नसों के दर्द के बारे में,
नसों में दर्द एक जटिल और क्रॉनिक स्थिति है, जिसमें समस्या समाप्त हो जाने के बाद भी दर्द स्थायी रूप से बना रहता है।नर्व पेन में दर्द शुरू होने और रोग की पहचान होने में कुछ दिन से लेकर कुछ महीने लग सकते हैं। नर्व को थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचने पर या पुराने चोट ठीक हो जाने पर भी दर्द शुरू हो सकता है। जिसके कारण से नस कमजोर होने लगती है और कमजोर होने के कुछ लक्षण जैसे इस प्रकार से है– यदि आपके शरीर की नसें कमज़ोर हो गई हैं, तो इससे शरीर में होने वाले इफ़ेक्ट की पहचान करना जरूरी होता है जिससे सही इलाज करने में सहायता मिलती है।
- यदि आपकी याददास्त घटने लगे तो समझ लीजिये की आपकी नसें कमजोर पड़ने लगी हैं।
- चक्कर आना भी एक संकेत है कि आपकी नसें कमज़ोर है क्योंकि रक्त संचारित सही से नही हो पाता है।
- कमजोरी होना।
- अपच होना भी एक संकेत है।
- अनिन्द्रा भी दर्शाता है आपके नसों की कमज़ोरी।
नसों में दर्द का लक्षण । Symptoms of neuropathy pain :–
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इसके लक्षण निम्न है :–
- ड्रिंकिंग
- ब्रेन इंजरी
- जलन की अनुभूति,
- पूरे नर्व में दर्द
- शरीर के प्रभावित भाग की गति औऱ कार्य-प्रणाली मांसपेशियों की कमजोरी,
- दर्द या नर्व की क्षति के कारण अवरुद्ध हो जाती है। दर्द अचानक उठता है और बहुत तेज दर्द होना, जैसे-कोई नुकीली चीज चुभ रही हो या जलन की अनुभूति होती है। यह दर्द लगातार रह सकता है या रुक-रुक कर होता है।
- तीव्र जलन जैसे एहसास होना।
- सोने में कठनाई।
- पेरीफेरल नसों में दर्द।
- सुई चुभने जैसी महसूस होना।
- छूने या दबाने से दर्द महसूस होता है।
- और चलना फिरना भी कष्टदायक हो जाता है।
- प्रभावित नर्व के पथ में दर्द रहता है या यह दर्द बार-बार होता है।
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नसों में दर्द के कारण | Neuropathic Pain Causes in Hindi :-
नसों में दर्द के क्या कारण होते हैं?
नसों में दर्द के कारणों दुर्घटना, संक्रमण, ऑपरेशन, किसी भी प्रकार के रोग यानी चार भागों में विभाजित किया जा सकता है।तो, आइए इसके बारे में नीचे देखते है।
1) सबसे पहले दुर्घटनाएं के बारे में देखते है,
जब किसी भी प्रकार का चोट लग जाने या सड़क दुर्घटना में उतकों, मांसपेशियो जोड़ों में चोट लगने से, कही गिर जाने की वजह से पीठ,पैर,कूल्हे की प्रोब्लम हो सकती है कभी कभी चोट जो है वो नसों को स्थाई समस्या हो सकता है कभी कभी ऐसा होता है की चोट उस समय ठीक हो जाता है लेकिन बाद में जाकर दर्द का अनुभव हो सकता है क्योंकि चोट से हुए तंत्रिका तंत्र का नुकसान ठीक न हो। सोने की वजह से जब स्पाइनल कॉर्ड दब जाता है तो नसों में दर्द होने लगता है।
2) संक्रमण के वजह से नसों में दर्द हो सकती है,
संक्रमण से भी नसों में दर्द हो सकती है ये विभिन्न प्रकार वायरल संक्रमण बीमारी जैसे HIV, सिफलिस, चिकन पॉक्स इन सभी वायरस के कारण भी लंबे समय तक नसों में दर्द बनी रहती है।
3) सर्जरी भी कभी कभी नसों के दर्द का कारण बन सकता है,
नसों में दर्द का गंभीर कंडिशन तब उत्पन्न होता है जब किसी कारण से हाथ पैर को काटा गया हो लेकिन ब्रेन के नसों को ऐसा मैसेज मिलता की हटाए गए अंगों से अभी भी दर्द हो रहा हो।
4) रोग कभी कभी विभिन्न प्रकार के रोग से भी नसों में दर्द होता है तो आइए इसके बारे में नीचे देखते है,
नसों में दर्द किसी रोग का लक्षण या किसी भी प्रकार के रोग की जटिलता से हो सकती है। इनमें कुछ विशेष प्रकार के रोग जैसे पार्किंसन्स,मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis), मल्टीपल मायलोमा (Multiple myeloma) और कैंसर हैं। इन बीमारियों से ग्रस्त लोगों में कभी कभी नसों की दर्द की समस्या का उत्पन्न हो सकती है।
- गंभीर शुगर आपकी नसों के कार्य को प्रभावित कर सकता है। शुगर से ग्रस्त लोगों को आमतौर पर स्तब्धता और उसके बाद अंगों में दर्द, जलन और डंक महसूस होते हैं।
- कैंसर वाले रोगी को जब कीमोथेरपी रेडियोथेरेपी दोनो थेरपी का रेडिएशन तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है तो नसों में दर्द का abnormal कारण बन सकता है।
- लंबे समय तक अत्यधिक शराब का सेवन कई जटिलताओं का कारण बन सकता है और नसों में दर्द रहना भी इसकी एक जटिलता हो सकती है।
5) अन्य कारण :-
नसो में अन्य दर्द के कारण निम्न हैं –
- Bells पाल्सी के कारण।
- कार्पल टनल सिंड्रोम।
- विटामिन बी 12 की कमी से।
- थायरॉयड की प्रोब्लम से।
- गठिया रोग खासकर रीढ़ की हड्डी में।
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नसों में दर्द के जोखिम कारक क्या होते हैं ?
नसों में दर्द बढ़ने का कारण विटामिन सी की कमी, एचआईवी, कैंसर, शुगर, स्ट्रोक बन सकती है। जो की रोगी को और जोखिम कंडिशन हो जाती है।
ऐसी कोई भी समस्या जिससे तंत्रिका तंत्र के भीतर कोई भी नुकसान होता है, नसों में दर्द का कारण बन सकती है। जैसे – कार्पल टनल सिंड्रोम या इसी तरह की स्थितियों से नसों में दर्द हो सकता है। नसों को नुकसान पहुंचाने वाले चोट से भी नसों में दर्द हो सकता है।
नसों में दर्द से घरेलू बचाव । Prevention of home remedies neuropathy pain :–
- हल्दी में इसमें एंटी-आक्सीडेटिव, एंटी-इंफ्लामेट्री और नसों को रक्षा प्रदान करने वाले गुण होते हैं इसमें मौजूद करक्यूमिन नामक तत्व भी दर्द और ‘रुमेटाइड आर्थराइटिस’ के इलाज में उपयोगी है।करक्यूमिन नसों में दर्द से राहत दिलाता है। सब्जी या दूध में हल्दी मिलाकर ले सकते हैं। वैसे कच्चा हल्दी बहुत ही उपयोगी होता है।
- ब्लड प्रेशर के साथ-साथ दर्द को कम करने में यूकेलिप्टस का तेल लाभकारी है। आपको बस इस तेल को सूंघना होता है या किसी अन्य तेल में मिलाकर इससे मालिश भी कर सकते हैं। अदरक का तेल भी नसों में तनाव और दर्द को दूर करने में लाभकारी है।
- अदरक और सरसों के तेल को मिलाकर हल्का गर्म करके मालिश करने से भी नसों के दर्द से राहत मिलती है।
- अगर आपको शुगर है तो उसे नियंत्रित रखें। ब्लड शुगर का स्तर सामान्य रहने से नसों के दर्द से जल्द छुटकारा मिलता है।
- गर्म पानी से नहाने से आपको नसों के दर्द से काफी आराम मिलेगा। गर्म पानी प्रभावित क्षेत्र पर रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और तनाव को दूर करता है।
- शराब का सेवन नसों के लिए जहर के समान होता है और नसों के दर्द को बढ़ाता है। तो शराब का सेवन न करें।
- नसों का दर्द रात में बढ़ जाता है ।अच्छी नींद लेने के लिए दिन में कैफीन के सेवन को नियंत्रित करें और आठ घंटे की नींद जरूर लें।
- वनस्पति तेल जैसे जेरेनियम तेल एवं लैवेंडर तेल लोगों को नसों के दर्द से राहत दिलाते हैं।
- नसों में दर्द की समस्या अगर ज्यादा गंभीर लक्षण लिए हैं और घरेलू तरीके से यह कम नहीं हो रहा तो विशेषज्ञ की सलाह लेने में देर न करे।
नसों में दर्द की दवा :-
पांच सबसे अच्छी नसों में दर्द की दवा । Five best medicine for neuropathy pain :–
1) pregabaline :– यह एक एंटीप्लिप्टिक ड्रग है जो की खासकर मिर्गी के दौरा में उपयोग किया जाता है इसके साथ ही नसों में दर्द की दवा में उपयोग किया जाता है। यह टेबलेट 75 mg स्ट्रेंथ में एवलेबल होता है।
यह डॉक्टर के पर्चे पर लिखे जाने वाली दवा है।
इसका खुराक 75 से 150 mg दिन में दो बार ।
Maximum 600mg / day
pregabaline tablet का साइड इफेक्ट्स :–
• Dryness mouth
• edema
• sleeplessness
• कन्फ्यूजन
• डिजीनेस
• वेट गेन आदि।
2) Amitriptyline uses in hindi :– यह ट्राइसाइक्लेन एंटी डिप्रेसेंट ड्रग है जो अलग अलग प्रकार साइकेट्रिक डिसऑर्डर को ट्रीट करने में किया जाता है Amitriptyline टेबलेट का हाई डोज । इस टेबलेट का low dose उपयोग किया जाता है नसों में दर्द की दवा के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
इसका खुराक कुछ इस प्रकार होता है, 75 mg/ day 75 mg का आधा आधा कर दिन में दो बार।
इस टेबलेट का साइड इफेक्ट्स :–
- constipation,
- nausea,
- dizziness,
- dry mouth,
- feeling sleepy,
- difficulty in urination,
- headache आदि।
3) Gabapentin uses in hindi:– Gabapentin भी एंटी लेप्टिक क्लास का ड्रग है लेकिन जिस प्रकार pregabaline मिर्गी के झटका के ट्रीट के साथ साथ नसों के दर्द का इलाज करता है ठीक वैसे ही ये मेडिसिन भी मिर्गी के अलावा नसों में दर्द के इलाज में उपयोग होता है।
ये 300 या फिर 100 mg में एवलेबल होता है। इसका खुराक रहता है शुरुआत में 300 mg दिन में एक बार बढ़ोतरी करने पर 600 mg दिन में तीन बार।
4)Neurobion forte plus– ये टेबलेट vitamin b12 के कमी को पूरा करता है इसका उपयोग विटामिन की पूर्ति और न्यूरॉन संबंधी बीमारी को दूर करने में किया जाता है। इसके अंदर तीन विटामिन का कॉम्बिनेशन होता है।
• Mecobalamin– 750 mcg
• Nicotinamide– 45 mg
• pyridoxine– 1.5 mg
5) pyridoxine :– ये टेबलेट दिन में खासकर एक बार ले सकते है pregabaline, Gabapentin के साथ में। ये टेबलेट दिन में 30 से 60 दिन एक टेबलेट प्रत्येक दिन ले सकते है।
इसका भी कुछ साइड इफेक्ट है जैसे:–
- Dryness mouth
- edema
- sleeplessness
- कन्फ्यूजन
- डिजीनेस
- वेट गेन आदि।
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