Asthma in Hindi | अस्थमा क्या है? अस्थमा के कारण, लक्षण, बचाव, घरेलू उपचार और होम्योपैथिक दवा?

Asthma in Hindi | अस्थमा क्या है? अस्थमा के कारण, लक्षण, बचाव, घरेलू उपचार और होम्योपैथिक दवा?
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Asthma in Hindi | Asthma meaning in Hindi :–

हेलो दोस्तो आज के Asthma in Hindi के आर्टिकल में Asthma के बारे में पूरी जानकारी पढेंगे, आर्टिकल में हम जानेंगे कि Asthma का क्या नुकसान होता है? अस्थमा क्या है । अस्थमा से कौन कौन सी बीमारी हो सकती है , अस्थमा होने के कारण, लक्षण। अस्थमा के बेस्ट मेडिसिन और घरेलू इलाज आदि के बारे में पढेंगे।

Asthma in Hindi | अस्थमा के बारे में डिटेल :–

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में लगभग 20 मिलियन दमा रोगी हैं। दमा का प्रहार आम तौर पर 5 से 11 साल के बीच के बच्चों में भी होता है।श्वसन के दौरान, जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह नाक, गले और फेफड़ों में जाती है। दमा तब होता है जब वायुपथ  फेफड़ों तक बढ़ जाता है और आसपास की मांसपेशियों को आसपास की मांसपेशियों को कसने लगता है। इससे बलगम बनता है जिससे वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है जो आगे फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकता है। इसके (Asthma in Hindi) फलस्वरूप दमा दौरा से खांसी आदि होती  है।

अस्थमा क्या है? | What is asthma in Hindi :–

Table of Contents

Asthma रोग को तमक श्वास, श्वसन की बीमारी, दमा श्वास रोग, ब्रोंकियल अस्थमा आदि के नामों से जाना जाता है। इस रोग में श्वास नलिकाओं में ऐंठन आ जाने से सांस लेने में कठनाई दमा यानी अस्थमा कहलाता है या फिर जैसे सांस लेने में सायं सायं की आवाज निकलती है या फिर सांस (Asthma in Hindi) फूलता है अस्थमा कहलाता है। रोगी को अस्थमा का दौरा अक्सर रात में शुरू होता है कभी कभार यह दौरा दिन में भी हो सकता है।

दमा यानी अस्थमा रोग से पीड़ित व्यक्ति हर समय अस्वस्थ नहीं रहता है हालांकि अस्थमा का दौरा पड़ने पर बहुत कष्ट होता है, किंतु दमा का दौरा दूर हो जाता है तो वह स्वस्थ हो जाता है। प्रायः ऐसा देखा गया है की महिनें में दो बार अमावस्या तथा पूर्णिमा को यह रोग बढ़ता है। अस्थमा का दौरा कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटो तक रह सकता है। प्रायः ऐसा भी देखने को मिलता है की कुछ हफ्तों तक प्रत्येक रात्रि में एक ही समय पर दौरा उठता है, उसके बाद कुछ हफ्तों तक अथवा महीनो तक दौरा बिल्कुल नहीं (Asthma in Hindi) पड़ता है। अस्थमा के दौरे के समय, दौरे के रूप में रोगी को कष्ट सांस सिटी के आवाज के साथ होता है । यह लक्षण ब्रोंकियल मार्ग में सिकुड़न आने से होता है, जो की श्वास नली के मांसपेशियों के संकुचन और म्यूकस मेंब्रेन की सूजन अथवा बलगम एकत्र होने से उत्पन्न होता है जिससे रोगी के सांस फूलने लगता है।

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अस्थमा रोग के कारण | Asthma causes in Hindi :–

वैसे ब्रोंकियल अस्थमा का सही सही कारण अभी तक पता नहीं लग पाया है, लेकिन यह अक्सर दो प्रकार को देखने में आता है

  1.  एलर्जिक : एटोपिक अथवा बाहरी कारण।
  2. नॉन एटॉपिक अथवा intrinsic अस्थमा।

1) बाहरी कारण से होने वाली अस्थमा :–

  • यह अधिकतर कम आयु में तथा मौसम के परिवर्तन के समय होता है।
  • सामान्यता यह पुरुष वर्ग में होता है।
  • बाहर के एंटीजेनिक वस्तुओ के प्रति अति संवेदनशीलता वर्जिश, धुआं, ठंडी हवा लगना, पेड़ पौधा के कण और अंडे।
  • एसे रोगी में एलर्जी का हिस्ट्री मिलता है यह परिवार के अन्य सदस्यों में भी पाया जा सकता है। ऐसे रोगी की कंडिशन गंभीर नहीं होता है इन रोगियों में आकस्मिक या अचानक दौरा बहुत कम पड़ता है।

2) आंतरिक अस्थमा (intrinsic asthma) :–

  • अन्नतरिक अस्थमा में एलर्जन से संबंधित कुछ नहीं होता है।
  • यह 40 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगो में होता है संसार भर में आधे से अधिक अस्थमा रोगी की इसी श्रेणी के अंदर आते हैं।

• अन्य कारण :–
मुख्य रूप से यह पुरुषो का रोग है प्रकृति से भावुक , संवेदनशील तथा बुद्धिमान व्यक्ति विशेष रूप से यह रोग से इफेक्टिव होते है। फेफड़ा कमजोर होना अस्थमा रोग का प्रमुख कारण है। गठिया सिफलिस रोग अस्थमा को उभारने वाले रोग होते है। इसके आलावा ब्रोंकाइटिस और टीबी रोग भी इस रोग को सीधे उपन्न करते है। नाक स्वरयंत्र कंठ, छाती,और फेफड़ों में कफ सुख जाने से भी यह रोग पैदा होता है। अधिकांश ऐसे रोगियों में कंठनाली जा इन्फेक्शन पाया जाता है अथवा बार बार जुकाम और खांसी से भी यह रोग पैदा हो जाता है जिन बच्चों को माता पिता का प्यार नही मिलता है वह भी इस रोग का शिकार हो सकते है। पेट में कब्ज रहने और वायु या गैस बनने से भी दमा रोग का दौरा पड़ सकता है। बच्चो में यह रोग प्रायः खसरा और काली खांसी होने के बाद भी होते हुए देखा गया है।

अस्थमा रोग के सामान्य कारक :–

  • धूम्रपान
  • धूल मिट्टी
  • बीड़ी सिगरेट
  • ठंडी हवा
  • मानसिकता तनाव
  • अधिक परिश्रम
  • और जहरीली गैस आदि
  • कुछ रोग जैसे : ब्रोंकाइटिस, क्षय रोग, जेनेटिक।
  • कुछ दवाई जैसे : एस्पिरिन, इबोप्रोफिन आदि।

अस्थमा के प्रकार | Types of asthma in Hindi :–

अस्थमा के दो प्रकार होते है

  1. अचानक अस्थमा ( episodic asthma )
  2. दीर्घ अस्थमा ( chronic asthma )

1) अचानक अस्थमा (episodic asthma) :– इसमें रोगी को अस्थमा का दौरा अचानक आता है रोगी को बार बार खांसी , सांस लेने छोड़ने में कष्ट साथ आवाज घरघराहट की होती है। इसके आलावा रोगी की छाती में जकड़न घुटन होने के अनुभव के साथ साथ गले का vein फूल जाती है और रोगी पसीना से तर बतर हो जाता है , वह सोते हुए अथवा लेटे हुए अवस्था से अचानक उठकर बैठ जाता है और जोर जोर से सांस लेने लगता है। रोगी को निरंतर खांसी आती है जो बलगम या कफ मुंह से बाहर निकलने पर ही बंद होती है। यह खांसी कई घंटो से लेकर कई दिनों तक रह सकती है।

2) दीर्घ अस्थमा ( chronic asthma ) :– इसमें रोगी की सांस हमेशा फूलता रहता है। थोड़ा सा भी काम करने पर रोगी को सांस लेने में कष्ट और छाती में लगातार सिटी जैसे घरघराट की आवाज आती रहती है ऐसे रोगियों में इन्फेक्शन बार बार होता है तथा इसके आलावा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस भी हो सकता है।

3) Severe asthma (गंभीर अस्थमा) :– इसमें रोगी को बेचैनी और घरघराट बढ़ जाती है तथा आराम से लेट भी नहीं पाता है एवं उसको चलने फिरने में भी कष्ट होने लगता है और ठंडे पसीना आना शुरू हो जाता है। रोगी के छाती से घरघराट की आवाज दूर तक सुनाई देती है। (Asthma in Hindi)

अस्थमा के लक्षण | Asthma disease symptoms in Hindi :–

  • रोगी के शरीर में बैचेनी, सुस्ती, नाक टोडी में खुजली, भूख में कमी, पेट में अफरा आदि उत्पन्न होने लगता है और अस्थमा का आभास होने लगता है इसके बाद रोगी अगर सोता रहता है तो जाग जाता है और उसका सांस घुटता हुआ सा और छाती में जकड़न का आभास होने लगता है।
  • रोगी को पीला रंग का मूत्र आता है।
  • स्टेथोस्कॉप से रोगी की छाती का परीक्षण करने पर percussion sound तेज गूंजती है, वक्ष में घरघराट की आवाज मौजूद रहती है।
  • तीव्र अस्थमा के रोगियों में हवा का आगमन कम हो जाता है। इससे आवाज घरघराहट की कम हो जाती है और छाती पर स्टेथोस्कोप लगाकर सुनने पर भी सुनाई नहीं पड़ता है। छाती की जांच करने पर सायं और करकर की आवाज आती है।
  • बाल्यावस्था से ही अस्थमा का कष्ट होने पर रोगी की छाती का आकार बदल जाता है pigon shape का चेस्ट दिखने लगता है ।

अस्थमा रोग के निदान | Asthma disease diagnosis in Hindi :–

  •  रोग के लक्षणों द्वारा
  • family and medical history
  • allergy history
  • chest X Ray
  • फेफड़ा अधिक फूला हुआ दिखना
  • हिमोग्लोबिन– TLC, DLC, ESR यदि eosinophil काउंट 5 से 10 प्रतिशत बढ़ा हुआ मिले तो एलर्जी कारण हो सकता है।
  • कफ या थूक बलगम :– ईओसिनोफिल, स्पाइरल, क्रिस्टल की उपस्थिति मिलती है।

अस्थमा रोग का परिणाम यानी जटिलताएं | Asthma complication in Hindi :–

  • अधिकतर बच्चो में होने वाला अस्थमा या दमा स्वतः ठीक हो जाता है।
  • क्रोनिक अस्थमा रोगी को सम्पूर्ण जीवन भर बना रहता है । यदि इस रोग की समुचित इलाज समय पर किया जाए तो रोगी को अधिक कष्ट नही होता है।
  • दमा का दौरा बार बार पड़ते रहने से रोगी को एंफिसिमा रोग हो जाता है जिससे हर समय रोगी का सांस फूलते रहता है।
  • रोगी को बार बार संक्रमण इन्फेक्शन होने से कष्ट बढ़ जाता है एवं रोगी को रेस्पिरिटरी फेलियर के कारण मृत्यु हो सकती है।

दमा की रोकथाम | Asthma prevention in Hindi :–

चिकित्सा :–

  • उन रसायनों और उत्पादों से दुरी बनाए रखें जो पहले सांस लेने की समस्या का कारण रहे हैं।
  • धूल या मोल्ड जैसे एलर्जी से दूर रहें।
  • एलर्जीरोधी दवा लें जो दमा के कारणों के खिलाफ शरीर की रक्षा करते हैं।
  • चिकित्सक के सलाह से ही निवारक दवा लें।
  • रोगी को जहां तक संभव हो सके , ऐसी वस्तु से दूर अवश्य रहे जो उसके अस्थमा को बढ़ाएं जैसे धूल, प्रदूषण एवं मानसिक आघात आदि।
  • रोगी के रहने का घर खूब भली प्रकार साफ स्वच्छ होना चाहिए।
  • रोगी को ऐसा भोजन कदापि न दे जो बलगम को बढ़ाए जैसे खट्टे फल, अचार, चटनी, ठंडे पेय पदार्थ आदि।
  • रोगी को स्मोकिंग बिलकुल भी करने न दे, साथ ही आस पास धुआं भी होने न दे (Asthma in Hindi)
  • जिन व्यक्ति को एस्पिरिन आदि दवाईयों से एलर्जी हो, वह कदापि सेवन न कराएं। और अधिक परिश्रम करने से भी बचे।
  • हल्का गरम जल रोगिको पिलाएं और शाम रात्रि में भोजन कम मात्रा में सूर्यास्त से पहले ही खिलाएं।
  • रोगी को चिंता से बचाए और व्यायाम, योग तथा साफ स्वच्छ खुले वातावरण में टहलाएं।
  • ध्यान रखे की अस्थमा एक कष्टदायक रोग है। इसके मूल कारणों को खोजकर दूर करे। रोगी को कब्ज न होने दे। कुछ रोगियों में सांस नली में जीवाणु का आक्रमण हो जाता है जिसके कारण रोगी को बुखार होने लगता है और बलगम पीले रंग का आता है। ऐसे रोगियों को उचित मात्रा में एंटीबॉयोटिक का प्रयोग करना चाहिए। जब बुखार दूर हो जाए और बलगम का रंग साफ हो जाए तो अस्थमा का उपचार करना चाहिए।
  • अस्थमा रोगी को eosinophils की संभावना रखते हुए ब्लड टेस्ट करानी चाहिए।
  • प्राथमिक चिकित्सा उपचार या बचाव दमा के दौरे के दौरान उपयोग की जाने वाली त्वरित राहत प्रदान करने वाली दवाएँ हैं। विकल्पों में बचाव हेतु साँस लेने वाला यंत्र (इन्हेलर) और तरल पदार्थ को सूक्ष्म कणों में बदलने वाला यंत्र (नेब्युलाइज़र), ब्रोन्कोडायलेटर्स (तने हुए फेफड़ों की मांसपेशियों को आराम करने के लिए) सूजनरोधी दवाएं शामिल हैं।
  • यदि उपरोक्त उपचार का उपयोग करने के बाद भी दमा के लक्षण 20 मिनट से अधिक समय तक जारी रहें, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

अस्थमा (दमा) उपचार के दुष्प्रभाव क्या हैं? | Side Effects of Asthma Treatment in Hindi :-

फॉर्मोटेरोल जैसे लक्षण नियंत्रक से जुड़े दुष्प्रभाव सीने में दर्द, गले में दर्द, घबराहट, घरघराहट, घुट और सांस लेने में अन्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। यह अस्थमा (दमा) के लक्षणों को भी खराब कर सकता है। एक निवारक, (Asthma in Hindi) फ्लूटिकासोन के दुष्प्रभावों में मुंह और गले में घाव और सफेद धब्बे, कमजोरी, मतली, उल्टी, फ्लू के लक्षण, नाक बहना, बुखार, ठंड लगना और साँस लेते समय शोर करना शामिल हैं।

टरबुटालाइन जैसी रिलीवर दवा से जुड़े दुष्प्रभाव सिरदर्द, चक्कर आना, उनींदापन, धड़कन, घबराहट, सांस की तकलीफ और तेज़ दिल की धड़कन हैं। कॉम्बिनेशन इनहेलर मुंह में संक्रमण पैदा करके किसी व्यक्ति की आवाज को बदल सकता है और खांसी, गले में दर्द, सिरदर्द और गुहाओं का कारण भी बन सकता है। ब्रोन्कियल थर्मोप्लास्टी एक शल्य प्रक्रिया है जो सिरदर्द, शरीर के लैक्टिक एसिड सामग्री में वृद्धि, हाइपरग्लेसेमिया, कंकाल की मांसपेशियों में कंपन और पोटेशियम की कमी का कारण बन सकती है।

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अस्थमा (दमा) उपचार के बाद के दिशानिर्देश क्या हैं? | Asthma Post-treatment Guidelines in Hindi :-

अस्थमा (दमा) एक लाइलाज बीमारी है। इस प्रकार, इस स्थिति से पीड़ित व्यक्ति को स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए अपनी जीवन शैली में कुछ बदलावों को शामिल करने की आवश्यकता होती है। उसे पर्यावरणीय ट्रिगर्स से दूर रहना चाहिए और ट्रिगर्स से निपटने के लिए एक पूर्ण योजना भी तैयार करनी चाहिए। इन्फ्लूएंजा के जोखिम को कम करने के लिए मौसमी इन्फ्लूएंजा टीकाकरण एक लंबा रास्ता तय कर सकता है। धूम्रपान से बचें और धुएं के संपर्क में आने से भी बचें क्योंकि यह अस्थमा के दौरे के हिंसक प्रकरण को ट्रिगर कर सकता है।

अस्थमा (दमा) का इलाज कैसे किया जाता है? | Asthma Treatment in Hindi :–

(Asthma in Hindi) इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, ल्यूकोट्रिएन मॉडिफायर, कॉम्बिनेशन इनहेलर्स, थियोफिलाइन और लॉन्ग-एक्टिंग बीटा-एगोनिस्ट जैसी लंबी अवधि की दवाएं अस्थमा के इलाज के लिए आधारशिला बनाती हैं। इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स सूजन को कम करने में मदद करते हैं और बाहरी रिलीवर आम तौर पर ब्रोन्कोडायलेटर्स होते हैं और वे कसने को कम करके वायुमार्ग को आराम देते हैं।

कॉम्बिनेशन इनहेलर्स में निवारक और लक्षण नियंत्रक दवाओं दोनों के गुण होते हैं। आमतौर पर, लक्षण नियंत्रकों का उपयोग निवारकों के संयोजन में किया जाता है और वे वायुमार्ग की मांसपेशियों को आराम देने में मदद करते हैं। ये दवाएं आम तौर पर दिन में दो बार ली जाती हैं।

त्वरित राहत दवाएं :-

  • इप्रेट्रोपियम का उपयोग ज्यादातर वायुमार्ग को आराम देने के लिए किया जाता है और इस प्रकार व्यक्ति के लिए सांस लेना आसान हो जाता है।
  • शॉर्ट-एक्टिंग बीटा एगोनिस्ट को पोर्टेबल और हैंड-हेल्ड इनहेलर या नेबुलाइज़र का उपयोग करके प्रशासित किया जा सकता है।
  • गंभीर अस्थमा के दौरान वायुमार्ग की सूजन से राहत पाने के लिए, हमले के दौरान तत्काल राहत प्रदान करने के लिए मौखिक और अंतःशिरा कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग किया जाता है।
  • एलर्जी शॉट्स और ओमालिज़ुमाब दवा जैसी दवाओं का उपयोग किया जा सकता है यदि अस्थमा कुछ एलर्जी से ट्रिगर होता है। जब अन्य सभी दवाएं विफल हो जाती हैं, तो गंभीर अस्थमा के इलाज के लिए ब्रोन्कियल थियोप्लास्टी का उपयोग किया जाता है।
अस्थमा (दमा) ठीक होने में कितना समय लगता है? | Asthma recovery time in hindi :-

चूंकि अस्थमा (दमा) को स्थायी रूप से ठीक नहीं किया जा सकता है, इसलिए किसी व्यक्ति को लक्षणों से निपटने के लिए दवाएं लेने की आवश्यकता हो सकती है। स्थिति को और अधिक ट्रिगर करने से रोकने के लिए उसे कई जीवनशैली में बदलाव करने की भी आवश्यकता होती है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और बीटा-एगोनिस्ट जैसी लंबी अवधि की दवाओं का लंबे समय तक सेवन करने की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें काम करने के लिए समय चाहिए होता है।

भारत में अस्थमा (दमा) इलाज की कीमत क्या है? | Asthma Treatment Cost in India Hindi :-

फ्लूटिकासोन, एक साँस में लिया जाने वाला कॉर्टिकोस्टेरॉइड, 16 ग्राम के लिए लगभग 1100 रुपये खर्च होते है। फोराडिल जैसे लक्षण नियंत्रकों के 12-15 कैप्सूल की कीमत लगभग 4500 रुपये है। शॉर्ट-एक्टिंग बीटा एगोनिस्ट खरीदने के लिए आपको 650 रुपये से 4000 रुपये के बीच कुछ भी खर्च करना होता है। ब्रोन्कियल थर्मोप्लास्टी एक महंगी प्रक्रिया है और इसकी लागत लगभग 10 लाख रुपये है।

अस्थमा (दमा) के उपचार का प्रभाव कितने समय तक रहता है?

  • अस्थमा (दमा) का कोई स्थायी इलाज नहीं है क्योंकि यह एक लाइलाज बीमारी है। हम जो दवाएं लेते हैं, वे अस्थमा के दौरे के लक्षणों को कम करने या गंभीरता को कम करने में मदद करती हैं। यहां तक ​​कि ब्रोन्कियल थर्मोप्लास्टी जैसी सर्जिकल प्रक्रियाएं भी चिकनी मांसपेशियों पर काम करती हैं और गंभीरता को कम करती हैं। लेकिन परिणाम स्थायी नहीं होते हैं क्योंकि जब कोई व्यक्ति धुएं जैसे कुछ पर्यावरणीय ट्रिगर के साथ आता है तो उसे एक और दमा का दौरा पड़ सकता है।
अस्थमा (दमा) उपचार के विकल्प क्या हैं? | Asthma Treatment options in Hindi :-

इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • हर्बल उपचार।
  • योग।
  • विश्राम चिकित्सा।
  • बायोफीडबैक।
  • ओवर दी काउंटर रब।
  • इस प्रकार की विधियों का प्रभाव बहुत कम होता है। कोई भी विकल्प चुनने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें क्योंकि यदि यह आपके लिए उपयुक्त नहीं है तो वे हानिकारक हो सकते हैं।
अस्थमा (दमा) के घरेलू उपचार क्या हैं? | Home Remedies for Asthma in Hindi :-

Asthma रोगी के लिए तात्कालिक घरेलू उपचार क्या है?

अस्थमा रोगी के घरेलू उपचार बच्चो और बड़ो के लिए निम्मलिखित है:

• दमा पीड़ित रोगी के लिए प्रत्येक 2 से 3 घंटे के अंतराल पर गरम जल का सेवन कराएं ताकि फेफड़ा में जमा हुआ और चिपका हुआ कफ पतला होकर बाहर निकल जाए।
• अस्थमा के दौरे के समय रोगी के पैर पर गरम जल रखने से शीघ्र शांत होता है।
• अस्थमा (दमा) के लिए घरेलू उपचार जबकि अस्थमा के लिए कई चिकित्सा उपचार हैं, यहाँ अस्थमा के कुछ सामान्य उपाय दिए गए हैं जो कुछ राहत दे सकते हैं
• सरसों का तेल कपूर के साथ मिश्रित सरसों का तेल अस्थमा के इलाज के लिए एक शक्तिशाली मिश्रण है। जब तक आपको अस्थमा से राहत नहीं मिल जाती, तब तक इस मिश्रण को छाती में हर जगह रगड़ें। तेल को गूंदने से पहले गरम करना गारंटी देता है कि आप उस चमक को महसूस करेंगे जो तेजी से मदद करती है।
• नीलगिरी का तेल नीलगिरी के तेल के माध्यम से अस्थमा को नियंत्रण में रखने का एक सुविधाजनक उपाय है। एक कटोरी बुदबुदाते पानी में यूकेलिप्टस एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें डालें और इसकी भाप लें। यह सरल श्वास को प्रोत्साहित करने के लिए किसी भी नाक की रुकावट को खोलने में सहायता करता है।
• अदरक आपके स्वास्थ्य और शरीर के लिए अनगिनत लाभों को देखते हुए, यह वास्तव में आश्चर्यजनक नहीं है कि अदरक को एक सुपरफूड माना जाता है। यह अस्थमा के खिलाफ भी व्यवहार्य है। अदरक, अमृत और अनार को बराबर मात्रा में लेकर औषधि बनाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें।
• कॉफ़ी कॉफी में मौजूद कैफीन अस्थमा के इलाज में मदद करता है। यह नाक के खंड को साफ करता है जिससे आप प्रभावी ढंग से श्वास ले सकते हैं। इस घटना में कि आप एस्प्रेसो की ओर नहीं झुकते हैं, डार्क टी का सेवन करें। किसी भी मामले में, सेवन को प्रति दिन 3 कप तक सीमित करें।
• फिटकरी का पाउडर 10 से 15 ग्रेन तक रोगी की जीभ पर रख देने से भी शांत हो जाता है।
• तारपीन के तेल का भपीरा यानी inhalation भी लाभकर होता है अस्थमा से पीड़ित रोगी में।
• अस्थमा से पीड़ित रोगी को योगा में प्रयाणाम अत्यंत हितकर है।
• अस्थमा से पीड़ित रोगी का भोजन अत्यंत सावधानीपूर्वक होना चाहिए। गेंहू के आटे की हल्की रोटी के साथ प्रतिदिन हरे पत्तों वाली ताजा शाक की सब्जी अधिक मात्रा में होनी चाहिए और टमाटर , गाजर आदि का सलाद प्रतिदिन भोजन के साथ आवश्यक है।
• रोगी को मौसमी फल देना चाहिए।
• रोगी के लिए शहद और लहसन का सेवन विशेष हितकर है ।
• रोगी को तंबाकू का सेवन बिल्कुल न करने दे। हल्का फुल्का व्यायाम प्रतिदिन करने को कहे शीत के मौसम में नंगे बदन होकर थोड़ी देर शरीर में धूप लगाना भी लाभकारी है।
• रोगी को डेली मल्टीविटामिन दवाई का भी सेवन करना चाहिए।
• बच्चे के अस्थमा रोग में डेक्सट्रोज अधिक गुणकारी है। इसका 3 चाय वाले चमच भर लेमोनेट, संतरे के रस दिन में तीन बार देना चाहिए।

अस्थमा (दमा) के रोगियों के लिए सबसे अच्छा आहार क्या है? | Best Diet for Asthma Patients in Hindi :–

चमकीले रंग के फलों या सब्जियों में विटामिन ए होता है जो वायु मार्ग में श्लेष्मा झिल्ली को बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। खट्टे फलों में विटामिन सी होता है जो सूजन को कम करता है, इसलिए अपने दैनिक आहार में नींबू को शामिल करना एक अच्छा विचार है।

ग्लूटेन, सोया, नट और अंडे खाद्य एलर्जी का कारण बन सकते हैं जो अस्थमा के हमलों के लिए एक ट्रिगर के रूप में कार्य कर सकते हैं। तो आपको पता होना चाहिए कि कौन से खाद्य पदार्थ एलर्जी का कारण बन सकते हैं और उनसे बचें।

अस्थमा रोगी के लिए बेस्ट मेडिसिन। Asthma patients for best medicine in Hindi :–

  1. Salbutamol :– इस दवा का उपयोग chronic obstructive pulmonary disease के साथ खांसी में किया जाता है। यह मेडिसिन टैबलेट, सिरप, इन्हेलर, इंजेक्शन के रूप में मिलता है ।
    Dose :– इसकी मात्रा वयस्क में : 2 से 4 mg दिन में तीन बार। SR टैबलेट 8 mg एक बार दिन में पर्याप्त है। सिरप 1 से 2 चम्मच दिन में तीन बार। इंजेक्शन 0.25 से 0.50 mg सब्क्यूटेनियस / इंट्रामैस्कुलर नेबुलाइजर की सहायता से इंजेक्शन को नॉर्मल सलाइन में मिलाकर दिन में तीन चार बार दिया जा सकता है। बच्चो के लिए कम मात्रा में उपयोग करे।
  2. Terbutaline :– इसका उपयोग सांस का अस्थमा, रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, क्रोनिक रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, और एंफाईसिमा में किया जाता है । यह मेडिसिन टैबलेट, सिरप, इन्हेलर, इंजेक्शन के रूप में विभिन्न ब्रांड नामों से बाजार में मिलता है ।
    Dose :– इसकी मात्रा व्यस्कों के लिए 1 से 2 कैप्सूल प्रतिदिन। 1 से 2 गोली दो से तीन बार प्रतिदिन सिरप 2–3 चम्मच तीन बार प्रतिदिन।
  3. Ephedrine :– इस दवा का उपयोग क्रोनिक अस्थमा, लॉ बीपी, अस्थमा, मूत्र अनकंट्रोल्ड होना तथा नासा संकुलन में किया जाता है। यह मेडिसिन टैबलेट, सिरप, इन्हेलर, इंजेक्शन के रूप में विभिन्न ब्रांड नामों से बाजार में मिलता है ।
    Dose :– इसकी मात्रा वयस्क में 15 से 30 mg दिन में तीन बार प्रतिदिन। नेजल drop आवश्यकतानुसार दिन में 3 से 4 बार।
  4. Bambuterol :– इस दवा का उपयोग क्रोनिक COPD यानी chronic obstructive pulmonary disease, रात का अस्थमा, एंफायसिमा तथा अस्थमा रोग को मेंटीनेंस उपचार में किया जाता है। यह मेडिसिन टैबलेट, सिरप, इन्हेलर, इंजेक्शन के रूप में विभिन्न ब्रांड नामों से बाजार में मिलता है ।
    Dose :– वयस्क रोगियों के लिए: 1 टैबलेट 10 mg एक बार प्रत्येक दिन शाम को। धीरे धीरे 10 से 15 दिन के बाद दवा की मात्रा को 20 mg डेली बढ़ाया जा सकता है।
  5. Prednisolon :– यह श्वासनी क्षोभ और श्वासनी इन्फेक्शन को कम करती है तथा श्वासनी के रुके रास्ते को साफ कर खांसी को आराम पहुंचाता है। इस दवा का उपयोग एलर्जिक अस्थमा, एलर्जिक कैंसर, osteoarthritis तथा ऑटोइम्यूनो रोग में किया जाता है । यह मेडिसिन टैबलेट, इंजेक्शन तथा आयंटमेंट के रूप में विभिन्न ब्रांड नामों से बाजार में मिलता है ।
    Dose :– इसकी मात्रा 50 से 60 mg daily मुख द्वारा दिया जाता है। इंजेक्शन 20 से 40 mg इंट्रामैस्कुलर।

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FAQ : Asthma से जुड़े सवाल जवाब?

Q) अस्थमा की खांसी कितने समय तक रहती है?

Ans :– क्रोनिक खांसी 6-8 सप्ताह तक रह सकती है।

Q) क्या है सीने में जकड़न दमा जैसा?

Ans :– छाती में अस्थमा आपको सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ दे सकता है जो आने वाले अस्थमा के दौरे का संकेत हो सकता है। वे एक सुस्त दर्द से तेज तेज दर्द तक बढ़ सकते हैं जो ऐसा महसूस कर सकता है कि छाती में कोई जकड़ के बैठी है।

Q) अगर अस्थमा हो तो क्या नहीं खाना चाहिए?

Ans :– यहाँ कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिनसे आपको अस्थमा के मामले में बचना चाहिए:

संरक्षित खाद्य पदार्थ: सूखे मेवे, जमे हुए समुद्री भोजन, अचार और, तैयार आलू जैसे खाद्य पदार्थ, जो “पोटेशियम बाइसल्फाइट” और “सोडियम सल्फाइट” जैसे रसायनों में संरक्षित हैं, अस्थमा के रोगी के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इनका उपयोग ज्यादातर वस्तुओं को संरक्षित करने के लिए किया जाता है जैसे :-

  • सूखे चेरी
  • सूखे खुबानी
  • झींगा
  • रेलिश
  • सहिजन सॉस
  • खट्टी गोभी
  • आलू

Q) यदि आप अस्थमा के बिना इनहेलर का उपयोग करते हैं तो क्या होता है?

Ans :– यदि आप इसे सामान्य मामलों में उपयोग करते हैं, तो स्टेरॉयड आपके रक्तचाप को कम कर देता है जिससे व्यक्ति बहुत अस्थिर महसूस करता है। अस्थमा के बिना इनहेलर के लंबे समय तक उपयोग से ऑस्टियोपोरोसिस, मौखिक कैंडिडा और मोतियाबिंद जैसी चिकित्सीय स्थितियों के विकास का खतरा भी बढ़ सकता है।

निष्कर्ष :– दोस्तो मैं आशा करती हूं की आपको हमारा Asthma in Hindi आर्टिकल पसंद आया होगा। और इससे जुड़ी हरेक जानकारी मिली होगी। Asthma in Hindi यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते है।

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