influenza in Hindi : इन्फ्लूएंजा (फ्लू) क्या होता है? इसके कारण, लक्षण, और वैक्सीन लगवाने का सही समय?

influenza in Hindi : इन्फ्लूएंजा (फ्लू) क्या होता है? इसके कारण, लक्षण, और वैक्सीन लगवाने का सही समय?
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influenza in hindi :-

दोस्तो आज हमलोग influenza in hindi आर्टिकल में influenza के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे कि influenza नुकसान, influenza से होने वाली बीमारी,influenza वैक्सीन कैसे काम करता है,इसका लाभ क्या है ,डोज, चेतवानी, मूल्य इत्यादि। तो दोस्तो हमारे इस आर्टिकल में बने रहे।तो दोस्तो,

इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक श्वास संबंधी बीमारी है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होती है। यह नाक, गला और फेफड़ों को प्रभावित करता है। दरअसल सर्दी जुकाम से अलग है और यह अक्सर अचानक होता है। हर साल फ्लू के कारण कई तरह के बीमारियां होती है, सैकड़ों लोगो को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है।

history :– influenza in hindi सबसे पहले 1918 से 1919 तक pandemic रूप में श्लेष्मा ज्वर का प्रकोप हुआ। इसका 50 मिलियन लोगों पर प्रभाव पड़ा। जिनमें से 20 मिलियन लोग मर गए तथा केवल भारतवर्ष के ही अंतर्गत 6 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई। ये इन्फ्लूएंजा स्वाइन influenza कहलाता है। सन 1957 में इसका 2nd attack हुआ जिसको एशियन फ्लू का नाम दिया गया। इसमें 1000 लोग रोगग्रस्त हुए थे। भारतवर्ष के अंतर्गत इस रोग से 25 मिलियन लोग रोगग्रस्त हुए थे तथा 767 की मृत्यु हो गई।

लास्ट टाइम सन 1958 में इसका pandemic attack हुआ जिसको हांगकांग फ्लू कहा गया। रोग के ओरिजिन होने के स्थान पर इसका नाम रखा गया। कहते हैं की यह इंटरनेशनल डिजीज है जो प्रत्येक वर्ष कहीं न कहीं होती है।

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influenza क्या होता है? | What is influenza :-

इन्फ्लुएंजा ( influenza in hindi) एक वायरल संक्रमण है, जो हमारे श्वसन तंत्र (Respiratory System) यानी हमारे नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करता है। इन्फ्लुएंजा (Influenza) को आमतौर पर फ्लू (Flu) कहा जाता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैल सकता है और यह समस्या ज्यादातर साल के सर्द महीनों में होती है। अधिकतर लोगों में इन्फ्लुएंजा ( influenza in hindi) खुद ही ठीक हो जाता है। लेकिन, कई मामलों में इससे प्रभावित व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब हो सकती हैं। कुछ लोगों में इस समस्या का जोखिम बहुत अधिक होता है, जैसे: की

  • पांच साल से कम उम्र के बच्चों में, खासतौर पर 6 महीने से कम।
  • 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में।
  • जो लोग नर्सिंग होम या अन्य केयर फैसिलिटीज में रहते हैं।
  • गर्भवती महिलाएं या प्रसव के दो हफ्ते बाद तक।
  • कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को।
  • जो लोग गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं जैसे डायबिटीज (Diabetes), मोटापा (Obesity), अस्थमा (Asthma) आदि।

माता पिता के लिए जानना जरूरी है, की इन्फ्लुएंजा यानी फ्लू की बीमारी कितनी गंभीर है?

हालांकि फ्लू यानी influenza in hindi कभी बहुत हल्का और कभी गंभीर रूप में होता है, लेकिन अक्सर फ्लू के कारण बच्चो को डॉक्टरी सहायता की जरूरत अवश्य पड़ती है। Five वर्ष से कम और किसी भी उम्र के बच्चे जिन्हे लंबे समय से किसी तरह की स्वास्थ समस्या होती है, इन्हे फ्लू के कारण होने होने वाली जटिलताओ का जोखिम अधिक होता है । जैसे निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस, और कान की तकलीफ। एसे बच्चो को फ्लू का जोखिम अधिक होता है, जिन्हे अस्थमा, डायबिटीज और मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम से संबंधित कोई स्वास्थ समस्या हो।

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इन्फ्लुएंजा कैसे होता है ? | इन्फ्लुएंजा कैसे फैलता है?( How is spread influenza in Hindi )

फ्लू वायरस मुख्य रूप से influenza वायरस से ग्रसित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने के दौरान मुंह से निकलने वाली थूक के बूंद यानी ड्रॉपलेट के माध्यम से फैलता है। ये बूंदे पास मौजूद व्यक्ति के मुंह या नाक में जा सकती है। साथ ही, यह वायरस ग्रस्त सतह को छू कर, हाथ से, मुंह या आंख या नाक को छूने से फैलता है।

influenza रोग होने के क्या कारण है? (What is causes of influenza in Hindi?)

इन्फ्लुएंजा (Influenza) का नाम उस वायरस के नाम पर पड़ा है जिसके कारण यह होता है। इस वायरस का नाम इन्फ्लुएंजा वायरस (Influenza Virus) है। इस वायरस से संक्रमित लोग खांसते या छींकते हैं और यदि उनके कॉन्टेक्ट में आनेवाले लोग इन बूंदों को सांस, मुंह या आंखों के माध्यम से अपने शरीर के अंदर ले जाते हैं, तो वायरस फैलता है। खांसने या छींकने से निकली बूंदे चीजों के माध्यम से भी दूसरे व्यक्ति के शरीर में फैल सकती हैं।जिससे कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चे और लोग लंबे समय तक संक्रमित रह सकते हैं।

इन्फ्लुएंजा के लक्षण क्या हैं? | What is Symptoms of Influenza in Hindi :-

जब लोगों को इन्फ्लुएंजा ( influenza in hindi) होता है, तो वे सर्दी-जुकाम से भी ज्यादा दिक्कत महसूस करते हैं। फ्लू से बीमार होने वाले बच्चों को आमतौर पर फ्लू के वायरस (Virus) के संपर्क में आने के 2 दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं। तो चलिए दोस्तो आगे जानते है इन्फ्लुएंजा के लक्षण (Symptoms of Influenza) क्या है तो influenza के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:

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Note :– चुकी बच्चो का इम्यूनिटी कमजोर होता है इसलिए बड़ो के अपेक्षा बच्चो में अधिक होता है। कुछ लोगों को फ्लू के कारण बुखार नहीं आता है।

influenza रोग से बचाव कैसे करे? | influenza यानी फ्लू से बच्चे को कैसे सुरक्षित रखे | prevention of influenza in Hindi :-

influenza से बचाने के लिए दोस्तों निम्न बातों का ध्यान रखें :–

  1. फ्लू से सुरक्षित रहने का सबसे पहला और सर्वोत्तम उपाय है की आप खुद और अपने बच्चो को फ्लू का टीका लगवाएं।
  2. 2017 में किए गए अध्ययन से पता चला है कि फ्लू का टीका बच्चो के लिए जीवन रक्षक टीका है।
  3. 6 महीने और इससे अधिक उम्र के हर बच्चे को हर साल फ्लू का टीका लगवाने की सिफारिश की जाती है। फ्लू शॉट्स और नेजल स्प्रे फ्लू टीके टीकाकरण के दो विकल्प हैं।
  4. छोटे और ऐसे बच्चो के लिए खास तौर पर यह टीका लगवाना जरूरी है, जिन्हे लंबे समय से कोई स्वास्थ संबंधी समस्या हो।
  5. इसके अलावा, बच्चे की देखभाल करने वाले व्यक्ति को भी इसकी जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है। इसलिए इन्हे भी टीका लगवाना जरूरी है। 6 महीने से छोटे बच्चो को भी फ्लू की गंभीर जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है, लेकिन फ्लू के टीके के लिए इनकी उम्र बहुत कम होती है।
  6. फ्लू वायरस का रूप लगातार बदलता रहता है, इसलिए फ्लू वायरस से सुरक्षा के लिए इन्हें निरंतर अघतन बनाया जाता है। अनुसंधान से पता चला है कि फ्लू के आने वाले मौसम के दौरान बच्चे इसका शिकार हो सकते है।

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इन्फ्लुएंजा का उपचार कैसे किया जाता है? | How Treatment of Influenza in Hindi :-

मुख्य रूप से, इन्फ्लुएंजा के उपचार (Treatment of Influenza) के लिए पर्याप्त आराम और बहुत अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने के लिए कहा जाता है। लेकिन अगर आपको यह इंफेक्शन गंभीर है या जटिलताओं का खतरा अधिक है, तो डॉक्टर आपको एंटीवायरल दवाईयां (Antiviral Medicine) भी दे सकते हैं ताकि फ्लू ठीक हो सके। यह दवाईयां इस प्रकार हैं :– ओसेल्टामिविर (Oseltamivir), ज़नामिविर (Zanamivir) आदि। ये दवाएं आपकी बीमारी को कम कर सकती हैं और गंभीर जटिलताओं को रोकने में भी सहायक हैं।

ओसेल्टामिविर (Oseltamivir) एक ओरल दवा है। ज़नामविर (Zanamivir) को अस्थमा इन्हेलर के समान एक उपकरण के माध्यम से सांस द्वारा लिया जाता है। लेकिन, अगर किसी को कुछ पुरानी सांस संबंधी समस्याएं जैसे अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी है तो इनका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

इन्फ्लुएंजा से कैसे बचा जा सकता है? | Influenza Prevention :-

  •  इन्फ्लुएंजा (Influenza) या फ्लू की रोकथाम के लिए 6 महीने या इससे अधिक उम्र के लोगों को वार्षिक फ्लू वैक्सीनेशन (Yearly vaccination) कराने की सलाह दी जाती है। इससे फ्लू होने का जोखिम कम हो जाता है और फ्लू से होने वाली जटिलताओं को भी रोका जा सकता है। इसके अलावा इन्फ्लुएंजा की रोकथाम (Influenza Prevention) के अन्य कुछ तरीके भी हैं, जैसे:
  • नजदीकी कॉन्टेक्ट से बचें (Avoid Close Contact with patients)
  • जो लोग बीमार हैं, उनके कॉन्टेक्ट में आने से बचें। अगर आप बीमार हैं तो आप भी दूसरे लोगों के संपर्क में न आएं। जब आप बीमार हों, तब घर पर ही रहें। फ्लू (Flu) होने पर काम पर या स्कूल आदि जाने से बचें। इससे दूसरे लोग भी बीमार हो सकते हैं।
  • नाक या मुंह को ढकें (Cover your Nose and Mouth)
  • जब भी आपको खांसी या जुकाम हो, अपने नाक को रुमाल या टिश्यू से ढंक लें। आजकल की स्थिति को देखते हुए हमेशा मास्क लगा कर रखें, खासतौर पर जब आप घर से बाहर हों।
  • हाथों को धोते रहें।
  • हाथों को धोने से आप रोगाणुओं से बच सकते हैं। अगर साबुन या पानी मौजूद न हो तो एल्कोहॉल बेस्ड सैनिटाइज़र का प्रयोग करें।
  • अपने मुंह, आंख या नाक को न छुएं ।
    जब आप किसी दूषित जगह को छूते हैं, तो रोगाणु आपके हाथों में आ जाते हैं। इसके बाद जब उसी हाथ से आप अपने आंख, मुंह या नाक को छूते हैं, तो यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे आप बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए, बार-बार अपनी आंखों, नाक या मुंह को न छुएं।
  • अच्छी आदतें अपनाएं ।
  • इन्फ्लुएंजा (Influenza) से बचने के लिए अच्छी आदतें अपनाएं, जैसे भरपूर नींद लें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, तनाव से बचे और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें व पौष्टिक आहार लें।
  • इन्फ्लुएंजा में खानपान का ध्यान कैसे रखें?
  • इन्फ्लुएंजा (Influenza) एक ऐसी बीमारी है, जिससे बचने या राहत पाने के लिए खानपान बहुत महत्व रखता है। अपने आहार का ध्यान रख कर न केवल आप इस बीमारी में अच्छा महसूस करेंगे, बल्कि जल्दी ठीक होने में भी आपको मदद मिलेगी और आपकी इम्युनिटी (Immunity) भी मजबूत होगी।

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इन्फ्लुएंजा में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए :–

जानिए कैसा होना चाहिए इन्फ्लुएंजा में आपका आहार (Diet in Influenza) तो दोस्तो आइए देखते है,

इन्फ्लुएंजा ( influenza in hindi) एक ऐसी बीमारी है, जिससे बचने या राहत पाने के लिए खानपान बहुत महत्व रखता है। अपने आहार का ध्यान रख कर न केवल आप इस बीमारी में अच्छा महसूस करेंगे, बल्कि जल्दी ठीक होने में भी आपको मदद मिलेगी और आपकी इम्युनिटी (Immunity) भी मजबूत होगी।

• तरल पदार्थ (Liquids) :– इन्फ्लुएंजा (Influenza) या कोई भी बीमारी होने पर सबसे जरूरी है कि आपके शरीर में पानी की कमी न हो। पर्याप्त पानी पी कर आपके शरीर से हानिकारक तत्व भी बाहर निकल जाते हैं। पानी के अलावा आप अन्य हेल्दी तरल पदार्थ जैसे हर्बल टी (Herbal Tea) या नारियल पानी (Coconut Water) आदि भी पी सकते हैं।

• एंटी-इंफ्लेमेटरी डायट :– एंटी-इंफ्लेमेटरी डायट में फल-सब्जियां (Vegetables and Fruits), साबुत अनाज (Whole Grain), फ्रेश हर्ब्स (Fresh Herbs) आदि शामिल करना चाहिए। इससे भी आपको फ्लू (Flu) से लड़ने में मदद मिलेगी।

• ओमेगा-3 फैट्स (Omega-3 fats) :– अधिक ओमेगा-3 फैट्स युक्त आहार का सेवन करने से भी इम्युनिटी (Immunity) बढ़ती है। इसलिए आपको जैसे टूना (Tuna), सल्मोन (Salmon), ट्राउट (Trout fish) आदि का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही अलसी, पम्पकिन, चिआ सीड, अखरोट आदि को भी अपने आहार में शामिल करें।

• इन्फ्लुएंजा में इन चीजों का सेवन जरूर से जरूर करे :– फल और सब्जियां,लीन प्रोटीन (Lean Protin) जैसे मछली या पोल्ट्री आदि,मेवे और सीड,ओलिव आयल,साबुत अनाज

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क्या न खाएं इन्फ्लूएंजा में | What not to eat in Influenza :-

इन्फ्लुएंजा ( influenza in hindi) में जहां कुछ चीजों को खाने की सलाह दी जाती हैं, वहीं कुछ खाद्य पदार्थ इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में, इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। जानिए, कौन से हैं यह खाद्य पदार्थ:

  • फुल फैट दूध (Full Fat Milk) या दूध से बनी चीज़ें (Milk Product)।
  • प्रोस्सेड food को
  • कैफीन युक्त चीजें जैसे चाय या कॉफी को।
  • एल्कोहॉल ।
  • तली हुई चीजें यानी की तैलीय चीजे।
  • अधिक नमक या चीनी युक्त आहार ।
  •  मसालेदार खाद्य पदार्थ का सेवन नही करना चाहिए। अतः इन सभी चीजों को जितना हो सके अवॉइड करे।

इन्फ्लुएंजा के ट्रीटमेंट के दौरान क्या ना करें? | Treatment of Influenza :-

इन्फ्लुएंजा ( influenza in hindi) में बीमार व्यक्ति बैचैन और थका हुआ महसूस करता है। इसके लक्षण सामान्य फ्लू (Flu) की तरह ही लेकिन अधिक परेशान करने वाले हो सकते हैं। इसकी शुरुआत नाक के बहने, बुखार, खांसी या ठंड लगने से होती है। इसके उपचार के दौरान भी आपके लिए एहतियात बरतना बेहद जरूरी है। जानिए इन्फ्लुएंजा के ट्रीटमेंट (Treatment of Influenza) के दौरान क्या नहीं करना चाहिए:

• खांसी की दवाई न लें (Don’t Take Cough Syrup)–इन्फ्लुएंजा (Influenza) के दौरान आपको खांसी की समस्या हो सकती है जिससे थकावट और दर्द महसूस कर सकते हैं। लेकिन, इसमें खांसी के लिए मौजूद दवाईयां फायदेमंद साबित नहीं होती हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बिना इसे न लें।

• एंटीबायोटिक्स का सेवन न करें (Don’t take antibiotics)–इन्फ्लुएंजा (Influenza) एक वायरस की वजह से होता है और वायरस को लेकर एक एंटीवायरल दवाई ही ठीक कर सकती है। एंटीबायोटिक्स का सेवन बैक्टीरियल इंफेक्शन में किया जाता है।

• बच्चों को एस्पिरिन न दें (Don’t give Aspirin to Children)– बच्चा जब इन्फ्लुएंजा (Influenza) या फ्लू से पीड़ित है तो सिरदर्द होना सामान्य है। इससे राहत पाने के लिए आप कभी भी उसे एस्पिरिन न दें क्योंकि इससे बच्चे को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं जैसे लिवर या दिमाग से संबंधित समस्याएं।

जैसा की दोस्तो ऊपर के विवरण में इन्फ्लूएंजा से जुड़ी समस्या के बारे में पूरी व्याख्या किया गया है तो अब हम जानेंगे की influenza के वैक्सीन से रिलेटेड तो बने रहिए दोस्तो इस पोस्ट के साथ तो चलिए,

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इन्फ्लुएंजा वैक्सीनेशन या टीकाकरण  :-

influenza in Hindi : इन्फ्लूएंजा (फ्लू) क्या होता है? इसके कारण, लक्षण, और वैक्सीन लगवाने का सही समय?

हर साल फ्लू का टीका लगवाना क्यों जरूरी है?
तो दोस्तो फ्लू वायरस का रूप लगातार बदलता रहता है इसलिए हर एक मौसम के बाद vaccination करवाना जरूरी होता है ताकि वायरस के खिलाफ बच्चो को सुरक्षित बनाया जा सके। जैसा की अनुसंधान से पता चला है की आने वाले मौसम के लिए ऐसा करना आवश्यक है। फ्लू वैक्सीन से आपकी सुरक्षा समय के साथ कम होने लगती है। सर्वोत्तम सुरक्षा के लिए हर साल टीका लगवाना जरूरी है।

इसमें मौजूद मरकरी बेस्ड यौगिक बैक्टीरिया, कवक, या अन्य सूक्ष्मजीवों के विकास को रोकने के लिए, इसे टीके के रूप में शामिल किया गया है। कुछ लोग प्रिजर्वेटिव-फ्री टीकों के डरते हैं, क्योंकि सुनने में आ चुका है कि वैक्सीन में मौजूद प्रिजर्वेटिव ऑटिज्म का कारण बन सकती है। लेकिन कई अध्ययनों में पाया गया है कि वैक्सीन और इसका कोई संबंध नहीं है। आइए जानते हैं इसमें मौजूद थिमेरोसल के बारे में।

इन्फ्लुएंजा (Influenza) से बचने के लिए 6 महीने या उससे बड़े लोगों को इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) लेने की सलाह दी जाती है। पूरी सुरक्षा के लिए आपको यह वैक्सीन हर साल लेनी चाहिए। यह वैक्सीन फ्लू (Flu) या इन्फ्लुएंजा (Influenza) के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होती है। यह वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के लिए भी पूरी तरह से सुरक्षित है। इस वैक्सीन को आप शॉट या नेजल स्प्रे के रूप में ले सकते हैं।

क्या फ्लू का टीका सुरक्षित है?

फ्लू वैक्सीन सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रमाणित टीका है। दशकों से लाखो लोगो ने फ्लू टीका सुरक्षित रूप से लिया है। टीका लगाने के लिए “फ्लू शॉट्स और फ्लू वैक्सीन” दोनो उपलब्ध है । अलग अलग उम्र के लोगों के लिए अलग अलग तरह के फ्लू वैक्सीन उपलब्ध हैं। अपनी उम्र के अनुसार हर व्यक्ति को सही टीका लगवाना चाहिए। सी डी सी और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की सिफारिश के अनुसार 6 महीना और इससे अधिक उम्र के बच्चे को हर साल फ्लू का टीका लगवाना चाहिए।

फ्लू का टीका लगवाने के क्या फायदा है?

दोस्तो फ्लू का टीका लगवाना वैसे तो बहुत है जरूरी है साथ इसके लाभ भी बहुत है जैसा की निम्न है :–

  1. फ्लू का टीका आपको और आपके बच्चे को बीमारी से सुरक्षित रखता है।
  2. फ्लू का टीका आपके बच्चे को अस्पताल में भर्ती होने से बचाता है।
  3. आपके और आपके बच्चे द्वारा फ्लू का टीका लगवाने पर, अन्य लोगों को भी सुरक्षित रखता है।
  4. फ्लू का टीका, बच्चो के लिए जीवन रक्षक घटक है।
  5. फ्लू का टीका लगवाने पर, बीमारी होने के दौरान कोई गंभीर जटिलताएं नहीं होती ।
फ्लू वैक्सीन के विपरीत प्रभाव क्या है? | Side effects of flu vaccine in Hindi :-

वैसे तो दोस्तों इसके साइड इफेक्ट्स बहुत ही कम देखने को मिलता है जो की कुछ लोगो में थोड़ा बहुत ही सकता है

  • फ्लू शॉट्स :– इसको मरे हुए फ्लू वायरस से तैयार किया जाता है निष्क्रय टिको के लिए इसलिए फ्लू शॉट्स लेने पर आपको फ्लू नहीं होता है।
  • इसके कारण कुछ हल्के विपरीत प्रभाव हो सकते हैं– जैसे गले में खराश, त्वचा लाल हो जाना, इंजेक्शन वाले जगह पर स्वेलिंग हो जाना,हल्का बुखार, दर्द आदि।
  • यदि ये विपरीत प्रभाव दिखाई दे तो फिक्र न करे ये नॉर्मली हल्के होते है और अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन इसके कुछ गंभीर विपरीत प्रभाव भी हो सकते है वैसे ज्यादातर लोगों को नॉर्मली ही रहता है तो वैसे कंडिशन में डॉक्टर से संपर्क करें।

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अगर बच्चे को कोई दीर्घकालिक स्वास्थ समस्या हो तो क्या उसके लिए फ्लू का टीका सुरक्षित है?

जी हां फ्लू का टीका प्रमाणित रूप से सुरक्षित है इनमे से कई टीका को 6 मंथ से अधिक उम्र के बच्चे के आलावा, स्वस्थ बच्चो और कुछ तरह की क्रोनिक बीमारी से ग्रस्त बच्चो के लिए भी मान्यता प्राप्त है । चुकी दीर्घकालिक स्वास्थ समस्या से ग्रस्त बच्चे को फ्लू से जुड़ी जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है, इसलिए इनके लिए फ्लू का टीका विशेष रूप से जरूरी है।

बच्चे का कौन सा फ्लू टीका लगवाना और कितनी खुराक देना चाहिए?

सामान्य रूप से क्रोनिक स्वास्थ समस्या से ग्रस्त बच्चो को फ्लू का टिक लगवाना चाहिए। आपके स्वास्थ का देखभाल करने वाले लोग ही आपके लिए सर्वोत्तम टीका का निर्णय ले सकते है। इसके आलावा, 9 वर्ष से कम उम्र के बच्चे की टीका का 2 खुराक देनी चाहिए, बसरते इन्होंने पहले इस टीके की 2 खुराक ली हो। आपके बच्चे को कितनी खुराक देनी चाहिए विशेष रूप से ये जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करे।

SH/NM फ्लू टीके क्या हैं?

SH का अर्थ सदन हेमिसिफेयर और NH का अर्थ नॉर्दन हेमिसिफर। एसएच/एनएच का उपयोग इन्फ्लूएंजा वैक्सीन के संदर्भ में किया जाता है। इसका अर्थ भौगोलिक हेमिसिफयर के संदर्भ में नहीं, बल्कि मौसम के संदर्भ में किया जाता है। एसएच ऐसे देशों के संदर्भ में है, जहां इन्फ्लूएंजा मौसम अप्रैल से जुलाई के सर्वोच्च शिखर पर होता है। एनएच का अर्थ है ऐसे देश, जहां इंफ्लूएंजा अक्टूबर से फरवरी से फरवरी के दौरान सबसे अधिक होता है।

सिप्लट वीरियाओन और सबयूनिट वैक्सीन में क्या फर्क है? और इनमें से कौन सा वैक्सीन बेहतर है?

सबयूनिट वैक्सीन अति आधुनिक 3rd जनरेशन वैक्सीन है, जो की अत्यधिक प्योरीफाइड होता है। इसमें अशुद्धियां नहीं होती जैसे न्यूक्लियर पदार्थ, जो कि स्प्लिट वीरियाओंन वैक्सीन के प्रभाव भी अधिक होते है।

निम्नलिखित स्थितियों में आपको फ्लू शॉट्स (Flu Shots) लेने की सलाह नहीं दी जाती :-

अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है और आप इससे संबंधित कोई दवाई ले रहे हैं, तो आपको यह वैक्सीनेशन कराने की सलाह नहीं दी जाती।

FAQ : इन्फ्लुएंजा फ्लू से जुड़े सवाल जवाब?

Q) इस वैक्सीन को लेने की सही उम्र क्या है? 
Ans :– फ्लू का टीका लगवाने का सबसे अच्छा समय छोटी उम्र है। यानी, आप अपने छोटे बच्चों को जितनी जल्दी हो सके यह टीका लगवाएं। वैक्सीन को अपने सुरक्षात्मक लाभों को प्राप्त करने में लगभग 3 सप्ताह लगते हैं, इसलिए इसे प्राप्त करने में देरी न करें।

Q) इन्फ्लुएंजा बुजुर्गों और अधिक बीमार लोगों के लिए खतरनाक क्यों है?
Ans :– इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होने के कारण उनका शरीर इन इंफेक्शन से लड़ने के लिए तैयार नहीं होता। उम्र और बीमारी के कारण वो शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं। बुजुर्गों में इन्फ्लुएंजा के कारण निमोनिया (Pneumonia) का शिकार हो सकते हैं या उनकी मृत्यु भी हो सकती है।

Q) भारत में इन्फ्लूएंजा मौसम कब होता है?
Ans :– भारत एक इशान देश है जहां इन्फ्लूएंजा पूरे वर्ष के दौरान होता है और देश के अधिकतर हिस्से में बरसात के पहले यह सर्वाधिक दिखाई देती है। इसलिए सिफारिश की जाती है की हर साल नवीनतम स्ट्रेन का टीका लगवाना चाहिए। आपके शिशु विशेषज्ञ आपके रिहाईशी क्षेत्र के अनुरूप सबसे उत्तम समय के विषय में आपको बताएंगे।

Q) आजकल किस प्रकार के फ्लू वैक्सीन उपलब्ध है?
Ans :– आज कई प्रकार के फ्लू वैक्सीन उपलब्ध है फिलहाल अपने डॉक्टर से नवीनतम स्ट्रेन 3rd जनरेशन सबयूनिट इन्फ्लूएंजा वैक्सीन के विषय में अवश्य पुछिए। इस प्रकार के वैक्सीन से लोकल और सिस्टेमिक प्रतिक्रिया कम होती है जैसे सूजन, त्वचा लाल हो जाना और बुखार।

निष्कर्ष :– इन्फ्लुएंजा (Influenza) से बचना और इससे आराम पाना आसान है। अगर आप सही आहार लें, आराम करें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। इसके साथ ही अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें। इन सब उपायों का पालन करने के आप आसानी से इस समस्या से लड़कर स्वस्थ हो सकते हैं। किन्हीं स्थितियों में यह रोग जोखिम भरा भी हो सकता है। इसलिए, अगर इस दौरान आपको कोई भी असामान्य लक्षण नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। तो दोस्तो मैं आशा करती हूं कि आपको हमारा influenza in Hindi आर्टिकल पसंद आया होगा अगर आपको influenza in Hindi आर्टिकल पसंद आता है या आप क्या कोई सवाल या जवाब है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। और अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करे।

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