TB Disease in Hindi | टीबी बीमारी के कारण , लक्षण , रोकथाम , उपचार घरेलू और आयुर्वेदिक?

TB Disease in Hindi | टीबी बीमारी के कारण , लक्षण , रोकथाम , उपचार घरेलू और आयुर्वेदिक?
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T.B ( tuberculosis ) meaning in Hindi :–
T.B रोग के बारे में नीचे आइए देखते है क्या परेशानी लोगों में होती है तो,यहां इस आर्टिकल में हमने T.B के बारे में पूरी जानकारी दी है, जिसमे पहले हम जानेगे की T.B का मतलब क्या होता है, यह किन कारणों से होता है, इसके लक्षण कैसे दिखते हैं, यह कितने प्रकार का होता है? अन्त में टीबी के इलाज, बचाव दवाई के बारे में और इस रोग में क्या खाएं और क्या न खाएं घरेलू उपाय इसके विषय में भी पढ़ेंगे।

TB Disease के विषय में :-

इस रोग को यक्ष्मा रोग,राज रोग, तपेदिक एवं टी बी रोग आदि नामों से जाना जाता है। WHO के अनुसार T.B (tuberculosis) संसार में पाया जाने वाला सबसे अधिक संक्रामक रोग है। यह एक सामाजिक रोग है क्योंकि समाज से विशेष कर निम्न वर्ग से गहरा संबंध है क्योंकि उनके खाने में अपर्याप्त पोषण और भोजन की कमी और थोड़े से स्थान में बहुत से लोगों का तंग गलियों में रहना जहां सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं होती हैं। सूर्य का प्रकाश भी कठनाई से पहुंचता है। यही सब कारण इस रोग को बढ़ाते हैं। आइए T.B के बारे में जानते है,

T.B(tuberculosis) रोग क्या है? TB Disease in Hindi :-

TB Disease in Hindi यह एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति के फेफड़ों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। यह रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। यह रोग इलाज योग्य और रोकथाम योग्य है। लेकिन इसका सक्रिय रूप अत्यधिक संचारी है और खांसी, छींक, लार आदि के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। अपने अत्यधिक संचारी रूप के कारण यह रोग विश्व स्तर पर दूसरी घातक बीमारी है।

T.B  के प्रमुख कारण । TB Disease in Hindi Causes :-

• इस रोग को माईकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक जीवाणु करता है। इस जीवाणु के शरीर में पहुंचने पर कई महीनों से लेकर कई वर्षो तक यह बिना रोग के रह सकता है। जैसे ही उस व्यक्ति की शारीरिक प्रतिरोध क्षमता कम होती है, यह जीवाणु संख्या में वृद्धि करके रोग उत्पन्न कर देता है। यह रोग स्त्रियो की अपेक्षा पुरूषों में अधिक होता है, परंतु बच्चो को भी यह रोग हो जाता है।

T.B ( tuberculosis ) का प्रसार या फैलाव :–
यह रोग बिंदूक संक्रमण ( droplet infection ) से फैलता है । प्रायः T.B ( tuberculosis ) रोग से ग्रस्त रोगियों के थूक या बलगम में इस रोग का जीवाणु उपस्थित रहता है। और जब भी रोगी खांसता है अथवा जोर जोर से बाते करता है, तब उसके मुख से अत्यंत सूक्ष्म बूंदों की फुहार निकलती है, जो उस रोगी के आस पास के वातावरण में फैल जाती है। इन बूंदों में T.B ( tuberculosis ) के पर्याप्त जीवाणु मौजूद रहते है। सांस अथवा मुख के द्वारा यह जीवाणु स्वस्थ मनुष्य के शरीर में प्रविष्ट होकर इस रोग को उत्पन्न कर देते है। जीवाणु शरीर में रक्त अथवा लिम्फ द्वारा एक अंग से दूसरे अंग में फैल जाता है । इस प्रकार मनुष्य के किसी भी अंग में यह रोग फैल सकता है । यह सफाई करने पर उड़कर श्वास के साथ शरीर में प्रविष्ट हो जाते है। घर परिवार में T.B ( tuberculosis ) एक व्यक्ति के होने पर अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी T.B ( tuberculosis ) हो सकता है।

• माइको, बोविस जो की गाय, भैंस आदि पशुओं में T.B ( tuberculosis ) यानी क्षयरोग को करता है, उनका बिना उबला दूध सेवन करने से स्वस्थ व्यक्ति T.B ( tuberculosis ) से पीड़ित हो सकता है।

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• अन्य सहायक कारण :–
सुरापन करने वाले व्यक्ति को T.B ( tuberculosis ) रोग जल्द हो सकता है।
निर्धनता के कारण।
सूर्य प्रकाश की कमी
भीड़ भाड़ युक्त वातावरण
बड़े बड़े कारखाना में कार्य करने वाले लोगो में अधिक होता है।
आदि कारणों से T.B ( pulmonary tuberculosis ) होता है।

T.B के प्रमुख लक्षण एवं चिन्ह (tb disease symptoms in hindi) :-

सामान्य लक्षण :–

  • रक्ताल्पता
  • बुखार 
  • आलस्य
  • नींद में कमी
  • कमजोरी
  • शरीर में गिरावट
  • भार में कमी
  • ह्रदय धड़कन बढ़ना
  • शाम के समय हल्का हल्का फीवर रहना
  • रात में पशीना अधिक आना
  • महिलाओं में असमय मासिक धर्म का बंद होना।

टीबी बीमारी के कारण , लक्षण , रोकथाम , उपचार घरेलू और आयुर्वेदिक?

T.B लक्षण बच्चों तथा महिलाओं में (T.B symptoms in Hindi) :– 

  • फेफड़े वा ब्रोंकाई – खांसी, कफ, बलगम एवं बलगम में रक्त आना तथा सांस का फूलना।
  • लिंफ ग्लैंड में इंफेक्शन।
  • बलगम पीला गाढ़ा एवं रक्त का भी उपस्थित होना
  • प्लूरा में पानी की जमा होना, छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत।
  • जीभ में घाव होना।
  • आवाज का भारीपन होना एवं भोजन करने में कठनाई।
  • ब्रेन – T. B के कारण उत्पन्न हुए लक्षण सिरदर्द, गर्दन का अकड़ जाना।
  • आंख– आंख में दिक्कत होना।
  • पेरिटोनियम – पेट में पानी भड़ना।
  • लसिका पर्व – फूलकर बढ़ जाना, भीतर मवाद बनना, इसके साथ साथ साइनस का बन जाना।
  • अस्थि में इन्फेक्शन– हड्डियों में दर्द, मवाद तथा अस्थिमज्जा शोध।
  • छाती में दर्द।

T.B के निदान हेतु जांच |TB Disease in Hindi :-

शारीरिक जांच :–

  • रोगी की उस ओर की छाती की गति सांस लेने पर धीमी पड़ जाती है।
  • आघातन साउंड में अंतर पड़ जाता है।
  • छाती में कड़ कड़ की आवाज सुनाई देना।

लैबोरेटरी जांच :–

  • HB
  • TLC, DLC, ESR, Urine
  • थूक या बलगम की जांच sputum कल्चर, लैरिंज्य स्वाब, ब्रोनकोस्कोपिक द्रव में जीवाणु का उपस्थित होना देखा जाता है ।
  • डायरेक्ट माइक्रोस्कोपी
  • Mantoux test– इस परीक्षण के अन्तर्गत रोगी की स्किन में ट्यूबरकुलीन प्रोटीन का इंजेक्शन देते है जिसका प्रभाव 72 घंटा के बाद देखा जाता है। 12 MM अथवा उससे अधिक सूजन पॉजिटिव परीक्षण परिचआयक है।
  • एक्स रे, लंग एब्सेस।

TB Disease in Hindi की जटिलताएं :–

  • खांसी के साथ बलगम में रक्त आना।
  • हड्डी संधि की टी.बी.
  • प्लूरिसी
  • स्वतः वातवक्ष
  • ट्यूबरकुलर मेनिनजाइटिस
  • ट्यूबरक्यूलर एंपायमा
  • गुर्दे की टी.बी.
  • उदर की टी.बी.
  • एंफाइसिमा
  • क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
  • आंत में रुकावट
  • फैलोपियन ट्यूब की टी. बी.
  • रेस्पिरेटरी फेल्योर
  • लोबर अथवा सेगमेंटल कोलैप्स।

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T.B रोग से सुरक्षा और बचाव :-

स्वस्थ लोगों को क्षयरोग के संबंध में सही सही जानकारी देना चाहिए कि यह रोग कैसे होता है ?तथा क्या इसकी चिकित्सा संभव क्या है? सामूहिक रूप से करके रोगियों का पता लगाकर उनकी समुचित चिकित्सा व्यवस्था करनी चाहिए। औषधि का सही और पूर्ण उपयोग करके रोगी को रोग मुक्त किया जा सकता है तथा स्वस्थ लोगों के रहन सहन एवं खान पान में उचित परिर्वतन करके समाज को क्षयरोग से मुक्त किया जा सकता है।

बी.सी.जी. का टीका – इस इंजेक्शन पाउडर को फ्रिज में रखें और प्रयोग के समय ही नॉर्मल सैलाइन में मिलाकर तैयार करके बाएं हाथ की बाजू के ऊपरी तिहाई और बीच वाले तिहाई भाग के जोड़ पर त्वचा में लगाया जाता है। बचाव में तीन से सात वर्ष तक अधिक रहता है। यह इंजेक्शन T.B ( pulmonary tuberculosis ) होने की संभावना को नवयुवक में 80% तक कम कर देता है और यदि T.B ( pulmonary tuberculosis ) हो भी जाता है, तो यह टीका T.B ( pulmonary tuberculosis ) से होने वाले गंभीर कॉम्प्लिकेशन से बचाता है तथा उसके प्रसार को भी रोकता है।

tb disease treatment in Hindi :-

T.B रोग का मेडिसिन द्वारा बच्चो तथा एडल्ट में बचाव?

  • आइसोनियाजिड I.N.H 5 mg प्रति kg शारीरिक भारानूसार प्रतिदिन के हिसाब से रोगी को मुख द्वारा निरंतर एक वर्ष तक सेवन कराएं। यह औषधि नीचे लिखे कंडिशन में देते है–
  • तीन वर्ष से कम आयु वर्ग के वह बच्चे, जिनको बी सी जी टीकाकरण न किया गया हो और ट्यूबरकुलिन जांच पॉजिटिव हो।
  • जो रोगी बी सी जी टीकाकरण रहित हो उनमे अभी हाल ही में ट्यूबरकुलीन जांच पॉजिटिव हो।
  • ऐसे छोटे बच्चे, जिनको माता पिता में सक्रिय संक्रामक रोग उपस्थित हो।
  • ऐसे रोगी, जो इम्यूनोप्रेसिव औषधि पर हो।

TB Disease in Hindi Medicine | T.B के लिए कुछ मेडिसिन जैसे :–

Antitubercular drugs :–
आइसोनिकोटिनिक एसिड hydrazide :– यह एक T.B ( pulmonary tuberculosis ) के लिए महत्वपूर्ण औषधि है इसका उपयोग आइए जानते है , तो इसका उपयोग फुफुस्सीय तपेदिक, मेनिनजाइटिस एवं अन्य समस्त प्रकार की तपेदिक में किया जाता है। इसकी व्यस्क डोज 10mg प्रति kg शारीरिक भार पर प्रतिदिन है।
50 kg से कम भार के रोगी 300 mg प्रति दिन।
50 kg से अधिक भार के रोगी 450mg प्रतिदिन।

Rifampicin :–  यह मेडिसिन T.B ( pulmonary tuberculosis ) जीवाणुनाशक है। इसके अतिरिक्त भी अन्य कई जीवाणु के विरूद्ध भी प्रभावकारी है । इसका उपयोग T.B, कुष्ठ, मस्तिष्क ज्वर के रोग रोधन के रूप में सफलतापूर्वक किया जाता है इसकी मात्रा वयस्क में 10mg प्रति kg शारीरिक भरनुसार प्रतिदिन है।
50 kg से कम भार के रोगी 450 mg प्रति दिन।
50 kg से अधिक भार के रोगी 600mg प्रतिदिन।

Pyrizinamide :– यह T.B नाशक मेडिसिन के बारे में आइए जानते है, तो यह मेडिसिन ब्रेन की T.B में अत्यंत उपयोगी है यह टेबलेट के रूप में बाजार में मिलता है इसकी मात्रा 20 से 25 mg प्रति kg शारीरिक भारानूसार एक बार प्रतिदिन है।
50 kg से कम भार के रोगी 1.5 mg प्रति दिन।
50 kg से अधिक भार के रोगी 2 ग्राम प्रतिदिन।

Ethionamide :– यह एक बहुत ही सफल T.B रोधी औषधि है, जो टेबलेट के रूप में विभिन्न पेटेंट व्यवसायिक नामों से बाजार में उपलब्ध है। इसकी मात्रा 500 से 1000 mg 3 विभाजित मात्रा में प्रतिदिन है।

Ethambutol :– इस T.B रोधी औषधि का उपयोग अन्य मेडिसिन को मिलाकर किया जाता है। यह औषधि टेबलेट और कैप्सूल के रूप में बाजार में मिलता है। इसकी मात्रा 15 से 25 mg प्रति kg शारीरिक भारानूसार प्रतिदिन,
50 kg से कम भार के रोगी 800 mg प्रति दिन।
50 kg से अधिक भार के रोगी 1200 mg प्रतिदिन।

Streptomycin :– यह मेडिसिन के बारे में आइए नीचे देखते है, यह T.B रोग की पुरानी एवं बहुत प्रसिद्ध मेडिसिन है जो इंजेक्शन के रूप में बाजार में ऊपलब्ध है। इसकी मात्रा 10 से 20mg प्रति kg शारीरिक भारानुसार प्रतिदिन है।
50 kg से कम भार के रोगी 0.7 mg प्रति दिन।
50 kg से अधिक भार के रोगी 1.0 mg प्रतिदिन।

DOTS के द्वारा :–
एजुकेटेड डॉक्टर्स की देख रेख में T.B ( pulmonary tuberculosis ) से पीड़ित रोगी को अल्पविधि वाली टी. बी. निरोधक औषधियों का सेवन स्वास्थ कार्यकर्त्ता के सामने कराने वाली विधि को डायरेक्टली आब्जर्व्ड ट्रीटमेंट शॉर्ट कोर्स डॉट्स कहा जाता है।

इंटेनसिव फेज दो माह हेतु,

यह औषधि रोगी की स्वास्थ कार्यकर्त्ता के सामने खानी है। औषधि सप्ताह में तीन बार (एक दिन बीच में छोड़कर) सेवन करनी है। इंटेनसिव फेज में T.B ( pulmonary tuberculosis ) निरोधक नीचे लिखे औषधियों रोगी को सेवन करनी है–
Isoniazid Rifampicin pyrazinamide ethambutol
H। R। P। E।
300mg। 450mg। 750mg। 600mg
2 गोली। 1 कैप्सूल। 3 गोली। 3 गोली

कंट्यूनिशयल फेज 4 माह हेतु,

इंटेनसिव फेज के अंत में रोगी के बलगम की जांच निगेटिव हो, 4 माह के लिए सतत चरण की औषधियों रोगी को सेवन कराएं जाने का विधान है। इसके अन्तर्गत तीन दिन के लिए T.B ( pulmonary tuberculosis ) रोग की औषधियां और सप्ताह के शेष दिन के लिए विटामिन की गोलियों सेवन करानी है।
कंट्यूनिशयल फेज में खाई जाने वाली दवाई–
Isoniazid। Rifampicin।
300mg। 450mg।
2 गोली। 1 कैप्सूल।
ये कुछ डॉट्स तरीकों से मेडिसिन दिया जाता है।

T.B रोग का घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार :–

विटामिन डी :- उन्नत पल्मोनरी T.B के रोगियों में पूरक उपचार के रूप में यह रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह आहार स्रोतों जैसे अंडे, फोर्टिफाइड दूध, मछली और कॉड लिवर ऑयल में पाया जा सकता है। सुबह की धूप की तप में भी उपलब्ध है।

ग्रीन टी:- इसमें बैक्टीरिया की तलाश करने और इसे शरीर के बाकी हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए उच्च पॉलीफेनोल सामग्री होती है।

केला:- केले में विटामिन और कार्बनिक यौगिकों की उच्च सांद्रता सूजन, खांसी, तेज बुखार और अत्यधिक बलगम उत्पादन को तेजी से कम कर सकती है, जो इस स्थिति के सभी लक्षण हैं। इसलिए, कुछ केले खाने से स्थिति पूरी तरह ठीक हो जाती है।

अनानास:- वे श्वसन पथ में बलगम को तोड़ने और फेफड़ों और नाक की बंद गुहाओं को खत्म करने में भी बहुत प्रभावी माने जाते हैं।

लहसुन:- हालांकि लहसुन की एलिसिन सामग्री पर ध्यान दिया जाता है, टीबी के मामले में, यह सल्फ्यूरिक एसिड है जो टीबी बैक्टीरिया के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली है शरीर में किसी भी संक्रमण को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।

संतरा:- विटामिन सी और अन्य विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट की बहुत अधिक मात्रा संतरे को टीबी के लिए एक बहुत प्रभावी घरेलू उपचार बनाती है। संतरे के रस की खारा क्रिया फेफड़ों और श्वसन पथ में जमाव को तोड़ सकती है और थूक में बलगम, खांसी और रक्त की मात्रा को कम कर सकती है। इसके अलावा, एंटीऑक्सिडेंट प्रभावी रूप से संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया की तलाश करते हैं।

काली मिर्च:- यह एक सूजन-रोधी पदार्थ है और यह फेफड़ों को साफ करने, खांसी को कम करने और दर्द और परेशानी को खत्म करने में भी मदद कर सकती है।

अखरोट:- अखरोट में विटामिन और खनिजों की एक विस्तृत श्रृंखला उपचार को तेज करती है और आपके शरीर को द्वितीयक संक्रमणों से बचाती है जबकि प्रतिरक्षा प्रणाली मुख्य संक्रमण को संभालती है।यह पेट और श्वसन पथ को कवर करता है और सूजन और परेशानी से राहत प्रदान कर सकता है।

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QNA : TB Disease से जुरे सवाल और जबाब:-

Q.) T.B रोगियों के लिए कौन सा भोजन अच्छा है?

Ans– विटामिन ए, सी और ई से भरपूर खाद्य पदार्थ: फल और सब्जियां जैसे संतरा, मीठा कद्दू, आम, गाजर, अमरूद, आंवला, टमाटर, नट और बीज इनके समृद्ध स्रोत हैं।
• प्रोटीन युक्त भोजन: T.B रोगियों के लिए अंडे, पनीर और सोया चंक्स जैसे खाद्य पदार्थों में शामिल होना बहुत जरूरी है क्योंकि वे प्रोटीन से भरपूर होते हैं। इन खाद्य पदार्थों को शरीर आसानी से अवशोषित कर आपको आवश्यक ऊर्जा दे सकता है।
• बी कॉम्प्लेक्स विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थ: T.B रोगियों को साबुत अनाज, मेवा, बीज, मछली और चिकन का सेवन अवश्य करना चाहिए।
• जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ: नट्स जिंक का एक बड़ा स्रोत हैं जो शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं। मेवा और बीज जैसे सूरजमुखी के बीज, और कद्दू के बीज और अलसी के बीज टीबी के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।

Q.) क्या ट्यूबरक्लोसिस या T.B से लोगों को जान भी जा सकता है?
Ans– ट्यूबरक्लोसिस या T.B बैक्टीरिया के कारण होता है जो कि मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करता है, कुछ केस में, यह किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। यदि पूर्ण उपचार प्राप्त नहीं किया गया तो ट्यूबरक्लोसिस या T.B घातक हो सकता है।

Q.) टीबी किसे किसे हो सकता है?
Ans:– वैसे तो कोई भी टीबी का शिकार हो सकता है परन्तु कुछ कारक ऐसे होते हैं जो इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमे निम्नलिखित शामिल हैं-
कमजोर इम्यून सिस्टम
एचआईवी / एड्स
मधुमेह
गंभीर किडनी की बीमारी
कुछ तरह के कैंसर
कैंसर उपचार, जैसे कीमोथेरेपी
ऑर्गन ट्रांसप्लांट के समय दी जाने वाली दवाएं
कुछ दवाएं जो रूमेटोइड गठिया, क्रोन की बीमारी और सोरायसिस का इलाज करने के लिए दी जाती हैं
कुपोषण या मालन्यूट्रिशन

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