Sinusitis (साइनोसाइटिस) के कारण, लक्षण, इलाज और परमानेंट इलाज?

Sinusitis (साइनोसाइटिस) के कारण, लक्षण, इलाज और परमानेंट इलाज?
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Sinusitis के बारे में

Sinusitis बता दे सर्दी लगना और सिर दर्द वैसे तो नॉर्मल बीमारी है जो की हम सभी जानते है, लेकिन यही नॉर्मल बीमारी कई बार किसी खतरनाक बीमारी को उत्पन्न कर सकते है। वैसे ही इनमें से एक है साइनसाइटिस, जिसको एक खतरनाक बीमारी की गिनती में रखा जाता है।

Sinusitis क्या है?

Sinusitis एयर से भरी छोटी-छोटी खोखली कैविटी रूपी स्ट्रैक्चर हैं जो नाक के चारों तरफ, chik और सिर की हड्डी के पीछे तथा आँखों के बीच के भाग में पैदा होने लगती है। जैसे दोनो तरफ के फेस की हड्डी में मैक्सिलेरी (maxileri) साइनस, नाक के ऊपर माथे में फ्रंटल (frontal) साइनस, आँखो के पास एथमोइड (ethmoid) साइनस तथा पिछले हिस्से में बीचों बीच ब्रेन से सटा स्फेनॉइड (sfenoid) साइनस। ये सभी साइनस के प्रकार है। तो चलिए अब समझ लेते हैं साइनसाइटिस क्या है,

साइनसाइटिस क्या है?

Sinusitis में होने वाली सूजन को साइनसाइटिस कहा जाता है। बता दे यह किसी संक्रमण के कारण होती है। जिसमे आप सिर दर्द या चेहरे में दर्द और नाक बंद होने का एहसास कर सकते हैं। कई बार इसमें नाक से अलग अलग पदार्थ बहने लगता है। अंत में दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि इन सारी समस्या से पीड़ित व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के साइनसाइटिस से प्रभावित है।

बता दे आपको साइनसाइटिस नॉर्मली सर्दी-जुकाम के टाइप में शुरू होता है, और फिर एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन यानी जीवाणु संक्रमण, वायरल इन्फेक्शन यानी विषाणु संक्रमण या फंगल इन्फेक्शन यानी कवक संक्रमण के रूप में पूरी तरह से डेवलपमेंट हो जाता है।

साथ ही अगर यह बीमारी तीन से आठ सप्ताह के बीच रहने पर “एक्यूट” साइनसाइटिस कहलाती है और आठ सप्ताह से अधिक रहने पर “क्रॉनिक” साइनसाइटिस कहलाती है। और हर साल प्रत्येक दस में तीन व्यक्ति यानी 30प्रतिशत इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं।

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साइनस के प्रकार । Types of Sinusitis in Hindi

साइनसाइटिस और Sinusitis संक्रमण के प्रकार

वैसे तो साइनसाइटिस को कई प्रकार से डिवाइड किया गयाहै, जिसमें संक्रमण रहने की समयावधि(तीव्र, कम तीव्र या लंबे समय से), सूजन (संक्रामक या असंक्रामक) आदि मिला हुआ हैं –

  1. तीव्र साइनस संक्रमण (Acute sinus infection) कम समय तक रहने वाला – मुख्य रूप से बॉडी में इसका इन्फेक्शन 30 दिन से कम टाइम तक ही रहता है।
  2. कम तीव्र साइनस संक्रमण (Sub acute sinus infection) – यह इन्फेक्शन one मंथ से ज्यादा समय तक स्थिर रह सकता है लेकिन 3 महीने से ज्यादा नहीं हो पाता है।
  3. क्रॉनिक साइनस संक्रमण (Chronic sinus infection) यानी लंबे समय तक रहने वाला – यह बॉडी में 3 महीने से भी लंबे समय तक रुका रह सकता है। क्रॉनिक साइनसाइटिस आगे उप वर्गीकृत भी हो सकता है, जैसे क्रॉनिक साइनसाइटिस नाक में कणों (polyps) के साथ या उनके बिना भी हो सकता है।
  4. एलर्जिक फंगल साइनसाइटिस (Recurrent Sinusitis) यानी बार-बार होने वाला संक्रमण – यह तब इन्फेक्शन होता है जब किसी व्यक्ति पर प्रतिवर्ष कई बार इन्फेक्शन का प्रभाव होता है।

असंक्रामक साइनसाइटिस जलन और एलर्जी के कारण से होता है, जो तीव्र, कम तीव्र और क्रॉनिक साइनस इन्फेक्शन को सामान्य साइनस संक्रमण के रूप में पालन करता है।

साइनसाइटिस के कारण । Sinusitis Causes in Hindi

साइनस क्यों होता है?

साइनसाइटिस कई कारणों की वजह से हो सकता है। लेकिन इसका मेन कारण है साइनस में लिक्विड पदार्थ का स्टोर हो जाना, जिसमें बीमारी शुरू हो जाते हैं।

  • वायरस – वयस्कों में अधिकतर साइनसाइटिस संक्रमण किसी वायरस की कारण से ही होता है।
  • बैक्टीरिया प्रदूषण – रसायन और प्रदूषण की वजह से बलगम बढ़ता है।
  • कवक (फंगस) – यह एयर में कवक से साइनस में एलर्जी होती है या ये कवक साइनस में घुस कर साइनसाइटिस की कारण बन जाता है।
  • कुछ अन्य मेडिकल स्थिति – सिस्टिक फाइब्रोसिस, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी (गर्ड, जिसका कम गंभीर रूप होती है एसिडिटी), एचआईवी और इम्युनिटी कमजोर होने की कारण से आपकी नोज बंद हो जाती है।

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साइनस होने का जोखिम किन वजह से बढ़ता है –

निम्न लोगों में साइनसाइटिस होने का परेशानी अधिक होता है –

  • जिन लोगों के सांस नली में पहले कभी इन्फेक्शन हो चुका है जैसे जुकाम आदि।
  • जिनकी नाक में जीवाणु पैदा हो गए हों, जिससे नाक की नली में स्वेलिंग आ जाती है।
  • जिनको किसी बीमारी की कारण से या किसी बीमरी की ट्रीटमेंट के कारण से रोग इम्यूनिटी पावर कमजोर हो गयी हो।
  • जिनको टीबी हो, या इसके और क्रोनिक साइनसाइटिस होने के बीच में रिलेटेबल होता है।
  • जिन्हे धूल, पराग और जानवरों के बाल आदि से एलर्जी होता हो।
  • जिनकी नाक की अंदरूनी निर्माण ठीक न हो। नाक में उपस्थित सेप्टम जो एक प्रकार की हड्डी है, वो आपके नाक में उपस्थित होती है। सेप्टम हड्डी नाक को दो भागों में अलग करती है। अगर किसी चोट की कारण से या नेचुरली रूप से सेप्टम एक तरफ ज्यादा मुड़ जाती है, तो साइनसाइटिस या अन्य इन्फेक्शन का समस्या बढ़ जाता है।
  • जो लोग स्मोकिंग करते हैं उनके वजह से जोखिम की समस्या बढ़ती है।
  • दांत में इन्फेक्शन होने से साइनस इन्फेक्शन का समस्या बढ़ जाता है।

साइनस के लक्षण । Sinusitis Symptoms in Hindi

साइनसाइटिस के लक्षण क्या होते हैं

  • नाक बहना या पोस्ट नेजल ड्रिप यानी अधिक बलगम बनने के कारण उसके नाक की नली से गले में बह जाना।
  • नाक बंद होना जिसकी वजह से नाक से सांस लेने में दिक्कत होना।
  • आंख, नाक, गाल और सिर के एरिया में स्वेलिंग यानी सूजन और दर्द एहसास होना।
  • गंध और टेस्ट की ऑब्जर्व करने की क्षमता कम होना।इन सब के आलावा साइनस के और भी सिंपटम्स शामिल हो सकता है।
  • Sinusitis के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिनमें निम्म लक्षण मिला हैं –
  • कान दर्द होना।
  • ऊपरी जबड़े और दांतों में दर्द महसूस होना।
  • रात में खांसी अधिक बढ़ जाना।
  • जी मिचलाना।
  • गले में खराश होना ।
  • मुँह से बदबू आना।
  • थकान या चिड़चिड़ापन महसूस होना।
  • क्रोनिक साइनसाइटिस और एक्यूट साइनसाइटिस के सिंपटम्स और इंडिकेशन बराबर होते हैं। परंतु एक्यूट साइनसाइटिस कम समय के लिए होता है और यह जुकाम से तक ही जुड़ा होता है। दूसरी ओर क्रोनिक साइनसाइटिस के सिम्पटम्स और इंडिकेशन अधिक टाइम के लिए होते हैं और जिसकी कारण से आप अक्सर अधिक थकान फील करते हैं। बुखार क्रोनिक साइनसाइटिस का नॉर्मल इंडिकेशन नहीं है, लेकिन फिर भी एक्यूट साइनसाइटिस में बुखार हो सकता है।

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए ?
  • आपको एक्यूट साइनसाइटिस कई बार हो चुका है और ट्रीटमेंट करने पर भी ठीक नहीं हो रहा है।
  • साइनसाइटिस के सिम्पटम्स सात दिन से अधिक चल रहे हों।
  • डॉक्टर को दिखाने के बाद भी लक्षणों में आराम नहीं आता है।

नीचे बताए गए लक्षण अगर आप मससूस करते हैं तो डॉक्टर से तुरंत एडवाइस लें। यह लक्षण गंभीर संक्रमण के इंडिकेशन हो सकते हैं –

  • तेज बुखार।
  • एक चीज दो बार दिखाई देना या देखने में और परेशानी गर्दन में अकड़न।
  • आखों के आसपास स्किन का लाल पड़ जाना और सूजन
  • सिर में बहुत अधिक दर्द महूसस करना और दवा लेने पर भी ठीक न होना।
  • लगातार उलझन महसूस करना।
साइनस से बचाव । Prevention of Sinusitis in Hindi
  • Sinusitis होने से कैसे बचाव कर सकते हैं।
  • Sinusitis से बचाव करने के लिए सबसे पहले अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव करना है।
  • हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छता बनाये रखें।
  • धूल और कवक जैसे पॉल्यूशन से बचें और अधिक से अधिक स्वच्छ पर्यावरण में रहने की कोशिश करें।
  • ऊपरी सांस नली के इन्फेक्शन से बचें। इसके अलावा जो लोग सर्दी जुकाम से परेशान हो उनके संपर्क में आने से बचे। थोड़ी थोड़ी देर से अपने हाथ साबुन और साफ पानी से धोएं विशेषकर खाना खाने से पहले।
  • अगर आपको कोई ज्ञात एलर्जी है तो उससे बचने की कोशिश करें।
  • स्मोकिंग और गंदे हवा से बचें। क्योंकि तम्बाकू का डक्ट और प्रदूषित वायु आपके फेफड़े और नाक में सूजन पैदा कर सकती है।
Sinusitis Treatment in Hindi
Sinusitis Treatment
साइनस का परिक्षण । Diagnosis of Sinusitis in Hindi

साइनस संक्रमण का जांच कैसे किया जाता है?

Sinusitis संक्रमण का निदान हमेशा पहले मेडिकल की जानकारी और डॉक्टर द्वारा किए गए जांच के बेस पर किया जाता है।

  • Sinusitis का खाली एक्स-रे अध्ययन आशंका हो सकता है। सीटी स्कैन और MRI स्कैन साइनस इन्फेक्शन का इलाज करने की पावर में बहुत सेंसेटिव मशीनें होती हैं, लेकिन ये मशीनें बहुत महंगी होती हैं और अधिकतर अस्पतालों में अवेलेबल नहीं होती। इसीलिए विशेषकर साइनस इन्फेक्शन का शुरुआती निदान और इलाज मेडिकल ज्ञान के आधार पर किया जाता है। इसमें ये सारे अनुभव मिल हो सकते हैं,
  • नाक के मार्ग में swelling आना और लाल हो जाना
    नाक से बलगम या पस निकलना (लक्षणों के रूप से साइनस संक्रमण के जांच के लिए यह सबसे संभावित लक्षण हो सकता है)
  • गाल या माथे की स्किन को छूने पर स्किन में दर्द महसूस होना।
  • आंखों के पास और गालों पर सूजन होना।
  • कभी कभार, प्राइवेट सेल्स के लिए नाक के स्त्राव की निदान की जाती है जो संक्रामक और एलर्जिक साइनसाइटिस के बीच डिफरेंट बताने में हेल्प करती है।
  • कवक संक्रमण यानी फंगल इन्फेक्शन का जांच मुख्य रूप से से बायोप्सी द्वारा किया जाता है। एलर्जिकल फंगल साइनसाइटिस, साइनस कैविटी के फंगल में सूजन उत्पन्न करता है, जिसका जांच सीटी स्कैन और इमेंजिंग टेस्ट के बेस पर या फिर शारीरिक टेस्ट के आधार पर किया जाता है।
  • अगर साइनस संक्रमण के स्टार्टिंग इलाज से ठीक नहीं होता, तो सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन की सहायता से दीप अध्ययन किए जा सकते हैं। वैसे गर्भवती महिलाओं में साइनस के संक्रमण का जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह सी.टी. स्कैन, एमआरआई और राइनोस्कोपी या एंडोस्कोपी की तरह साफ लक्षण नहीं दिखा पाता।
  • एंडोस्कोपी का उपयोग साइनस के जांच सामग्री प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह रिएक्शन नॉर्मल बेहोशी की दवा की सहायता से ऑटोलेरिंगोलोजिस्ट द्वारा की जाती है। कभी कभी मरीज को बेहोशी की दवा देने की need भी पड़ सकती है।

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साइनस का इलाज । Sinusitis Treatment in Hindi

साइनसाइटिस का इलाज क्या है?

बता दे साइनसाइटिस का ट्रीटमेंट मेडिसिन और कई घरेलू नुस्खों की सहायता से किया जा सकता है, जैसे चेहरे पर गर्म पानी की भाप को लेना। इसके अलावा भी साइनसाइटिस के उपचार के कुछ निम्न हैं:

  • बार बार बलगम को निकालनें की कोशिश करना ।
  • Sinusitis की सूजन यानी फूला हुआ कम करना।
  • दर्द और प्रेशर को कम करना।
  • किसी तरह के इन्फेक्शन का जल्दीबाजी ट्रीटमेंट करवा लेना।
  • किसी प्रकार के टिश्यू या निशान को बनने से बचाव, और नाक तथा साइनस की लेयर को अन्य नष्ट होने से बचाएं।
  • क्रॉनिक या तीव्र साइनसाइटिस का ट्रीटमेंट करवाने से पहले एंटीबायोटिक्स या घरेलू उपाय की सहायता से रोगी थोड़ा हेल्थ महसूस कर सकता है। मगर कई बार इसके कारण लक्षण अधिक खतरनाक हो सकते हैं ।
साइनसाइटिस में एंटीबायोटिक्स का उपयोग
  • एक्यूट साइनसाइटिस – एक्यूट साइनसाइटिस से ग्रसित हर दूसरा से तीसरा व्यक्ति बिना एंटीबायोटिक्स की सहयता से काफी सुधार ला सकता है। Sinusitis संक्रमण विशेष तौर पर वायरल संक्रमण के कारण होता है जिस पर एंटीबायोटिक्स प्रभाव नहीं डाल पाती।
  • क्रॉनिक साइनसाइटिस – इसका उपचार काफी मुश्किल होता है और एंटिबायोटिक्स का भी असर धीरे धीरे होता है।
  • एंटीबायोटिक थेरेपी मुख्य रूप से क्रॉनिक साइनसाइटिस के लिए उपयोग की जाती है । इसमें ट्रीटमेंट के लंबे कोर्स की सहायता पड़ती है। और ऐसी अवस्था में मरीज को एक से ज्यादा एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत पड़ सकती है। इलाज के दौरान कोर्टिकोस्टेरॉइड नेजल स्प्रे की सहायता से नाक के वायुमार्ग की लेयर से सूजन को कम किया जा सकता है।
FAQ : साइनोसाइटिस से जुड़े सवाल और जवाब

Q) अगर साइनस इंफेक्शन है। नाक हमेशा भरी और बहती रहती है और नाक और कान में दर्द भी होता है। इसके लिए कौन सी दावा ले?

Ans– आप साइनोसाइटिस के लिए टैबलेट Amoxicillin एक दिन में तीन टाइम 5 दिन के लिए लें। इसी के साथ टैबलेट Sinarest दिन में 2 बार 3 दिन तक लें। अगर दवा लेने के बाद भी आपको यह समस्या रहती है तो आगे की जांच के लिए आप ईएनटी स्पेशलिस्ट से मिलें।

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