anu thailam benefits in hindi : के उपयोग, फायदा और नुकसान संपूर्ण जानकारी

anu thailam benefits in hindi : के उपयोग, फायदा और नुकसान संपूर्ण जानकारी
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Anu Thailam benefits in Hindi

आज के आर्टिकल Anu Thailam benifits in Hindi में हम बात करेंगे की अणु तेल क्या है । अणु तेल कैसे काम करता है । अणु तेल का उपयोग क्या है । अणु तेल का सामान्य dose क्या है । अणु तेल के फायदे, नुकसान और साइड इफेक्ट क्या है इसके आलावा भी आप हमारे आर्टिकल पर बने रहे आपको अणु तेल से जुड़ी हरेक जानकारी मिलेगी।

जब भी कभी किसी प्रकार की नाक में रुकावट जैसी समस्या होती है या फिर उससे संबंधित कोई परेशानी होती है तो ऐसे में डॉक्टर आपको इस से रिलीफ पाने के लिए कई प्रकार की टैबलेट, इंजेक्शन, सिरप, क्रीम,लोशन बैगराह लिखते है जिसमें से एक है Anu Thailam इसका उपयोग विशेष रूप से इन सभी समस्याओं के इलाज करने के लिए इस दवा का उपयोग किया जाता है। जिसके बारे में आज हमलोग डिटेल में जानेंगे।

अणु तेल के बारे में जानकारी

जैसा की आप सभी को पता है कोरोना वायरस के समय से इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए और इससे बचने के लिए लोग अनेक कई तरह की प्रोडक्ट का उपयोग करते हैं। क्योंकि ऐसे स्थिति में अगर लोगों की इम्युनिटी पॉवर (immunity) कमजोर हो जाएगी तो बीमारी का परेशानी बढ़ जाता है। वैसे में अणु तेल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही बुखार, खांसी व सांस के बीमारियां के लिए यह दवा काफी लाभदायक मानी जाती है। अणु तेल जो है उसे नाक में डाला जाता है।और इस तेल को सुबह शाम नाक में डालने से कोरोना वायरस को शरीर के अंदर जाने से रोका जा सकता है।

अगर किसी व्यक्ति को पुराने से पुराना नजला हो तो, उसे भी अणु तेल के उपयोग से ठीक किया जा सकता है। चूंकि अणु तेल का उपयोग खाने से पहले या बाद में कभी भी किया जा सकता है। बता दे अणु तेल का उपयोग बिल्कुल छोटे बच्चों के लिए नहीं करना चाहिए।

बात करे अणु तेल के उपयोग से होने वाले आशंकित कुछ दुष्प्रभाव की तो ओटोटॉक्सिसिटी, जलन, झुनझुनी सनसनी, सुनने में कमी, जलन, दाने और खुजली हो सकते हैं। और इसके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

बात करे गर्भवती महिलाओं के लिए तो अणु तेल दवा का प्रभाव थोड़ा बहुत हो सकता है और स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर भी इस दवा का प्रभाव है जिसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है।इसके अलावा अगर बात करे अणु तेल से जुड़ी चेतावनी कि इसका लिवर, हार्ट और किडनी और अन्य बीमारियां पर क्या असर होता है, इसके बारे में नीचे डिटेल से बताया गया है।

अणु तेल क्या है | What is Anu Thailam in Hindi

anu thailam एक प्रकार का आयुर्वेदिक तेल है, जिसे कई प्रकारके जड़ी-बूटियों के कॉम्बिनेशन से बनाया जाता है। यह सिर, गर्दन, कंधे, आंख, नाक, गले व बालों से जुड़े रोगों को ठीक करने में लाभदायक साबित होता है। यह स्किन की सतह पर भी स्मूथिंग प्रभाव डालता है और ब्रेन के साथ साथ नसों को भी अंदर से आराम देता है। सभी सेंसर ऑर्गन पर बढ़िया तरीके से काम करके अणु तेल राहत और कंफर्ट एहसास कराता है। अणु तेल के उपयोग से आंखों की रोशनी बढ़ती है और यह सूंघने की क्षमता में भी सुधार लाता है।

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अणु तेल की सामग्री यानी घटक। Ingredients or, chemical composition Anu Thailam in Hindi

anu thailam निम्न पदार्थों से मिलकर बना होता है जिसके बारे में नीचे देखते है, वैसे तो अणु तेल में मुख्य रूप से आयुर्वेद के ही कॉम्बिनेशन होता जिससे मिलकर अणु तेल बनाया जाता है जो इस प्रकार है–

  • सफेद चन्दन (Santalum album)
  • अगरू यानी अगर (Aquilaria agallocha)
  • तेज पत्ता (Cinnamomum tamala)
  • दारुहल्दी (Berberis aristata)
  • मधुयष्टि या मुलेठी (Glycyrrhiza Glabra)
  • बला (Sida cordifolia)
  • प्रपौण्डरीक (Nymphaea lotus)
  • इलायची (Elettaria cardamomum)
  • विडंग या बायविडंग (Embelia ribes)
  • बिल्व या बेल (Aegle marmelos)
  • नीलकमल (Nymphaea nouchali)
  • सुगन्धबाला (Valeriana Officinalis)
  • खस (Chrysopogon zizanioides)
  • केवटी मोथा (Cyperus tenuiflours)
  • दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum)
  • नागरमोथा (Cyperus rotundus)
  • सारिवा (Hemidesmus indicus)
  • शालपर्णी (Desmodium gangeticum)
  • जीवन्ती (Leptadenia reticulata)
  • पृश्निपर्णी (Uraria picta)
  • देवदारु (देवदार) (Cedrus deodara)
  • शतावरी (Asparagus racemosus)
  • रेणुका (Vitex agnus-castus)
  • बृहती (Solanum indicum)
  • कंटकारी (Solanum virginianum)
  • कुंदरु (Coccinia grandis)
  • पद्मकेशर (Nelumbo nucifera Gaertn)

अतः ये कुछ घटकों को एक उचित अनुपात में मिलाकर और कई तरह के प्रोसेसिंग के बाद अणु तेल बनाया जाता है।

अणु तेल किस प्रकार काम करता है | How does work Anu Thailam in Hindi

चूंकि anu thailam यह तेल अष्टांग हृदय के अनुसार नाक को सिर का प्रवेश द्वार बताया गया है इसलिए नासिका मार्ग के द्वारा पहुंचाई जाने वाली दवाई सिर तक पहुंचती है और सिर स्थित कुपित दोषों को निकल बाहर करती है।

अणु तेल को सूक्ष्मस्रोतोगामी, सर्वोत्तम गुणावता के रूप में व्याख्या किया गया है। जिसके फलस्वरूप यह सिर क्षेत्र में स्थित सूक्ष्म स्रोतसों मैं पहुंचकर वहां स्थित रुकावट को दूर कर करता है जिससे सम्प्राप्ति टूटना शुरू होता अर्थात रोगों को बढ़ने से रोकता है।

अणु तेल का उपयोग । Anu Thailam Uses In hindi

  • नासा रोग उदाहरण – पीनस (प्रतिश्याय), साइनस (साइनोसाइटिस) और राइनाइटिस खालित्य यानी बालों का झड़ना), पालित्य यानी बालों का असमय सफेद होना।
  • मान्या स्तम्भ यानी गर्दन की जकड़ाहट या टॉर्टिकोलिस, गर्दन से संबंधित एक विकार जिसमें गर्दन में अकड़न होती है और सिर का एक तरफ झुकाव आ जाता है।
    प्रतिश्याय यानी सामान्य सर्दी जुखाम।
  • गंध ज्ञाननाश यानी नाक की सूंघने की शक्ति का कमजोर होना अर्दित जिसे चेहरे का पक्षाघात या लकवा भी कहते हें।
  • शिरशूल यानी सिर में दर्द।
  • कर्ण शूल यानी कान का दर्द।
  • अर्धावभेदक यानी माइग्रेन सिरदर्द।
  • ऊपर व्याख्या इन बीमारियों के अलावा अणु तेल उपयोग कान, नाक और गले की सभी बीमारियों में फायदेमंद बताया गया है। यह त्रिदोष शामक, बृंहण यानी पोषण है तथा इंद्रियों को बल देकर मजबूत करने वाला है।

अणु तेल का लाभ यानी फायदा | Anu Thailam benefits in Hindi

  • हनुसंग्रह यानी जबड़े में अकड़न या जाम होना उसमे लाभ मिलती है।
  • शिरकंप यानी सिर में कंपन होना और तंत्रिका संबंधी लक्षण में हेल्पफुल होती है।
  • पीनस जिसे एलर्जिक रायनाइटिस भी कहते हें उसमे फायदेमंद साबित होती है।
  • अनिंद्रा यानी नींद न आना , तनाव तथा इंद्रिय संज्ञानाश।
  • आवाज की गुणवत्ता और चेहरे की रंगत में सुधार के लिए।
  • नसों मे हो रहे दर्द – अगर किसी को सिर की नसों में दर्द रहता है तो उसे अणु तेल से सिर की मालिश करनी चाहिए। इससे नसों में राहत मिलती है।
  • त्रिदोष को संतुलित करता है – अगर किसी का वात, कफ और पित बिगड़ जाता है तो ऐसे में त्रिदोष को मेंटेनेंस करने के लिए अणु तेल का उपयोग करना चाहिए।
  • नाक की किसी प्रकार की एलर्जी – अणु तेल का उपयोग नाक की एलर्जी को दूर करने के लिए उपयोगी होता है। इस तेल की दो बूंद नाक में डालें, इससे बंद नाक खुल जाती है और आराम मिलता है।
  • इनके अलावा भी अणु तेल का उपयोग किया जाता है लेकिन कोई भी टैबलेट सिरप या दवा, लोशन,क्रीम लेने से पहले डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

अणु तेल के नुकसान । Anu Thailam side effects In Hindi

अणु तेल नाक के उपयोग से जुड़ा अभीतक कोई महत्वपूर्ण ज्ञात प्रतिकूल प्रभाव नहीं है। इसे बिना किसी जटिलता से अच्छी तरह लाभदायक बताया गया है।

नस्य दवा प्रशासन का एक गैर-आक्रामक तथा सुरक्षित तरीका माना जाता है। वैसे नस्य लेने के बाद थोड़ी जलन, जमाव (कफ जमना) और गले में जलन होना अपेक्षित है। ये सामयिक लक्षण हैं और कुछ समय बाद अपने आप ही समाप्त हो जाते हें।

फिर भी इसे एक जानकर चिकित्सक द्वारा प्रशासित किया जाना चाहिए, स्व प्रशासन चाहने वाले लोगों को नस्य का उपयोग करने से पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

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अणु तेल की खुराक | Anu Thailam doses in Hindi

  • अणु तेल का न तो सेवन किया जाता है और न ही इसे टॉपिकल तरीके से लगाने की आदेश दी जाती है। इसे सिर्फ नाक में डाला जाता है, जिसके बारे में सही सलाह डॉक्टर ही दे सकते हैं।
  • 1/2 पल (24 मिली) सप्ताह में तीन बार या 2 बूंद प्रति नासा छिद्र (द्वार) में अथवा आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा निर्देशित मात्रा अनुसार।
  • रेगुलर उपयोग के लिए अनुतेल प्रतिमर्श नस्य की मात्रा – 2 बूंद प्रति नासा छिद्र (द्वार) में।
अणु तेल का उपयोग यानी इस्तेमाल कैसे करे | How to Anu Thailam in Hindi
  • इसे नाक में डालने से पहले रोगी के सिर व चेहरे पर अच्छे से मालिश की जाती है।
  • इसके बाद सिर को पीछे 30 डिग्री एंगल पर लाने के बाद नाक के दोनों छेदों में बूंद-बूंद करके अणु तेल डालने के लिए बोला जाता है।
  • जब तेल को नाक के छेद में डाला जाता है, तो दूसरे छेद को उंगली की मदद से बंद करने और लंबी सांस लेने की आदेश दी जाती है।
  • इस प्रकार से तेल नाक के द्वार होते हुए गले के अंदर म्यूकस तक पहुंच जाता है।
  • फिर कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के लिए कहा जाता है, क्योंकि गले में जमा हुए म्यूकस को बाहर थूका जा सके, क्योंकि यह टॉक्सिक होता है।
  • इसके बाद गले और मुंह को गुनगुने पानी से साफ करने के लिए बोल दी जाती है।

अणु तेल बनाने की विधि | Anu Thailum Method of preparation In Hind

  • उपरोक्त व्याख्या किए गए सभी घटक द्रव्यों को इक्वली मात्रा में लेकर 100 गुना शुद्ध जल में दसवें भाग रह जाने तक उबाला जाता है। इस तरह एक काढ़ा होने के बाद अब तिल के तेल और काढ़े को एक अतिरिक्त बर्तन में लिया जाता है और केवल तेल बचे रहने तक दुबारा उबाला जाता है। और इस पूरे प्रोसेस को 9 बार तक दोहराया जाता है।
  • लास्ट में, बकरी का दूध मिलाया जाता है और पुनः तब-तक उबाला जाता है जब तक कि केवल तेल न बच जाए। इस प्रकार प्राप्त तेल को अणु तेल कहते हें।
अणु तेल से जुड़ी सावधानियां । Anu Thailam Contraindications in Hindi

अणु तेल का उपयोग कब नहीं करना चाहिए?

निम्न में से अगर कोई बीमारी हो तो अणु तेल को न लें क्योंकि इससे आपकी स्थिति और बिगड़ सकती है। अगर आपके डॉक्टर उचित समझें तो आप इन रोग से ग्रसित होने के बावजूद अणु तेल ले सकते हैं –

एलर्जी

इन बीमारियों में अणु तेल का उपयोग नहीं करे अगर आपके डॉक्टर फिर भी इस दवाई को ऑर्डर कर रहे है तो इसका उपयोग डॉक्टर के बताए हुए खुराक के अनुसार ही करे।

अणु तेल की कीमत कितनी होती है?

Anu Thailam कितने प्राइस में कितने ग्राम मिलती है इसके बारे में निम्न है–

  • Anu Thailam 100 ml 175 रुपए में मिलता है अमेजॉन पर।

अणु तेल को स्टोर कैसे करे?

  • अणु तेल दवा को रूम टेम्प्रेचर पर रखें। कमरे के तापमान में (25-30 डिग्री सेल्सियस) दवा को रखने पर इस बात का ध्यान जरूर रखें कि कमरे में अधिक गर्मी न हो। साथ ही दवा को सीधे प्रकाश यानी सनलाइट से बचाएं। अणु तेल को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। साथ ही पालतू जानवर की पहुंच से भी दवा को दूर रखें।

Anu Thailam कितने समय तक इस्तेमाल करना चाहिए?

  • अणु तेल को लंबे समय तक इस्तेमाल से कुछ अन्य दुष्प्रभाव होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप इसका इस्तेमाल अपने डॉक्टर के निर्देशानुसार ही करें।

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FAQ : अणु तेल से जुड़े सवाल और जबाब

Q) अणु तेल नस्य लेने के लिए सही समय?

Ans – चरक संहिता के अनुसार जानकारी दी गई है कि प्रति वर्ष ऋतु तथा काल के अनुसार नस्य कर्म वर्षा ऋतु, शरद ऋतु और वसंत ऋतु में जब आकाश बादलों से साफ हो तब लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त अणु तेल प्रतिमर्श नस्य को एक दिनचार्य यानी दैनिक दिनचर्या के रूप में या किसी भी आयु वर्ग में किसी भी समय लिया जा सकता है।

Q) क्या अणु तेल एलर्जी के लिए अच्छा होता है?

Ans– बता दे अणु तेल मुख्य रूप से नासा मार्ग यानी नाक के रूट पर कार्य करता है और रुकावट को दूर करता है। यह बाहरी संक्रमण को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है और इस प्रकार यह विभिन्न नासा रोगों जैसे- एलर्जिक रायनाइटिस, सामान्य सर्दी जुकाम, साइनस यानी साइनोसाइटिस आदि को दूर करने में मुख्यतः प्रभावी है।

Q) क्या अणु तेल एंग्जायटी के लिए अच्छा है?

Ans– अणु तेल अपने बृंहण यानी बेहद गुण से इंद्रियों को मजबूत करता है, वात यानी दिमाग को शांत करता है जिससे यह वात विकार यानी तंत्रिका संबंधी रोग को दूर करने में प्रत्यक्ष रूप से प्रभावी है। सामान्यीकृत चिंता विकार जनरलाइज्ड एंग्ज़ाइटी डिसॉर्डर पर एक तुलनात्मक नैदानिक अध्ययन के अनुसार, अणु तेल प्रतिमर्श नस्य को दैनिक दिनचर्या यानी प्रतिदिन के रूप में उपयोग करने में अत्यधिक लाभकारी पाया गया है।

निष्कर्ष –

Anu Thailam benifits s in Hindi आर्टिकल में हमने Anu Thailam बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की है जैसे कि Anu Thailam के फायदे, नुकसान, डोज, लाभ,कैसे काम करता है आदि। तो दोस्तो आशा करती हूं कि आपको हमारा Anu Thailam benifits in Hindi आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपके पास इस आर्टिकल से जुड़ी कोई सवाल या जवाब है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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