Irritable Bowel Syndrome | इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या है इसके कारण, लक्षण, बचाव और दवाएं ?

Irritable Bowel Syndrome | इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या है इसके कारण, लक्षण, बचाव और दवाएं ?
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What is irritable bowel syndrome in Hindi? | इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या हैं?

Irritable Bowel Syndrome एक समान्य बीमारी है, IBS बड़ी आंत को प्रभावित करती है। इस बीमारी से ग्रस्त लोग को पेट में दर्द एवं मरोड़ होना, सूजन, कब्ज , गैस और डायरिया होना यह सब समस्य का सामना करना पड़ता है। यदि आप लम्बे समय से इस बीमारी को अनदेखा कर रहे हैं तो आंत भी क्षतिग्रस्त हो सकती है।

यह एक अत्यंत दिमाग को उलझन में डालने वाला रोग है, जिसमे डॉक्टर और रोगी दोनों ही चक्कर में पड़े रहते हैं। इस रोग में रोगी के पेट में भारीपन होता है अथवा दर्द होता है तथा रोगी की आंतों की गति में परिवर्तन आ जाता है। रोगी के मल के साथ काफी मात्रा में श्लेषमा निकलती है। रोगी को कई कई दिनों तक कब्ज रहता है। तथा कभी कभी दस्त हो जाते हैं। यह दस्त बहुत पतले नहीं होते है। कभी कभी रोगी के पेट में ऐठन भी होती है। यह स्वयं में कोई रोग नहीं होता है, but आंतों में परिवर्तन आने के कारण यह कंडिशन उत्पन्न होती है। जांच करने पर सही कारणों का पता नहीं चल पाता है। यह रोग लोगो के मन के वृहदांत्र पर प्रभाव पड़ने के कारण होता है।

रोगी विकार ग्रस्त और उदरशुल आंतरिक कार्यों की शिकायत करता है, परंतु कोई दैहिक रोग नहीं पाया जा सकता है। इस रोग को इरिटेबल कोलोन, स्पास्टिक कोलोन, कोलोनिक न्यूरोसिस, mecous कोलाइटिस, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम आदि नामों से भी जाना जाता है।

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम लोगों में दो तरीकों से नजर आ सकते हैं। एक तरफ़ इसके लक्षण इतने हल्का होते हैं की रोगियों को पता भी नहीं चलता है। वहीं दूसरी तरफ़ कुछ ऐसे भी मरीजों होते हैं जिन्हें बहुत-सी शारीरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है।

हालाकि यह बीमारी इतना भी घातक नही है। इसे इलाज द्वारा ठीक किया जा सकता है लेकिन यह निर्भर करता है इस बात पर की आपकी आंत का कौन सा हिस्सा कितना प्रभावित हैं।

हालांकि शुरूआत में खान-पान, जीवनशैली में बदलाव करके इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। जिसके बारे में आगे बात करेंगे।

Causes of Irritable Bowel Syndrome | irritable bowel syndrome causes । इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्यों होता है?

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम होने के निम्न कारण हो सकते हैं

Irritable Bowel Syndrome के स्पष्ट कारण का अभी तक नहीं पता चला है, लेकिन कई कारक इसमें अपनी भूमिका निभाते हैं :–

  • आंतों में गंभीर रूप से किसी तरह के इंफेक्शन होने से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम हो सकता है ।
  • पाचन तंत्र की नसों में असामान्यताएं होने के कारण इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम हो सकता है ।
  • आंतों की लेयर पर मांसपेशियों की परतें रोयेंदार होती हैं, जो एक नियमित लय में फैलती और सिकुड़ती हैं कहे तो dilation and compression है तथा भोजन को आपके पेट से आंत नली के माध्यम से मलाशय में ले जाती हैं, जिससे पाचन क्रिया पूरी होती है। तो, आंतों के मांसपेशियों में संकुचन होना से भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम हो सकता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से ग्रसित हैं, तो यह संकुचन सामान्य से अधिक तेज और अधिक समय के लिए हो सकता है, जिससे गैस, सूजन और दस्त हो सकते हैं। इसके विपरीत कमजोर आंतों का संकुचन भोजन मार्ग को धीमा कर देता है और ठोस, शुष्क मल का कारण बनता है।
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र संबधी) :– तंत्रिका तंत्र अर्थात नर्वस सिस्टम की असामान्यताओं के कारण पेट में गैस या कब्ज हो सकता है, जिसके फलस्वरूप सामान्य से अधिक परेशानी महसूस कर सकते हैं। मस्तिष्क और आंतों के बीच खराब तालमेल होने के कारण शरीर उन परिवर्तनों के प्रति अनावश्यक प्रतिक्रिया कर सकता है, जो पाचन प्रक्रिया में सामान्यतः होते हैं। यह अनावश्यक प्रतिक्रिया दर्द, दस्त या कब्ज उत्पन्न कर सकती है। यह रोग अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न तरीके से सक्रिय होता है। इसके लक्षणों को सक्रिय करने वाले कारकों में शामिल हैं
  • खाद्य पदार्थ:– इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम में खाद्य पदार्थों से एलर्जी की भूमिका अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन कई लोगों द्वारा कुछ चीज़ें खाने से उनमें अधिक गंभीर लक्षण हो जाते हैं। एलर्जी उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों की एक श्रृंखला की ओर संकेत किया गया है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं – चॉकलेट, मसाले, वसा, फल, सेम की फली, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, दूध, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ और अल्कोहल।
  • तनाव:– आईबीएस से ग्रसित अधिकांश लोग यह अनुभव करते हैं कि अधिक तनाव के दौरान उनके संकेत और लक्षण निरंतर गंभीर हो जाते हैं, तनाव लक्षणों को गम्भीर रूप से बढ़ा सकता है, लेकिन उन्हें यह उत्पन्न नहीं करता है।
  • हार्मोन:– महिलाओं को आईबीएस होने की दोगुनी संभावना है, इसलिए इस स्थिति में हार्मोनल बदलाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई महिलाओं ने पाया है कि माहवारी के दौरान या उसके आसपास ये संकेत और लक्षण अधिक खराब हो जाते हैं।
  • अन्य बीमारियां:– कभी-कभी अन्य बीमारी, जैसे कि संक्रामक दस्त (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) या आंतों में बहुत से जीवाणुओं की उपस्थिति का Acute episode आईबीएस को एक्टिव कर सकता है।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का खतरा कब बढ़ जाता है?

बहुत से लोगों में Irritable Bowel Syndrome के संकेत और लक्षण कभी-कभी दिखाई देते हैं। आपको आईबीएस होने की अधिक संभावना है, यदि आप –

युवा में :- आईबीएस 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों में उत्पन्न हो सकता है।

महिला में :- पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस इस स्थिति की संभावना लगभग दोगुनी होती है।

आईबीएस का पारिवारिक इतिहास: फेमिली हिस्ट्री से पता चलता है कि जिन लोगों के परिवार के सदस्य आईबीएस से ग्रसित हैं, उन्हें इस बीमारी का अधिक खतरा हो सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्या :- चिंता, अवसाद यानी डिप्रेशन, व्यक्तित्व विकार और बचपन में हुए यौन शोषण का इतिहास इसका जोखिम कारक हैं। महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा भी एक खतरा हो सकता है।

Irritable Bowel Syndrome जोखिम पर पारिवारिक इतिहास का प्रभाव जीन यानी क्रोमोसोम और परिवार के परिवेश में साझा किए गए कारकों या दोनों से संबंधित हो सकता है।

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irritable bowel syndrome symptoms | इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण :–

इस रोग के संकेत और लक्षण अधिक रूप से हरेक व्यक्ति में अलग हो सकता है। और अक्सर अन्य बीमारियों के जैसा होते हैं। इसके सबसे सामान्य यानी कॉमन लक्षणों में निम्न शामिल हैं –

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण निम्न हैं-

  • IBS का मुख्य लक्षण पेट मे दर्द होने के साथ साथ ऐंठन, सूजन, फैलावट, विशिष्ट खाद्य पदार्थ खाने के बाद भावनात्मक तनाव, कब्ज या दस्त से दर्द शुरू हो सकता है।

अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • पेट के निचले भाग में बाईं ओर, निरंतर अथवा रूक रूक कर दर्द होता है।
  • मल में बलगम होना ।
  • रोगी को बार बार डकारे आती है ।
  • पेट में दर्द या ऐंठन ।
  • पेट फूला हुआ महसूस होना ।
  • गैस ।
  • दस्त या कब्ज, कभी-कभी कब्ज और दस्त का बारी-बारी से होना ।
  • श्लेष्म युक्त मल ।
  • जीर्ण श्रोणि दर्द।
  • सिर के दर्द।
  • चिंता या अवसाद।
  • निद्रा संबंधी परेशानियां।
  • फाइब्रोमाइल्गिया।

अधिक से अधिक लोगों के लिए आईबीएस यानी Irritable Bowel Syndrome एक लंबे समय तक स्थिति होती है। हालांकि, कई बार ऐसा होता है जब इसके संकेत और लक्षण गंभीर हो जाते हैं, और कई बार ऐसा भी समय आता है जब इसके लक्षणों में सुधार होता है या वे पूरी तरह से गायब हो जाते हैं।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं । इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम होने के किस परिस्थिति में डॉक्टर से दिखाना चाहिए।

यदि आंत की दशा में लगातार परिवर्तन हो या आईबीएस यानी Irritable Bowel Syndrome जैसे कोई अन्य संकेत या लक्षण हों, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ये कोलन कैंसर जैसी अधिक गंभीर स्थिति का संकेत कर सकते हैं।

अधिक गंभीर स्थिति की ओर संकेत करने वाले लक्षणों में शामिल हैं –

  • मलाशय से रक्तस्राव ।
  • पेट दर्द जो रात में बढ़ जाता है या रात में होता है ।
  • वजन घटना ।

डॉक्टर लक्षणों से राहत दिलाने के साथ-साथ पेट की स्थितियों, जैसे – इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज और कोलन कैंसर को दूर करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।क्रोनिक डायरिया जैसी समस्या से उत्पन्न होने वाली जटिलताओं को रोकने में भी मदद कर सकते हैं।

constipation symptoms of IBS

  • कब्ज :– IBS मे दस्त या कब्ज की समस्या होती है जोकि किसी किसी मे कम या फिर ज्यादा हो सकती हैं। कभी कभी दस्त सामान्य और कभी कभी रक्त के साथ होते हैं। जिससे एनीमिया भी हो सकती हैं। हालांकि घरेलू उपचार की मदद से इससे राहत मिल जाता है लेकिन कुछ समय बाद पुनः शुरू हो जाती हैं।
  • भूख ना लगना :– IBS वाले रोगी को कभी कभी जी भी मिचलाने लगता है। और भूख भी कम लगने लगती है।

IBS की समस्या होने पर इस तरह के लक्षण नजर आते हैं भले ही Irritable Bowel Syndrome एक घातक बीमारी नहीं है लोग इसे नजर अंदाज कर देते है। लेकिन करना नहीं चहिए।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का निदान । Diagnosis of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi :–

Irritable Bowel Syndrome की जांच कैसे की जाती है?

Irritable Bowel Syndrome का निदान संपूर्ण चिकित्सकीय इतिहास और शारीरिक परीक्षण पर निर्भर करता है।

निदान करने के लिए मानदंड :- चूंकि, आमतौर पर आईबीएस का निदान करने के लिए कोई बाहरी लक्षण मौजूद नहीं होते हैं। परीक्षण प्रक्रिया की सहायता के लिए शोधकर्ताओं ने आईबीएस और अन्य जठरांत्र संबंधी विकारों (Functional gastrointestinal disorders) के लिए नैदानिक यानी जांच मानदंडों के दो सेट विकसित किए हैं –

रोम मानदंड (Rome criteria) :– इन मानदंडों के अनुसार, डॉक्टर द्वारा इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का निदान करने से पहले आप में कुछ संकेत और लक्षण होने चाहिए। पिछले तीन महीनों में कम से कम हर महीने के तीन दिन पेट दर्द और बेचैनी रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। ये निम्न में से दो या अधिक के साथ जुड़े हुए हैं – मलत्याग में सुधार, मल की बदलती आवृत्ति या मल की स्थिरता (Consistency) में बदलाव।

मैनिंग मापदंड (Manning criteria):– ये मानदंड मलत्याग से होने वाले दर्द से राहत, अधूरे मलत्याग, श्लेष्म युक्त मल और मल स्थिरता में परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इनके अधिक लक्षण मौजूद होने पर आईबीएस की संभावना बढ़ जाती है।

अतिरिक्त परीक्षण

आपके डॉक्टर कई परीक्षणों की सिफारिश कर सकते हैं। इसमें आपकी आंतों द्वारा भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता से संबंधित समस्या या संक्रमण की जांच के लिए मल का अध्ययन शामिल है। आपके लक्षणों के अन्य कारणों को दूर करने के लिए कई परीक्षण किए जा सकते हैं –

मल में आंव की उपस्थिति इस रोग की प्रमुख पहचान है।

इस रोग में रोगी को दस्त दिन के समय होते है, यह निश्चय किया जाता है कि रोगी के आंत में छाले तो नहीं हो गया है।

आंत के अंदर टीबी की सम्भावना को ध्यान में रखते हुए रक्त की ESR नॉर्मल होना इस बात का परिचायक है कि इस रोग की आंत में संक्रमण नहीं है।

इस रोग में रोगी को दस्तों का कष्ट दिन में ही होता है रात में वह आराम से सोता है। यदि रात में भी रोगी को दस्त होते हों, तो इस बात की प्रबल सम्भावना है कि उसकी आंतो में कोई संक्रमण मौजुद है।

रोगियों में हाथ से दबाकर पेट जांच करने पर आंत क्षेत्र में पीड़ा होती है और मल भरा होने पर कठोर मालूम हो सकती है।

  • इमेजिंग परीक्षण
  • फ्लैक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी
  • कोलोनोस्कोपी
  • एक्सरे
  • सीटी स्कैन
  • प्रयोगशाला परीक्षण

लैक्टोज इनटॉलेरेंस परीक्षण :– यह परीक्षण लैक्टोज इनटॉलेरेंस (दूध और दूध से बने उत्पादों को पचाने में असमर्थता) को दूर करने के लिए किया जाता है, क्योंकि इसके लक्षण बहुत कुछ आईबीएस के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं।

श्वास परीक्षण :– यह परीक्षण बैक्टीरिया की अतिवृद्धि (bacterial overgrowth) नामक स्थिति की जांच करने के लिए किया जाता है। इसमें बृहदान्त्र (कोलन) से बैक्टीरिया छोटी आंत में बढ़ते हैं, जिससे सूजन, पेट की तकलीफ और दस्त हो जाते हैं।

रक्त परीक्षण :– इस परीक्षण द्वारा सीलिएक रोग (गेहूं, जौ और राई के प्रोटीन के प्रति संवेदनशीलता) को समाप्त किया जाता है, क्योंकि इसमें आईबीएस जैसे लक्षण होते हैं। (और पढ़ें – ब्लड टेस्ट क्या है)

मल परीक्षण :– यदि आपको लम्बे समय से दस्त की समस्या है, तो डॉक्टर बैक्टीरिया या परजीवी के लिए आपके मल की जांच कर सकते हैं।

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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज | Irritable Bowel Syndrome (IBS) Treatment in Hindi

Irritable Bowel Syndrome का उपचार कैसे होता है?

जैसा की आपको ऊपर पता चल गया Irritable Bowel Syndrome के होने का कारण स्पष्ट नहीं है, इसलिए इसका उपचार इसके लक्षणों से राहत दिलाने के आधार पर किया जाता है । ताकि आप यथासंभव सामान्य जीवन जी सकें।

ज्यादातर मामलों में, तनाव का प्रबंधन करके और आहार व जीवन शैली में परिवर्तन के द्वारा सफलतापूर्वक आईबीएस के हल्के संकेतों और लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके लक्षणों को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से बचें। साथ ही, पर्याप्त व्यायाम करें, अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीएं और पर्याप्त नींद लें।

यदि समस्याएं मध्यम या गंभीर हैं, तो आपको जीवन शैली में बदलाव करने के अतिरिक्त और भी कुछ करने की आवश्यकता हो सकती है। आपके डॉक्टर दवाओं का सुझाव दे सकते हैं।

आहार में परिवर्तन :– पेट में गैस पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें। यदि आपको पेट फूला हुआ महसूस हो रहा है या काफी मात्रा में गैस हो रही है, तो आपके चिकित्सक सुझाव दे सकते हैं कि आप कार्बनयुक्त पेय पदार्थों और कुछ सब्जियों, जैसे – पत्तागोभी, ब्रोकोली व फूलगोभी और कच्चे फलों का सेवन न करें।

रोगी को दूध वा दूध से बने पदार्थ को नहीं दे क्योंकि दूध के सेवन से दस्त लगते है।

ग्लूटेन का सेवन न करें :– शोध से पता चलता है आईबीएस से ग्रसित कुछ लोगों ने दस्त के लक्षणों में सुधार महसूस किया है, जब वे ग्लूटेन (गेहूं, जौ और राई) का सेवन बंद कर देते हैं।

एफओडीएमएपी से दूर रहें :– कुछ लोग कार्बोहाइड्रेट के प्रकार, जैसे – फ्रुक्टोज, फ़्रुक्टैंस, लैक्टोज आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं। आप अपने आईबीएस के लक्षणों से राहत पाने के लिए ऐसे आहार का सेवन करें, जिसमें ये कार्बोहाइड्रेट्स न हों।

फाइबर पूरक :– फाइबर पूरक, जैसे कि इसबगोल या मेथिल सेल्यूलोज (सीट्रसेल) को तरल के साथ लेने से कब्ज को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। फाइबर पूरक की तुलना में भोजन से प्राप्त फाइबर पेट की सूजन को ज्यादा बढ़ा सकता है।

डायरिया (दस्त) रोधक दवाएं :– ओवर-द-काउंटर दवाएं, जैसे कि लोप्रामाइड (इमोडियम) दस्त को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। कुछ लोगों को पित्त एसिड बाइंडर्स, जैसे – कोलेस्टेरामाइन (प्रीवेलाइट – Prevalite), कोलेस्टीपोल (कोलेस्टाइड) या कोलेसेवेलम – Colesevelam (वेलकोल) दवाओं से फायदा होगा, लेकिन ये पेट में सूजन पैदा कर सकती हैं।

एंटी कोलिनेर्जिक और एन्टीस्पैस्मोडिक दवाएं :– ये दवाएं, जैसे कि हायोसैसिमिन – Hyoscyamine (लेवसिन) और डीसाइक्लोमिन (बेंटिल) दर्दनाक मल त्याग से छुटकारा दिला सकती हैं। हालांकि, इनके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए चिकित्सक की सलाह के बिना इनका उपयोग न करें।

अवसादरोधक दवाएं :– यदि लक्षणों में दर्द या अवसाद शामिल हैं, तो आपके डॉक्टर ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट या सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीप्टेक इन्हीबिटर (एसएसआरआई) की सिफारिश कर सकते हैं। ये दवाएं अवसाद से राहत दिलाने में मदद करती हैं, साथ ही आंतों को नियंत्रित करने वाले न्यूरॉन्स की गतिविधि को रोकती है।

एंटीबायोटिक्स :– कुछ लोग जिनके लक्षण आंतों में बैक्टीरिया की अतिवृद्धि के कारण उत्पन्न होते हैं, उन्हें एंटीबायोटिक उपचार से लाभ हो सकता है। दस्त के लक्षण वाले कुछ लोगों को रिफाक्सीमिन (जिफसान – Xifaxan) से फायदा पहुंचता है, लेकिन इस बारे में अधिक शोध की आवश्यकता है।

रोगी को तला :– भुना भोजन, मिर्च मसाला युक्त एवं चिकनाई युक्त भोजन न खाने का परामर्श दे । क्योंकि इनको खाने से पेट खराब हो सकता है।

यदि अवसाद से ग्रसित हैं या अगर तनाव आपके लक्षणों को गंभीर कर देता है, तो आपको मनोवैज्ञानिक परामर्श से फायदा हो सकता है।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के नुकसान । Irritable Bowel Syndrome (IBS) Complications in Hindi :–

Irritable Bowel Syndrome की जटिलताएं क्या है?

  • Irritable Bowel Syndrome के लक्षण दस्त और कब्ज है, जिनके कारण बवासीर गंभीर रूप से बढ़ सकता है।
  • अगर आप कुछ खाद्य पदार्थों से बचते हैं, तो आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे कुपोषण हो जाता है। जिससे समग्र जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है तथा जीवन में जटिलता उत्पन्न हो जाती है।
  • Irritable Bowel Syndrome के प्रभावों से आप महसूस करते हैं कि आप अपनी जिन्दगी अच्छी तरह से नहीं जी पा रहे हैं, जिससे निराशा या अवसाद डिप्रेशन पैदा हो सकती है।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से बचाव के उपाय । Prevention of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi :–

Irritable Bowel Syndrome से बचाव कैसे होता है?

जैसा कि परेशानी या चिंता के कारण किसी भी व्यक्ति का पाचन खराब हो सकता है, लेकिन अगर आपको Irritable Bowel Syndrome है, तो तनाव से सम्बन्धित समस्याएं और बढ़ सकती है जैसे- पेट दर्द और दस्त अक्सर अधिक गंभीर होते हैं। तनाव को कम करने से लक्षणों को रोकने या कम करने में मदद कर सकता है। कुछ मामलों में, एक मनोचिकित्सक तनाव को कम करने में आपकी सहायता कर सकते हैं। वे देखते हैं कि आप घटनाओं के प्रति क्या प्रतिक्रिया करते हैं और फिर उस प्रतिक्रिया को संशोधित करने या बदलने के लिए आपके साथ काम करते हैं।

  1. विश्राम :– विश्राम शरीर की मांसपेशियों को एक-एक करके शिथिल करने में मदद करते हैं। अपने पैरों की मांसपेशियों को कसने से शुरू करें, फिर धीरे-धीरे तनाव को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करें। अब अपनी पिंडलियों को कसकर रखें और फिर ढ़ीला छोड़ दें। जब तक आपकी आंखों और खोपड़ी सहित शरीर की मांसपेशियां शिथिल नहीं हो जाती, तब तक इस अभ्यास को जारी रखें।
  2. गहरी सांस लेना :– ज्यादातर वयस्क अपनी छाती से सांस लेते हैं। लेकिन जब आप अपने डायाफ्राम से सांस लेते हैं, तो शान्ति का अनुभव करते हैं। डायाफ्राम एक मांसपेशी है, जो आपकी छाती को पेट से अलग करती है। श्वास अंदर लेते वक़्त अपने पेट को फूलने दें। जब आप सांस छोड़ते हैं, तो आपका पेट स्वभाविक रूप से सिकुड़ जाता है। गहरी सांस लेने से आपके पेट की मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे आंत्र गतिविधि (Bowel activity) अधिक सामान्य हो सकती है।
  3. दिमाग को एकाग्र करने करना :– तनाव को कम करने वाली यह तकनीक आपको ध्यान केंद्रित करने और चिंता व व्याकुलता से मुक्त करने में मदद करती है। (और पढ़ें – चिंता दूर करने के घरेलू उपाय)
  4. अन्य तकनीकें :– अपने दैनिक कार्यकलापों में से कम से कम 20 मिनट आप किसी ऐसे काम के लिए निकालें, जिससे आपको शांति मिले जैसे संगीत सुनना, पढ़ना, कंप्यूटर गेम खेलना या गुनगुने पानी में लेटे रहना।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के नॉर्मल दवाई । Irritable Bowel Syndrome (IBS) normal medicine in Hindi :–
  • अगरोल लिक्विड, निर्माता– वॉर्नर।
  • Cremaffin–F.S, निर्माता– अब्बोट।
  • Igol powder, निर्माता– रेप्टाकोस।
  • Netural care powder, निर्माता– डाबर।
  • Supergoal powder, निर्माता – इंफारा इंडिया।

नोट :– उपरोक्त दवा psylliuman, और Ispagulla है। यह पानी को शोषित कर जेलेटिनस पदार्थ तैयार करते हैं इनका उपयोग कब्ज इरिटेबल कोलोन सिंड्रोम में प्रयोग किया जाता है।

सावधानियां :– इन दवा को सुखा न निगला जाए। डिहाइड्रेशन वा स्ट्रक्चर में इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करे।

ऑर्गेनिक इंटेस्टाइनल obstruction में इसका प्रयोग निषेध है।

रोगी को चिंतामुक्त रहने के लिए calm pose, निर्माता– आर. पी. जी. अथवा लोमोफेन टेबलेट, निर्माता– आर. पी. जी. 2–2 गोली 6–6 घंटे के अंतराल पर तब तक देते रहें, जब तक कि दस्त बंद न हो जायें।

रोगी को विशेष निर्देश दे की वह मल त्याग के बाद मल की ओर न देखे अन्यथा, मन में चिंता घर लिए रहेगा।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की बेस्ट दवा । Best Medicines for Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi :–

Irritable Bowel Syndrome के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

  • Medicine Name Pack Size Price (Rs.)
  • Pantocar L – Pantocar L Capsule SR – 200.0
  • Nexpro L –Nexpro L Capsule –236.7
  • Ibscim –Ibscim Tablet– 118.0
  • Levanz– Levanz 25 Mg Tablet –82.0
  • Levazeo– Levazeo 12.5 mg/ml Injection– 161.0
  • Levogastrol– Levogastrol Tablet– 94.8
  • Levogut– Levogut 25 Tablet– 70.0
  • Micropride– Micropride 25 Tablet – 71.0
  • Nexipride– Nexipride 100 Mg– Tablet 190.0

Irritable Bowel Syndrome के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें।

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लिए घरेलू उपचार । Home Remedies for Irritable Bowel Syndrome :–

Irritable Bowel Syndrome रोग अथवा ग्रहणी (IBS) पेट का एक ऐसा रोग है जो जनसंख्या के एक बड़े दर्जे को परेशान करता है। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से Irritable Bowel Syndrome से आराम पाया जा सकता है।

  • छाछ और हींग Irritable Bowel Syndrome से दिलाये राहत :– छाछ में चुटकी भर हींग व जीरा मिलाकर सेवन करें। संग्रहणी या Irritable Bowel Syndrome की गैस में लाभ मिलेगा।
  • काली मिर्च और काला नमक Irritable Bowel Syndrome से दिलाये राहत :– इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से अगर बार-बार परेशान रहते हैं तो कालीमिर्च और काला नमक- दोनों 3–3 ग्राम मट्ठे के साथ लें, इससे जल्दी आराम मिलेगा।
  • इसके अलावा हरड़ का चूर्ण और थोड़ा-सा काला नमक पानी में अच्छी तरह घोलें। फिर इसे सुबह-शाम पिएं। इस योग से कब्जकारी संग्रहणी में लाभ मिलता है।
  • अदरक, तुलसी, कालीमिर्च तथा लौंग का काढ़ा पीने से वातज संग्रहणी के उपद्रव जैसे पेट की गैस, तनाव में लाभ मिलता है।
  • हरड़ की छाल, पीपल, सोंठ और काला नमक-सबको 10–10 ग्राम की मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मट्ठे के साथ सेवन करें। 15 दिनों तक चूर्ण खाने से वातज संग्रहणी में लाभ मिलने लग जाता है।
  • नींबू का मिश्रण Irritable Bowel Syndrome से दिलाये राहत :– 4 ग्राम पिप्पली का सेवन नींबू के रस तथा सेंधा नमक के साथ करें। यह भूख जगाने का उत्तम उपाय होता है।
  • हींग का मिश्रण Irritable Bowel Syndrome से दिलाये राहत :– हींग, अजवायन और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम गरम पानी के साथ भोजन के बाद लें। जीरा, हींग और अजवायन का चूर्ण सब्जियों में डालकर खाने से संग्रहणी रोग के अपचन में आराम मिलता है।
  • सोंठ और मिश्री Irritable Bowel Syndrome से दिलाये राहत :–
    आधा चम्मच सोंठ के चूर्ण में जरा-सी मिश्री मिलाकर सेवन करें। यह संग्रहणी में भूख को जगाने का कार्य करता है।

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