कान बहने के कारण, लक्षण, दवाई, बचाव, उपचार, जांच और खाने में परहेज क्या क्या करना चाहिए?

कान बहने के कारण, लक्षण, दवाई, बचाव, उपचार, जांच और खाने में परहेज क्या क्या करना चाहिए?
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कान बहने के कारण | (ear discharge cause) otorrhea meaning in Hindi :–

कान बहने के कारण और इसके अनेक नाम जैसे कान बहना, कान से स्त्राव निकलना, कान से पीवी आना या सूपरेटीव मीडिया के नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में रोगी को पीड़ित एक अथवा दोनो कानों से स्त्राव निकलता रहता है। कान से पतला पीवी आता है।कान शरीर का अत्यधिक संवेदी अंग है। संक्रमण, सूजन या किसी अन्य कारण से कान में दर्द होता है या खुजली या फिर कान बंद हो जाता है। कान बहने का मतलब है कान से तरल पदार्थ का रिसाव होना। इसे मेडिकल टर्म में ओटोरिया (otorrhea) कहा जाता है। कान में उपस्थित वैक्स धूल बैक्टीरिया अन्य पदार्थों को कान में जाने से रोकता है।कान से रिसाव सामान्य, खूनी और सफेद हो सकता है, जैसे मवाद। रिसाव के कारणों पर निर्भर करते हुए, लोगों को कान में दर्द, बुखार, खुजली, वर्टिगो, कान बजना और सुनाई देना बंद होना हो सकता है।बार बार कान साफ करते समय जान में चोट लग जाती है इसके आलावा कुछ अन्य कारणों से भी कान मे विकार पैदा हो जाता है। कान में पानी पड़ जाने से भी विकार उत्पन्न होते है swimmers ear.
कान में बाहरी पदार्थ पड़ जाने से भी बहुत दर्द होता है। कभी कभी दर्द के साथ कान से रक्त स्त्राव भी हो जाता है।

कान बहने के कारण स्त्रावित होने वाला स्त्राव अम्लीय होता है। कभी कभी यह क्षारीय भी होता है तो कान में संक्रमण हो जाता है। कान में जीवाणु संक्रमण कान दर्द का एक प्रमुख कारण है। कई बार यह संक्रमण विषाणु या कवक से भी हो सकता है। कान के संक्रमण को रोकने लिए antibiotic लेना पड़ता है।

कान बहने के कारण। Ear discharge causes in Hindi :–

  • मेस्टोइडिटिस (Mastoiditis) :- कान बहने के कारण यदि कोई संक्रमण आपके मध्य कान में फैलता है और यूस्टेकियन ट्यूब को बाधा करता है, तो बाद में इससे मास्टॉइड हड्डी में गंभीर संक्रमण हो सकता है। ओटिटिस एक्सटेर्ना यह तब होता है जब कान का संक्रमण बाहरी कान और आसपास के ऊतकों तक फैल जाता है।
  • कान के परदे में चोट :– कान के परदे में चोट या एक छेद या खरोंच भी कान बहने के कारण हो सकता है।
  • कोलेस्टिओटोमा (Cholesteatoma) :– कोलेस्टिओटोमा एक गैर-कैंसर रोग है, जो कान में हो सकता है।
  • कान के संक्रमण :- कान का संक्रमण तब होता है जब एक जीवाणु या वायरल संक्रमण मध्य कान को प्रभावित करता है। यह भी एक कान बहने के कारण है
  • शरीर में बाहरी वस्तुएं :– कोई बाहरी वस्तु ऐसी चीज़ होती है, जो शरीर में होती है लेकिन वह शरीर का हिस्सा नहीं होती। यह गलती से शरीर में डाली जा सकती है।
  • बाहरी कान का संक्रमण :– इस संक्रमण की शुरुआती लक्षण में कान खुजलाती है। बाद के लक्षणों में एक सफेद व पानी वाला रिसाव होता है। यह मुख्य रूप से तैराकों में होता है।
  • मध्य यानी बीच कान का संक्रमण (otitis media) :- यह बच्चों में सबसे आम है।मध्य कान का संक्रमण (otitis media) का लक्षण होता है कान के पीछे मध्य वाला भाग में वायरस बैक्टीरिया संक्रमित करता है कान के पीछे के क्षेत्र में सूजन करता है।
  • बाहरी कान में चोट लगने, फोड़ा-फुंसी होने या फफूंद लगना।
  • वायु प्रदूषण
  • गले में संक्रमण
  • बुखार
  • कुपोषण
  • दांतों में इंफेक्शन
  • कान में लम्बे समय तक ईयर फोन लगाकर रखना यह भी कान बहने के कारण हो सकता है.
  • कान खुजाने के लिए नुकीली चीज डालना
  • साइनस
  • धूम्रपान
  • हमेशा कान दबाकर सोना
  • कुक्कुर खांसी।
  • स्कारलेट फीवर।
  • खसरा।
  • टीबी।
  • एडिनॉयड एवं कंठमूल शोथ से पीड़ित रोगी।
  • पुराना सर्दी जुकाम आदि के कारण भी 15 से 20% कान का बहना हो सकता है।

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कान बहने के कारण उत्पन्न होने वाले लक्षण। Ear discharge symptoms in Hindi :–

  • कान बहने के कारण उत्पन्न होने वाले लक्षण निम्नलिखित्त है आइए जानते है,यह लक्षण कान में संक्रमण तथा सूजन के स्थान , समय तथा प्रकृति पर निर्भर करते है जो निम्नवत है –
  • कान में दर्द।
  • कान में सूजन।
  • कान में खुजली।
  • कान लाल पड़ जाना, कान में फुंसी, पूरे कान में संक्रमण।
  • कान बहना।
  • कान से ब्लीडिंग होना।
  • सुनने को शक्ति कम हो जाना।
  • कान में घंटी बजना।
  • कान में भारीपन।
  • कभी कभी पलको में सूजन।
  • बच्चों में कम्हेड़ के दौरा।

विशेष में :–

  • यदि स्त्राव पसयुक्त है, तो इस बात का परिचायक है की कान में फुंसी है।
  • यदि कान से दुर्गन्धित स्त्राव होता है, तो कान के पर्दे में छेद के साथ मध्य कर्णशोध है ।
  • यदि स्त्राव पतला है, तो यह दीर्घकालीन मध्य कर्णशोध का लक्षण है।
  • यदि कान से रक्त मिश्रित स्त्राव आता है तो चोट, ट्यूमर, पोलिप आदि की संभावना है।
  • जब कान से पीवी खून आने लगता है, तब बुखार या सिरदर्द आदि लक्षण शांत हो जाते है।

उपरोक्त कान के विकारों के उपचार शीघ्र अति शीघ्र, कान का पीप या पानी आ रहा है, उसे साफ कर ले। मैल या बाह्य पदार्थ हो तो उसे निकाल दे। इसके आलावा रोगी को दर्द के लिए पीड़ाहारी औषधियां दे। तथा संक्रमण होने पर संक्रमणरोधि औषधियों द्वारा उसका उपचार करें।

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कान के संक्रमण से बचाव के उपाय :–

  • कान में संक्रमण से बचने के लिए संक्रमण से हुए बीमार लोगों से दूर रहने की कोशिश करें।
  • स्तनपान से शिशुओं को कानों के संक्रमण से सुरक्षा मिलती है, क्योंकि उन्हें दूध में अपनी मां की एंटीबॉडी प्राप्त होती हैं।
  • बाहरी वस्तुओं को अपने कानों से दूर ही रखे ताकि आपका कान का पर्दा न फटे।
  • ज्यादा शोरगुल एरिया में जाने से बचे।
  • swimmer ear से बचने के लिए, पानी से बाहर आने के बाद अपने कान को बचाने के लिए सिर को एक तरफ झुकाकर पानी को निकालने की कोशिश करें।
कान बहने का घरेलू उपचार :- 
  • माजूफल को कूटकर सिरके में उबाल कर फ़िल्टर कर लें, इसे कान में डालने से कान बहना बंद किया जा सकता है.
  • तिल का तेल 1 भाग और हुलहुल का रस 4 भाग मिलाकर आग पर तब तक पकाएं, जब तक कि तेल आधा ना रह जाए. फिर इसे छानकर कान में डाल लें. इस उपाय से कान का बहना बंद हो जाता है.
  • किसी बर्तन में 60 ग्राम सरसों का तेल गर्म करें, इसमें 4 ग्राम वैक्स डाल दें. जब वैक्स पिघल जाय, तब आग से उतार लें, फिर इसमें 8 ग्राम पिसी हुई फिटकरी डाल दें. अगर किसी भी अन्य दवा से कान का बहना बंद न हुआ तो इस उपाय को आजमाएं।
  • मेथीदाना को दूध में भिगाकर पीस लें उपयोग कर सकते है कान बहने से बचने के लिए।
  • सूरजमुखी के पत्तों का रस तेल में मिलाकर कान में डालने से कान का बहने से कुछ हद तक रोका जा सकता है।
  • नीम के तेल में रुई भिगोकर कान में रखने से कान में लगा सकते है।
    इन सारी नुस्खे को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।

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कान बहने का जांच या निदान । diagnosis ear discharge in Hindi :-

  • कान बहने के कारण निम्न निदान करने के लिए डॉक्टर किसी विशेष उपकरण से जांच करते हैं या किसी टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। इनमें ये सभी शामिल हैं।
  • History taking।
  • physical examination।
  • लक्षण के बारे में डॉक्टर पूछते है।
  • MRI
  • CT scan
  • ओटेस्कोप :– मध्य कान में एक सक्रिय संक्रमण का पता लगाने का सबसे सरल तरीका ओटोस्कोप उपकरण से बच्चे के कान में देखना है। इस उपकरण से चिकित्सक बाहरी कान और ईयरड्रम की जांच करते हैं। ईयरड्रम की सूजन संक्रमण का संकेत देती है। ऐसे कई तरीके हैं, जिनसे मध्य कान के तरल पदार्थ की जांच होती है।
  • टाइम्पेनोमेट्री :– इमध्य कान को जांच करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस परीक्षण के दौरान कान के नहर में एक छोटा नरम प्लग डाला जाता है। प्लग में एक स्पीकर, माइक्रोफोन और उपकरण होता है, जो कान की नली में वायु के दवाब को बदल सकता है। इस टेस्ट से कान के मध्य भाग की अच्छी तरह जांच हो सकती है।

कान के रोगी के उपचार हेतु निम्मलिखित दवाई प्रयोग में लाई जाती है। ear discharge medicine in Hindi :–

कान बहने के कारण निम्न मेडिसिन की अवश्यकता होती है।

  1. Antibiotics (प्रतिजीवाणु)– Ciprofloxin, chloramphenicol, gentamicin, norfloxacin, framycetin।
  2.  Antifungal ( प्रतिकवक )– ketoconazole, clotrimazole, hamycin।
  3. Steroids (स्टेरॉयड्स)– hydrocortisone, Betamethasone, prednisolone, dexamethasone।
    उपरोक्त दवाई योग में या फिर अकेले में मिलता है स्टेरॉइड्स का उपयोग कान के घातक संक्रमण में किया जाता है इसके साथ स्थानीय निश्चेतक भी मिला देता है, जिससे पीड़ा में आराम मिल सके। कान में उपयोग होने वाली निश्चेतक इस प्रकार है– Prednisolone। , Betamethasone।
  4. कान के मैल को मुलायम बनाने वाले पदार्थ ear softener or Docusates।
  5. विविध : सोडियम फ्लोराइड। कुछ मुख्य दवाई जैसे निम्न है :–
  • कान बहने के कारण उपयोग होने वाला दवा टेरामाइसिन कैप्सूल 250 से 500 mg एक एक कैप्सूल हरेक 6 घंटा के अंतराल पर।
  • पेंटिड्स 400 टेबलेट एक एक टेबलेट दिन में दो से तीन बार।
  • एम्पीसिलीन कैप्सूल, ड्राई सिरप 250 से 500 mg का एक एक कैप्सूल दिन में तीन बार।
  • एमक्लॉक्स कैप्सूल दो कैप्सूल दिन में दो बार।
  • एडिलॉक्स 500mg का एक एक कैप्सूल हरेक 6 घंटे पर।
  • ओटोफ्लाउर 20 mg एक एक टेबलेट दिन में दो बार।
  • ciplin DS एक एक कैप्सूल टेबलेट दिन में दो बार।
  • टैक्सिम इंजेक्शन 250 से 500 mg का।
  • dexona चार चार बूंद दिन में तीन बार प्रतिदिन दे।
  • सिप्लॉक्स D ड्रॉप्स चार चार बूंद दिन में तीन बार प्रतिदिन दे।
  • सिप्लॉक्स आई, इयर ड्रॉप चार चार बूंद दिन में तीन बार प्रतिदिन दे।
  • norflox eye ear drops चार चार बूंद दिन में तीन बार प्रतिदिन दे।

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कान बहने से जुड़े सवाल जवाब ?·

Q). कान बहना कैसे बंद होता है?
Ans–ऊपर के विवरण में देखें।

Q).कान से मवाद क्यों आता है?
Ans :– कान से मवाद कान में मुख्य रूप से इंफेक्शन होने के कारण होता है। कान में मवाद किसी भी उम्र में आ सकता है, किंतु प्रायः यह एक वर्ष से छोटे बच्चों या ऐसे बच्चों में ज्यादा होता है। कान से मवाद आने का स्थान मध्य कर्ण का संक्रमण है। मध्य कर्ण में सूजन होकर, पककर पर्दा फटकर मवाद आने लगता

Q).कान से मवाद आने पर क्या करें?
Ans:– मवाद बदबूदार है और सिर दर्द की शिकायत है, तो भी नॉर्मली नहीं लेना चाहिए बल्कि तुरंत इलाज कराना चाहिए। कान का पर्दा फटने से सिर्फ पानी निकलता उसमें छह पर्दे होते है।

Q).कान बहने पर क्या क्या नहीं खाना चाहिए?
Ans :– कान बहने के कारण केला, दही, आइस्क्रीम, ठंडा पानी, कोल्ड ¨ड्रक्स तेल,लाल मिर्च,खटाई, चावल,उड़द,अरबी,बैगन,आलू रतालू और कान का खुजाना आदि को उपयोग करने से परहेज करें। एलर्जी होने पर कान का बहना, कान में दर्द होना, नाक का बहना, नाक का बंद होना, खासी होना, गले में खरास होना, बुखार आदि लक्षण हो सकते है।

Q).कान बहने में उपयोग होने वाले भोजन?
Ans :– रोगी को पाचक भोजन का सेवन करना आवश्यक है क्योंकि उचित तरीके से भोजन करने पर रोग जल्द आराम हो जाता है। उचित भोजन साठी चावल, गेहूं, जौ,मूंग,मसूर,चना, अरहर, चना,मोठ,लौकी,तोरई,करेला, प्रवल, मेथी,बथुआ,टिंडे,सैजना,गाय का घी आदि।

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