बच्चों में दौरे या मिर्गी के लक्षण , कारण , बचाव , घरेलू उपचार और दवाई? किन परिस्थितियों में डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए?

बच्चों में दौरे या मिर्गी के लक्षण , कारण , बचाव , घरेलू उपचार और दवाई? किन परिस्थितियों में डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए?
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बच्चों में दौरा के बारे में :-

बच्चों में दौरे रोग को “कम्हेडेआना” के नाम से भी जाना जाता है। इसे सीजर तथा convulsion के नाम से भी जाना जाता है।ब्रेन पर किसी भी कारण से बुरा प्रभाव पड़ते ही अचानक ही दौरा पड़ जाता है। दौरे के समय हाथ, पैरों में कड़ापन, आंखे पलट जाना, सिर का सुन्न पड़ना एवं कई बार बॉडी भी नीली पड़ने लगती है।सामान्यत: जिन बच्चों को दौरा पड़ता है उनमें करीब तीन में से एक को ही दूसरा दौरा पड़ता है। आमतौर पर डॉक्टर के लिए दौरे का कारण पता लगाना आसान होता है। ऐसा संभवतया वायरल बीमारियों जैसे कि कान के इनफेक्शन टॉन्सिलाइटिस से जुड़े बुखार की वजह से होता है। वैसे इसमें होता क्या है जो ब्रेन के हार्मोन एक साथ कई सारे कार्यों के लिए रिलीज हो जाता है जिससे लोगो का ब्रेन असुंतलन हो जाता है।

बच्चों में दौरे या मिर्गी पड़ने के कारण (आयु के अनुसार )। Child convulsions causes in Hindi :-

जन्म के प्रथम दिन बच्चो में दौरा पड़ने के कारण : –
तो जन्म के प्रथम दिन भी बच्चो में दौरा पड़ता है जिसका कारण निम्नलिखित है जो कुछ इस प्रकार से है

  • जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी।
  • ब्रेन में रक्त स्राव।
  • यदि माता जी नशे का सेवन करती है तो, उनके बच्चो में भी दौरे पड़ने का संभावना बनी रहती है।
  • गलती से प्रसव के समय बच्चों के सिर में लोकल एनेस्थीसिया प्रविष्ट होने पर।

जन्म के दूसरे दिन बच्चो में दौरा पड़ने का कारण :–
जन्म के दूसरे दिन दौरा पड़ने के कारण कुछ निम्न प्रकार है।

  • लंबे समय से परेशानी के साथ बच्चा होने की वजह से।
  • डॉक्टर यंत्र के माध्यम से पैदा होने वाले बच्चों में दौरा पड़ सकता है।

जन्म के तीसरे दिन दौरा पड़ने का कारण :–
जन्म के तीसरे दिन दौरा पड़ने का कारण कुछ निम्न प्रकार है

  • हाइपोग्लाइसीमिया के कारण।

जन्म के चौथे से सातवे दिन दौरा पड़ने के कारण कुछ निम्न प्रकार है :–

  • टेटनस।
  • ब्रेन के मेंब्रेन में इन्फेशन ।
  • टिटेनस नियोनेटोरम।
  • गर्भाशय में इन्फेक्शन।

जन्म के एक महीना से तीन वर्ष तक दौरा पड़ने के कारण कुछ इस प्रकार है :–

  • ब्रेन में रक्त का जम जाना, रक्तस्राव
  • तेज धूप में लू लगना
  • जहरीली वस्तुओं का सेवन करने से
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का इंफेक्शन जैसे मेनिनजाइटिस, ट्यूबरक्यूलर, encephalitis, टेटनस, सेरेब्रल मलेरिया, कांफेड़, uterus में इन्फेक्शन।
  • निर्जलीकरण में कैल्शियम, मैग्नेशियम की कमी
  • वैक्सीन तथा इंफेक्शन के बाद होने वाला encephalopathy।
  • एपिलेप्सी।
  • अधिक रक्तचाप, जन्मजात चोट।
  • खनिज पदार्थ के असुंतलन से।
  • जहरीली वस्तुओं को सेवन करने से।
    जब दौरा बंद हो जाए, तो शिशु का श्वास नली जांचें और देखें कि वह सही से सांस ले रहा है या नहीं। यदि उसके मुंह में कुछ हो, जैसे उल्टी आदि तो इसे आराम से साफ कर दें। इसके बाद उसे करवट लेकर लिटाएं और उसे सहारा दें ताकि वह पलटे नहीं। दौरा पड़ने के बाद शिशु का एक घंटे तक सोना सामान्य है।
  • बुखारी दौरे के दौरान बच्चों का मलत्याग होना आम बात है इसलिए जब शिशु थोड़ा सामान्य हो जाए तो आप उसकी लंगोट देखकर जांच कर ले।यदि शिशु को पहले भी दौरा पड़ चुका है तो डॉक्टर से बात अवश्य करें, फिर चाहे अभी का दौरा केवल पांच मिनट से भी कम हो पड़ा हो तो भी।
    दौरा आनुवांशिक भी हो सकते हैं। यदि परिवार के किसी नजदीकी सदस्य को बुखारी दौरे पड़ते हों तो शिशु को भी दौरे पड़ने की संभावना रहती है।

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निम्न ऐसे स्थितियों में अपने शिशु को नजदीकी अस्पताल ले जाना चहिए। :-

  • शिशु को सांस लेने में परेशानी हो रही है
  • शिशु को पहली बार दौरा पड़ा है
  • जब का समय पांच मिनट से भी ज्यादा लंबा चला है।
  • जब दौरा किसी गंभीर बीमारी जैसे कि मेंनिंजाइटिस आदि की वजह से तो नहीं है इसका पता लगाने के लिए।
  • बच्चे के शरीर और सिर को पकड़ें।

बच्चों में दौरे या मिर्गी के लक्षण। Convulsion symptoms in Hindi :–

  • बच्चों में दौरे होने पर उसका शरीर कड़ा हो जाता है और हाथ पैर टेढ़ा होने लगते है।
  • बच्चों में दौरे होने पर बच्चो की आंखे पलट जाती है।
  • मुख से झाग निकलते है।
  • रोगी बच्चा दांत पीसता है और कई बार जीभ दांतो के बीच में आ जाने के कारण कट जाती है।
  • मल मूत्र निकल जाता है।
  • पसीना अधिक निकलता है।
  • शरीर नीला पड़ने लगता है।
  • हाथों की मुठ्ठियो कसकर बंद हो जाती है।
  • तेज बुखार वाले दौरे में शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रायः दौरे कुछ सैकंड से लेकर 5 से 10 मिनट की अवधि के होते है, उसके बाद हाथ पैर शिथिल पड़कर सामान्य होने लगता है। नेत्रों में फड़कन आरंभ हो जाती है। बच्चा होश में आ जाता है, किंतु सुस्त वा गिरा गिरा सा रहता है। बच्चे को दौरा दिन में कई बार भी पड़ सकता है तथा कई दिन के अंतराल में भी पड़ सकता है।

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बच्चों में दौरे आने का उपचार | Bacho me daure aane ka upchar :-

बच्चों में दौरे होने पर छोटे से छोटे विवरण को ध्यान में रखे

  • चिकित्सा परीक्षा, जिसमें हृदय, तंत्रिका संबंधी और मानसिक स्थिति का आकलन करना शामिल है।
  • अन्य बीमारियों की उपस्थिति को बाहर करने के लिए विश्लेषण के लिए blood test करना।
  • CT scan
  • इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम
  • MRI जो आपको मस्तिष्क की स्थिति का आकलन में किया जाता है।
  • उपरोक्त अध्ययन करने और परिणामों का विश्लेषण करने के बाद, डॉक्टर यह निर्धारित करता है कि दौरा या आक्षेप है या नहीं।

बच्चों में दौरे या मिर्गी आने से बचाव | Bacho me daure aane se bachav :-

बच्चों में दौरे होने पर नैदानिक ​​​​उपाय करने और सही निदान करने के बाद, न्यूरोलॉजिस्ट उपचार निर्धारित करता है।

  • सबसे पहले, बच्चे को आराम और दिन के सही आहार की आवश्यकता होती है। माता-पिता को बच्चे को तनावपूर्ण स्थितियों, झटकों से बचाना चाहिए। माँ को हर समय आस-पास रहने की ज़रूरत है ताकि बच्चा शांत और संतुलित महसूस करे।
  • फार्मूला खिलाया बच्चों के लिए, विशेषज्ञ से वार्तालाप करे
  • शक्ति समायोजन। स्तनपान करने वाले बच्चे शांत होते हैं और उनका अपनी मां के साथ भावनात्मक संबंध होता है। स्तनपान की अवधि के दौरान एक महिला के लिए सख्त आहार का पालन करना महत्वपूर्ण है
  • प्रारंभ में, दवा की न्यूनतम खुराक दिखाई जाती है, इसके बाद इसकी वृद्धि होती है। कभी-कभी इम्यूनोथेरेपी और हार्मोनल उपचार से गुजरना होता है।

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बच्चे में हमले के दौरान माता-पिता को क्या करना चाहिए :-

प्राथमिक चिकित्सा :-

  • बच्चों में दौरे होने पर यदि हमला गंभीर है तो माता-पिता को हर संभव प्रयास करना चाहिए ताकि बच्चे को चोट न लगे।
  • बच्चे के शरीर और सिर को पकड़ें।
  • बच्चों में दौरे होने पर तंग कपड़े उतारो।
  • खिड़की खोलकर ऑक्सीजन की पहुंच दें।
  • यदि सांस रुक जाती है, तो फेफड़ों का कृत्रिम वेंटिलेशन करें।
बच्चो में मिर्गी या दौरा होने की दवाई और इलाज। Convulsion medicine in Hindi :–
  • बच्चों में दौरे होने पर लक्षणों के अनुसार चिकित्सा करे।
  • दौरा पड़ने का मूल कारणों को पता लगाकर उसकी समुचित चिकित्सा करे।
  • जीभ एवम दांतो के बीच स्वच्छ रूई अथवा अन्य कुछ लगा दे ताकि रोगी बच्चे को जीभ न कटे।
  • समस्त प्रकार के दौरे में कंपोज इंजेक्शन आधा से एक ml शिरा द्वारा धीरे धीरे या मांशपेशी में दे।
  • बुखार के कारण आने वाले दौरे में डायजीपाम (कंपोज) के साथ पैरासिटामोल दे। साथ ही टेबलेट ल्यूमिनोल 30 mg आधा टेबलेट दे।
  • टेटेनी के दौरे में कैल्शियम सैंडोज 10% शिरे द्वारा धीरे धीरे 10 ml तक लगाएं।
  • इप्सोलिन टेबलेट 100mg, इंजेक्शन 2 ml 50mg 1/4 से 1/2 टेबलेट दिन में तीन बार दे। तीव्र लक्षणों में इसका इंजेक्शन आधा से एक ml शिरा द्वारा धीरे धीरे लगाएं।
  • इंजेक्शन largactil 10 mg का मांसपेशी में इंजेक्शन लगाएं।
  • valtril टेबलेट 200 से 500 mg बालकों को प्रारंभ में 20 mg प्रति kg शारीरिक भारानुसार विभाजित मात्रा में बढ़ते हुए 35 mg प्रति किलोग्राम शारीरिक भारानुसार प्रतिदिन।
  • टेबलेट मेजिटोल 100 वा 200 mg ।

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FAQ : दौरा या मिर्गी बीमारी से जुड़े सवाल जवाब :–

Q) मिर्गी और दौरा पड़ने में क्या अंतर है?
Ans:–मिर्गी यानी एपिलेप्सी एक तंत्रिका सम्बन्धी विकार है, जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते हैं। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से खराब जाता है और उसका शरीर असंतुलन होने लगता है।

Q) झटका बीमारी क्या है?
Ans:– इस बीमारी में बच्चों के हाथ पैरों में जकडऩ के साथ बार-बार हाथ पैर तेजी से हिलते हैं। कुछ देर में बच्चा बेहोश हो जाता है। यह बेहोशी पांच से दस मिनट तक रह सकती है।

Q) क्या मिर्गी का दौरा पड़ने से दिमाग को नुकसान हो सकता है?
Ans:–एपिलेप्सी की वजह से दिमाग में संरचनात्मक क्षति के बजाय दिमाग की कार्य को प्रभावित कर सकती है ।

Q)क्या बच्चों को एक से अधिक बार मिर्गी का दौरा पड़ सकता है?
Ans:–जी हां, बच्चों को एक से ज्यादा बार मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने की सलाह दी जाती है

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