टाइफाइड बुखार मियादी बुखार :- परिभाषा, कारण, लक्षण, इलाज, घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे, डाइट, और नर्सिंग मैनेजमेंट ।
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टाइफाइड बुखार एक जीवाणु संक्रमण है जो दूषित जल , दूध, selfish तथा अन्य contaminated फूड्स द्वारा फैलता है । टाइफाइड को भारत में मोतीझरा , मियादी बुखार और आंत बुखार के नाम से जाना जाता है टायफाइड एक संक्रामक बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैलती है इस संक्रमण की मुख्य वजह Salmonella typhi नामक बैक्टीरिया होती है ।
टायफाइड फीवर चिन्ह एवं लक्षण 🙁symptoms)
- टाइफाइड बुखार उच्च श्रेणी का बुखार होता है 104 डिग्री फेरेहनहाइट से 105 डिग्री फेरेनहाइट तक तथा कभी भी सामान्य या सामान्य से कम नहीं होता है , प्रातः काल में ज्वर कम होता है और सांयकाल में अधिक होता है तथा दिन प्रतिदिन बढ़ता रहता है अतः इसको ladder टाइप या सतत (continuous ) फीवर कहा जाता है ।
- स्कीन रैशेज उदर की त्वचा पर गुलाबी रंग के दाने निकल आना
- बढ़ी हुई प्लीहा तथा नाड़ी मंद पाई जाना
- leukopenia WBCs संख्या में अत्यधिक हो जाती है
- 3 से 7 दिनों तक अधिक सिर दर्द तथा नॉन productive कफ के साथ अधिक हाई temperature हो जाना । रोगी को दूसरे सप्ताह में औषधि न मिलने पर हाई ग्रेड फीवर निरंतर बना रहता है जो तीसरे सप्ताह में कम होने लगता है
- यकृत के आकार में वृद्धि हो जाना hepatomegaly इनक्यूबेशन period – 1 से तीन सप्ताह तक रहता है ।
टायफाइड होने का कारण |Typhoid causes:-
Agent salmonella typhi :– spores न बनने पर भी यह जीवाणु अनुकूल परिस्थिति में शरीर से बाहर महीनों तक जीवित रह सकता है । रोगी के मल तथा मूत्र के साथ इस जीवाणु के बाहर निकलने पर इसके द्वारा भोजन , जल आदि में मक्खियों तथा गन्दे हाथों से प्रवेश कर रोग की उत्पति की जाती है । क्रोनिक कैरीज भी इस रोग से ग्रस्त नहीं होती है ।
टाइफाइड का संचारण | Mode of spread:-
- यह रोग संक्रमित फूड, flies, fomites, fingers तथा Faeces से फैलता है।
- Environmental factor – टाइफाइड फीवर प्रत्येक वर्ष में संपूर्ण वर्ष हो सकता है but, यह जुलाई , अगस्त तथा सितंबर माह में चरम सीमा पर होती है ।
पैथोफिजियोलॉजी :–
सर्वप्रथम इस Bacilli द्वारा मुख से होकर शरीर में प्रवेश करके जठरंत्रमार्ग की दीवार पर आक्रमण किया जाता है इस जीवाणु द्वारा multiply होकर 10 दिन के भीतर बैक्टरेमिया की उत्पति की जाती है । मुख्यताः सूक्ष्म जीव intestinal wall के mesenteric lymph nodes में रहता है यह स्थान peyers patches कहलाते हैं जो स्थान जीवाणु द्वारा संक्रमित होता है उस पर बड़े बड़े घाव बन जाया करता है फिर ये peyers patches thrombosed हो जाते है तथा swelling हो जाया करती है, Lymphatics tissue समाप्त हो जाया करती हैं तथा घाव बन जाता है कुछ दिन बाद आंत के दीवार में छेद बन जाता है जिस कारण पेरिटोनाइटिस होने लगता है ।
Diagnosis typhoid । टाइफाइड निदान :-
- total leukocyte count( TLC ) का मान नॉर्मल से कम हो जाया करती है अधिकांश यह 5000 cells/ cu mm तक होता है जो कभी कभी 1500 cells/cu mm तक गिर जाता है ।
- Blood और stool culture कराने पर उसमे salmonella typhi जीवाणु पाया जाना ।
रोग होने के एक सप्ताह बाद लिए गए निर्देश से विडाल टेस्ट का परिणाम सकारात्मक होता है ।एक सप्ताह के बाद ही यह जांच करवाएं नहीं तो इसके निगेटिव परिणाम होने के chance भी रहता है ।
Complication in typhoid । टाइफाइड में जटिलताएं:-
• इसमें कई तरह के जटिलताएं होती है अनेक अंगो में इसकी जटिलताएं हो सकती है , उदहारण के लिए –फेफडे plural हार्ट, pericardium ,kidney आदि but , सबसे महत्वपूर्ण जटिलताएं intestinal hemorrhage तथा intestinal perforation जिनसे पेरियोनाइटिस हो जाता है ।
• Bronchopneumonia
• गलसुआ ( parotitis )
• अर्थराइटिस
• तीव्र पिताश्यशोथ ( acute cholecystitis )
• thrombophlebitis
• तीव्र ह्रदय पेशी शोथ ( acute myocarditis ) :–
Acute myocarditis होने का कारण टाइफाइड फीवर में उत्पन्न रक्त–विषाक्तता है जो टाइफाइड फीवर में रोगी की मृत्यु होने का common कारण होता है
• Intestinal hemorrhage :–
यह दूसरे सप्ताह के अंत अथवा तीसरे के आरंभ में intestinal bleeding हो जाता है ऐसा होने के कारण peyers patches की रक्त वाहिनियों का कटान तथा घाव होता है ।
• Intestinal perforation :–
3rd week के अंत में यह जटिलता होता है । इसमें रोगी की general condition अत्यधिक गिर जाया करता है , उल्टियां होती है, pulse rate me वृद्धि हो जाती है तथा शारीरिक तापमान गिर जाता है।
treatment and नर्सिंग केयर ।नर्सिंग देखभाल:-
- Isolation procedure – रोगी को strictly अलग रखे ।
- stool and urine disposal – उचित प्रकार से रोगी के मल मूत्र को नष्ट करें नर्स को ऐसे काम gloves पहनकर सारे काम करना चाहिए
- रोगी द्वारा use किया हुआ liner धोने को भेजने से पहले Lysol जैसे disinfectant में 2 घंटो तक डुबोकर रखे
- रोगी को उपयोग हेतु अलग बर्तन दे तथा उपयोग के बाद उबले गर्म पानी से धोएं
general care । General नर्सिंग देखभाल:-
टाइफाइड फीवर रहने की अवधि लम्बी होती है इसलिए जटिलताओं के निवारण के लिए स्पेशल care की जरूरत होती है
A) रोगी अधिक strain ना ले इसलिए bed pan देते समय रोगी को अधिक सावधानी से move करे।
B) bed sore se बचाव हेतु रोगी को रबर matters पर लिटाए।
C) इस रोग की एक common complication हैं जैसे मुंह में छाले होना,जिसको रोकने हेतु बार बार मुंह साफ करना चाहिए।
D) रोगी को दस्त हो जानें पर बार बार bed pan लगाने से रोगी को अधिक strain पर सकती है इसलिए वाटर प्रूफ नैपकिन देना चाहिए।
E) daily stool में ब्लड की जांच की जानी चाहिए।
F) TPR को देखते रहे इनमे किसी भी तरह का बदलाव होने पर डॉक्टर को तुरंत सूचित करे। क्योंकि टीपीआर में अचानक बदलाव होता है तो यह किसी जटिलता की चेतवानी का चिन्ह होता है जैसे हैमरेज, intestinal perforation अथवा हार्ट फेलियर ।
G) daily पेट की जांच करें कही उसमें किसी तरह की कोई distension तो नहीं है ।
Diet in typhoid । टाइफाइड में डाइट:-
डाइट की टाइफाइड फीवर में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसमें non–residue डाइट तथा अच्छा न्यूरिशमेंट डाइट दे जैसे–
A) daily करीब 2 pints milk दे abdominal paid तथा मल में किसी प्रकार का बदलाव आने पर दूध कम कर दे।
B) अधिक मात्रा में द्रव दे भोजन में ग्लूकोज की अधिक मात्रा में दे विटामिन c अधिक मिल सके इसलिए फलों की रस दे ।
C) तीन सप्ताह के बाद ठोस आहार देना आरम्भ कर दे ।
D) Pasteurized milk ही पिलाएं।
F) प्रत्येक बार आहार करने से पहले तथा उपरांत हाथो को साफ कर ले ।
• Specific treatment :–
इसकी विशिष्ट औषधि chloramphenicol है । ये औषधि Toxemia को कम करके 3–4 दिन के अंदर टेंप्रेचर को कम करने में मदद होती है।
treatment of the complication । टाइफाइड ट्रीटमेंट के समय होने वाली जटिलताएं ।।
A) hemorrhage – bleeding को रोकने हेतु ठोस आहार बंद कर दे तथा तरल आहार ही de आवश्यकता होने पर sedatives औषधियां देना चाहिए, जरूरत पड़ने पर ब्लड transfusion कराना चाहिए।
B) यदि आंतो में छेद हो जाए तो जितना जल्द हो सकें शल्य क्रिया करें।
C) hyperpyrexia तथा delirium को कम करने हेतु tepid sponging करे।
prevention treatment । टाइफाइड के ट्रीटमेंट से बचाव :-
बचाव हेतु टायफाइड vaccination करते है ।
TAB vaccine – टाइफाइड तथा paratyphoid A और B का टीका लगाते है ।
Paratyphoid fever :–
Paratyphoid फीवर Sign symptoms and treatment दोनो आंत ज्वर यानी टाइफाइड के समान हैं ।
Paratyphoid के कारण । Paratyphoid cause :–
paratyphoid bacilli A, B तथा C के संक्रमण से यह ज्वर होता है टायफाइड के रोगाणु की भांति ही इन जीवाणुओं द्वारा क्रिया की जाती है
यह ज्वर टायफाइड ज्वर की तुलना में कम गंभीर वा विषाक्त होता है ।
• Diagnosis ( निदान):-
investigation के बाद ही इसका सही निदान हो पाता है।
टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज और घरेलू नुस्खे । टाइफाइड बुखार में घरेलू उपचार ।।
तुलसी और सूरजमुखी के रस को निकाल कर पीने से आपको लाभ मिलेगा । इसके आलावा एक पैन में पानी और थोड़ी तुलसी की पत्तियां डालकर उबालकर दिन में 3 से 4 बार पिए । सेब का रस टाइफाइड की समस्या से निजात काफी हद तक दिला सकता है।
लहसून :– लहसून एंटीबायोटिक ,एंटीऑक्सीडेंट होने के साथ साथ तासीर में गर्म होता है इसके लिए घी में 6 से 7 लहसून कली फ्राई कर ले । इसमें सेंधा नमक डालकर सेवन करे।
लौंग :– लौंग भी टायफायड की समस्या से निजात दिलाने में काफी कारगर साबित हो सकता है इसके लिए 8 कप पानी में 6–7 लौंग डालकर उबाले जबतक की पानी आधा न हो जाए जब आधी पानी बचे फिर उसका सेवन करे ।
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QNA :– सवाल और जबाब
Q.1) टाइफाइड को हिंदी में क्या कहते है ?
Ans:– टाइफाइड को हिंदी में मियादी बुखार , आंत ज्वर और मोतीझारा भी कहते है।
Q.2) टाइफाइड में क्या परहेज करना चाहिए ?
Ans:– टाइफाइड बुखार में रिफाइंड और प्रोसेस फूड खाने से बचना चाहिए जैसे घी, तेल, मक्खन, बेसन, कटहल, मक्का, शकरकंद, लाल मिर्च, मिर्च का सॉस, अंडा, खट्टा पदार्थ तथा गर्म पदार्थ से बचना चाहिए।
Q.3) टाइफाइड कैसे ठीक होता है ?
Ans:–टाइफाइड ठीक करने के लिए खासकर डाइट को ध्यान रखना जरूरी है ऐसे में आप ताजे फलों का सेवन करे साथ ही पपीता ,सेब ,हरी सब्जियां जरूर खाएं तथा पाचन तंत्र ठीक रखने के लिए गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पी सकते है ।
Q.4) टाइफाइड कितने दिन में ठीक होता है?
Ans:– सही समय पर इसका इलाज किया जाए तो इसके लक्षण 3 से 4 दिनों में ठीक हो सकता है ।
Q.5) टाइफाइड में रोटी खा सकते है ।
Ans:– वैसे टाइफाइड में रोटी की मात्रा नहीं के बराबर लेना चाहिए क्योंकि इसको इसमें फाइबर ज्यादा मात्रा में होती है जिससे रोटी को पचा पाना थोड़ा difficult हों जाती है।
Q. 6) टाइफाइड में दूध ले सकते है।
Ans:– अगर डायरिया की समस्या नही हो तो दूध ले सकते है।
Q. 7) टाइफाइड में आई कमजोरी को दूर कैसे करे ?
Ans:–वैसे तो बुखार में हल्का खाना चाहिए जो की जल्द से पच जाए खिचड़ी के साथ सूप भी बुखार के लिए बेहतर खाना है इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है।
Q. 8) टाइफाइड बुखार में कौन सा अंग प्रभावित होता है?
Ans:– टाइफाइड बुखार में मुख्य रूप से पाचन तंत्र प्रभावित होती है ।
Q. 9) टाइफाइड बार बार क्यों होता है ?
Ans :–टाइफाइड को दूषित पानी या भोजन को जीतने वाली बैक्टीरिया को पीने या खाने से संबंधित किया जाता है तीव्र बीमारी वाले लोग मल के माध्यम से आसपास के पानी की आपूर्ति को संभावित रूप से दूषित कर सकते है क्योंकि इसमें बैक्टीरिया की उच्च एकाग्रता होती है

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