Arthritis या गठिया क्या है। What is Arthritis meaning in Hindi :–
Table of Contents
Arthritis जोड़ों की सूजन है या जोड़ो में होने वाली चिरकारी क्रोनिक शोध अथवा परिर्वतन को संधिशोध कहा जाता है। यह रोग शरीर शरीर की किसी भी संधि में हो सकता है। 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के गठिया हैं। सबसे आम प्रकारों में से दो ऑस्टियो Arthritis और रूमेटोइड Arthritis हैं। Arthritis जोड़ों के ऊतकों की जलन और क्षति के कारण होता है। जलन के कारण ही ऊतक लाल, गर्म, दर्दनाक होते हैं। इसमें संपूर्ण संधि में बदलाव आ जाते है। यह रोग एक ही साथ शरीर की अनेक संधियों में भी हो सकता है। सामान्यतया यह रोग 35 से 40 वर्ष की आयु के बाद देखने को मिलता है। यह रोग निरंतर बढ़ने वाला अत्यंत कष्टप्रदायक है।Arthritis आज की समय में मोटापा, टाइम से खानपान में अभाव, खानपान दंग से न होना आदि वजहों से ये रोग अब केवल बुजुर्गो में ही नहीं रह गया है। बल्कि युवा भी इसका शिकार होते जा रहे है।
अर्थराइटिस के मुख्य कारण क्या है। Causes of Arthritis :–
• बैक्टीरिया जैसे : staphylococcal, streptococcus, pneumococcus, bone marrow infection, खुले घाव,ब्लड के द्वारा बैक्टीरिय प्रवेश करने पर,रोगी के जोड़ की खराबी, पॉलीसिथिमिया, ल्यूकेमिया,चोट लगने से, मुत्रल औषधी, एवं थाइडीजिन आदि औषधि के सेवन से, शराब, आदि कारण है जिससे Arthritis पनपती है।
अर्थराइटिस के मुख्य लक्षण क्या है। Symptoms of Arthritis:–
- रोग का आक्रमण प्रायः रात के समय होता है।
- ज्वाइंट की मूवमेंट का सीमित होना।
- ज्वाइंट में दर्द ।
- ज्वाइंट में सूजन।
- संधि का मोटा होना।
- एक अथवा शरीर की अनेक संधियों रोगाक्रांत।
- अकड़न तथा चलने फिरने पर संधियों में आवाज होना।
- प्रातः समय सोकर जागने पर संधियों में जड़ता।
- घुटने वा कूल्हे की ज्वाइंट में अधिक प्रभावित होना।
- ज्वाइंट वाली हड्डियों में कोने का निकलना।
- ज्वाइंट में डिफार्मिटी बहुत कम होना।
- सर्वाधिक कष्ट सीढ़ियों आदि चढ़ने में।
- ज्वाइंट में सूजन तथा द्रव भी हो सकता है।
अर्थराइटिस रोग का प्रकार । Types of Arthritis in Hindi:–
- Arthritis रोग विभिन्न प्रकार का होता है–
- प्योजेनिक Arthritis ।
- रूमेटॉयड Arthritis ।
- ओस्टियो Arthritis ।
- ट्यूबरक्यूलोसिस Arthritis ।
- gouty Arthritis या गठिया ।
- हिमोफिलिक Arthritis ।
- Ankylosing spondylitis ।
- रूमेटिक फीवर (आमवतिक बुखार)से उत्पन्न Arthritis ।
- प्योजेनिक Arthritis– इसको सुप्रेटिव Arthritis, इन्फेक्टिव Arthritis एवं सेप्टिक Arthritis के नामों से जाना जाता है।
Pyogenic Arthritis के मुख्य कारण :–
- स्टेफिलोकोकस
- स्ट्रेपटोकोकस
- न्यूमोकॉक्सस ।
उपरोक्त बैक्टीरिया Arthritis का मुख्य कारण है। यहां बैक्टीरिया ब्लड के द्वारा, खुले घाव के द्वारा जोड़ो तक पहुंच जाते है। कभी कभी पहले से ही उपस्थित bone marrow इन्फेक्शन द्वारा भी बैक्टीरिया नजदीकी ज्वाइंट तक पहुंच जाते है।
Pyogenic Arthritis के मुख्य चिन्ह एवं लक्षण। Sign and symptoms of pyogenic Arthritis:–
- रोगी को अचानक ही धीरे धीरे ज्वाइंट में दर्द शुरू हो जाती है।
- रोगी को बुखार भी होता है।
- शरीर को गिरा गिरा सा रहना।
- चिड़चिड़ापन।
- भूख में कमी।
- ज्वाइंट मूवमेंट में कमी होना। अधिक संक्रमण होने की कंडिशन में रोगी जोड़ को बिल्कुल हिला नहीं पाता है
- सायनोबियल मेंब्रेन के मोटा होने की वजह से जोड़ गरम गरम गरम सा लगता है तथा जोड़ के ऊपर की त्वचा लाल हो जाती है।
- जांच करने पर जोड़ में द्रव एकत्रित हुआ मिलता है।
रूमेटॉयड Arthritis:– यह एक क्रोनिक नॉन बैक्टिरियल ज्वाइंट का रोग है। रोगी व्यक्ति के शरीर के बहुत से जोड़ इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। रूमेटॉयड Arthritis में जोड़ो में अचानक ही सूजन और लालिमा आ जाती है।
ट्यूबरकुलोस Arthritis – ट्यूबरकल bacilli के शरीर में किसी भी जोड़ो में प्रवेश करने पर यह रोग उत्पन्न होता है। इस रोग से थोरेसिक और लंबर स्पाइन अधिक प्रभावित होते हैं उसके बाद रोगी के घुटनो और नितंब का नंबर आता है। यह रोग ब्लड के द्वारा जोड़ो तक फैलता है।
ओस्टियो Arthritis– इस Arthritis को गाठ या बाय का दर्द, पोस्ट ट्रेमेटीक Arthritis, डिजेनरेटिव Arthritis, एवं आर्थरोसिस आदि नामों से भी जाना जाता है। यह रोग ज्वाइंट इन्फेक्शन के अधिक प्रचलित रोग है। इसमें जोड़ों के अंदर कई स्थानों पर डिजेनरेटिव चेंजिंग आ जाते हैं। जैसे : जन्मजात खराबी, आयु के साथ, पुरानी चोट एवं पुराने रोग के कारण से, रक्त प्रवाह में कमी के कारण।
गाउटी Arthritis या गठिया– यह एक ऐसा रोग है जो प्यूरिन मेटाबॉलिज्म के खराबी से होता है इस रोग में यूरिक एसिड जैसे: सोडियम बायूरेट जोड़ो के कार्टिलेज, बरसा लिगामेंट में जमा हो जाता है।
Ankylosing spondylitis–
यह शरीर के पीठ और शरीर के निचले हिस्से के जोड़ों में होती है। इसमें दर्द थोड़ा थोड़ा होता है लेकिन लगातार बना रहता है। इसका उपचार संभव हैं लेकिन सही समय पर इसकी पहचान कर सही इलाज किया जाए जा सकता
अर्थराइटिस से बचाव कैसे करे। Prevention of Arthritis :–
- कसरत तथा जोड़ों को हिलाने से भी आपको मदद मिलेगी।
- सुबह में वॉक करने के बाद गुनगुने पानी से नहाएं।
- डाक्टर से समय−समय पर मिलते रहें। टाइम से दवाई खाए।
- रोगी को पूर्ण विश्राम कराएं।
- रोगी को अन्य रोग से बचाव आवश्यक है।
- जोड़ पर दवाब न पड़ने दे।
- रोगी को फिजियोथेरेपी सहारा दे।
- रोगी को प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार दे।
अर्थराइटिस या गठिया का जांच या निदान क्या है। What is diagnosis of arthritis :-
कैसे पता करे की गठिया रोग या अर्थराइटिस है :–
- फैमिली हिस्ट्री लेकर अगर पहले से फैमिली में इस रोग से ग्रसित है तो ।
- रोग का जांच प्रायः पुरुषो में 35 से 40 वर्षों की आयु के मध्य बार बार अर्थराइटिस के आक्रमण के हिस्ट्री में।
- ब्लड जांच में TLC तथा ESR वृद्धि।
- प्लाज्मा यूरिक एसिड अधिक मिलना।
- जोड़ के द्रव की माइक्रोस्कोपिक परीक्षा में क्रिस्टल उपस्थिति।
- एक्स रे में जोड़ की हड्डी में परिवर्तन देखने को मिलता है।
- कानो में टॉफी का मिलना आदि है।
आर्थराइटिस या गठिया का घरेलू उपचार क्या है। What is home remedies of gouty or arthritis in Hindi :–
• लहसुन का उपयोग से अर्थराइटिस या गठिया को कम करने में मदद मिलती है :–
लहसुन की दो से चार कलियों को प्रतिदिन गर्म पानी के साथ सेवन करें। यह गठिया रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता है।
• हल्दी का सेवन करने से राहत मिलती है गठिया में।
• मेथी का उपयोग करने से गठिया में राहत मिलती है :–
एक चम्मच मेथी के बीज लेकर रात में लगभग आधे गिलास पानी में भिगा कर रख दें। सुबह उठकर इस पानी को पिएँ और बीजों को चबाकर खा लें। यह जोड़ों में आई सूजन को कम करती है।
मेथी को अंकुरित करके प्रतिदिन सेवन करने से ज़ोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है।
• अजवाइन का उपयोग से–
एक गिलास पानी में आधा चम्मच अजवाइन डालकर उबालें। अब इसे आधे गिलास की मात्रा में सुबह-शाम दिन में दो बार पिएँ इससे शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
• कैस्टर ऑयल का उपयोग से। Use to castor oil in Arthritis in Hindi–
अरंडी तेल को हल्का गुनगुना करके इससे गठिया से प्रभावित क्षेत्रों में हल्के हाथों से मालिश करें।
• धनिया का उपयोग करने से arthritis में राहत मिलती है dhania use to help Arthritis in Hindi :–
आधा चम्मच भर धनिया के बीज को पीस कर एक गिलास गुनगुने पानी में मिला कर पिएँ, क्योंकि धनिया में एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को बेहतर कर यूरिक एसिड के स्तर को कम करते हैं।
• चेरी की सेवन करने पर :–
प्रतिदिन लगभग एक कप चेरी का सेवन करना चाहिए। हाल ही में हुए एक शोथ के मुताबिक जो लोग नियमित रूप से चेरी का सेवन करते हैं उनमें गठिया होने का खतरा 35 प्रतिशत तक कम होता है।
Q. डॉक्टर के पास किन परिस्थितियों में जाना चाहिए?
गठिया की यूरिक एसिड के शरीर में सामान्य स्तर से अधिक बढ़ने से तथा इलाज न करने में यह समस्या शरीर के सभी जोड़ो पर अपना रंग दिखाती है। जोड़ों में दर्द होने पर जोड़ो में गाँठ की शिकायत होने पर और अंगुलियों में सूजन आना यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण है ऐसे में डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
इसे भी पढ़ें– लू लगने का लक्षण क्या है
Hello I am the author and founder of Self Care. I have been blogging since 2020. I am a pharmacist. I have good knowledge related to medicine, so I can give information about medicine to people like:- Use of medicine, benefits, side effects, how it works, and what is the normal dosage. I share all this. If you have any questions or suggestions, you can connect with us through the Contact Us page.