Electro convulsive therapy (ECT ) क्या है? | ECT का उपयोग करने से होने वाली साइड इफेक्ट्स क्या है ? | और ECT को किस Point पर लगाया जाता है? सम्पूर्ण जानकारी |

ECT (electro convulsive therapy) क्या है, बार बार उपयोग करने से होने वाली साइड इफेक्ट्स, किस प्वाइंट पर लगाया जाता है और भयानक केटोटोनिया के बारे में ।
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ECT(electro convulsive therapy)। electroconvulsive therapy definition | विधुत आपेक्षी चिकित्सा 

ECT (electro convulsive therapy) मानसिक रोगी की वह चिकित्सा विधि ECT कहलाता है, जिसमें व्यक्ति के सिर पर विद्युत धारा का प्रत्यक्ष प्रयोग किया किया जाता है । इस चिकित्सा के अंतर्गत विधुत धारा के प्रभाव द्वारा मस्तिष्क (ब्रेन) में सार्बदैहिक झटको (generalised seizure) की उत्पति की जाती है|

ECT full form:- electro convulsive therapy

Type of electro convulsive therapy (ECT) ( ई सी टी के प्रकार ) :–

1) Direct ECT (electro convulsive therapy) :–  इसमें बिना किसी mascular relaxent तथा general anaesthesia औषधि के ईसीटी प्रदान करते हैं । अब इस प्रकार का प्रयोग कम किया जाता है।
2) modified ECT (electro convulsive therapy) :– इस तरह के ईसीटी मे रोगी को शॉक treatment से पहले mascular relaxent तथा general anaesthesia औषधि प्रदान करते है।

ECT का प्रथम उपयोग | first use of Electro convulsive therapy :–

सन् 1938 में इटली के मनोचिकित्सक उगो सरलैटी (Ugo Cerletti ) तथा लुकियो बिनी ( Lukio Bini ) द्वारा रोम में ECT (electro convulsive therapy) का प्रथम बार प्रयोग किया गया था।

ECT प्रयुक्त धारा के मान ( parameters of electric current used ):–

  • विभव (voltage) –70 से 120 वोल्ट्स
  • समय ( duration) –0.7 से 1.5 सेकेंड्स

ECT (electro convulsive therapy) मात्रा (dose):–

  • ECT (electro convulsive therapy) सप्ताह में प्रायः 3 बार चिकित्सक के निर्देश के अनुसार प्रदान की जाती है ।
  • कुल 6 से 10 बार ECT (electro convulsive therapy) प्रदान करते हैं । चिकत्सक के परामर्श द्वारा यह संख्या 25 बार हो सकता है ।

ECT (electro convulsive therapy) electrode points :–
Electrode लगाने का स्थान वह मध्य बिंदु है जो की कान के tragus तथा lateral canthus के मध्य खींची गई रेखा पर स्थित होता है

ECT (electro convulsive therapy) indication ( उपयोग ):–

  •  ECT (electro convulsive therapy) उपयोग major depression में किया जाता है
  • severe psychosis schizophrenia or mania में किया जाता है
  • severe catatonia ( functional ) में प्रयोग
  • organic mental disease में प्रयोग करना

ECT (electro convulsive therapy) produced seizure :–

ECT (electro convulsive therapy) झटकों की दो कलाए होती है :–

  1. Tonic phase : इसकी समाप्ति 10 से 15 सेकेंड। में होती है।
  2. clonic phase : इसकी समाप्ति 30 से 60 सेकेंड्स में होती है ।

ECT (Electro convulsive therapy) के प्रयोग के संकेत का विवरण ( explain the indications of ECT ) ECT का उपयोग कब या कौन कौन सी अवस्था में उपयोग करनी चाहिए :-

वर्ष 1980 के उपरांत निम्न मनोरोगो की चिकित्सा हेतु विद्युत आपेक्षी चिकित्सा को प्रयोग में लाया जा रहा है

प्रमुख अवसाद ( prominant depression ) की विभिन्न अवस्थाओं में :–

• आत्महत्या भय के साथ अवसाद के समय depression with suicidal risk )
• अवसाद के साथ संवि भ्रम मिथ्या विश्वास की दशा में ( Depression with paranoid delusion )
• अवसाद रोधी औषधीय का निषेध होने पर भी इसकी प्रयोग में लाया जाता है ( Antidepressive when contraindication )
• मूर्च्छा के साथ अवसाद होने की दशा में ( Depression with stupor )
• Antidepressive के side effects भयानक होने पर भी इसका प्रयोग किया जाता है
• अवसादरोधी औषधिय के संतोष जनक परिणाम न आने की दशा में ( Depression with unsatisfactory response to drugs )

ECT (electro convulsive therapy) भयानक केटेटोनिया ( Severe catatonia ):–
• Catatonia के साथ मूर्च्छा होने की दशा में ।
• severe catatonia की औषधि से संतोसजनक उपचार। न होने पर भी इसको प्रयोग में लाया जाता है
• भयानक विखंडिता मानसिकता अथवा पागल होने की दशा मे ( Severe Schizophernia or mania )
• हत्या करने का भय यूक्त पागलपन होना ( Schizophernia mania with homicidal risk )
• विखंडित मानसिकता अवसाद में भी इसका प्रयोग किया जाता है ( schizophernia depression )
• अंगीय मनोविकार होने की दशा में ( Organic psychosis )
• भयानक पागलपन होने पर ( profund mania )
• दौरे की स्थिति में ( Seziurs )
• औषधि दुरुपयोग की दशा में (Drug addiction )
• केटेटोनिय के साथ भोजन वा जल का कम प्रयोग किए जाने पर
• catatonia जिसमें औषधी प्रयोग निषेध हो अथवा औषधिय के दुष्प्रभाव भयानक होने पर
• पागलपन में आत्महत्या का भय होने की दशा में ( Schizophernia mania with sucidal mood )
• शारीरिक अघात की संभावना का पागलपन या विखंडित मानसिकता ( Schizophrenia or mania with danger of physical assault )
• अंगीय मनोविकार होने पर ( organic mood disorder )
• सन्निपात उन्माद होने पर ( Delirius mania )
• जीर्ण तथा पूर्ण जिर्णावस्था मनोभ्रांश होने की दशा में ( Smile and presenile dementia )
• hypopituitarism होने पर ।

ECT के प्रयोग से होने वाली निषेधावस्था ( Contraindication of ECT ) । ECT के प्रयोग कौन कौन सी अवस्था में नहीं करना चाहिए :-

मनोरोगी में निम्न में से कोई अवस्था उपस्थित होने पर उसको विद्युत आपेक्षी चिकित्सा प्रदान नहीं करते है

• यदि रोगी का अंतः कपालिक दाब ( intra cranial pressure ) अधिक हो
• प्रमस्तिष्कीय रक्त स्राव ( cerebral haemorrhage ) होने की दशा में
• acute myocardial infarction होने पर
• pneumonia (निमोनिया ), aortic aneurysm होने की दशा में
• यदि गर्भावस्था हो
• वृद्ध होने पर
• मनोरोग जिसमें इसका प्रभाव न हो, जैसे स्नायविक मनोविकार ( neurotic disorder ) , तीव्र चिंताग्रस्त (anxiety state ), वायतोन्माद ( hysteria )
• cerebral aneurysm होने की दशा में
• ब्रेन ट्यूमर होने की दशा में
• congestive heart failure होने की दशा में
• रेटिनल detachment होने पर
• यदि उच्च रक्तचाप हो ( hypertension )
• अस्थिभंग ( fracture ) होने की दशा में ।

ECT (electro convulsive therapy) क्या है, बार बार उपयोग करने से होने वाली साइड इफेक्ट्स, किस प्वाइंट पर लगाया जाता है और भयानक केटोटोनिया के बारे में ।

ECT (electro convulsive therapy) रोगी की तैयारियां किस प्रकार की जाती है :-

ऐसे मनोरोगियों जिन्हे मनोरोग चिकित्सक द्वारा विद्युत ECT (electro convulsive therapy) आपेक्षी चिकित्सा प्रदान करने की स्वीकृति प्राप्त है , उनको प्रतीक्षा कक्ष से चिकित्सा कक्ष में नर्स द्वारा निम्न प्रकार तैयार करना चाहिए –
• मनोरोगी की वस्त्र उतरवाकर चिकित्सालय का वस्त्र धारण करवाएं
• ईसीटी रोगी के शरीर से समस्त धातु अलग कर दे
• रोगी को नॉर्मल से कम ऊंचे बिस्तर पर supine position लिटा दे
• कम से कम। रोगी को 6 घंटा पहले से ही मुख द्वारा कुछ भी खाने को न दे
• रोगी को चिंताग्रस्त को वार्तलाप तथा सौम्य व्यवहार द्वारा दूर करे
• रोगी के कमर के नीचे छोटा तकिया लगा दे
• रोगी का वायुमार्ग खुला रहे इसलिए सिर को hyperextentsion की दशा में रखनी चाहिए ।
• ECT (electro convulsive therapy) के समय रोगी की जीभ न कट जाएं इसलिए मुंह में गद्दी ( mouth gag ) अथवा जीभ अवनमक (tounge depressor ) लगाना चाहिए
• रोगी को आधे घण्टे पहले दवाई देनी चाहिए
• रोगी के हाथ वा कंधों को पकड़कर संभालना चाहिए तथा जांघो को पलंग के साथ बांध देना चाहिए
• सिर पर विद्युत ध्रुव को लगाने वाले स्थान को स्वच्छ कर सुखाने के बाद नॉर्मल सलाइन लगाना चाहिए
• रोगी को जैविक आंकड़ा (vital data) प्राप्त करने हेतु आवश्यक Monitors को स्थापित करना चाहिए
• 100% ऑक्सीजन प्रदान करना चाहिए
• electrods लगाना चाहिए तथा विद्युत पैनल तैयार करना चाहिए ।

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QNA Electro Convulsive Therapy से जुरे सवाल और जबाब 

Q ECT का full form क्या है?
Ans electro convulsive therapy ( इलैक्ट्रो। कंवल्सिव थैरेपी )।

Q ECT का हिंदी नाम क्या है?
Ans विद्युत आपेक्षी चिकित्सा ।

Q ECT कितने प्रकार के होता है ?
Ans ऊपर के विवरण को देखे ।

Q ECT (electro convulsive therapy) को कुल कितने बार उपयोग किया जाता है?

Ans :–ऊपर के विवरण में देखे

इसे भी देखें:–डिमेंशिया या मनोभ्रंश के लक्षण ,कारण ,परहेज कैसे  किया जाता है ?

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