खाएं और शराब का सेवन नहीं करे खुशहाल रहे।

किडनी फेल होने का इलाज | Chronic Kidney Disease treatment in Hindi :–

किडनी फेल होने का उपचार क्या है?

symptoms of kidney failure in hindi : किडनी फेल होने के 10 लक्षण ,कारण और बचाव क्या है?

क्रोनिक यानी दीर्घ किडनी रोग का वर्तमान समय में अभी कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। वैसे तो दोस्तों, कुछ ऐसे उपचार हैं जो इसके लक्षणों को नियंत्रित करने, जोखिमों को कम करने और रोग को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं।

• एनीमिया का उपचार :– जो लोग किडनी की बीमारी के साथ एनीमिया से ग्रसित होते हैं, उन्हें रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। खासतौर पर किडनी की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को आयरन पूरक (iron supplements) या तो हर रोज़ फेरस सल्फेट गोलियों के रूप में या कभी-कभी इंजेक्शन के रूप में लेने पड़ते हैं।

• फॉस्फेट संतुलन :– किडनी के मरीज़ अपने शरीर से फॉस्फेट की मात्रा को पूरी तरह से निष्कासित करने में सक्षम नहीं होते हैं। क्योंकि किडनी सही से फिल्टर करने में असक्षम होता है ऐसे रोगियों को सलाह दी जाती है कि वो अपने आहार में फॉस्फेट का कम से कम इस्तेमाल करे। मरीज़ डेयरी उत्पादों, लाल मांस, अंडे और मछली का सेवन न करें।

•  विटामिन डी :– चुकी किडनी के रोगियों में विटामिन डी का लेवल बहुत कम होता है। विटामिन डी स्वस्थ हड्डियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। विटामिन डी हमें सूरज और भोजन से प्राप्त होता है।

• उच्च रक्तचाप :– क्रोनिक किडनी रोगियों में उच्च रक्तचाप एक सामान्य समस्या होती है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि रक्तचाप का स्तर सामान्य बना रहे, जिससे गुर्दों को होने वाले खतरों को कम किया जा सके।

• तरल अवरोधन (Fluid retention) :– जिन लोगो को किडनी का रोग होता है, उन्हें किसी भी तरह का तरल पदार्थ लेने से पहले थोड़ा सावधानी बरतनी चाहिए।  यदि मरीज़ के गुर्दे यानी किडनी ठीक से काम नहीं करते तो उसके शरीर में तरल पदार्थ बहुत तेज़ी से बनने शुरू हो जाते हैं।

• आहार :–  किडनी विफलता (kidney failure)  के प्रभावशाली उपचार के लिए उचित आहार का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि आहार में प्रोटीन लेना बंद करने से रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। ऐसा आहार लेने से मतली के लक्षण भी कम हो जाते हैं। उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के लिए नमक का सेवन सही मात्रा में करना ज़रूरी है। समय के साथ पोटेशियम और फास्फोरस के सेवन को भी धीरे-धीरे बंद कर दिया जाता है।

• NSAIDs (नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) :– एनएसएआईडी (NSAIDs), जैसे – एस्पिरिन (aspirin) या इबुप्रोफेन (ibuprofen) जैसी दवाइयों से बचना चाहिए और सिर्फ चिकित्सक के सुझाव पर ही इन्हें लेना चाहिए।

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अंतिम चरण के किडनी रोग का उपचार ?

जब किडनी के सामान्य क्षमता यानी जितना काम करना चाहिए उससे10-15 प्रतिशत कम काम कर रहा होता हैं। मुख्य कारणों को नियंत्रित करने वाले दवाई यानी इलाज कुछ समय के बाद इस बीमारी के लिए काफी नहीं होते हैं। अंतिम चरण में रोगी की किडनी अपशिष्ट और और तरल पदार्थ अपने आप शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती हैं। ऐसी स्थिति में रोगी को डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत होती है।

वैसे तो डॉक्टर, जहाँ तक संभव हो सके डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता को लंबे समय तक टालने की कोशिश करते हैं क्योंकि इससे रोगी को गंभीर कठनाइयो का सामना करना पड़ता है।

1. किडनी डायलिसिस :– किडनी डायलिसिस तब होता है जब किडनी काम करना बंद कर देता है जिससे ब्लड में ब्लड में जितना भी अपशिष्ट पदार्थ होता है वो ब्लड से नही निकल पाता है। तो ऐसी स्थिति में डायलिसिस से इन्हे निकालने में मदद मिलती है। डायलिसिस की प्रक्रिया के कुछ गंभीर खतरे हैं, जैसे कि संक्रमण। वैसे तो डायलिसिस भी दो प्रकार के होते हैं

जब गुर्दे ठीक तरह से काम करना बंद कर देते हैं तो यह रक्त से अपशिष्ट पदार्थों और अत्यधिक मात्रा में जमा हुए तरल पदार्थों को नहीं निकल पाते हैं। ऐसी स्थिति में डायलिसिस से इन्हे निकालने में मदद मिलती है। डायलिसिस की प्रक्रिया के कुछ गंभीर खतरे हैं, जैसे कि संक्रमण।

गुर्दा डायलिसिस के मुख्य दो प्रकार होते हैं

1. हेमोडायलिसिस (Hemodialysis) :- इस प्रोसेस में ब्लड को रोगी के शरीर से बाहर निकाला जाता है और फिर उसे एक डीएलएज़ेर (एक कृत्रिम किडनी) से दिया जाता है। ऐसे रोगियों को हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया को एक हफ्ते में तीन बार कराना जरुरी होता है। प्रत्येक प्रक्रिया को करने में कम से कम 3 घंटे लगते हैं। वैसे तो अब इतना डेवलप हो गया है की विशेषज्ञ अब मानते हैं कि हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया को जल्दी जल्दी कराने से रोगियों का जीवन बेहतर गुणवत्ता वाला हो सकता है। घर पर उपयोग की जाने वाली आधुनिक डायलिसिस मशीनों से रोगी हेमोडायलिसिस का अधिक और नियमित उपयोग कर सकते हैं।

2. पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal dialysis) :- पेरिटोनियल गुहा (peritoneal cavity) में छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं का विशाल नेटवर्क होता है। इसके द्वारा रक्त को रोगी के पेट में फ़िल्टर किया जाता है।एक नली (catheter) को पेट में डाला जाता है, जिसके द्वारा डायलिसिस घोल को शरीर के अंदर पहुँचाया जाता है।इसके माध्यम से शरीर में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थ और तरल पदार्थ को बाहर निकाला जाता है।

2. किडनी प्रत्यारोपण :- किडनी की विफलता (kidney failure) के अलावा जिन व्यक्तियों को कोई और बीमारी नहीं है, उनके लिए किडनी प्रत्यारोपण, डायलिसिस से अच्छा विकल्प है। लेकिन दोस्तो जो किडनी देने वाले और प्राप्तकर्ता यानी की लेने वाला दोनों का रक्त समूह (blood type), सेल प्रोटीन और एंटीबॉडीज़ समान होने चाहिए, ताकि नए किडनी के प्रत्यारोपण में कोई जटिलता न आये।

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Q. किडनी कहाँ स्थित है? where kidney is located?

ANS:- वे रिब पिंजरे के ठीक नीचे स्थित होते हैं, जो आपकी रीढ़ के दोनों तरफ एक होता है। (kidney located just below the rib cage. one on each side of your spine.)

निष्कर्ष :– आशा करती हूं कि इस आर्टिकल से आपको किडनी फेल के बारे में संपूर्ण जानकारी मिली होगी अगर समय पर इसका इलाज किया जाए तो किडनी फेल होने से बचा जा सकता है और इसका उपचार आसानी से संभव हो सकता है। साथ ही बेहतर है कि जितना हो सके बचाव के लिए सावधानियां बरतें। परिवार में या किसी जान-पहचान के व्यक्ति में किडनी रिलेटेड लक्षण दिखें, तो उन्हें तुरंत डॉक्टरी उपचार की सलाह दें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा इस लेख को अन्य लोगों तक पहुंचाकर इस समस्या संबंधी जागरूकता को बढ़ाएं। इसके अलावा, इस आर्टिकल से जुड़ी सवाल जवाब के लिए आप हमें कॉमेंट कर सकते है।

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