सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia in Hindi) के ,कारण, लक्षण, प्रकार, ट्रीटमेंट, नर्सिंग management, घरेलू इलाज क्या है?

Schizophrenia in Hindi | सिजोफ्रेनिया के ,कारण, लक्षण, प्रकार, ट्रीटमेंट, नर्सिंग management, घरेलू इलाज?
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Schizophrenia in Hindi | सिजोफ्रेनिया :

schizophrenia meaning in Hindi सिजोफ्रेनिया को हिंदी में विखंडित या मनोविदिता कहते है। बता दें कि सिजोफ्रेनिया का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आपकी स्प्लिट पर्सनैलिटी है या फिर आपको मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग न तो खतरनाक होते हैं और न ही हिंसक होते हैं, इनका बर्ताव सामान्य आबादी की ही तरह समान होता है। हालांकि कई बार ऐसे लोग सामाजिक मनोवृत्ति का शिकार हो जाते हैं। सही उपचार या रोगी की देखभाल में कमी रोग को बढ़ाने का काम करती है। सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को निरंतर अंतराल पर दौरे पड़ते हैं। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगो को बेहतर जीवन देने के लिए विभिन्न जैव-मनोवैज्ञानिक-सामाजिक रणनीतियों का उपयोग किया जा सकता है। अच्छा समर्थन, थेरेपी और उपचार से लोग के व्यवहार में बहुत सुधार दिखाई दे सकता है और वे हेल्दी जीवन जी सकते हैं।

Schizophrenia definition | सिजोफ्रेनिया की परिभाषा:–

Schizophrenia यह एक मनोरोग स्थिति है जिसमें स्पष्ट सचेत मस्तिष्क के साथ सोच , भावना एवं संवेदना में बदलाव ही जाता है ।

सिजोफ्रेनिया होने के कारण । schizophrenia causes | Causes of schizophrenia:-

सिजोफ्रेनिया के कारण और जोखिम

ऐसे तो दोस्तो सिजोफ्रेनिया का कोई एक कारण नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थिति के पीछे पर्यावरण और आनुवंशिक जैसे कुछ कारक योगदान देते हैं। सिजोफ्रेनिया के पीछे मुख्य कारण आनुवांशिक होता है और इस स्थिति के लिए मानसिक बीमारी से पीड़ित रोगी के रिश्तेदार भी इसी बीमारी से पीड़ित देखे जाते हैं। हालांकि, अन्य न्यूरोलॉजिक्ल कारक भी हैं जो इस स्थिति में योगदान देते हैं। सिजोफ्रेनिया की शुरुआत और रिकवरी में मनोवैज्ञानिक और परिवार का माहौल भी भूमिका निभा सकता है। जोखिम कारक पूरे जीवनकाल में सिजोफ्रेनिया जैसी समस्या होने की संभावना लगभग 1% होती है। इसलिए ये कहा जा सकता है कि सौ में से सिर्फ एक व्यक्ति को ही अपने जीवनकाल में सिजोफ्रेनिया जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान रूप से प्रचलित है। पुरुषों में ये रोग आमतौर पर 10 से 25 वर्ष की आयु के बीच पाया जाता है जबकि महिलाओं में यह स्थिति 25 से 35 वर्ष की आयु के बीच अधिक आमतौर पर देखने को मिलती है। मादक पदार्थों का सेवन भी सिजोफ्रेनिया का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। वे लोग, जो नशा करते हैं उनमें नशा नहीं करने वालों की तुलना में सिजोफ्रेनिया का जोखिम छह गुना अधिक होने की संभावना रहती है।वैसे विशेष कारण आगे दिए गए है

1) आनुवंशिक कारण (Genetic causes):–Schizophrenia मानसिकता से पीड़ित माता पिता के परिवार में इसकी संभावना अधिक होती है जैसे –
यदि माता पिता में से एक रोगी हों तो –12 %
माता पिता दोनों रोगी हो तो। –40%
Dizygotic twins। –12%
Monozygotic twins। –47%
भाई बहन रोगी हो तो। –8%
दूसरे रिश्तेदार रोगी हो तो –5 से 6%
2) जैव रासायनिक कारण ( biochemical causes )– Dopamine के कम सेक्रेशन होने से तथा अन्य जैव रासायनिक पदार्थों के कम स्त्रावण से भी मानसिक सिजोफ्रेनिया होने की संभावना अधिक होती है।
3) मनोवैज्ञानिक कारण ( psychological cause ) :–
• माता पुत्र संबंध – जैसे शिशु को माता का संपूर्ण लालन पालन की कमी तथा प्यार की कमी से मानसिक सिजोफ्रेनिया ।
• पारिवारिक तंत्र का विखंडन – इस तथ्य में परिवार के आपसी लड़ाई झगड़ा तथा बच्चो की पर्याप्त देखभाल तथा पोषण नहीं मिलने से मानसिक सिजोफ्रेनिया की संभावना होती है।
• विकृत संप्रेषण (pathological communication):– विकृत संप्रेषण में कोई व्यक्ति ये सुनिश्चित नहीं कर पाता है कि वह क्या निर्णय लें और वह समस्या में उलझ जाता है और मानसिक सिजोफ्रेनिया का शिकार हो जाता है ।
4) सामाजिक कारण (social factor):–
• विघटित परिवार :– गरीबी , आर्थिक स्थिति कमजोर होना।
• सांस्कृतिक कारक :– मलिन बस्ती निवासी ।
5) organic theory:– इस थ्योरी के अनुसार, मानसिक सिजोफ्रेनिया संक्रमण , जहर , चोट , मेटाबोलिक विकार के कारण अधिक संभावना होती है।
6) विटामिन की कमी से :–विटामिन B6, B1, B12 तथा विटामिन C की कमी से मानसिक सिजोफ्रेनिया की संभावना अधिक रहती है।

सिजोफ्रेनिया के लक्षण | schizophrenia symptoms :–

1)प्राथमिक या मौलिक चिन्ह , लक्षण ( primary schizophrenia positive symptoms )–
• शब्द संगठन संबंधी विकार ( associated disturbance ) :– यह सोच विकार है इसमें व्यक्ति illogical बातो के बारे में सोचता है और इस विचार से दूसरे के विचार से कोई संबंध नहीं होता है जैसे :– रानी आ रही है। , आसमान नीला है ।
• स्वपरायण सोच ( autistic thinking ) :– यह भी सोच विकार है जिसमें व्यक्ति काल्पनिक एवं अपने मे ही ध्यान केन्द्रित करता है , दिवास्वपन्न देखता है और उसे बाहर की जगत से कोई मतलब नही होता है
• भाव अभिव्यक्ति में विकार ( affect disorder ) :– यह भाव विकार है जिसमे स्थिति को समझ नहीं पाता है । एवं दुखी वातावरण में हंसने लगता है तथा खुशी वातावरण में रोने लगता है।
• उभयवृति विकार ( ambivalence ) :– इस प्रकार के लक्षण में रोगी किसी वस्तु के प्रति दो प्रकार का विचार करता है । जैसे प्यार और नफरत ।

2) दुत्तियक या accessary चिन्ह , लक्षण ( secondary sogn and symptoms )

a) संवेदी विकार (Perceptional disorder):–
* मिथ्याबोध (hallucinations) – इस प्रकार विकार में रोगी सुनाई , दिखाई तथा सुगंध , स्वाद तथा स्पर्श संबंधी विकार उत्पन्न हो जाती है।
* भांति (Illusion) – इस प्रकार विकार व्यक्ति बाहरी वस्तु या उद्दीपन उपस्थित होने पर किसी कारण से गलत उद्दीपन प्राप्त करते है । जैसे सांप को रस्सी समझना ।

b) सोच विकार (thought disorder)–
* विभ्रम ( delusion ) – इस प्रकार के विकार में बाहरी उद्दीपन के बिना होने वाला गलत अटल विश्वास होता है जैसे :– इसमें रोगी अपने आप को राजा समझता है और उस जैसा व्यवहार भी सबके साथ करता है।

C) क्रिया विकार (activity disorder) :–
* आदेश के विपरीत कार्य करना। (Negativism)
* दुसरे के द्वारा कहे गए वाक्यों को दोहराना (Echolalia)
* दूसरो के द्वारा किए गए क्रियाओं को कड़ना। (Echopraxia)
* तर्कहीन वाक्य का उच्चारण (salad)
* बिना किसी परिवर्तन के निश्चित स्थिति बनना (waxy flexibility)
* स्थिति में परिवर्तन करते रहना।( Mannerism )

d) दिखावट और शिष्टता का विकृत हो जाना जिसमें व्यक्ति सही तरीके से अपने दैनिक कार्य नहीं करता है।

e) एकाग्रता में परिवर्तन (Disturbance in attention):– इसमें व्यक्ति अपनी एकाग्रता को निश्चित नहीं रख पाता है।

f) संप्रेषण में परिवर्तन ( Disturbance in communication):– इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति लोगों के साथ बातचीत एवं विचारों को आदान प्रदान पूर्ण रूप से नहीं कर पाता है।

सिजोफ्रेनिया के प्रकार | schizophrenia types | types of schizophrenia :-

  • Schizophrenia को ICD–10 के अनुसार निम्न भागो में विभाजित किया गया है–
  • F20–0–paranoid सिजोफ्रेनिया
  • F20–1–hebephrenic सिजोफ्रेनिया
  • F20–2–catotonic सिजोफ्रेनिया
  • F20–3–undifferentiated सिजोफ्रेनिया
  • F20–4–post सिजोफ्रेनिया डिप्रेशन सिजोफ्रेनिया
  • F20–5–residual सिजोफ्रेनिया
  • F20–6–simple सिजोफ्रेनिया
  • F20–7–otherसिजोफ्रेनिया
  • F20–8–सिजोफ्रेनिया unspecified

1)Paranoid Schizophrenia :–  इस सिजोफ्रेनिया में onest slow होता है तथा ज्यादातर 30 वर्षों के बाद होता है तथा सबसे अधिक पाया जाता है तथा चिन्ह निम्न देखें जा सकते हैं–
• संदर्भ का मिथ्याभ्रम ( delusion of reference )
• अपने आपको अधिक महत्वपूर्ण समझने का मिथ्याभ्रम ( delusion of grandiosity )
• नियंत्रण का मिथ्याभ्रम ( delusion of control )
• पीड़ा देने का मिथ्याभ्रम ( delusion of Persecution )

2) हेबेफ्रेनिक सिजोफ्रेनिया:– इसको संगठित ( organized ) सिजोफ्रेनिया भी कहते है इसके लक्षण निम्न हैं–
• इसका onest subacute या उग्र होता है ।
• किशोरावस्था में इसका प्रारंभ होता है और लक्षण समय के साथ कठोर होते जाता है
• सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है।
• रोग का निदान कमजोर होता है क्योंकि ठीक होने की संभावना कम होता है।

3 catatonic Schizophrenia| कैटाटोनिक सिजोफ्रेनिया:–
Cata–disturbed , Tonic– muscle tone
• प्रारंभ में acute या chronic हों सकता है
• यह स्त्री एवं पुरुष दोनों में पाया जाता है
• इसमें रोगी उग्र क्रियाएं करती है (एक्साइटमेंट)
• उद्देश्यहीन कार्यों को दुबारा करता है
• उग्र प्रवृत्ति का हो सकता है
• personal Hygiene पर ध्यान नहीं रहता है
• इनसोम्निया , डिहाइड्रेशन पाया जाता है
• stupor इसमें कम्युनिकेशन की कमी
• मुक्त या गूंगापन मुखौटे जैसे भंगिमा।
• concentration तथा एटेंशन की कमी
• नकारात्मकता पाई जाती है।
• स्लाइवा, यूरीन एंड स्टूल करने से भी इन्कार करता है।

4) Undifferentiated Schizophrenia :– इस प्रकार के सिजोफ्रेनिया में विभिन्न तथा undifferentiated चिन्ह मरीज के अंदर उत्पन्न हो जाते हैं।जो विभिन्न समूह के सम्मिलित हो सकते है ।

5) पोस्ट सिजोफ्रेनिया डिप्रेशन :– इस सिजोफ्रेनिया में निषेधात्मक लक्षण पाए जाते हैं ।जैसे:–
• 5% कार्बन डाई ऑक्साइड का इन्हेलेशन
• बायकार्बोनेट ph और PCO 2 में परिर्वतन।
• non undrenergic agent
A) ब्रेन डिसऑर्डर :– कुछ न्यूरोटिक रोगों का संबंध ब्रेन पैथोलॉजी से भी हो सकता है जैसे–
• हेड injury
• Encephalitis
• chorea
B) मनोवैज्ञानिक कारण ( Psychological factor ):– इस रोग के मनोवैज्ञानिक कारण निम्नलिखित है
• अंतर्द्वंद (conflict)
• व्यक्तिगत संवेदना
• अत्यधिक तनाव
• सुरक्षा तकनीक की असफलता
• बुद्धि स्तर कम होना।
C)वातावरणीय कारक:– कुछ वातावरणीय कारणों से न्यूरोटिक अनियमितता उत्पन्न होती है जैसे–
• कठिन पारिवारिक परिस्थितियां।
• अत्यधिक जिम्मेदारी
• कठोर पारिवारिक अनुशासन
• दम्पतय समस्याएं

6) Residual Schizophrenia:– इसका प्रारंभ बहुत धीरे धीरे होता है यह पुरुषो में अधिक पाया जाता है ।तथा लक्षण निम्न है –
• भावना,रुचि तथा सक्रियता पर प्रभाव पड़ता है।
• भावनाएं मंद हो जाती है तथा सक्रियता में कमी।
• illusion होता है

7) साधारण सिजोफ्रेनिया:– इस प्रकार की सिजोफ्रेनिया में निम्न सम्मीलित है–
• तीव्र सिजोफ्रेनिया
• बाल्यकाल एवं युवावस्था सिजोफ्रेनिया
• लेट सिजोफ्रेनिया

सिजोफ्रेनिया का उपचार | Schizophrenia treatment :-

1) hospitalization :– यदि मरीज में हत्या या आत्महत्या या हिंसक प्रवृत्ति हो तो उसकी देखभाल के लिए तुरंत अस्पताल में भर्ती करना चाहिए।

2) फार्मेकोथेरेपी ( pharmacotherapy) :– मानसिक सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त व्यक्ति को निम्न antipsychotic drugs दे सकतें है ।
• Chlorpromazine (CPZ) – 300 से 150mg/day oral
• haloperidol। – 5 से 100mg/day
• clozapine –25 से 150mg/day
• fluphenazine decanoate – 25 से 50mg/weeks

3) फिजीकल थेरेपी (physical therapy) :–

E .C .T (Electro convulsive therapy)

4) मनोचिकित्सा (psychotherapy) :–
• समूह चिकित्सा (group therapy)
• व्यवहार चिकित्सा (behaviour therapy)
• परिवार चिकित्सा (family therapy)
• वातावरण चिकित्सा (milieu therapy)

5) मनों सामाजिक पूर्णवास ( Psycho social Rehabilitation )–
• समाजिक गुणवत्ता प्रशिक्षण (social skill training)– इसके अंदर रोगी को स्वयं की देखभाल करना कम्यूनिकेट करना समस्या को सुलझाना तथा गुणवत्ता को गुण सिखाया जाता है।
• बोध उपचार (cognitive therapy)– इसमें मस्तिष्क के कार्यों में सुधार करने के लिए उपचार किया जाता है जैसे एकाग्रता,वाणी।
• कार्य प्रशिक्षन। (Vocational training)– इस प्रकार के प्रशिक्षण में रोगी का कार्य जिससे तनाव या अवसाद को कम करने में सहायता करे।

सिजोफ्रेनिया की रोकथाम :-

सिजोफ्रेनिया जैसी स्थिति को रोका नहीं जा सकता है हालांकि इसके जोखिम को कम करने के लिए कुछ उपाय जरूर किए जा सकते हैं। नशे का प्रयोग और तनाव जैसे जोखिम कारक भी सिजोफ्रेनिया में योगदान कर सकते हैं, इसलिए इनसे बचना भी सिजोफ्रेनिया जैसी स्थिति के जोखिम को कम करता है। रोग का शुरुआत में ही पता लगाने और उचित देखभाल से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।

इसे भी पढ़ें:– Electro convulsive therapy (ECT ) क्या है? | ECT का उपयोग करने से होने वाली साइड इफेक्ट्स क्या है ?

सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार | Diagnosis of Schizophrenia :–

सिजोफ्रेनिया एक मानसिक विकार है जिसे दुर्भाग्यवश विशेष कर हमारे देश में अधिकांश लोग पागलपन कहते है इस रोग मिथ्याभ्रम , स्वाभाविक सोच जैसे लक्षण देखने को मिलता है।
1) केमोमाईल :– यह सुखदायक और शांत गुणों से भरपूर है यह नींद को बढ़ाकर सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगो को आराम महसूस कराता है । इसे एक कप गर्म पानी में एक चम्मच केमोमाइल मिलाएं मिश्रण को थोड़ा ठंड होने पर रोजाना शाम को पी लें।
2) पैनेक्स जिनसेंग :– यह स्मृति , सोच , और एकाग्रता में सुधार करने के लिए अच्छा माना जाता है 2008 में एक study के आधार पर सिजोफ्रेनिया के नकारात्मक लक्षणों में पैनक्स जिनसेंग कम करने में मदद करता है आप डॉक्टर के परामर्श लेकर लें सकते है माना जाता है की ब्रेन के रिसेप्टर्स की तरह मनोविकार के प्रति प्रभावकारी माना जाता है।
3) एंटीऑक्सीडेंट:– विटामिन सी, बी, ई और ए सिजोफ्रेनिया गंभीरता को कम करती है विटामिन सी को एंटी स्ट्रेस विटामिन माना जाता है एंटी ऑक्सीडेंट तनाव को कम करने में मदद करता है इसलिए अपने आहार में ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, नींबू , गाजर, संतरा, पालक जैसे खाद्य पदार्थों को लेना चहिए ।

मानसिक सिजोफ्रेनिया का नर्सिंग मैनेजमेंट | Prevention Of Schizophrenia :–

1) नर्सिंग डायग्नोसिस अनुभूति विकार नर्सिंग हस्तक्षेप:–
• रोगी जैसा है वैसे ही स्वीकार करे ।
• रोगी को वास्तविकता पर आधारित कुछ कार्य करने दे।
• उसे निर्देशित करें कि वह real घटनाओं तथा वर्तमान परिस्थिति के बारे में बात करें ।
• रोगी के साथ लंबे समय तक बातचीत ना करें ।
• विभ्रम तथा झूठे बात को उत्प्रेरित करने वाली घटनाओ पर ध्यान न दें ।
2) सोच विकार (thinking disorder) में नर्सिंग हस्तक्षेप:–
• रोगी को दैनिक कार्यों के बारे में बताना चाहिए ।
• यदि रोगी असामान्य behaviour दिखाए तो उसे समूह से अलग करना चहिए
• रोगी को कभी भी दंड नहीं देना।
• रोगी को समय समय पर देखभाल करना।
3) संप्रेषण विकार ( communication disorder) में नर्सिंग हस्तक्षेप :–
• रोगी की बात को अनदेखा न करें।
• रोगी को अपनी बात कहने के लिए उत्साहित करें।
• रोगी के अंदर उपस्थित डर वा घबराहट को दूर करे ।
• रोगी के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए।
• रोगी के साथ सरल एवं स्पष्ट भाषा में बात करना ।
4) खान पान विकार ( nutritional disorder ) में नर्सिंग हस्तक्षेप :–
• मरीज को रुचि के अनुसार भोजन देना चाहिए।
• भोजन थोडी थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार देना चाहिए।
• भोजन को आकर्षक एवं स्वच्छ तरीके से देना चाहिए।
• नियमित अंतराल पर रोगी को वजन लेना चाहिए।
5) उपचारात्मक आवश्यकताएं ( therapeutic needs ) में नर्सिंग हस्तक्षेप :–
• प्रोसेस के बारे में मरीज को समझना चाहिए।
• दवाई के लाभ एवं उनके साइड इफेक्ट्स के बारे में रोगी और उनके परिवार के सदस्यों को बताना।
• दवाइयां देते समय पांच अधिकारों का ध्यान रखना चाहिए।
6) सूरक्षा ( safety ) में नर्सिंग हस्तक्षेप:–
• रोगी का कमरा शांत वातावरण का होना चाहिए।
• कमरे में चाकू , पत्ती तथा हानिकारक पदार्थ वा समान उपस्थित नहीं होना चाहिए।
• यदि रोगी हिंसक हो तो उसे नियंत्रित करने के लिए व्यक्ति उपस्थित होना चाहिए।
• रोगी के पास निंद्रकारक दवाएं उपस्थित नहीं होना चाहिए।
सिजोफ्रेनिया गंभीर मानसिक बीमारी है। लेकिन, सही इलाज मिलने पर सिजोफ्रेनिया के मरीज जल्दी ही स्वस्थ होकर सामान्य जिंदगी बिता सकते हैं। सही इलाज से सिजोफ्रेनिया के लक्षण दूर होने लगते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में मरीजों को इन लक्षणों से छुटकारा पाने में लंबा वक्त लग जाता है।

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QNA :–  सिजोफ्रेनिया से जुरे सवाल और जबाब  

Q.)सिजोफ्रेनिया क्यो होता है?

Ans:– शोधकर्ता का मानना है की अनुवांशिकता के कारण ब्रेन से कुछ केमिकल निकलते है । जिसके कारण इमोशन्स और व्यवहार में बदलाव आता है।

Q.)सिजोफ्रेनिया कैसे ठीक होता है?

Ans:–मानसिक बीमारी को ठीक करने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है ये सिजोफ्रेनिया को ठीक करने के लिए नहीं बल्कि केवल व्यक्ति को अधिक सुस्त दिखाने और बनाने के लिए किया जाता है । इसमें दावा की कोई भूमिका नहीं है।

Q.)सिजोफ्रेनिया कितने दिनों में ठीक होता है?

Ans:–अगर समय रहते मरीज का इलाज शुरू हो जाए तो महज 8 से 10 महीनो में ठीक हो सकता है।

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