motiyabind : मोतियाबिंद के कारण, लक्षण, उपचार और ऑपरेशन की सम्पूर्ण जानकारी?

motiyabind : मोतियाबिंद के कारण, लक्षण, उपचार और ऑपरेशन की सम्पूर्ण जानकारी
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मोतियाबिंद (Cataracts) :-

हेलो! दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से बात करेंगे की मोतियाबिंद क्या है, मोतियाबिंद होने के कारण कया है, मोतियाबिंद का लक्षण, उपचार,ऑपरेशन यानी मोतियाबिंद से हरेक सवाल जवाब के बारे में तो चलिए जानते है, भारत में 90 लाख से लेकर एक करोड़ बीस लाख लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन है, हर साल मोतियाबिंद के 20 लाख नए मामले सामने आते हैं।

लेकिन अत्याधुनिक तकनीकों ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन को बहुत आसान बना दिया है। हाल में प्राप्त विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 2003 से भारत में मोतियाबिंद के कारण होने वाली नेत्रहीनता में 25 प्रतिशत की कमी आई है। इसका कारण है मोतियाबिंद सर्जरी के प्रति लोगों में जागरूकता।

मोतियाबिंद क्या है? What is Cataracts in Hindi :-

इस रोग को सफेद मोतिया भी कहा जाता है। इस रोग में आंखो का लेंस तथा उसके आवरण दोनो में से कोई एक या फिर दोनो ही सफेद हो जाता है। और उन पर एक परदा सा आ जाता है। आंख के अंदर का पारदर्शक लेंस जब कठोर वा धुंधला हो जाता है, तब आंख की रोशनी कम अथवा बिल्कुल नष्ट हो जाती है,यानी देखने की क्षमता कम अथवा नष्ट हो जाती है। लेंस एक बिना ब्लड वेसल्स यानी रक्तवहानी की संरचना है इसलिए इसमें संक्रमण यानी इन्फेक्शन नही होता है, बल्कि लेंस फाइबर में धुंधलापन आ जाता है। पहले अंदर और फिर आंख की पुतली में सफेद फूली दाना सा दिखाई देता है, यही मोतियाबिंद कहलाता है ।

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मोतियाबिंद किन किन कारणों से होता है? Cataracts causes in Hindi :–

दोस्तों मोतियाबिंद होने के निम्नलिखित कारण जिनमे से कुछ कारण को देखते समझते है तो फिर चलिए जानते है,
• मोतियाबिंद बनने का असली कारण चिकित्सा साइंटिस्ट को अभी तक ज्ञात नहीं है।
• रोगी की बढ़ती हुई आयु।
• भोजन में मुख्य तत्व प्रोटीन वा विटामिन की कमी।
• तपते हुए सूर्य की गर्मी के चपेट में आने से।
• आंख में चोट लगने ।
• रोमक पिण्डशोध।
• दृष्टिपटल का अलग होना।
• अल्ट्रावायलेट चिकित्सा का अधिक प्रयोग।
• करेंट लग जाने से ।
मधूमेह रोग।
कुछ त्वचा का रोग
• कुछ प्वाइजनिंग यानी विषैले पदार्थों के सेवन से ।
• जन्मजात।

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मोतियाबिंद होने के क्या क्या लक्षण है? | Cataracts symptoms in Hindi :–

दोस्तों मोतियाबिंद होना ऐसे इंपोर्टेंट लक्षण है जिससे आप आसानी से पता कर सकेंगे की ये मोतियाबिंद का लक्षण है तो चलिए जानते है मोतियाबिंद के लक्षण,
• यह रोग एक आंख अथवा दोनो आंखों में धीरे धीरे होता है, जिसमे आंख की रोशनी कम हो जाती है और अंत में रोगी को बिल्कुल ही दिखाई नही देता है।
• आंख के सामने स्थिर काले काले धब्बे दिखाई देती है, विशेषकर रात्रि के समय चंद्रमा को देखने पर कई चंद्रमा दिखाई देती।
• प्रकाश और बिजली के बल्ब की रोशनी को देखने पर अंतर दिखाई देता है तथा चारो हरी नीली लाइन दिखाई देती है।
• रोगी को रंग पहचानने में भी दिक्कत हुआ करती है।
• लाल रंग सरलतापूर्वक दिखाई देती है।

अपरिपक्व और परिपक्व मोतियाबिंद का पहचान। पका हुआ मोतियाबिंद का पहचान :-

अपरिपक्व मोतियाबिंद :-
• हल्के सलेटी रंग का लेंस।
• आइरिस शेडो अब्सेंट।
• रोगी आंख के पास अंगुलियां गिन सकता है।
• दवाई डालकर प्यूपिल को फैलाने के बाद अंधेरे कमरे में यदि सदा कांच से प्रकाश डाला जाए , तो काफी परछाई दिखाई देती है, जो लाल रंग के फंडलागलो के विपरीत होती है।
परिपक्व मोतियाबिंद की पहचान :-
• लेंस मोती के जैसा सफेद हो जाती है।
• आइरिस शेडो अब्सेंट होती है।
• दृष्टि केवल हाथ हिलाने तक ही सीमित रहता है।
• लाल रंग की फैंडलैगल नहीं होता है।

मोतियाबिंद रोग के परिणाम :–
• काला मोतिया यानी ग्लूकोमा हो सकता है।
• उचित चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में दृष्टिहीनता।

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मोतियाबिंद का रोकथाम। मोतियाबिंद का बचाव। Prevention of Cataracts in Hindi :–

हालांकि इसके बारे में कोई प्रमाणित तथ्य नहीं हैं कि कैसे मोतियाबिंद को रोका जा सकता है या इसके विकास को बढ़ने नहीं जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि कईं रणनीतियां मोतियाबिंद की रोकथाम में सहायक हो सकती हैं, जिसमें सम्मिलित है

  • चालीस वर्ष के पश्चात नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं
  • सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद विकसित करने में सहायता कर सकती हैं। जब भी बाहर धूप में निकलें सनग्लासेस लगाएं यह यूवी किरणों को ब्लॉक कर देता है
  • अगर आपको डायबिटीज या दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है उनका उचित उपचार कराएं।
  • अपना वजन सामान्य बनाएं रखें
  • प्रोटीन विटामिन से भरपूर फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें। इनमें बहुत सारे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों को स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
  • धुम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन कम से कम करें

मोतियाबिंद का उपचार :-

जब चश्मे या लेंस से आपको स्पष्ट दिखाई न दे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब मोतियाबिंद के कारण आपके जीवन की क्रियाकलाप को प्रभावित होने लगती है। सर्जरी में जल्दबाजी न करें, क्योंकि मोतियाबिंद के कारण आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन अगर आपको डायबिटीज है तो इसमें देरी न करें।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कैसे किया जाता है | Cataracts surgery in Hindi :–

मोतियाबिंद का ऑपरेशन नीचे लिखे दो प्रकार से होता है,

  1. पुरानी विधि यानी टांके वाला।
  2. आधुनिक विधि यानी बिना टांका वाला।

तो दोस्तो पहले समझते है, पुरानी विधि :–
इस विधि में अपारदर्शी लेंस (जिसे मोतिया कहा जाता है ) को निकल देते है और आंख को बैगर लेंस को छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार भी आंखो में रोशनी को प्रवेश मिल जाता है। लेकिन इस विधि में कुछ परेशानियां भी होती है जो की निम्न दिया गया है

  • इसमें दो चार टांके तक लगाने होते है।
  • रोगी को मोटे ग्लास चस्मा पहनना पड़ता है जिसको पहनने संभालने में काफी कठनाई होती है।
  • ऑपरेशन के बाद प्रत्येक चीज टेढ़ी मेढ़ी और बढ़ी हुई दिखाई देती है।
  • जो वस्तु जहां होती है वास्तव में वहां नहीं दिखता है जैसे रोगी अगर चाय को कप में गिरा रहा है तो वह चाय कप के बजाय कप के बाहर गिर सकती है।
  • लेंस के दायरे की ही वस्तु रोगी को साफ दिखाई देती है दायरे के बाहर की वस्तु धुंधली दिखती है ।

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आगे अब हम समझेंगे आधुनिक मोतियाबिंद आधुनिक विधि :–

  • मोतियाबिंद का ऑपरेशन की इस विधि में खराब हुई प्राकृतिक लेंस की जगह कृत्रिम लेंस लगा देते है जो की रोगी की आंख में संपूर्ण जीवन भर लगा रहकर प्रकाश देता रहता है। इस आर्टिफिशियल लेंस को इंट्रा आकुलर लेंस भी कहा जाता है इस विधि में रोगी की आंख में चिड़ा लगाकर खराब हुई कुदरती लेंस को बाहर निकाल दिया जाता है और उसके स्थान पर इंट्राआकूलर लेंस लगाकर टांके लगाकर चीरे को बंद कर दिया जाता है ।
  • यह लेंस रोशनी को पर्दे पर फोकस करता रहता है, जिससे रोगी को साफ दिखाई पड़ता है। इस लेंस का नंबर ऑपरेशन से पहले ही अल्ट्रासाउंड परीक्षण द्वारा पता लगा लिया जाता है इससे रोगी अपने रोजमर्रा के कामों को सुगमतापूर्वक कर सकता है किंतु , बारीक वस्तुओ, छोटी धातुओं वा अधिक बारीक पढ़ने लिखने आदि कामों के लिए नजर परिक्षण के आधार पर चश्मा लगाने की आवश्यकता पड़ सकती है।।
  • आजकल इस ऑपरेशन के चीरे मात्र तीन mm तक ही सीमित रखने की तकनीक का विकास हो चुका है, जिसको फेफो इम्लसिफिकेशन कहा जाता है।इस तकनीक में मोतियाबिंद निकालने का तरीका बिल्कुल अलग है । रोगी की आंख में तीन mm का छोटा सा चीरा लगा दिया जाता है इससे फेको मशीन की सुई रोगी के आंखो में जा सके।
  • जब सुई को फेकी मशीन से ताकत दिया जाता है तो वह मोतियाबिंद को अंदर ही अंदर चूर करके आंख के बाहर खींच लेती है। अब इस छोटे से चीरे में से एक मोड़ा जा सकनेवाला लेंस आंख में फिट कर दिया जाता है। चूंकि यह चीरा बहुत छोटा होता है तथा विशेष तरीका से बनाया जाता है, इसलिए इसमें टांका लगाने की जरूरत नहीं होता है। इसलिए इसको बिना टांका का ऑपरेशन भी कहा जाता है।
  • बिना टांका का ऑपरेशन से विशेष लाभ यह है की रोगी व्यक्ति को अगले दिन से ही अच्छा दिखाई देने लगता है चुकी आंखो में टांका नही होता है इसलिए टांके से जुड़ी कोई समस्या नही होती है। मात्र हफ्ते दो हफ्ते के बाद ही बारीक पढ़ने लिखने के लिए रोगी को उचित फाइनल चश्मे का नंबर दे दिया जाता है जबकि टांका लगाने वाले ऑपरेशन में रोगी को दो महीना के बाद उचित फाइनल चश्मे का नंबर या चश्मा दिया जाता है।
  • इस सर्जरी के लिए अस्पताल में रूकने की जरूरत नहीं होती। आप जागते रहते हैं, लोकल एनेसथेसिया देकर आंखों को सुन्न कर दिया जाता है। यह लगभग सुरक्षित सर्जरी है और इसकी सफलता दर भी काफी अच्छी है।

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FAQ : मोतियाबिंद से जुड़े सवाल जवाब?

Q) मोतियाबिंद की सर्जरी कब करानी चाहिए?
Ans :– जब मोतियाबिंद आपके दैनिक कार्यों में दिक्कत पैदा करने लगे तो आपको सर्जरी करा लेनी चाहिए, मोतिये के पकने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से सर्जरी ज़्यादा जटिल हो जाती है। ज़्यादातर दोनों आँखों की सर्जरी एक साथ नहीं की जाती है। अगर एक आँख में सर्जरी के बाद सुधार अच्छा हो तो दूसरी आँख की सर्जरी अगले दिन भी की जा सकती है।

Q)मोतियाबिंद होने के पश्चात/ऑपरेशन कराने से पहले?
Ans :– अगर आपको या आपके परिवार में किसी को मोतियाबिंद है तो जब तक डॉक्टर आपको ऑपरेशन कराने का नहीं कह रहा है तब तक इन बातों का ध्यान रखें।

  1. आपके लेंस और चश्मे बिल्कुल सही नंबर के हों
  2. अगर पढ़ने के लिए आपको अतिरिक्त प्रकाश की जरूरत पड़ रही हो तो पढ़ने के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास का इस्तेमाल करें।
  3. जब आप बाहर जाएं तो सन-ग्लासेस का इस्तेमाल जरूर करें
  4. रात में गाड़ी न चलाएं।

Q)क्या मोतियाबिंद बिना ऑपरेशन के ठीक हो सकता है?
Ans :– हां ठीक हो जाता विकसित वैज्ञानिकों ने मोतियाबिंद का बिना सर्जरी वाला सस्ता इलाज खोज लिया है। दरअसल, पंजाब के इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने मोतियाबिंद के इलाज के लिए एस्प्रिन से नैनोरॉड (अतिसूक्ष्म छड़) विकसित की है। संस्थान ने कहा कि यह मोतियाबिंद का बिना सर्जरी वाला बेहद सस्ता तरीका है।

Q)मोतियाबिंद के ऑपरेशन में खर्च कितना आता है?
Ans :– हरेक जगह अलग अलग खर्च होता है सरकारी एवं प्राइवेट देनों स्तर पर ही अस्पतालों की रेटिंग इसके आधार पर की जा रही है। मोतियाबिंद के अलग-अलग स्थिति के ऑपरेशन के लिए पांच हजार रुपये से लेकर साढ़े दस हजार रुपये तक का पैकेज है। इसमें फेको विधि से ऑपरेशन में 7500 रुपये का पैकेज है। काला मोतियाबिंद के ऑपरेशन का पैकेज 10500 रुपये का है।

Q) आंखों के लेंस की कीमत क्या है?
Ans :– मोतियाबिंद के बाद आंख में लगाए जाने वाले लेंस की कीमत पर भी कोई नियंत्रण नहीं है। 600 से लेकर एक लाख तक का लेंस बाजार में उपलब्ध है।

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