जानिए, पायरिया रोग कैसे होता है? Pyorrhoea के लक्षण, मेडिकल, सर्जिकल ट्रीटमेंट, नुकसान और बचाव के उपाय?

पायरिया रोग कैसे होता है? Pyorrhoea के लक्षण, मेडिकल, सर्जिकल ट्रीटमेंट,
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Pyorrhoea in hindi | पायरिया रोग क्या है?

Pyorrhoea रोग को शीताद, दांतना , परिदर, एवं पूयस्राव, पीव का बहना, मसूड़ों से पीव बहना आदि नामों से भी जाना जाता है। Pyorrhoea दांतो का सबसे घातक रोग है। इसकी समुचित चिकत्सा व्यवस्था में बिलंब करने से पाचन क्रिया की विकृति के साथ ही अन्य अनेकों रोग भी लग जाते है। यह कहना उचित नहीं होगा की Pyorrhoea से पीड़ित रोगी को प्रायः पूरा स्वास्थ्य ही खराब हो जाता है। रोग के स्टार्टिंग में तो रोगी को कुछ पता ही नहीं चलता है कि उसके मसूड़े में पायरिया के रोगाणु प्रवेश कर चुके हैं । पायरिया से एक ओर रोगी के मसूड़े कमजोर हो जाते हैं तो दूसरे ओर दांत भी पूर्णरूपेण जर्जर हो जाते हैं । यह रोग अत्यंत मंद गति से बढ़कर कई वर्षो में पूर्ण विकास को प्राप्त होता है। इस रोग से रोगी के दांत बहुत ही जल्द नष्ट हो जाते हैं। इस रोग के होने पर रोगी को कभी किसी दांत में दर्द होता है,तो कभी किसी दाढ़ में दर्द होता है कभी मसूड़ों में तो कभी संपूर्ण जबड़ा ही दर्द करने लगता है तथा कभी कभी रोगी के जबड़ों से bleeding होने लगता है। 

pyorrhea causes in Hindi। पायरिया के कारण :–

पायरिया होने का मुख्य कारण क्या है?

पायरिया रोग के मुख्य कारण निम्न है:–

  • इस रोग का मुख्य कारण बैक्टीरिया है।
  • कब्ज रहना
  • पेट में गैस बनना
  •  हमेशा मिठ्ठे पदार्थ को खाते रहना।
  • मसूड़ों का सूजन
  • रात के समय अच्छे तरीके से दांत के सफाई न करना।
  • गरम पेय अथवा भोजन करने के बाद तुरंत ठंडा जल पीना कुल्ला करना।
  • विटामिन बी कॉम्प्लेक्स एवं विटामिन सी वाले भोजन का सेवन न करना।
  • अत्यधिक गरम चाय , कॉफी का सेवन करना।
  • उचित तरीके से दातून या मंजन ब्रूश से दांतो को साफ नही करना।
  • ओरल कैविटी की साफ स्वच्छता में लापरवाही।
  • दांतो का मैला होना।
  • बर्फ चबाना
  • मधुमेह, पांडु वा यक्ष्मा आदि रोगों से पीड़ित होने पर अत्यधिक दुर्बल होना।
  • स्मोकिंग
  • डायबिटीज

pyorrhea symptoms in Hindi । पायरिया के लक्षण:–

पायरिया के मुख्य लक्षण क्या है ?
पायरिया के मुख्य लक्षण निम्न है:–

  • पेट में गुड़गुड़ाहट , हाथ–पैर की संधियों यानी जोड़ो में दर्द वा शोध ।
  • आमाशय वा पकवाश्य में सूजन तथा व्रण ।
  • दांत साफ करने के समय मसूड़ों से रक्तस्राव होने लग जाना तथा कभी कभी मवाद भी आना ।
  • मसूड़ों में सिकुड़न होने से दांत नंगे हो जाना ।
  • मुख से दुर्गंध आना ।
  • जीभ पर पपड़ी सदृश जमना ।
  • दांत में दर्द और कनकनी होने के कारण भोजन से अरुचि ।
  • मसूड़ों का फूल जाना, मसूड़ों का पीला होना तथा उसको दबाने में पस वा ब्लड निकलना ।
  • भोजन चबाने में कष्ट ।
  • दांतो तथा gums के बीच डीप pockets का पाया जाना ।

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पायरिया के बारे में कुछ विशेष नोट:–

  1.  याद रहे की Pyorrhoea धीरे धीरे बढ़ती है पायरिया फर्स्ट stage में मसूड़े फूल जाते है जिसे Gingivitis कहते हैं। इसमें पहले मसूड़े मुलायम पड़ती है, फिर उसमे जलन होती है और मुंह से ब्लड आने लगता है।ऐसा बैक्टीरिया के कारण संक्रमण फैलने से दांत की जड़ कमजोर पड़ जाती हैं। और वह हिलने लगती है तथा उचित चिकित्सा के आभाव में दांत टूट जाती है।
  2.  पायरिया रोग अत्यंत हठीला रोग है जो जिस प्रकार धीरे धीरे होती है उसी प्रकार पूरा ठीक होने में भी बहुत समय लगता है रोगी के दांतो के सफाई एवं उपचार के बाद भी यदि रोगी माउथ वॉश का प्रयोग न करें, तो रोग दुबारा भी उग्र रूप धारण कर लेता है।
  3.  पायरिया रोग को जड़ मूल से खत्म करने के लिए लगातार 3 महीने तक औषधि सेवन करने के बाद एक महीने के अंतराल में पुनः तीन महीने तक क्रम दोहराया जाता है। सोने के समय पेस्ट मसूड़ों पर पेस्ट लगाएं, कुल्ला न करे । रोगी को टेट्रासैकलिन, कैपसूल 500 mg+ सेप्ट्रॉन tablet एक एक मिलाकर दिन में 2 बार सुबह शाम सेवन करें।

पायरिया के विभिन्न अवस्थाएं :–

1. प्रथमावस्था– इस अवस्था में रोगी के मसूड़े में हल्का संक्रमण उत्पन्न होता है और कुछ दिनो के बाद इन पर मैल जमा होने लगती है। मसूड़ों को दबाने पर दर्द तथा ब्रुश करने के वक्त bleeding भी होने लगती है। धीरे धीरे दांतो पर मैल की परते जमने लगती है तथा कुछ दिनो के बाद उनके किनारों पर मसूड़ों के साथ मवाद निकलने लगती है। रोगी को हर समय खाना से अरुचि बना रहता ।

2. दुसरावस्था– इस अवस्था में दांतमुल शोध अधिक होता है मसूड़ों के रोग होने से दांतो की शक्ति क्षीण जाती है तथा वे हिलने लगती है। इसे कंडिशन में मसूड़ों से रक्त के साथ मवाद आने लगता है। इस मवाद को पेट में जाने से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है तथा भोजन के समय मवाद मिलकर विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करता है। इस अवस्था में मसूड़ों में सूजन हो जाने से रोगी कुछ खा पी भी नहीं पाता है।

3. तीसरी अवस्था– इस अवस्था में Pyorrhoea अधिक खतरनाक रूप धारण कर लेती है मवाद अधिक मात्रा में उदर में जाने से अनेको उपद्रव उत्पन्न होता है। मवाद को पेट में जाने से अनेक रोग उत्पन्न होने के कारण बनती है । रोगी को पेट, नेत्र रोग, बुखार , संधि संक्रमण आदि रोग होते है। यह अवस्था रोगी के लिए अत्यंत घातक है। अंत में रोगी के मुंह में संक्रमण हो जाता है तथा रोगी की मृत्यु भी संभव है ।

पायरिया का निषेध:–

  • अतिसंवेदिता एवं मसूड़ों से bleeding में प्रयोग निषेध है
  • 3 वर्ष से कम आयु के बच्चो में प्रयोग नहीं करे।
  • कोई उचित एंटीबॉयोटिक औषधि का इंजेक्शन या कैप्सूल के रूप में उचित मात्रा में उचित समय के साथ प्रयोग करें।
  • दांत शल्य चिकित्सा द्वारा मसूड़ों को साफ कराए अवश्यकता अनुसार निकलने वाले दांत को निकलवा दे।
  • रोगी को प्रतिदिन सावधानीपूर्वक दांतों को ब्रश से साफ करे और मसूड़ों को मासाज करे।

pyorrhoea treatment | pyorrhea treatment at home | पायरिया बीमारी का उपचार :-

पायरिया बीमारी के लक्षणों के अनुसार इलाज किस प्रकार से किया जाता है?

• दांतो में ठंडा पानी लगना First Stage :– जीवाणुनाशक मंजन या टूथ पेस्ट से सुबह रात दांतो को पूर्णरूपेण सफाई, जीवाणुनाशक घोल से गरारे तथा मसूड़ों पर दिन में तीन चार बार गम पेस्ट लगाने से आराम मिलती है। और एक माह में रोग मामूली नष्ट हो जाता है । साथ ही मुख द्वारा कोई भी पीड़नाशक टैबलेट लिए जाने वाला सामान्य टैबलेट ( ब्रूफेन टैबलेट ) भी दो से तीन दिन तक रोगी को दे।

Medicated tooth paste in Hindi :-

  • औषधीयुक्त टूथ पेस्ट:–
  • इमोफॉर्म
  • सेंक्वेल
  • Toss
  • Toss k
  • stolin R
  • Senquel F

दांतक्षय second stage:–
जीवाणुनाशक मंजन तथा gum पेंट का प्रयोग करे। गम पेंट का उपयोग दांतो में तीव्र दर्द, मसूड़ों में सूजन, दांत वा मसूड़ों में गरम ठंडा वा तरल या हवा लगने से दर्द , मसूड़ों से मवाद , ब्लीडिंग दांतो की अतिसंवेदित में किया जाता है।
विशेष – अतिसवेदिता एवं तीन वर्ष से कम आयु के बच्चो में निषेध है, औषधि को लंबे समय तक प्रयोग नही करे

  • stolin गम astringent लंबे समय तक प्रयोग नही करे
  • टॉस gum paint
  • सेसोफॉर्म paint
Medical treatment of Pyorrhoea in Hindi । पायरिया का मेडीकल इलाज क्या है?
  • सेलिन टेबलेट (celin) – बड़ो को 500 mg तथा बच्चो को 100 mg की 1 से 2 टेबलेट दिन में दो से तीन बार दे
  • टेरामाइसिन कैपसूल/ इंजेक्शन (terramycin) 500 mg का 1–1 कैपसूल दिन में दो बार प्रातः सायं दे।
  •  सेप्ट्रॉन टैबलेट – दो टेबलेट दिन में दो बार।
  • कैल्शियम डी टेबलेट– एक एक टेबलेट दिन में तीन बार
  • ciplox tablet – संक्रमण से उत्पन्न Pyorrhoea में एक एक tablet दिन में दो बार भोजन के बाद।
  • Megapan कैपसूल –250 से 500 mg एक एक कैपसूल दिन में तीन बार दे।
  • Campicillin कैपसूल, इंजेक्शन वा dry सिरप– बच्चो के लिए 100 से 200 mg तक आयु + शरीर के वजन के हिसाब से दे ।
  • Novaclox – एक एक कैपसूल प्रत्येक 6 घंटो की अंतराल में। बच्चो के लिए 1/4 से 1/2 कैपसूल दे।
  • फोटीफाइड प्रोकेन पेनिसिलिन इंजेक्शन – चार लाख I.U का इंजेक्शन प्रतिदिन मांस में लगाए।
  • ampoxin इंजेक्शन– 500 mg से 1gm vial का रोगी के नितंब के गहरे मांस में अथवा शिरा में प्रतिदिन इंजेक्शन लगवाएं।
  • सबसे पहले रोगी के दांतो के ऊपर जमे पपड़ी की सफाई करे।
  • मवाद की थैलियों को भरने से रोकने के लिए नीचे लिखे किसी एक माउथ वॉश से मुंह को साफ करे अथवा रोगी को गरारे कराए।
  •  Dettolin mouth wash निर्माता– रैकिट्स बैंकिशर।
  • Listerin mouth wash निर्माता– पार्क डेविस।
  • Coolmint Listerine mouth wash निर्माता–पी डी।
  • Wokadine gargle mouth wash निर्माता– वाकहार्ट्स।।

Pyorrhoea surgical treatment | पायरिया का सर्जिकल इलाज :–

  • Tooth extraction
  • root canal therapy

इसे भी पढ़ें :– A to z tablet के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ।

Mouth wash क्या है और कैसे करते है?

माउथ वॉश का उपयोग मुख के अल्सर, ओरल थ्रश, शल्यक्रिया से पहले मुख साफ करने में , गले में घाव, ओरल रिंज, दांत के चारो और दर्द, मसूड़ों में दर्द, मसूड़ों में सूजन, तथा संक्रमण कैंसर वा मधुमेह रोग में मुख साफ करने में, हेलिटोसिस तथा रेडियोथेरेपी के कारण उत्पन्न म्यूकोसा के अल्सर में किया जाता है। माउथ वॉश एक प्रकार का रोगाणुरोधक गड़ाडे है। तथा कुछ माउथ वॉश औषधि में पीड़ाहारी औषधि भी है यह मुख की गंदगी साफ करती हैं।यह liquid, solution, mouth पेंट, माउथ स्प्रे, जैल या ट्यूब के रूप में विभिन्न पेंटेट व्यवसायिक नामों से बाजार में मिलती है।

Dose of Pyorrhoea in Hindi। पायरिया बीमारी में दवा की मात्रा :–

व्यस्को के लिए दस से पन्द्रह ml लिक्विड से, ओरल रिन्ज अथवा गरारे दो से तीन बार प्रतिदिन दो से तीन दिन तक अथवा चिकित्सक के अनुसार। माउथ स्प्रे तीन बार भोजन के बाद । जैल प्रभावित स्थान पर चार से छह बार daily लगाएं। Mouth पेंट daily प्रभावित स्थान पर तीन से चार बार जरूरत के अनुसार दो से तीन सप्ताह लगाएं ।

Pyorrhoea के घरेलू उपचार क्या है?
  • हल्दी–हल्दी आयुर्वेद में लंबे समय से इस्तेमाल होने वाला बोहत उपयोगी घरेलू उपाय माना जाता है , हल्दी में curcumin नामक एक यौगिक होता है जिसमे एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते है हल्दी ब्रेन स्वास्थ को बढ़ावा देती है साथ ही बैक्टिरियल , वायरल इन्फेक्शन को रोकने में प्रतिरक्षा तंत्र बढ़ाने में मदद करता है। इसके लिए एक कटोरा में हल्दी और सरसो तेल का पेस्ट बनाकर दो से तीन बार मसूड़ों पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करे । इसके बाद गुनगुने पानी से कुल्ला करे।
  • नीम – नीम में कई तरह के औषधीय गुण पाया जाता है इसलिए नीम के पत्तो को पीसकर रस निकाले और मसूड़ों में 10 से 15 मिनट लगाकर रखे बाद में गुनगुने पानी से कुल्ला करें और Pyorrhoea से मुक्त रहे।
  • अमरूद के पत्ता – Pyorrhoea की समस्या को कम करने के लिए अमरूद के पत्ता बहुत ही फायदेमंद होता है । यह मसूड़े में सूजन, दर्द वा ब्लीडिंग होने की समस्या से छूटकारा दिलाता है। इसके लिए सबसे पहले अमरूद के पत्ते को धोए फिर इसे अच्छे तरह से चबाते हुए खाएं। इसके बाद ताजे पानी से कुल्ला कर मुंह साफ कर लें। या फिर अमरूद के पत्ते को उबालकर मिश्रण तैयार कर इसे भी कुल्ला कर सकते हैं।
  • फिटकरी – Pyorrhoea में फिटकरी भुनकर पीस लें इसका मंजन Pyorrhoea में लाभप्रद है फिटकरी से पानी का कुल्ला करें।

QNA पायरिया से जुड़े सवाल जवाब:-

Q.) Pyorrhoea कैसे ठीक होगा ?

Ans:– ऊपर के विवरण में देखें ।

Q.) Pyorrhoea के क्या लक्षण है?

Ans:–ऊपर दिए गए हैं।

Q.) Pyorrhoea रोग कैसे होता?

Ans:– poor ओरल hygiene के कारण । इसके cause ऊपर के विवरण में देखें।

इसे भी पढ़ें:डेलीरियम का कारण, लक्षण, जटिलताएं और निदान?

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