Dehydration in Hindi
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डिहाइड्रेशन शरीर से अधिक मात्रा में तरल या जल के निकल जाने की अवस्था को निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन कहा जाता है ये अधिक उल्टी, दस्त,वमन आने पर या हैजा रोग में होता है। मनुष्य के शरीर में से अधिक मात्रा में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम, पोटेशियम, बाई कार्बोनेट बाहर निकल जाने से यह स्थिति उत्पन्न होती है। हमारे शरीर में 70% जल होती होती है हमारे शरीर से काम करे इसके लिए प्रॉपर जरूरी है हाइड्रेशन इसलिए आप नियमित अंतराल पर पानी पीते रहे एक व्यक्ति को दिन में कम से कम दो लिटर पानी जरूर पीना चाहिए खासकर गर्मी में ये समस्या जानलेवा भी साबित हो सकता है अतः शरीर में जब अधिक मात्रा में तरल पदार्थ खत्म हो जाता है तो उसे डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण कहा जाता है।
डिहाइड्रेशन के मुख्य कारण
- पेट वा आंत संबंधी दिक्कत होने पर :– मनुष्य शरीर मे पानी कमी का यह सबसे मुख्य कारण है। पेट या आंत में किसी भी प्रकार के समस्या आने पर शरीर में से 8 से 10 लिटर तक पानी निकल जाता है। इसके साथ पोटेशियम एवं बाई कार्बोनेट जिसको इलेक्ट्रोलाइट्स कहते है वो सभी भी बड़ी मात्रा में निकल जाती है।
- हैजा रोग भी पानी की मात्रा कम करती है।
- पेचिश
- वमन तथा जालोदर यानी एसाइटिस विशेष रूप से डिहाइड्रेशन ( निर्जलीकरण ) करता है।
- किडनी के रोग – किडनी कई रोगों में, मूत्र में अधिक इलेक्ट्रोलाइट्स के निकलने से शरीर के संतुलन में बदलाव आ जाता है। जिससे शरीर में से सोडियम के साथ साथ पानी भी निकल जाता है इस प्रकार से किडनी रोग भी डिहाइड्रेशन के कारण होती है।
- त्वचा या चर्म – अधिक गरमी अथवा धूप में घूमने फिरने से त्वचा के द्वारा में से पानी और नमक निकल जाता है।
- जल जाना – किसी कारण कम अथवा अधिक जल जाने पर, उसी स्थिति के अनुसार शरीर में पानी वा इलेक्ट्रोलाइट्स की थोड़ी से लेकर गंभीरता तक शरीर में कमी हो जाती है।
- समय से भोजन न करना।
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डिहाइड्रेशन के लक्षण
शिशुओं और छोटे बच्चों में बड़ो की तुलना में अलग प्रकार के लक्षण महसूस होते हैं–
- मुंह सूखना।
- जीभ सूखना।
- रोते वक्त आंसू न आना।
- 3 घंटे बाद भी डायपर (Diaper) सूखा होना।यानी पेशाब नही करना ।
- धंसी हुई आंखें।
- गाल, सिर पर हल्के हल्के निशान होना।
- जरूरत से ज्यादा सोना।
- ऊर्जा में कमी
- चिड़चिड़ा होना आदि लक्षण होते है।
व्यस्कों में भी निम्न प्रकार के लक्षण होते है–
- बेचैनी, अशांति।
- बार बार जी मचलाना।
- वमन वा दस्त।
- हाथ पैरों मे टूटन।
- पसीना अधिक आना।
- हाथ पैर अधिक ढीला पड़ जाने के कारण रोगी का खड़ा न हो पाना।
- चक्कर आना।
- त्वचा ढीली पड़ जाना।
- ह्रदय की धड़कन और नाड़ी या नब्ज तेज हो जाना।
- मूत्र कम आना
- नेत्र अंदर की ओर धंसने लगना।
- ब्लड प्रेशर कम हो जाने से रोगी का स्थितिज अल्प रक्तचाप रहता है।
- दुर्बल एवं क्षीण नाड़ी।
- कमजोरी एवं खड़े होने पर मूर्छा।
- रक्त में पानी एवं खनिज एवं लावणो की कमी।
- जांच करने पर इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ा हुआ मिलता है।
- सीरम यूरिया तथा क्रिएटीनीन अधिक हो जाता है। ये सभी में कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से मिले।
डिहाइड्रेशन कितने प्रकार के होते है
Types of Dehydration in Hindi :-
- हाइपोटॉनिक डिहाइड्रेशन :– ये डिहाइड्रेशन लोगों के शरीर में सामान्य रूप से इलेक्ट्रोलाइट की कमी हो जाती है।
- हाइपरटोनिक डिहाइड्रेशन :– ये डिहाइड्रेशन शरीर में पानी की अधिक मात्रा में कमी हो जाने पर होता है।
- आइसोटोंनिक डीहाइड्रेशन :– ये डिहाइड्रेशन में शरीर में पानी के साथ साथ इलेक्ट्रोलाइट्स भी कम हो जाती है इसमें व्यक्ति की हालत गंभीर हो जाती है।
गंभीरता के आधार पर डीहाइड्रेशन तीन भागों में बांटा गया है–
- Mild Dehydration :– इस डिहाइड्रेशन में शरीर में उपस्थित संपूर्ण तरल में से 2% की हानि होती है।
- Moderate Dehydration :– इस डिहाइड्रेशन में शरीर में उपस्थित संपूर्ण तरल में से 5% की हानि हो जाती है जिससे मुंह सूखना चेहरा चिपचिपा होना आदि देखने को मिलती है।
- सीवियर डीहाइड्रेशन :– इस डिहाइड्रेशन में शरीर में उपस्थित कुल तरल में से 10% की हानि हो जाती है।
डीहाइड्रेशन से बचाव का आपातकालीन चिकित्सा :–
- इसके समस्त परिवर्तन शरीर में से पानी निकल जाने से आते है, इसलिए रोगी की दशा को ब्लड प्रेशर, मूत्र की मात्रा एवं त्वचा में परिर्वतन से जांच कर तुरंत चिकित्सा की जानी अत्यावश्यक है।
- वमन न होने की स्थिति में हल्की से मध्यम पानी की कमी।
- रोगी को मुख द्वारा जीवनरक्षक घोल सेवन कराएं।
- रोगी को जूस, नारियल पानी, दाल का पानी, चावल का मांड दिया जा सकता है।प्रायः दो से तीन लिटर पानी देने पर रोगी ठीक हो जाता है।
- वमन + तीव्र डिहाइड्रेशन
- रोगी को I/V ड्रिप दे।
- आरंभ में I/V normal सैलाइन 0.9 , उसके बाद रिंगर लेक्टेट एवं ग्लूकोज 5% की बोतल ड्रिप मेथेड से प्रविष्ट करें।
- प्रायः गंभीर रोगी में 24 घंटे में दो से चार लिटर फ्लूड की अवश्यकता होती है । अधिक गंभीर अवस्था में 5 से 7 लिटर फ्लूड की जरूरत होती है।
नोट:– फ्लूड की मात्रा रोगी के यूरीन की मात्रा पर निर्भर करता है। - जलने से उत्पन्न डिहाइड्रेशन में तरल के साथ साथ प्लाज्मा या ब्लड की जरूरत होती है।
- अतिसार या उल्टी में पोटेशियम की कमी दूर करे। पोटक्लोर दो दो चम्मच दिन में दो से तीन बार।
- लवानरहित द्रव की पर्याप्त मात्रा में सेवन करे।
- यदि रोगी होश में हो और उल्टियां नहीं हो रही हो तो थोड़ा थोड़ा मात्रा में पानी देना चाहिए।
- आसोटॉनिक सोडियम क्लोराइड सॉल्यूशन का I/V ड्रिप अथवा 5% ग्लूकोज मिश्रित जल का I/V उपयोग करें।
डीहाइड्रेशन में प्रयोग होने वाले तरल :-
- सोडियम क्लोराइड 0.9% सॉल्यूशन।
- 5%डेक्सट्रो
- रिंगर लेक्टेट
- हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रलाइट एम सोल्यूशन।
विशेष सावधानी :– रोगी को सैलाइन देते समय उसके मूत्र की मात्रा अवश्य देखे, ताकि फ्लुइड ओवर लोड तथा कंजेस्टिव हार्ट फेलियर से बचा जा सका।
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डिहाइड्रेशन से बचाव
डीहाइड्रेशन इसके बचाव निम्नलिखित है :–
- ढेर सारा पानी पिए इसके साथ ही साथ डाइट में हरी सब्जी, फल का सेवन करे। याद रखे कोल्ड ड्रिंक न पिए अगर सादा पानी नहीं ले पा रहे हैं तो नींबू को एड करके पिए।
- खट्टे फल :– इन्हे अंग्रेजी में सिट्रस फ्रूट भी कहते है इसमें शामिल है नींबू, संतरा, ग्रेपफ्रूट, मौसंबी जैसे फल संतरे का सेवन अधिक करे संतरे के जूस में विटामिन सी, फाइबर एवं अन्य कई न्यूट्रिशंस होने के कारण एक असरदार घरेलु उपचार माना गया है।
- नींबू पानी :– नींबू पानी में विटामिन सी होता है जो हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को ठीक रख कर हमे सेहतमंद बनाए रखता है। डिहाइड्रेशन के कारण शरीर में हुए पानी की कमी को पूरा करने के लिए नींबू पानी बहुत ही अच्छा है। ये कई सारे एंटीऑक्सीडेंट,विटामिन सी से भरपूर होता है। विटामिन सी के आलावा डाइट्रिक फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम, कॉपर आदि से भी समृद्ध होते है। साथ ही इसमें फ्लावोनॉयड, अल्कायोइड, फिनॉल एसिड, और एसेंशियल ऑयल भी पाए जाते है।
खट्टे फल में पाए जाने वाले विटामिन सी श्वेत रक्त की प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है। ये इम्यून सिस्टम का एक जरूरी हिस्सा होता है और शरीर में कई तरह के रोगी और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। - तरबूज :– तरबूज में 90% से 95% पानी होता है । तरबूज में एंटीऑक्सीडेंट्स होता है जो सूर्य के किरणों की गर्मी से होने वाली नुकसान से बचाती है। इसके अलावा तरबूज में पोटेशियम, विटामिन ए, और फाइबर होता है। डाइटिंग करने वालो के लिए यह अच्छा ऑप्शन होता है । तरबूज कब्ज की समस्या को भी दूर करता है।
- नारियल पानी :– नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स होता है जो की हाइड्रेशन से बचाता है इसके अलावा भी इसमें बहुत से पोषक तत्व होते है जो शरीर को ठंडा रखता है इसके अलावा त्वचा तथा बाल की हेल्दी बनाते है। इसमें पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम के आलावा प्रोटीन और फाइबर भी भरपूर होता है ।
- खीरा :– खीरा में अधिक मात्रा में जल होता है और एंटी ऑक्सीडेंट भी उपस्थित होता है जो मदद करती है Dehydration से बचने में।
- हरे सब्जियां, छाछ और दही का भी प्रयोग में लाए गर्मी के मौसम में जिससे आपके शरीर हेल्दी बने रहेंगे और Dehydration भी नहीं होगा।
- मसालेदार और अधिक तेल वाले भोजन से बचे।
- गर्मियों में धूप में अधिक परिश्रम करने से बचे ।
- स्मोकिंग शराब आदि को अवॉइड करे।
- कुछ योगा भी करें जिसमे शामिल है शीतलायम, वृक्षासन योग आदि।
बच्चो में डिहाइड्रेशन का बचाव :–
- बच्चो को केवल पानी न दे उसको पानी के साथ ORS का घोल भी दे, दलिया, चावल का पानी थोड़ी थोड़ी मात्रा में देते रहे।
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QNA : डिहाइड्रेशन से जुरे सवाल और जबाब
Q. Dehydration को हिंदी में क्या कहते है?
Dehydration को हिंदी में निर्जलीकरण कहते है,या शरीर में पानी की मात्रा कम होना होता है।
Q. डिहाइड्रेशन में पानी कब कब और कितना पीना चाहिए?
पानी हमेशा खाना खाने के आधा घंटा बाद पिए। और खाना खाने से 1 घंटा पहले पानी पीना चाहिए। गर्मी में बाहर से आकर तुरंत पानी नही पीना चाहिए बल्कि थोड़ी देर रुककर नॉर्मल पानी पीना चाहिए। खाने के समय पानी पीने से खाना पचाने में मुश्किल हो सकती है इसलिए आधा घंटा बाद में ले। सुबह में उठकर खाली पेट में पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है।
Q. डिहाइड्रेशन में पानी कितना पीना चाहिए?
पानी अपने वजन के अनुसार लेना चाहिए। अगर आप का वजन 70 kg है तो उसको 30 से डिवाइड करले यानी 2.5 लिटर रोज का कम से कम पानी पीना चाहिए। गर्मी में पसीना के द्वारा थोड़ा ज्यादा निकल जाता है तो थोड़ा बहुत बढ़ाकर लेना चाहिए।
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