डिप्थीरिया का लक्षण , कारण, इलाज रोकथाम , बचने का उपाय । डिप्थीरिया डिटेल्स ।।

डिप्थीरिया का लक्षण , कारण, इलाज रोकथाम , बचने का उपाय ।
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डिप्थीरिया ( गलघोंटू ) । डिप्थीरिया हिन्दी में ।।

डिप्थीरिया disease acute infections है ! यदि चिकित्सा न मिले 10 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो जाती है ,जबकि चिकित्सा मिलने वाले रोगियों की मृत्यु दर 5% होती है । कुछ देशों में गलघोटू या डिप्थीरिया पूर्णतः उन्मूलित हो चुका है । उदाहरण – स्वीडन वा डेनमार्क ! अब भी यह रोग भारतवर्ष में कुछ कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी समस्या बना हुआ है , रोग के समय पर पता न चलना इसका मुख्य कारण है ।

डिप्थीरिया परिभाषा हिंदी में ।।

डिप्थीरिया या रोहिणी एक गंभीर संक्रामक बीमारी होता है जो नाक वा गले की म्यूकस मेंब्रेन को प्रभावित करता है यह आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है।

डिप्थीरिया के कारण हिंदी में। 

डिप्थीरिया caused by :–

डिप्थीरिया Agent –
डिप्थीरिया इस ग्राम पॉजिटिव जीवाणु द्वारा एक शक्तिशाली exotoxin की उत्पति की जाती है । मनुष्य में डिप्थीरिया बैसिलस के तीन रूप पाए जाती है ।
1 ) ग्रेविस फॉर्म
2) इंटरमेडियस फॉर्म तथा
3) mitis फॉर्म ।

ये समस्त पैथोजेनिक है परंतु सबसे अधिक भयंकर ग्रेविस है ।

होस्ट –

यह रोग सर्वाधिक pre– school children, 2 से 5 वर्ष के आयु वर्ग को होता है परंतु एडल्ट्स भी एपिडेमिक कंडिशन में इसका शिकार बन जाता है।
जिन शिशुओं की आयु 6 माह से कम होती है , वे इस रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं शिशु को मां से प्राप्त antibodies इसका कारण होता है । कुछ सर्वेक्षण से यह पता चला है कि यह नर शिशुओं में अधिक होता है । तथा female infants में कम होता हैं ।

पर्यावरण कारक –

हर एक मौसम में यह रोग हो सकता है । परंतु सितंबर माह में सर्वाधिक होता है ।
Mode of transmission – droplet infection तथा direct contact से इस रोग का संचार होता है , अधिकतर रोगाणु upper respiratory tract द्वारा ही शरीर में पहुंच सकते हैं । इन जीवाणुओं की ऊष्मा में मृत्यु हो जाती है
Incubation period – इसका इनक्यूबेशन period 2 से 6 दिन का होता है ।

Types of डिप्थीरिया। गलघोटु कितने प्रकार है हिंदी में ।।

गलघोटु 3 तरह के होता है :–1) faucial डिप्थीरिया , 2) nasal डिप्थीरिया, 3) laryngeal डिप्थीरिया

1). फॉशियल  – यह डिप्थीरिया की सर्वाधिक common तथा several प्रकार है

Sign & symptoms :–

onestडिप्थीरिया रोग का गुप्त आरंभ होना ।

* देखने में बच्चा रोगी प्रतीत होता है हल्का ज्वर गले में दर्द वा खराशे भी हो सकती है
* नाड़ी का तेज चलना
* श्वसन में कच्ची शराब भांति गंध आना
* जब गले का परीक्षण किया जाता है तो टॉन्सिल्स पर एक स्लेटी भूरे रंग की एक झिल्ली प्रतीत होता है , soft palate तथा pharynx ( ग्रसनी ) तक आ जाया करती है रोग उतना ही गंभीर होता है , जितना अधिक झिल्ली का विस्तार होता है कभी कभी नेक में टॉन्सिल के बढ़ जानें पर सूजन आ जाया करती तथा इसको bull neck of डिप्थीरिया कहा जाता है।

Diagnosis :–

डायग्नोसिस लक्षण के आधार पर किया जाता है इसके अलावा throat swab से c\s करना चाहिए यह जांच कम से कम 24 घंटों का समय लेती है अतः clinical signs वा symptoms के आधार पर चिकित्सा आरंभ कर दे ।

2) nasal डिप्थीरिया :–

यह अत्यंत माइल्ड होता है । इसमें टॉक्सीमिया बहुत कम होता है ।

Sign & symptoms:–

• नाक तथा ऊपरी होठ की स्किन फटने लगती है
• नाक की examine करने पर membrane ka दिखाई देना

Treatment :–

डिप्थीरिया antitoxin की मात्रा 800 से 1600 यूनिट प्रोवाइड कर चिकित्सा की जा सकती है

3). Laryngeal डिप्थीरिया 

यह ज्यादा common नहीं है । 5वर्ष तक के बच्चे इसका अधिक शिकार बनते है । इसमें membrane vocal cards के भीतर बनती है तथा laryngeal obstruction हो जाया करता है । यह भयंकर अवस्था होती है

Sign & symptoms

* आवाज भारी हो जाती है
* croupy cough , inflammation , spasm , harshness , डीस्पोनिया आदि समूहों में पाया जाता है
* laryngeal obstruction होने पर डीस्पोनिया स्वाभाविक तथा गंभीर होता है
* स्यनोसिस तथा restlessness होता है
* obstruction को ठीक न करने पर रोगी द्वारा gasp किया जाने लगता है तथा हार्ट फेलियर हो जाता है, जिससे मृत्यु तक हो जाती है ।

Diagnosis –

सीक test –  जांच में immunity तथा Hyparsensitivity दोनों को देखा जाता है । इस जांच में एक भुजा में 0.2 ml सीक test toxin intradermally सुई से इंजेक्ट लगाया जाता है उतने ही amount में दूसरे हाथ में inactive करते है । नोट – toxin को गर्म करके inactive करते है । अब 24 से 36 घंटे के बाद सुई के स्थान की जांच की जाती है ।

Negative reaction – दोनो भुजाओं में किसी भी तरह की प्रतिक्रिया न होने पर इसका अर्थ होता है की व्यक्ति डिप्थीरिया के प्रति immune है

Positive reaction – test arm में 10 से 50 mm व्यास की एक गोलाकार लाल रेखा प्रतीत होती है दूसरी भुजा, control arm में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होता है यह टेस्ट का परिणाम संकेत होता है, की व्यक्ति में डिप्थीरिया का संक्रमण है इस रिएक्शन का आरंभ 24 से 36 घंटे के उपरांत होता है तथा 4th se 7th दिन में अपनी अधिकांश सीमा तक पहुंच जाया करती है , तत्पश्चात रिएक्शन का स्थान धीरे धीरे fade होकर ब्राउन रंग का हो जाया करता है तथा त्वचा से स्केल निकल जाता है।

Pseudo positive reaction :–दोनो हाथों में reaction से Red रंग development होने पर जिसकी गोलाई true positive reaction की गोलाई से कम हो, तथा जो रिएक्शन अत्यधिक शीघ्र fade हो जाए , चौथे दिन बिल्कुल गायब हो जाए तो इसकी psedopositive रिएक्शन माना जाता है यह रिएक्शन एलर्जिक टाइप की होती है इसको negative सीक test मानते हैं। सीक टेस्ट के 6 घंटे बाद antitoxin प्रदान करते है ।

The control of डिप्थीरिया । डिप्थीरिया का prevention ।।

1). Causes and carries

A) early detection :– जल्दी ही रोगी को पहचान करने हेतु जितना जल्दी हो सके families तथा स्कूल में जाकर रोग का पता लगाएं । साथ ही रोग के carries का पता लगाएं रोगी को जल्दी पता लगाने हेतु throat swab लेकर c/s जांच करे । इस जांच द्वारा डिप्थीरिया   bacilli के होने का पता लग जाता है ।

B) incubation :–डिप्थीरिया bacilli जिस case तथा carries में पाया जाता हो , उसको पूर्णतः अलग रखना चाहिए तब तक इनका isolation करना चाहिए जब तकb कि इनके throat तथा Nesal दोनो swab से c/s जांच डिप्थीरिया के लिए निगेटिव न हो जाए ।

C) treatment :–

• Cases – डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन द्वारा इस रोग की एकमात्र विशेष चिकित्सा कर सकते है । I/M तथा I/v रोगी को इस एंटीटॉक्सीन की 20000 से 80000 यूनिट्स प्रदान करते हैं रोग की severity पर इसकी मात्रा वा संख्या की निर्भरता होती है । Antitoxin के आलवा डिप्थीरिया injection penicillin I/m 6 hourly अथवा tablet erythromycin orally 6 hourly
• carries – व्यक्ति को primary immunity ka course मिल चुकने पर डिप्थीरिया टॉक्सिड की बूस्टर dose देना चाहिए । प्राइमरी immunization न मिलने वाले रोगियों को 1000 से 2000 यूनिट  antitoxin लगा देना चाहिए । Carries को भी पेनिसिलिन अथवा erythromycin दे !

2). Contact या संपर्क में आने से कैसे बचे :–

रोगी के संपर्क में आने वाले लोगो को प्रतिदिन डिप्थीरिया रोग हेतु observe करना चाहिए । आवश्यकता होने पर shick टेस्ट भी करके देख ले ऐसे लोगो में immunization के संबंध में भी पता लगाए , immunization न होने पर रोगी से संपर्क होने के बाद उसको एक सप्ताह तक अपनी निगरानी में रखना चाहिए तथा रोग को सुनश्चित करना चाहिए।

3). कम्युनिटी यानी समुदाय:–

शिशुकाल तथा बाल्यावस्था में ही active immunization तथा बोस्टर dose लगा देना चाहिए, प्रत्येक 10 साल बाद बूस्टर dose लगाना चाहिए , रेफ्रिजरेटर में 4 से 8 डिग्री सी ताप पर DPT vaccine को स्टोर करें लंबे समय तक वैक्सीन को बाहर room temperature पर रखे जानें पर इसकी potency समाप्त हो जाती है ।

QNA :–

Q1).डिप्थीरिया का हिंदी नाम क्या है?
Ans:–डिप्थीरिया का हिंदी नाम रोहिणी है ।

Q2). डिप्थीरिया कौन सी बीमारी है ?
Ans :– डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग है यह रोग korain bactiriyam डिप्थीरिया के कारण होती है जो main रूप से गले और ऊपरी श्वासनली को संक्रमित करता है कभी कभी टॉन्सिल को प्रभावित करता है।

Q3). डिप्थीरिया रोग से कौन सा अंग प्रभावित होता है ?
Ans :–डिप्थीरिया से श्वसन पथ और त्वचा प्रभावित कर सकता है।

Q4). डिप्थीरिया की खोज किसने की ?
Ans:–डिप्थीरिया की खोज पहली बार 1883 मे एडविन क्लेब्स द्वारा diptheritik membrane में देखा गया था और 1884 में फ्रेडिक लोफलर द्वारा खेती की गई थी ।

5). डिप्थीरिया के लिए कौन सी टीका लगाया जाता है?
Ans:– 10 से 16 साल की उम्र में भी डिप्थीरिया का टीका टिटनेस के साथ लगाया जाना शुरू हो गया है । डिप्थीरिया के लिए TD का टीका लगाया जाता है ।

6).टिटनेस का दूसरा नाम क्या है ?
Ans:– टिटनेस का दूसरा नाम धनुस्तंभ है ।

Q7) टिटनेस किस प्रकार का बीमारी है ?
Ans :–टिटनेस संक्रामक बीमारी है यह रोग मिट्टी में रहनेवाले बैक्टीरिया से घावों के प्रदूषित होने के कारण होती हैं।

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