नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण, कारण , घरेलू इलाज, उपचा, नर्सिंग प्रबंधन और बचाव क्या है ?

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नवजात शिशु में पीलिया | jaundice in newborn  । नवजात में जौंडिस :-

नवजात शिशु में पीलिया रोग उसकी त्वचा का , रक्तोदक (रक्त) में बिलिरुबिन के सामान्य स्तर से अधिक इकट्ठा होने से , पीला पड़ जाना पीलिया कहलाता है !पीलिया लिवर से जुड़ी एक बिमारी है जिसमे त्वचा और आंख सफेद हो जाती है नवजात शिशु में पीलिया होना बहुत आम समस्या में से एक है खून में बिलिरुबिन की मात्रा बढ़ने पर पीलिया होती है।

नवजात शिशु में पीलिया होने से नुकसान :–

अधिकतर स्वस्थ नवजात शिशु में पीलिया गंभीर समस्या नही है लेकिन बिलिरुबिन का बहुत अधिक स्तर शिशुओं की ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकता है जो शिशु समय से पहले पैदा होते है , जो अच्छी तरह से दूध नही पीता , जिनमे ग्लूकोज 6 फॉस्फेट डिहिड्रोजन की कमी होता है , जिसका ब्लड ग्रुप मां से अलग हो , जिसको संक्रमण होता हो वैसे शिशुओं में पीलिया नुकसान हो सकती है ।

नवजात शिशु में पीलिया के घरेलू इलाज और देखभाल :-

  • नवजात शिशु में पीलिया को निर्जलीकरण से बचाने के लिए पर्याप्त दूध दिया जाए
  • आवश्यक हो तो उपचार के लिए अस्पताल में भेजा जाएं अधिकांश पीड़ित बच्चो को आवश्यकता नहीं होता है शिशुओं के लिवर विकसित होते ही पीलिया अपने आप ठीक हो
  •  पीलिया phototherapy के आलावा धूप से भी आराम मिलता है
  • पीलिया से ग्रस्त शिशु को दूध में कुछ बूंद वाइटग्रास के जूस को मिला दे
  • अदरक:–अदरक में बेहतर antioxidants गुण होता है अदरक में हिपोलिपिडिमिक भी होता है जो लिवर के कार्य में मदद करता है इसलिए मां को अपने आहार में अदरक लेना चाहिए जिससे शिशु में फीडिंग द्वारा हेल्पफुल हो सके।
  • टमाटर :– टमाटर ब्लड के लिए बेहतर माना जाता है क्योंकि इसमें लाइकोपिन पाया जाता है नवजात शिशु को टमाटर का रस नही दे सकते है इसलिए मां को अपने आहार में टमाटर को सेवन करे ताकि शिशु को फीडिंग द्वारा हेल्पफुल हो सके।

नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण :-

नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण निम्न प्रकार के है जिससे आपको पता चल जायेगा की शिशु को पीलिया हो रहा है 

  • त्वचा के पीले पड़ने से पहले नेत्र के श्वेत पटल का पीला पड़ने लगना उसके बाद शरीर की पूरी त्वचा का पीला पड़ जाना ।
  • शिशु का दूध न पीना
  • मल का काला हो जाना
  • थकावट होना
  • वमन , अपचय आदि

नवजात शिशु में पीलिया होने का कारण :-

  • Red Blood cells शीघ्रातिशीघ्र वा अधिक destruction होना ।
  • शिशु में बिलिरुबिन binding protein अपर्याप्त होने से भी ऐसा होता है।
  • बहुलोहित कोशिका रक्त ( polycythemia ) भी इसका कारण है ।
  • वायरल हेपेटाइटिस

Decreased बिलिरुबिन conjugation :– यदि यकृत अपरिपक्व हो जाए तो बिलिरुबिन पर्याप्त मात्रा में ब्लड से बाहर नहीं निकल पाता है इसका कारण यकृत में उचित एंजाइम का पर्याप्त मात्रा में बनना है ।

Increased बिलिरुबिन load :– ऐसे रेड ब्लड cells के structure में abnormality Rh factor तथा HB o2 अयोग्यता के कारण अधिक hemolysis होने के कारण होता है , fetal red blood cells के शीघ्रातिशीघ्र destruction होने से।

Mixed factor :– ब्लड में बिलिरुबिन की मात्रा का अधिक निर्माण तथा यकृत वा दूसरे भागों में इसका निष्कासन पर्याप्त न हो पाना।

नवजात शिशु में पीलिया के जांचे :–
  • Blood test – serum , Bilirubin (total), peripheral blood smear RBC की संरचना देखने हेतु ।
  • Coombs test
  • Hemoglobin concentration
  • Liver function test ( LFT )
  • Blood group and Rh factor ( mother एंड baby दोनो )का
  • Total serum albumin
  • Blood culture
नवजात शिशु में पीलिया के उपचार (treatment) :-

Phototherapy :– photo oxidizing blood pigment बिलिरुबिन एवं yellow liquid बिलिरुबिन को फोटोथेरेपी द्वारा Colorless , nontoxic तथा water soluble बिलिरुबिन में परिवर्तित किया जाता है , जो मूत्र के माध्यम से सरलता से शरीर से बाहर निकल जाता है । शिशु की कंडिशन तथा उसके रुधिर में सिरम बिलिरुबिन phototherapy के समय तथा संख्या का निर्धारण आधारित होता है ।

Drug therapy phenobarbital :- इस औषधि द्वारा लिवर cells पर प्रभाव डालकर glucuronosyltransferase एंजाइम के निर्माण में वृद्धि की जाती है जो बिलिरुबिन के conjugation तथा excretion में सहायक होता है ।

Exchange transfusion: – इस रोग में शिशु में ब्लड का exchange ट्रांसफ्यूजन करना भी लाभकारी है इसको 24 घंटों तक 180ml. Of blood/kg body weight में exchange किया जा सकता है but एक बार में 10ml ब्लड ही exchange किया जा सकता है । इस प्रक्रिया को अत्यधिक slowly करे, इसको कम से कम एक घंटा में पूरा करे। सदमा , शॉक तथा डोनर्स ब्लड के विषैले प्रभावों से बचने के लिए 1ml कैल्शियम gluconate भी दे । 20ml ब्लड exchange करने के बाद salt free albumin दिया जा सकता है इसकी मात्रा 1g/kg हैं यह बिलिरुबिन binding protein होती है।

नवजात शिशु में पीलिया के

नवजात शिशु में पीलिया के Nursing management । नवजात शिशु में पीलिया के नर्सिंग प्रबंधन:-

नवजात शिशुओं में कामला यानी पीलिया की शीघ्र पहचान हेतु शिशु को लगातार देखते रहने की जरूरत है ।

• Skin का रंग देखते रहें की yellow color increase अथवा decrease तो नहीं हो रहा है

• शिशु के किसी भी व्यवहारिक बदलाव की जांच करें इसमें convulsions तथा sluggish movement हेतु अवश्य देखना चाहिए ।

• शिशु को शारीरिक ताप को maintain करना चाहिए, विशिष्टकर जब उसको phototherapy रखा गया हो

• शिशु के मूत्र का रंग , मात्रा तथा कितनी बार मूत्र करता है, आदि की जांच करते रहे

• vital signs की जांच की जानी चाहिए

• शरीर में fluid वा इलेक्ट्रोलाइट्स पर्याप्त मात्रा में बनाए रखना चाहिए, क्योंकि बिलिरुबिन मूत्र द्वारा शीघ्र बाहर निकलता है ।

• पेरेंट्स को साइकोलॉजिकल सपोर्ट प्रदान करके उनके स्ट्रेस को कम करना चाहिए ।

Prevention of complication of new born with jaundice: –

  • Hemolytic disorder को रोकना चाहिए
  • जन्म से पूर्व जटिलताओं का diagnosis तथा treatment करना चाहिए
  • तीव्र निगरानी से नवजात शिशु की देखभाल करना ताकि asphyxia, hypoglycemia, hypothermia तथा umbilical cord सेप्सिस को prevent किया

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QNA नवजात शिशु में पीलिया से जुरे सवाल और जबाब 

Q 1) शिशुओ में पीलिया क्यों होता है ?
नवजात शिशु के लिवर अधिक बिलिरुबिन को संभालने के लिए पर्याप्त विकसित नहीं होता है इस प्रकार उनके रक्त में बिलिरुबिन अधिक हो जाता है जिसके कारण शिशु को पीलिया होती है ।

Q 2.) पीलिया कब दिखता है और ठीक कब तक हो जाता है ?
Ans:– पीलिया शिशु के जन्म के बाद दूसरे से तीसरे दिन में दिखता है , और बिलिरुबिन प्रोसेस करने में उनके लिवर को अधिक प्रभावी होने से लगभग दो से तीन सप्ताह लग जाता है इसलिए ठीक होने में 2–3 सप्ताह लग सकता है ।

Q 3.) नवजात शिशु में पीलिया की पहचान कैसे करें ?
Ans:– आंख का सफेद भाग का पीला पड़ना , शिशु सुस्त दिखे , उसे उल्टी दस्त और बुखार 100 डिग्री से ज्यादा हो गहरे पीले रंग का पेशाब ये सभी लक्षण पीलिया का होता है ।

Q 4.) नॉर्मल पीलिया कितना होना चाहिए ?
Ans:– समान्यतः 1.0% या इससे कम होता है किंतु जब इसकी मात्रा 2.5% से ऊपर हो जाती हैं तब पीलिया का लक्षण लग जाता है ।

Q 5.) नवजात शिशु कितने घण्टे सोता है ?
Ans :– दिन के समय 8 से 9 घंटे और रात में करीब 7 से 8 घंटे सोता है लेकिन एक बार में 1 से 2 घंटे से ज्यादा नहीं सोता है ये प्रक्रिया 3 महीने पहले या फिर 5–6 kg वजन के पहले होता है ।

Q 6.) पीलिया की शिकायत कैसे होती हैं ?
Ans :– वायरल हेपेटाइटिस या जौंडिस को साधारण लोग पीलिया के नाम से जानते है ये रोग सुक्ष्म विषाणु से होता है।

Q 7.) पीलिया के लिए कितनी देर तक phototherapy होती है ?
Ans :–2 से 3 दिन में नॉर्मल होने वाला पीलिया phototherapy द्वारा अब मात्र 8 घंटे में नॉर्मल होती है।

Q 8.) जन्म के बाद पहले 24 घंटो के अंदर होने वाली पीलिया को क्या कहते है ?
Ans:– ऐसे पीलिया को फिजियोलॉजिकल जौंडिस कहते हैं।

Q 9.) पीलिया कितने प्रकार का होता है ?
Ans :– पीलिया तीन प्रकार का होता है वायरल हेपेटाइटिस A, वायरल हेपेटाइटिस B , वायरल हेपेटाइटिस नॉन A नॉन B

Q 10.) पीलिया से कैसे परहेज करे ?
Ans :– बच्चो को जन्म के पहले घंटो में और दिन में बार बार दूध पिलाना चाहिए ताकि बच्चे stool पास करते रहे जिससे पीलिया की जोखिम कम हो जाती है ।

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