रक्तस्राव | Bleeding in Hindi :-
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जब किसी भी कारण से शरीर में से रक्त निकलने लग जाता है, तब शरीर निस्तेज वा निर्बल हो जाता है यानी शरीर में कमजोरी आ जाती है। होठ वा गला सूखने लगता है,जिससे प्यास अधिक लगती है। यदि रक्तस्राव को समुचित चिकित्सा व्यवस्था द्वारा जल्द ही नहीं रोका जाता है, तो रोगी को मृत्यु भी हो सकती है। किसी व्यक्ति के शरीर से खून बहने लगता है और खून की हानि होने लगती है तो इसे ही ब्लीडिंग या रक्तस्त्राव कहा जाता है। शरीर के अंदर होने वाले रक्तस्राव को आंतरिक रक्तस्राव कहा जाता है जबकि जब खून शरीर से बाहर निकलने लगता है तो इसे बाहरी रक्तस्राव कहा जाता है।
रक्तस्राव इन 3 परिस्थितियों में हो सकता है :-
- शरीर के अंदर जब रक्त वाहिकाओं या अंगों से रक्त का रिसाव होने लगता है
- शरीर के बाहर जब रक्त शरीर में मौजूद किसी नैचरल ओपनिंग के माध्यम से बहता है (जैसे कि कान, नाक, मुंह, योनि, या मलाशय)
- शरीर के बाहर जब रक्त त्वचा के कटने के कारण बहने लगता है।
रक्तस्राव के कारण । Bleeding Causes in Hindi :–
शरीर में अगर किसी तरह की चोट लग जाए, दुर्घटना के कारण आघात हो या किसी तरह का प्रहार या झटका लगे तो इस कारण भी रक्तस्राव हो सकता है। रक्तस्त्राव होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं :-
- त्वचा पर चोट, खरोंच या घाव, जिससे केशिकाएं फट जाती हैं।
- नाक में चोट लगने या नाक में उंगली करने के कारण भी कई बार नाक से खून आने लगता है।
- सिर में लगी चोट के कारण इंट्राक्रैनियल (आंतरकपालीय) रक्तस्राव।
- जब किसी बीमारी के परिणामस्वरूप रक्त की हानि होती है, तो इनमें कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- ब्लीडिंग।
- मिसकैरेज या अबॉर्शन।
- हीमोफिलिया (आनुवांशिक विकार जिसमें जोड़ों में सहज रक्तस्राव होने लगता है)
- खून को पतला करने वाली दवाइयों के सेवन से भी रक्तस्राव हो सकता है।
- ब्रोंकाइटिस।
- टीबी।
- निमोनिया आदि
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रक्तस्राव के प्रकार । Bleeding Types in Hindi :–
- धमनी का रक्तस्राव ( Arterial haemorrhage) :– इससे निकलने वाला रक्त चमकीली और लाल होता है। इसका वेग नब्ज के साथ तेज अथवा कम होता है।
- वीनस रक्तस्राव ( Venous Haemorrhage ) :– इसका रंग हल्के कालेपनयुक्त होता है तथा यह एक समान गति से निकलता है। बड़ी शिराओं के रक्तस्राव में शरीर से अधिक मात्रा में रक्त निकल जाता है।
- कोशिका से होने वाली रक्तस्राव ( Capillary Haemorrhage ) :– यह चमकीले रंग का धीरे धीरे निकलने वाला रक्त होता है।बहुत अधिक देर तक निकलने पर यह गंभीर हालत उत्पन्न कर सकता है।
- प्राइमरी रक्तस्राव ( primary Haemorrhage ) :– किसी चोट अथवा ऑपरेशन के समय हुए रक्तस्राव को प्राइमरी रक्तस्राव कहा जाता है।
- रिएक्शनरी रक्तस्राव ( Reactionary Haemorrhage ) :– प्राइमरी रक्तस्राव 24 घंटा के अंदर होता है। यह प्रायः रक्त के थक्के का अपने स्थान से हटने पर अथवा टांका खुल जाने पर होता है। इसका मुख्य कारण ब्लड प्रेशर को बढ़ जाने तथा तेज खांसी या उल्टी आ जाने से होता है।
- दूतियक रक्तस्राव ( Secondary Haemorrhage ) :– यह सात से चौदह दिन के बीच में होता है । संक्रमण होने पर यह धमनी की दीवार को नष्ट होने पर होता है।
- अंदरूनी रक्तस्राव ( Concealed Haemorrhage ) :– यह सेरीब्रल रक्तस्राव में, फीमर के फ्रैक्चर में, यकृत एवं तिल्ली की चोट में तथा एक्टोपिक जेस्टेशन के फटने पर मिलता है।
- बाह्य रक्तस्राव ( Revealed Haemorrhage ) :– पेप्टिक अल्सर में मुख द्वारा अथवा मल में रक्त निकलना, वृक्क की चोट में मूत्र में रक्त आना, स्त्रियों के योनि से रक्तस्राव।
रक्तस्राव के लक्षण। Bleeding symptoms in Hindi:–
- चेहरे पर उदासी ।
- चेहरा, हाथ तथा नाकखून पर पीलापन।
- देखने में परेशानी।
- बार बार प्यास लगना तथा मूत्र बहुत कम आना।
- कानों में सु सु की आवाज आना।
- हाथ पैर की स्किन ठंडी पड़ना।
- रोगी बैचैन रहना।
- नब्ज की गति बढ़ जाती है।
- अधिक रक्तस्राव में नब्ज नहीं मिलती है।
- रोगी को सांस लेने में कष्ट होती है वह लंबी लंबी सांस लेती है।
रक्तस्राव की जांच । Bleeding test in Hindi:–
- हीमोग्लोबिन।
- प्लेटलेट्स की गिनती।
- स्टूल टेस्ट।
- एक्स-रे इमेजिंग।
- सीटी स्कैन।
- अल्ट्रासाउंड।
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रक्तस्राव में चिकित्सा विधि :–
- Haemorrhage की रोकथाम– प्रेशर और पैकिंग द्वारा, आराम और सही स्थिति के द्वारा, शल्य चिकित्सा द्वारा उस भाग को काटकर।
- ब्लड वाल्यूम को पूरा करके– रक्त चढ़ाकर , सैलाइन, डेक्टरॉन वा प्लाज्मा देकर।
- प्रेशर वा पैकिंग– किसी भी प्रकार के Haemorrhage में प्रेशर और पैकिंग का प्राथमिक चिकित्सा के रूप में प्रयोग करते है। Haemorrhage वाले स्थान पर कसकर कपड़ा बांधने से Haemorrhage रुक जाता है
- स्थिति वा आराम :–
- पैरो की चोट में रोगी को आराम से लिटाकर, उसके पैरो को शरीर से उच्च कर दिया जाता है। इसे Haemorrhage में कमी आ जाती है। गुरुत्वाकर्षण का उसमे अधिक महत्व रहता है।
- रोगी को पूर्ण विश्राम कराएं।
- रोगी को पीड़ाहर/दर्द निवारक और निद्रालू औषधी दे।
- कैरोटिड आर्टरी।
- फिमोरल आर्टरी।
- बाहु की प्रगंड धमनी।
- कक्षा धमनी (axillary artery या bronchial artery)
→ धमनियों से होने वाला Haemorrhage प्रायः लाल और चमकीला होता है तथा एक वेग के साथ निकलता है।
→ शिराओं से होने वाला Haemorrhage कालिमा लिए हुए अशुद्ध होता है और बिना वेग के रक्तस्राव होता है।
→ कोशिका का Haemorrhage लाल रंग का होता है तथा धीरे धीरे स्त्रावित होता है इसे सरलतापूर्वक नियंत्रण किया जा सकता है।
बाह्य रक्तस्राव जैसे कान, नाक, जीभ, सिर, होठ, दांत आदि की emergency treatment। bleeding Emergency treatment in Hindi :–
सिर की चोट में :–
- दवाब वा पैकिंग से Haemorrhage का रोकने का प्रयास।
- रक्तस्राव का कारण मालूम करे।
- धमनी या शिरा (artery or vein) पकड़कर सिल्क के धागों से बंधे।
- एंटिबायोटिक औषधि से पट्टी कर दे।
- सिर पर ठंडे जल की पट्टी रखे अथवा बर्फ रखे।
- ग्रीवा की सामान्य कैरोटीड धमनी पर दवाब डालकर।
- रोगी को एकांत कमरे में रखे।
- बाह्य आघात में छत स्थान पर सामान्य चिकित्सा।
- किसी भी संक्रमणरोधी औषधि से ड्रेसिंग करे।
- बड़े छत में ठीक प्रकार से टांका लगाएं।
- बेहोशी की दशा में लाइकर अमोनिया फोर्ट सुंघाए।
- चेहरे पर बार बार ठंडे जल का छींटा मारे।
- ब्रेन की हड्डी भंग हो तो विशेष डॉक्टर के पास ले जाए ।
नाक से रक्तस्राव की कंडिशन में :-
- यह बच्चो में अधिक देखा जाता है अधिक तेज बुखार में, अधिक ब्लड प्रेशर में, अथवा नाक पर चोट लगने से रक्त आता है ।
- कारण को मालूम करके उसके अनुसार चिकित्सा करे।
- रोगी को मुख द्वारा सांस लेने की आदेशित करे।
- कुछ मिनट लगभग पांच मिनट तक नाक को आंगली से दबाकर रखे।
- ब्लीडिंग होने पर कपड़ो में बर्फ बांधकर नाक के चारो ओर रखे।
- यदि फिर भी ब्लीडिंग न रुके तो अस्पताल में जाकर रोगी को nasal पैकिंग कराए। यह पैकिंग दो से तीन दीन तक रहती है।
- आराम न मिलने पर ऑपरेशन कराए।
- रोगी को किसी ठंडे स्थान में खुली वायु में सिरहाना नीचा रखकर सुलाये।
- रोगी को छाती के कपड़े ढीले रखे।
कान के रक्तस्राव :–
- बवासीर, फिशर, रक्तातिसार, रक्त युक्त प्रवाहिका / घाव के कारण ब्लीडिंग होता है।
- कारण के अनुसार चिकित्सा करे।
- पैराफिन गाज से पैकिंग करे।
- ब्लीडिंग को रोकने की दवाई दे।
- ब्लीडिंग न रुकने पर शल्य चिकित्सा की सहायता ले। साथ में इंजेक्शन क्रमोस्टेट 2 ml IV के द्वारा दे।
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होठ से रक्तस्राव :–
- किसी वस्तु के टक्कर लगने अथवा चोट लगने से होठ कट जाते है जिससे ब्लीडिंग होने लगती है।
- चोट पर तुरंत बर्फ लगाए।
- अधिक कटा होने की दशा में टांका कराए।
जीभ से रक्तस्राव :–
- कभी कभी दांतो के नीचे अचानक जीभ आ जाने से जीभ कट जाती है और ब्लीडिंग होने लगता है। ऐसे में,
- रोगी को बर्फ का टुकड़ा चूसने को दे।
- छत की आंगली से दबा दे तथा उस पर बर्फ का टुकड़ा रगड़कर फिटकरी का चूर्ण डालकर रूई से कुछ देर तक दबाएं।
- अधिक कटा होने पर टांका लगाएं।
- एंटीबायोटिक ओरल सोल्यूशन से रोगी का मुंह दिन में तीन से चार बार साफ कराएं।
- जब तक का जीभ के घाव का रोपण न हो जाए, तब तक रोगी को तरल वा शीतल आहार दे।
दांत से ब्लीडिंग :–
किसी ठोस वस्तु के चोट लगने से जब दांत टूट जाती है तो कष्ट के साथ ब्लीडिंग होने लगती है ऐसे में,घाव पर फिटकरी का चूर्ण रखकर स्वच्छ रूई से दबा देने पर ब्लीडिंग बंद हो जाती है।
रक्तस्राव की बचाव विधि। Bleeding prevent in Hindi।
- रक्तस्राव को रोकने ले लिए रक्तवहानियां पर सीधा दवाब डाले और घाव पर विसंकरमित गाज रखे।
- घाव स्थल के किनारे को अंगुली से पकड़कर घाव को स्वच्छ गाज से ढंक दे।
- रक्तस्राव वाले स्थान को ह्रदय की सतही से काफी ऊपर उठाकर रखे।
- शिरा वा कोशिका से होने वाला ब्लीडिंग में स्त्राव स्थान से पार्श्व को पकड़कर जीवानुराहित गाज रखकर सुरक्षित कर देना चाहिए।
- नरम स्थान से ब्लीडिंग की स्तिथि को प्राथमिकता उपचार के साथ तत्काल ही रोगी को विशेषज्ञ चिकित्सक के पास भेज देना चहिए।
- ब्लीडिंग रोकने के बाद उपस्थित रोगी सदमा की समुचित चिकित्सा । रोगी को साफ स्वच्छ वा खुले वातावरण में रखे, ताकि रोगी को खुली ऑक्सीजन मिल सके ।
- यदि रोगी बेहोश न हो अथवा उदरीय आघात न हो,तो उसको पर्याप्त मात्रा में जल अथवा अन्य तरल देते रहना चाहिए।
- जब तक ब्लड न रुके तबतक चाय, कॉफी आदि उत्तेजक पदार्थ कदापि न दे।
तात्कालिक चिकित्सा के बाद बाह्य रक्त की मेडिसिन चिकित्सा :–
ब्लीडिंग रोकने के लिए :– लाइकर एड्रीनलीन 1:1000 फिटकरी का घोल अथवा टिंक्चर फैरी को साफ स्वच्छ रूई को फाहे में भिगोकर घाव पर बंधे ।
आभ्यांतर प्रयोग :– विटामिन सी टेबलेट 100mg और कैल्शियम लेकटेट 15 ग्रेन इनको मिलाकर तीन मात्राएं बनाकर दिन में तीन बार दे ।
अत्यधिक रक्तस्राव की कंडिशन में :– कैल्शियम ग्लूकोनेट 10ml 25 ml 25% सुपर ग्लूकोज सोल्यूशन में मिलाकर धीरे धीरे इंजेक्शन लगाने से ब्लीडिंग तत्काल बंद हो जाता है।
अंदरूनी रक्तस्राव और दवाई। Internal bleeding medicine :–
आंतो का ब्लीडिंग– छिद्र होने पर रोगी को ब्लीडिंग आरंभ हो जाता है जैसे, टायफाइड ज्वर में, इपेंडिसाइटिस में, आब्स्ट्रक्शन में रोगी की कंडिशन गंभीर हो जाती है।
Emergency treatment :–
- कारण का पता लगाकर उसकी चिकित्सा करे।
- रोगी को पूरी रेस्ट कराए
- रोगी को रोगावस्था को देखकर रक्त की हानि का अनुमान लगाएं तथा जरूरी होने पर ब्लड चढ़ाए।
- रोगी को सर्जरी के लिए अस्पताल भेजे
- रोगी को TPR और BP पर ध्यान रखे ।
- रोगी को मुंह द्वारा कुछ भी न दे।
ब्रेन में आंतरिक ब्लीडिंग :– प्रायः उच्च रक्तचाप सिर की चोट में होती है। कई बार रक्तवहानियो के किसी अन्य कारण से फटने पर भी ब्लीडिंग हो सकता है।
लक्षण :– रोगी बेहोशी की अवस्था में आ जाती है।
रोगी को किसी भी चीज का होश नही रहता है। हेमिप्लेगिया की कंडिशन में मिलता है।
जांच :– Xray skull, CT scan
Treatment :–
- जल्द से जल्द डॉक्टर से दिखाए।
- ब्लीडिंग के कारण हाइपरटेंशन हो, तो नियंत्रित करे।
- रोगी के ब्लड प्रेशर नब्ज और तापमान का ध्यान रखे।
- इंट्राक्रेनियल तनाव को दूर करने के लिए mannitol IV द्वारा बहुत धीमी गति से दे। रोगी को mannitol के जगह लैसिक्स भी दे सकते हैं।
- रक्त थक्का को नष्ट करने के लिए उनको घोलने वाली एस्प्रिन आदि दवाई दे।
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