डेंगू बुखार के परिभाषा :–
Table of Contents
- 1 डेंगू बुखार के परिभाषा :–
- 2 डेंगू बुखार के कारण । Dengue Fever cause:-
- 3 डेंगू किस प्रकार फैलता है? :-
- 4 डेंगू बुखार के लक्षण :-
- 5
- 6 डेंगू बुखार का प्रकार । Types of dengue Fever:-
- 7 डेंगू बुखार का निदान। Dengue Fever ka diagnosis:-
- 8 डेंगू बुखार का इलाज (treatment) :–
- 9 डेंगू बुखार का नर्सिंग देखभाल । Nursing care :-
- 10 डेंगू से बचाव । Prevention :-
- 11 इसे भी पढ़े :– नवजात शिशु जन्म के तुरंत बाद का आंकलन कैसे किया जाता है ?
- 12
- 13 डेंगू से बचाव का घरेलू उपाय | डेंगू बुखार में क्या खाना चाहिए? :-
- 14 इसे भी पढ़े:- डिमेंशिया बीमारी क्या है इसके लक्षण ,कारण ,परहेज और सावधानियां क्या-क्या है?
- 15 Related
डेंगू बुखार एक जानलेवा रोग है , डेंगू ज्वर होने से प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है
डेंगू बुखार के कारण । Dengue Fever cause:-
डेंगू बुखार होने के कारण मच्छर का काटना है ये मच्छर का नाम Aedes aegypti है ।
Agent–dengue virus , Vector–aedes aegypti मच्छर द्वारा इस रोग के विषाणु का वहन किया जाता है
Incubation period – इसका incubation period 2 से 7 दिन का होता है । मच्छर काटने के बाद 0 से 10 दिन ।
डेंगू किस प्रकार फैलता है? :-
जहां पानी store रहता है , वहा इन मच्छरों द्वारा अंडा दिया जाता है तथा यह in door में ही रहता है – जैसे कूलर , टंकी का पानी ।मच्छर द्वारा संक्रमित व्यक्ति को काटने पर विषाणु द्वारा मिश्रित रक्त को चूस लिया जाता है । अंत में यह विषाणु मच्छर की लार ग्रंथियों में बढ़ने लगता है । मादा मच्छर में ही यह विषाणु पनपता है जो 3 से 10 दिनों के भीतर रोग फैलने योग्य हो जाया करती है । दिन के समय में ही यह मच्छर काटती है।
डेंगू बुखार के लक्षण :-
डेंगू बुखार के लक्षण निम्न प्रकार के है:-
- अचानक ही इसके लक्षणों की उत्पत्ति होती है
- high grade fever जो 40 डिग्री सेंटीग्रेड से 41 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है
- Anorexia यानी भूख नहीं लगना , मुंह का स्वाद खराब हो जाना ।
- उल्टियां होना
- शरीर , हड्डियों , पेशियों , माथा , पुतलियों में तेज दर्द होना । पुतलियों में अत्यधिक prominent होना ।
- facial flash चेहरा लाल पड़ जाना ।
- 2 से 7 दिन तक ज्वर का continuous रहना
- Congested throat ( गला लाल होना ), उदर पीड़ा , तथा chest pain होना ।
- इस डेंगू के haemorrhagic fever बन जाने पर रोगी की general condition अत्यंत शीघ्र खराब हो जाया करती है । कहीं से भी रक्तस्राव हो सकता है जैसे – नाक (epistaxis), आंत ( malena ), आमाशय ( Haematemesis ) वा अन्य अंग । यकृत ( liver ) के आकार में वृद्धि हो जाती हैं, रक्त परिसंचरण के विफल होने का भय रहता है bleeding time ज्यादा हो जाता है । यदि कहीं पर थोड़ा सा भी vein puncture कर दिया जाए तो , लंबे समय तक bleeding होने की संभावना होती है पूरे शरीर के mucous membrane पर petechiae प्रतीत होता है समय पर treatment मिलने वाले रोगियों की टेंपरेचर कम हो जाता है तथा वह ठीक हो जाता है जिन रोगियों को treatment नहीं मिल पाता है , वो serious हो जाता है । उनमें lysis द्वारा शारीरिक ताप में तो कमी आ जाती है परंतु रोगी को general condition खराब हो जाता है circulatory failure हो जाता है और रोगी सदमे में चला जाता है । इस अवस्था में नीलिमा (cynosis), ठंडी वा चिकनी त्वचा , तीव्र वा कमजोर त्वचा, तीव्र वा कमजोर नाड़ी तथा बचैनी आदि लक्षण पाए जाते है। शॉक में जाने से पूर्व अधिकांश रोगियों द्वारा पेट दर्द की शिकायत की जाती है। ठीक समय पर रोगी को चिकत्सा ना मिलने पड़ रोगी की मौत होने की संभावना रहता है।
डेंगू बुखार का प्रकार । Types of dengue Fever:-
डेंगू बुखार तीन प्रकार का होता है
- डेंगू वायरल फीवर
- Dengue Haemorrhagic fever ( DHF )
- Dengue shock syndrome ( DSS )
डेंगू बुखार का निदान। Dengue Fever ka diagnosis:-
• Clinical sign & symptoms के आधार पर diagnosis करते हैं
• blood test stool में गुप्त रक्त पाया जाता है
डेंगू बुखार का इलाज (treatment) :–
- इस रोग की कोई विशेष प्रकार का इलाज नहीं है। रोग की इलाज लक्षणों के अनुसार की जाती है
- यदि shock हो तो, medical emergency की भांति treat करना चाहिए
- रिंगर lactate solution तथा प्लाज्मा vein के route से देना चाहिए
- vital signs को note करते रहना चाहिए
- temperature ko down करते हेतु पैरासिटामोल तथा हाइड्रोथेरेपी देना चहिए
- एसिडोसिस को कम करने हेतु sodium bicarbonate fresh blood , plasma का vein रूट से आधान करना चाहिए तथा ऑक्सीजन प्रदान करना चाहिए
- Antibiotics – High antibiotics जैसे Ceftriaxone, Ig I/V दो बार Ciprofloxacin 200mg I/V दो बार देना चाहिए।
डेंगू बुखार का नर्सिंग देखभाल । Nursing care :-
ऐसे रोगियों को स्पेशल एटेंशन की ज़रूरत होती है , अतः इसको constant watch करते रहे, क्योंकि किसी भी समय रोगी सदमे की अवस्था में पहुंच सकता है
- डेंगू रोगी की देखभाल करने वाली नर्स को इसके complications के बारे में पूरा ज्ञान हो ।
- कड़ाई से इनपुट और आउटपुट चार्ट तथा vital signs record करे ।
- Epistaxis , Malina तथा purpuric spots हेतु रोगी को सदैव देखते रहें ।
- इन रोगियों का isolation करें ।
- Environmental Hygiene ka ध्यान रखें ।
- रोगी को चाहिए की mosquito nets का प्रयोग करें ।
- सदैव ही रोगी के शरीर को ढककर रखें ।
- रोगी तथा उसके relatives को emotional तथा spiritual support प्रदान करे ।
डेंगू से बचाव । Prevention :-
- घर के समीप वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए । घर के पास जल एकत्रित नही होने देना चाहिए ।
- घर के अंदर लगे कूलर का पानी लगातार बदलते रहना चहिए आवश्यकता न होने पर उसको खाली एवं सूखा रखे।
- daily flower pots के पानी बदलते रहना चाहिए।
- घर के अंदर किसी भी Insecticide का spray करते रहना चाहिए।
- बच्चों को सोते समय तथा बाहर खेलते समय full sleeves ke वस्त्र धारण कराना चाहिए ताकि उनके हाथ पैर पर मच्छर न काटे
- दिन तथा रात में दोनों समय सोते वक्त mosquito net का प्रयोग करें।
इसे भी पढ़े :– नवजात शिशु जन्म के तुरंत बाद का आंकलन कैसे किया जाता है ?
डेंगू से बचाव का घरेलू उपाय | डेंगू बुखार में क्या खाना चाहिए? :-
डेंगू से बचाव के लिए घरेलू उपाय निम्न है:–
1) डेंगू के बुखार से राहत पाने के लिए नारियल पानी खूब पिए । इसमें उपस्थित पोषक तत्व जैसे मिनरल्स तथा इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है।
2) डेंगू बुखार में मेथी की पत्तियों को उबालकर पिए इससे शरीर में उपस्थित विषैला और डेंगू का वायरस दूर होता है।
3) तुलसी के पत्तो को दिन में 3–4 बार पिएं ऐसा करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।
4) पपीता का पता भी काफी फायदेमंद है इससे शरीर के पाचन के साथ साथ प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ता है।
Health education:–
रोगी तथा उसके परिजनों को स्वास्थ शिक्षा प्रदान करें । इसके अंतर्गत enviromental hygiene तथा mosquito bite से एक रोगी का किस प्रकार बचाव किया जा सकता है, इस संबंध में एजुकेशन provide की जानी चाहिए ।
Notification :– हॉस्पिटल अथवा क्लिनिक में डाउटफुल symptoms के साथ किसी भी केस के admit होने पर कंसर्न्ड फिजिशियन को तुरंत ही inform करना चाहिए । साथ ही नर्स का कर्तव्य तथा उत्तरदाई होता है :– Early detection save life .
QNA:– डेंगू के बुखार से जुरे सबल और जबाब
Q. )डेंगू की सबसे गंभीर अवस्था कौन सी होती है।
Ans:– डेंगू हेमोरेजिक बुखार का लक्षण कम होता है but धीरे धीरे कुछ दिनों में गम्भीर हो सकता है । डेंगू शॉक सिंड्रोम यह गंभीर अवस्था होती है और मौत का कारण भी बन सकता है।
Q. ) डेंगू का इलाज कितने दिन चलता है ।
Ans:–डेंगू 5 से 7 दिन के सामान्य इलाज से ठीक हो जाता है ।
Q. ) NSA–1 एंटीजन क्या होता है ?
Ans:– अन्य वायरल बुखार से डेंगू की अलग पहचान के लिए एलिसा टेस्ट में NAS–1 एंटीजन टेस्ट होता है इस टेस्ट में अगर Igm positive आता है तो डेंगू होने की पुष्टि होती है।
Q. ) डेंगू दोबारा भी होता है ।
Ans:–हां यह दोबारा भी सकता है एडीज इजिप्ट मच्छर काटने पर किसी को भी दूसरी बार डेंगू हो सकता है
Q. ) डेंगू में क्या खाना चाहिए।
Ans:– डेंगू में विशेष कर प्रोटीन , फाइबर ,और आयरन युक्त डाइट के साथ कीवी , अनानास , केला , संतरा , आंवला , जैसे फलों के साथ ही साथ बकरी का दूध भी फायदेमंद होता है
Q. ) डेंगू की जांच कितने रुपया में होती है और कौन कौन सी जांच की जाती है ।
Ans:–डेंगू की जांच लगभग 1200 –1400 में होता है इसमें जांच के लिए एलिसा टेस्ट होती है जो दो प्रकार की होती है Igm, Igg
Q. ) डेंगू में उल्टी क्यों होता है?
Ans:–डेंगू में लीवर का आकार बेहद बढ़ जाने के कारण पेट में पानी की अधिकता हो जाती है इसलिए उल्टियां होती है।
Q. ) प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाएं ।
Ans:–प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए चूकंद , व्हिटग्रास , पलक , अनार , गिलोय , अनानास आदि एंटीऑक्सीडेंट और हेमोस्टेटिक्स आदि पदार्थ खाना चाहिए ।
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