Piles :–
हेलो दोस्तों आज हम जानेंगे Piles meaning in hindi आर्टिकल में Piles या बवासीर क्या है । Piles या बवासीर कितने प्रकार के होता है । Piles या बवासीर कितना गंभीर है । Piles या बवासीर रोग होने का क्या कारण है । Piles या बवासीर रोग के लक्षण क्या है । Piles या बवासीर रोग का उपचार कैसे किया जाता है । Piles या बवासीर से बचाव कैसे करें। इत्यादि.
Piles meaning in hindi :– पाइल्स का हिंदी में बवासीर के नाम से जाना जाता हैं।
Piles या बवासीर :–
Piles या बवासीर एक ऐसी समस्या है जो कि Anus या गुदाद्वार में होता है। इस रोग में मलद्वार के भीतर अथवा बाहर छोटे-छोटे दाने उत्पन्न हो जाते हैं इन्हीं को हिंदी में बवासीर तथा अंग्रेजी में पाइल्स कहते हैं। पाइल्स के कारण मल करने में परेशानी होती है।
बवासीर क्या है? । What is Piles :–
Table of Contents
- 1 बवासीर क्या है? । What is Piles :–
- 2 बवासीर के प्रकार । Types of Piles :–
- 3 बवासीर बिमारी कितना गंभीर है?। How serious is Piles disease? :–
- 4 बवासीर होने के कारण । Piles causes in Hindi :–
- 5 बवासीर के प्रमुख लक्षण या चिन्ह । Piles symptoms :–
- 6 बवासीर का निदान | diagnosis Piles in Hindi :-
- 7 बवासीर की रामबाण आयुर्वेदिक दवा, इलाज और उपचार | piles treatment in hindi :-
- 8 बवासीर का अंग्रेजी दवा | piles treatment in Hindi :-
- 9 बवासीर के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे | Home Remedy for Piles Treatment :-
- 10 बवासीर एवं भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula) :–
- 11 FAQ : पाइल्स से जुड़े सवाल जवाब?
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Piles या बवासीर एक प्रकार आम बीमारी है। जो की पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकता हैं। लगभग 50% लोग के जीवन में किसी भी उम्र में पाइल्स बिमारी हो सकता है। बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा (Anus) के अंदर और बाहर तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं।
Piles या Hemorrhoids या बवासीर जो बीमारी है वह रक्त धमनियों में होता है जिनका संबंध गुदाद्वार या एनस से होता है जब मल के दौरान एनस पे दबाव पड़ता है तो फूल कर नीचे लटकने लगते हैं। और छोटे-छोटे ट्यूमर अथवा दाने उत्पन्न हो जाते हैं। इन्हीं को हिंदी में बवासीर तथा अंग्रेजी में पाइल्स कहते हैं।
बवासीर के प्रकार । Types of Piles :–
बवासीर या Piles मुख्य रुप से 3 प्रकार के होते हैं।
- बाह्य बवासीर (external Piles)
- आन्तरिक बवासीर (internal Piles)
- आन्तरिक बाह्य बवासीर (intro external Piles)
1. बाह्य बवासीर (external Piles) :– बाह्य बवासीर त्वचा के द्वारा ढके रहता हैं। उसके उपर दाने के आकार बना रहता हैं। बवासीर रोग के प्रारंभ में रोगी को कष्ट नहीं होता है तथा वह अपने दैनिक कार्य को आराम से कर लेते हैं लेकिन जैसे ही समय बीतते जाता है। उस तरह से रोगी के परेशानी पढ़ते ही चली जाती है।
2. आन्तरिक बवासीर (internal Piles) :– आन्तरिक बवासीर म्यूकस मेंब्रेन के नीचे होते हैं इस केस में भी प्रारंभिक समय पर पता नहीं चलता है। जैसे जैसे समय बीतते चली जाती है उसके बाद परेशानी का सामना करना पड़ता है।
3. आन्तरिक बाह्य बवासीर (intro external Piles) :– अधिकतर रोगियों में आंतरिक और बाह्य बवासीर दोनों साथ साथ होते हैं। इसमें शिराओं का गुच्छा फुल कर रोगी की गुदा की म्यूकस मेंब्रेन के साथ नीचे लटक जाता है। यह केस सबसे अधिक मात्रा में देखा जाता है। पुरुष में 30 से 50 वर्ष की उम्र में अधिक देखने को मिलता है।
बवासीर बिमारी कितना गंभीर है?। How serious is Piles disease? :–
बवासीर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है लेकिन लोग इसे इतना serious नहीं लेते हैं क्योंकि लोग बोलने से डरते हैं। ताकि कोई भी बेज्जती का सामना करना ना पड़े इसलिए लोग डरते हैं। लगभग 50% लोग के जीवन में किसी भी उम्र में पाइल्स बिमारी हो सकता है। यह बिमारी को शुरुआती मे ज्यादा परेशानी नहीं होता है लेकिन जैसे जैसे समय बीतते चली जाती है उसके बाद परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बवासीर होने के कारण । Piles causes in Hindi :–
बवासीर होने के निम्न कारण हैं।
- अनुवांशिक :– कुछ लोग में ऐसा देखने को मिला है। कि एक ही परिवार में यह रोग अधिक देखने को मिला है। अर्थात् कह सकते हैं। की पेरेंट्स से उसके बच्चों में होता है। और यह भी हो सकता है कि शिराओं की दीवार जन्मजात कमजोर हो जिसके वजह से यह बीमारी का सामना करना पड़ता है।
- शराब , अंडा, मांस, लहसुन, प्याज, मिर्च तथा गरम मसाले युक्त शाक सब्जियों अथवा अन्य खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन भी बवासीर का कारण हो सकती हैं।
- आहार में फाइबर की कमी होन से भी बवासीर बिमारी हो सकता हैं।
- गर्भावस्था मे जरायु का दवाब होने पर भी बवासीर समस्या उत्पन्न हो सकता हैं।
- यूरेथ्रा में रूकावट होने पर।
- लंबे समय तक पेट साफ करने की दवा का उपयोग करने से।
- अत्यधिक संसाधित भोजन की खपत
- आवर्ती कब्ज
- गंभीर डायरिया
- भारी भार उठाना
- स्टूल पास करते समय तनाव
- बवासीर का जोखिम
- रक्त प्रवाह में रूकावट होने पर।
- लीवर की बीमारी के कारण भी बवासीर जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है
- हृदय रोग के कारण भी।
- मल त्याग करते समय तनाव
- लंबे समय तक शौचालय पर बैठे रहना
- गंभीर कब्ज और दस्त बवासीर का लक्षण हो सकता है
- अत्यधिक तनाव लेने से आपको बवासीर हो सकता है
- मोटापा और अधिक वजन वाले लोगो को बवासीर हो सकता है
- आलसी जीवन शैली के वजह से भी आपको यह बीमारी हो सकती है
- गर्भावस्था बवासीर के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है क्योंकि बच्चे की वृद्धि श्रोणि पर दबाव डालती है। और गुदा और गुदा रक्त वाहिकाओं के बढ़ने और बवासीर के फलस्वरूप विकास का कारण बन सकता है। ये बवासीर, बच्चे के जन्म के साथ गायब हो जाते हैं
बवासीर के प्रमुख लक्षण या चिन्ह । Piles symptoms :–
शुरुआती लक्षण :–
- रोगी को शुरुआती लक्षण में कोई विशेष कष्ट नहीं होता है।
- नीचे की और हल्का भारीपन अनुभव होता है।
- जलन का कष्ट होता है।
- खुजली होना।
- रक्तस्राव (Bleeding) :– जोर लगाकर मल करने पर कभी-कभी रक्त निकलता है। यह बवासीर के प्रमुख और सर्वप्रथम लक्षण हैं। मल त्याग करते समय दो चार बूंद रक्त गिरना। यह कुछ महीने से लेकर कई साल तक चलती है अगर डॉक्टर के द्वारा इलाज नहीं करवाया जाए तो।
बाद के लक्षण :–
- रोगियों को मल के दौरान जोर लगाने पर थोड़े बाहर आ जाते हैं। परंतु उसके बाद वह अपने आप ही अंदर भी चले जाते हैं इस प्रकार के रोगियों में कुछ समय बाद के बाद अपने आप अंदर नहीं जाता हैं। हाथ से अंदर करना परता हैं।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को उठने बैठने और चलने फिरने में अधिक कष्ट होता है रोगी सही प्रकार से उठ बैठ नहीं पाता।
- मल त्याग के समय अथवा उसके पहले रक्त निकलता है।
- जैसे जैसे रोग पुराना होते जाती है साथ साथ रक्त अधिक मात्रा मे निकालना आरंभ हो जाता है। अधिक निकलने से रोगी कमजोर हो जाते है। और चक्कर आने लगते हैं। रोगी में रक्त की कमी से अनीमिया हो जाती हैं।
- गुदा के चारों ओर लालिमा–सी होने से रोगी को जलन और खुजली हो जाती है।
- रोगी को शुरुआती में कांटा जैसा चुभने लगाता है परंतु बाद में पाइल्स फूलने से भारीपन भी हो जाता है और रोगी सही से बैठ नहीं पाता है।
- रोगी को हमेशा ऐसा अनुभव होता है कि पेट साफ नहीं हुआ है पेट भारी सा लगता है बाद में रोगी को कब्ज हो जाता है।
- बवासीर रोग से ग्रसित रोगी के मलद्वार में खुजली, दर्द, सूजन, जलन इत्यादि का कष्ट होता है।
Common symptoms :–
- गुदा के चारों ओर एक कठोर गांठ को महसूस करना, यह संयुपित खून की उपस्थिति के कारण हो सकता है, और बहुत दर्दनाक हो सकता है
- मल गुजरते समय लगातार दर्द
- मल में मौजूद बलगम के निर्वहन और मल में रक्त की उपस्थिति
- शौचालय से शौच करने और जाने के बाद भी पूर्णता महसूस करना
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण और खून आना
- गुदा के आसपास खुजली
- गुदा के आसपास के क्षेत्र लाल हो सकते
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बवासीर का निदान | diagnosis Piles in Hindi :-
शारीरिक जांच करने के बाद एक डॉक्टर आमतौर पर बवासीर का निदान कर सकता है और कोई विशेष टेस्ट से पहले आपको कुछ हिस्ट्री के बारे में सवाल कर सकते है जो निम्न है वे संदिग्ध बवासीर के साथ व्यक्ति के गुर्दे की जांच करेंगे।
डॉक्टर निम्नलिखित प्रश्न पूछ सकते हैं:
क्या कोई करीबी रिश्तेदार के बवासीर हैं?
क्या मल में कोई रक्त या बलगम है?
क्या हाल में कोई वजन कम हुआ है?
आंतरिक बवासीर ( Piles meaning in hindi ) के लिए, डॉक्टर एक डिजिटल रेशनल परीक्षा (डीआरई) का प्रदर्शन कर सकते हैं या एक प्रोस्कोस्कोप का उपयोग कर सकते हैं ।
एक प्रोक्स्कोसॉप एक हल्के ट्यूब है जो कि प्रकाश के साथ लगाया जाता है। यह डॉक्टर को गुदा नहर को करीब देखने की अनुमति देता है। वे मलाशय के अंदर से एक छोटा ऊतक नमूना ले सकते हैं इसे तब विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जा सकता है।
आपका चिकित्सक एक कोलोरोस्कोपी की सिफारिश कर सकता है यदि बवासीर के साथ व्यक्ति में कुछ अन्य लक्षण दिखते हैं जैसे अन्य पाचन तंत्र के रोग या कोलन कैंसर के लक्षण और जोखिम कारक का प्रदर्शन कर रहे हैं।
गंभीर बवासीर को बिना किसी सहायता के देखा जा सकता है। छूने पर अथवा दबाने पर इनमे दर्द होता है। हाथ की अंगुली से रोगी की गुदा को जांच करने पर थ्रंबोज्ड बवासीर महसूस की जा सकती है। प्रोक्टोस्कोपी करने पर पाइल्स की संख्या और स्थान के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाती है। ऐसे रोगियों में Sigmoidoscopy करके रेक्टल लिजस का पता लगाना चाहिए।
बवासीर की रामबाण आयुर्वेदिक दवा, इलाज और उपचार | piles treatment in hindi :-
अधिकांश मामलों में, बवासीर किसी भी उपचार की आवश्यकता के बिना अपने आप को हल करते हैं ।
जीवन शैली में परिवर्तन | Lifestyle Change :-
एक चिकित्सक शुरू में बवासीर का प्रबंधन करने के लिए कुछ जीवन शैली में बदलाव की सिफारिश करेगा।
1. आहार :- आंत्र समस्या के दौरान तनाव के कारण बवासीर हो सकता है। अत्यधिक तनाव कब्ज का नतीजा है। आहार में बदलाव कर कब्ज को नियमित और नरम रखने में मदद कर सकता है। इसमें अधिक फाइबर खाने, जैसे फलों और सब्जियां, या मुख्य रूप से चोकर आधारित नाश्ता अनाज खाने शामिल है
2. पानी :- प्रतिदिन कम से कम दो लीटर साफ जल ठहर ठरकर अवश्य सेवन करे। रात्रि को सोते समय गरम किया हुआ गुनगुना जल के साथ त्रिफला चूर्ण, पंचासकर चूर्ण सेवन किया जा सकता है। एक चिकित्सक भी व्यक्ति को पानी की खपत बढ़ाने के लिए ढेर के साथ सलाह दे सकता है। कैफीन से बचने के लिए सबसे अच्छा यह है। कभी भी रोगियों को पतले दस्त की दवा का सेवन नही करना चाहिए।
3. वजन कम करें :- वज़न कम करने से बवासीर ( Piles meaning in hindi ) की घटनाओं और गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है। (इसके बारे में भी पढ़ें : वजन घटाने के लिए सर्जरी)
4. व्यायाम :- बवासीर को रोकने के लिए, डॉक्टर भी कसरत करने और मल से गुजरने के लिए तनाव को टालने की सलाह देते हैं। व्यायाम बवासीर के लिए मुख्य चिकित्सा में से एक है। व्यायाम जो है आपको हर तरफ से स्वस्थ रखने में मदद करती है।
बवासीर का अंग्रेजी दवा | piles treatment in Hindi :-
बवासीर के साथ एक व्यक्ति के लिए लक्षणों को और अधिक प्रबंधनीय बनाने के लिए कई औषधीय विकल्प उपलब्ध हैं।
1. ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाएं :-
- यह एक कैमिस्ट में उपलब्ध हैं दवाओं में दर्द निवारक, मलहम, क्रीम, और पैड शामिल होते हैं, और गले के आसपास लाली और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- ओटीसी उपचार बवासीर का इलाज ( bawaseer ka ilaj ) नहीं करते लेकिन लक्षणों की मदद कर सकते हैं।
- उन्हें एक पंक्ति में 7 दिनों से अधिक समय तक उपयोग न करें, क्योंकि वे इस क्षेत्र की अधिक चिड़चिड़ापन और त्वचा को पतला कर सकते हैं।
- एक ही समय में दो या अधिक दवाओं का उपयोग न करें जब तक कि एक चिकित्सा पेशेवर द्वारा सलाह न दी जाए
2. कोर्टिकॉस्टिरॉइड :-
- ये सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं।
3. जुलाब :-
- डॉक्टर बवासीर लिख सकते हैं यदि बवासीर ( bawaseer ) के साथ व्यक्ति कब्ज से ग्रस्त हो। ये व्यक्ति को मल को अधिक आसानी से प्राप्त कर सकते हैं और कम बृहदान्त्र पर दबाव कम कर सकते हैं।
4. बवासीर की टेबलेट :-
- टेबलेट सेप्ट्रॉन DS – एक एक गोली दिन में दो बार सुबह साम।
- कैपसूल जेविट – एक कैपसूल प्रतिदिन सुबह नाश्ते के बाद।
- टेबलेट voveran – 50 mg की एक एक गोली दिन में तीन बार सुबह, शाम, और रात को दे।
- टेबलेट मेट्रोजिल – 200 mg की एक एक गोली दिन में तीन बार।
- नोट– उपरोक्त दवाई रोगी को कम से कम तीन दिन तक दे।
सर्जिकल विकल्प | Surgical Alternatives :-
लगभग 10 में से 1 व्यक्ति बवासीर के इलाज के लिए सर्जरी अवश्य कराता है। जानिए भारत में पाइल्स सर्जरी कराने का कुल खर्च
1. बैंडिंग :- चिकित्सक के अनुसार आसपास एक लोचदार यानी टाइट इलास्टिक बैंड रखता है, इसकी रक्त की आपूर्ति को काट देता है कुछ दिनों के बाद, हेमोराहॉइड गिर जाता है यह ग्रेड IV स्थिति से कम के सभी बवासीर के इलाज के लिए प्रभावी है। इसको opd में ही रोगी को बिना बेहोश किए ही कर सकते है।
2. स्क्लेयरथेरेपी :- हेमोराहाइड सिकुड़ करने के लिए चिकित्सा इंजेक्शन है हेमराहॉइड अंततः कटा हुआ होता है यह ग्रेड II और ग्रेड III बवासीर के लिए प्रभावी है और बैंडिंग का एक विकल्प है।
3. इन्फ्रारेड जमावट :- इन्फ्रारेड प्रकाश जमावट के रूप में भी जाना जाता है, एक उपकरण हेमोराहेड टिशू को जलाने के लिए उपयोग किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग ग्रेड I और II बवासीर के इलाज के लिए किया जाता है।
4. हेमराहोइएक्टोमी :- अतिरिक्त ऊतक जो रक्तस्राव पैदा कर रहा है वह शल्यचिकित्सा हटा दिया जाता है। यह विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है और इसमें स्थानीय संवेदनाहारी और बेहोश करने की क्रिया, एक रीढ़ की हड्डी की संवेदनाहारी या सामान्य संवेदनाहारी के संयोजन शामिल हो सकते हैं। इस प्रकार की सर्जरी पूरी तरह से ढेर को दूर करने के लिए सबसे प्रभावी होती है, लेकिन जटिलताओं का खतरा होता है, जिसमें दस्त गुजरने की कठिनाइयों, साथ ही साथ मूत्र पथ के संक्रमण भी शामिल हैं।
5. हेमोराहोइड स्टैप्लिंग :- रक्त प्रवाह हेमोराहेड ऊतक से अवरुद्ध होता है। सामान्यतः हेमोराहोइक्टोमी से कम दर्दनाक प्रक्रिया होती है हालांकि, इस प्रक्रिया में हेमोराहॉइड पुनरावृत्ति और गुदा के विस्तार का खतरा बढ़ सकता है, जिसमें गुदा का हिस्सा गुदा से बाहर निकलता है।
बवासीर के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे | Home Remedy for Piles Treatment :-
एलोवेरा के प्रयोग से बवासीर का इलाज कुछ इस प्रकार से होता है :– एलोवेरा के सूजनरोधक और चिकित्सकीय गुणों से बवासीर की जलन कम हो जाती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती। यह आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को शांत करता है। एलोवेरा के 200-250 ग्राम गूदे को खाएं। इससे कब्ज नहीं होगी और मलत्यागने में आसानी होगी।
बवासीर में फायदेमंद सेब का सिरका बहुत होता है जैसा की :– सेब का सिरका अपने अनेकों गुणों के कारण रक्तवाहिनियों को सिकोड़ने में मदद करता है। बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं। बादी बवासीर में सेब के सिरके में रुई भिगाकर गुदा में रखें। इससे जलन और खुजली से राहत मिलेगी।
बवासीर में लाभदायक बादाम का तेल :– शुद्ध बादाम के तेल में रुई को डुबोएं, तथा बवासीर में मस्सों पर लगाएं। यह सूजन और जलन को कम करता है। ऐसा आप दिन में तीन बार जरूर अप्लाई करे।
नारियल का उपयोग कर बवासीर में लाभ कुछ इस प्रकार से होता है :– नारियल की जटाओं को जलाकर राख या भस्म बना लें। इसे ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं।
अंजीर खाने से बवासीर रोग में लाभ :– तीन अंजीर एक गिलास पानी में फूलने दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन कर, इस पानी को भी पिएं।
बवासीर के घरेलू उपचार के लिए जीरे का प्रयोग :– बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरे के दानों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे मस्सों वाली जगह पर लगाएं।
नींबू के इस्तेमाल से पाइल्स का घरेलू इलाज से :– नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पाइल्स में फायदा पहुँचता है
मट्ठा और अजवायन के सेवन से पाइल्स का इलाज :– मट्ठा बवासीर रोग एक गिलास छाछ में एक चौथाई अजवायन पाउडर, और एक चम्मच काला नमक मिलाकर रोजाना दोपहर के खाने में सेवन करें। यह बवासीर से आराम पाने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।
पाइल्स का घरेलू उपचार पपीते से :– रात में भोजन में पपीता को एड करे इससे कब्ज नहीं होगी। इससे मल त्याने के समय होने वाली दर्द नहीं होगी।
बवासीर रोग का घरेलू उपचार करने के लिए खाएं पका केला :– पके केला को सेवन करे, और दिन में दो बार सेवन करें।
गर्म पानी का प्रयोग दिलाता है बवासीर के दर्द में तुरंत राहत बाथ टब (Sitz bath) में गर्म पानी डालकर 10-15 मिनट तक बैठें। यह बवासीर के दर्द, और जलन से आराम पाने का सबसे अच्छा इलाज है
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बवासीर एवं भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula) :–
- बवासीर में गुदा एवं मलाशय के निचले भाग की रक्तवाहिनियों में सूजन आ जाती है। ऐसा लम्बे समय तक कब्ज और शौच में अत्यधिक समय तक बैठे रहने से होता है।
- इसके अलावा मोटापा या गर्भवती महिलाओं में भी यह होने का खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जिनके फूटने पर इनसे खून निकलता है, और दर्द होता है।
- इसमें से खून और मवाद लगातार निकलता रहता है। शुरुआती अवस्था में इसमें मवाद और खून की मात्रा कम होती है। इसलिए इससे रोगी के वस्त्रों में केवल दाग मात्र लगता है। धीरे-धीरे रिसाव बढ़ता जाता है,और रोगी को खुजली, बेचैनी और दर्द होने लगता है।
- भगन्दर में मस्से नहीं होते हैं। भगन्दर में एक घावयुक्त नली बन जाती है, जो गुदा नलिका (internal opening) तथा गुदा के बाहर
- (external opening) की त्वचा में होती है।
- भगन्दर उन लोगों में होता है, जिनके मलद्वार के पास कोई फोड़ा हो जाता है। फोड़े में कई मुंह बन जाते है। ऐसे में यदि रोगी व्यक्ति उससे छेड़छाड़ करता है तो भगन्दर हो जाता है।
FAQ : पाइल्स से जुड़े सवाल जवाब?
Q) पाइल्स का मतलब क्या होता है?
Ans:– पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलता है और दर्द भी होता है। कभी-कभी जोर लगाने पर ये मस्से बाहर की ओर आ जाते है।
Q) बवासीर में तुरंत आराम के लिए क्या करें?
Ans:– इप्सम साल्ट और ग्लिसरीन: यह घरेलू उपचार दर्दनाक बवासीर को कम करने में मदद करता है। इन दोनों को साथ में मिलाकर लगाने से सूजन में आराम मिलता है। इस मिश्रण का प्रयोग इस प्रकार करें- ग्लिसरीन और इप्सम साल्ट की 2-2 चम्मच लेकर मिलाएं और प्रभावित जगह पर लगायें और 15 से 20 तक इसे लगा रहने दें।
Q) बवासीर जड़ से खत्म कैसे होता है?
Ans :– देसी घी अपने गुणों के लिए जाना जाता है।अगर आप नियमित रूप से देसी घी का सेवन करते हैं तो कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। बवासीर की समस्या से निजात पाने के लिए देसी घी में चुटकीभर हल्दी मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें और बवासीर वाली जगह पर नियमित तौर पर लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर की समस्या गायब हो जाएगी।
Q) बवासीर कब तक रह सकता है?
Ans :– मुख्य रूप से छोटी बवासीर कुछ ही दिनों में अपने आप दूर हो सकती है । बड़े बवासीर, विशेष रूप से जो बहुत दर्द, सूजन और खुजली का कारण बनते हैं, वे अपने आप दूर नहीं जा सकते हैं और उन्हें ठीक करने के लिए डॉक्टर से उपचार की आवश्यकता हो सकती है। गर्भवती रोगियों को लग सकता है कि बवासीर जन्म देने के बाद ही दूर हो जाती है।
निष्कर्ष :– तो दोस्तों आज हमने इस पोस्ट में आपको Piles meaning in Hindi से संबंधित सारी जानकारी दी। इसके नुकसान फायदे सभी हमने इस लेख में आपको बताए मैं आशा करता हु आपको ये लेख पसंद आया होगा अगर पसंद आया हो तो इसे शेयर करना न भूले ।
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