Anomaly scan in Hindi। क्या होता है एनॉमली स्कैन ? और क्यों जरूरी है ये टेस्ट, सम्पूर्ण जानकारी?

Anomaly scan in Hindi। क्या होता है एनॉमली स्कैन ? और क्यों जरूरी है ये टेस्ट, सम्पूर्ण जानकारी?
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Anomaly scan in Hindi । एनॉमली टेस्ट के बारे में :

Anomaly scan गर्भावस्था (pregnancy) में कराया जाता है। यह एक ऐसा स्कैन है जिसे हर महिला को कराना चाहिए। तो आइए जानते हैं एनॉमली स्कैन या अल्ट्रासाउंड लेवल II के बारे में।

एनॉमली स्कैन को और टारगेट स्कैन ड्यूरिंग प्रेगनेंसी, लेवल 2 अल्ट्रासाउंड इन प्रेगनेंसी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। एनॉमली स्कैन का अर्थ है कि सामान्य या कैजुअल से भटक जाना। इसका उपयोग भ्रूण की विसंगतियों को चेक करने के लिए किया जाता है। ये सोनोलोजिस्ट परफॉर्म करते हैं ताकि पता चले कि बच्चे में कोई असामनात तो नहीं है। वैसे एनॉमली टेस्ट कराना बहुत जरूरी नहीं होता है, इसलिए यदि आप यह स्कैन कराना नहीं चाहती हैं तो कोई बात नही है। लेकिन यदि गर्भ (womb) में पल रहा बच्चा असामान्य (abnormal) है या उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं हो तो आप इसका स्कैन जरूर करवाएं क्योंकि इस स्कैन के माध्यम से यह सभी समस्या को देखा जा सकता है। यही कारण है कि अभी के दौड़ में ज्यादातर महिलाएं एनॉमली टेस्ट कराना पसंद करती हैं।

गर्भावस्था तीन तिमाहियों में विभाजित है और प्रत्येक तिमाही बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। शिशु की वृद्धि ठीक तरीके से हो रही है, यह सुनिश्चित करने के लिए नौ महीने की अवधि में विभिन्न स्कैन और स्वास्थ्य जाँच करवाना आवश्यक होता है। इसी जाँच का एक हिस्सा है एनॉमली स्कैन जो गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में किया जाता है।

स्कैन के दौरान, सोनोग्राफर (वह व्यक्ति जो परीक्षण करता है) बच्चे के अंगों के समग्र विकास और शरीर की संरचना के अच्छे से जाँच करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भ्रूण का विकास सामान्य है।

एनॉमली स्कैन क्या है? | Anomaly Scan :

कहे तो यह स्कैन एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड स्कैन है। इसे मिड प्रेगनेंसी टेस्ट या 20 सप्ताह (20-week) प्रेगनेंसी टेस्ट, साथ एनॉमली स्कैन को टारगेट स्कैन व टिफ्फा (TIFFA) आदि नाम से भी जाना जाता है। एनॉमली स्कैन मुख्य रूप से प्रेगनेंसी के 18 से 21 हफ्तों के बीच में कराया जाता है। इसलिए इसे 20-वीक में स्कैन भी कहा जाता है। गर्भावस्था के 20वें हफ्ते बाद एनॉमली स्कैन में बच्चे के चेहरे, हाथ, हाथ की उंगलियां, पैर और पैरों की उंगलियां, मस्तिष्क, सिर, किडनी, ब्लैडर और चेहरे के विकास को देखा जा सकता है।

इस स्कैन के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि भ्रूण का विकास कैसा हो रहा है। इस स्कैन के जरिए खासकर यह पता लगाया जाता है कि भ्रूण के शरीर का विकास सही हो रहा है या नहीं और उसमें कोई जन्म दोष तो नहीं है। यह एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड है, जिस कारण इसे लेवल 2 अल्ट्रासाउंड भी कहा जाता है।

Anomaly scan क्यों किया जाता है?

जैसा कि हमनें ऊपर में जाने, बच्चे के विकास और हेल्थ कंडिशन को निर्धारित करने के लिए एनॉमली स्कैन किया जाता है। वैसे यह स्कैन करवाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन आपके बच्चे के विकास की जाँच के लिए इसे कराने की सलाह दी जाती है। एनॉमली स्कैन प्रक्रिया को कराने से माता-पिता को गर्भ में अपने बच्चे को देखने का अवसर प्राप्त होता है। साथ ही बच्चे में,

भ्रूण का आकार, विकास और स्वास्थ्य गर्भ में पल रहे शिशु के सभी अंगों,हड्डियां, पेट और पेट के अंदर (abdominal wall) की जांच। गर्भधारण भ्रूण की उम्र। इन सारी चीजों को पता करने के लिए लेवल 2 अल्ट्रासाउंड या कहे तो एनामोली स्कैन किया जाता है।

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एनॉमली स्कैन करवाना क्यों आवश्यक है।

Anomaly scan करवाना आवश्यक है भी और नहीं भी। वैसे अगर आप इस लेवल 2 स्कैनकरवाने में असमर्थ हैं तो भी कोई बात नहीं है आपकी गर्भवस्था सामान्य रूप से बढ़ेगी। लेकिन इसे करवाने की सलाह हमेशा इसलिए दी जाती है क्योंकि यदि भ्रूण में कोई विसंगति हो तो वह पहले ही पता की जा सके और उसके अनुसार आगे का व्यव्स्था किया जा सके ।

कुछ कारण जैसे 35 से अधिक उम्र की गर्भावस्था, स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या, गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, शराब या किसी और नशे का सेवन करना, परिवार में आनुवंशिक विकार आदि की वजह से शिशु का जन्म किसी दोष यानी abnormality के साथ हो सकता है । ऐसे में एनॉमली स्कैन करवाने का फायदा हो सकता है और दोष का पहले पता लगने पर प्रबंधन किया जा सकता है।

इन सब के आलावा Anomaly scan कराना इसलिए आवश्यक है की डॉक्टर शिशु के सभी अंगों की जांच करेंगे और माप लेंगे। ताकि इस स्कैन के माध्यम से निम्न बातों का पता चल सकता है:–

  • आपका शिशु किस तरह बढ़ रहा है और गर्भ में उसकी हलचल देखना।
  • शिशु के आंतरिक अंग सही प्रकार से विकसित हो रहे हैं ये देखने के लिए।
  • शिशु में कुछ विशिष्ट जन्म दोषों का पता लगाना।
  • एमनियोटिक द्रव की मात्रा का अनुमान लगाना।
  • गर्भ नाल की जांच करना और अपरा की स्थिति को देखना
  • गुणसूत्र (क्रोमोसोम) संबंधी असामान्यताओं के मार्कर की जांच करना।
  • आपकी ग्रीवा की जांच और प्रसव नलिका को मापना
  • गर्भाशय तक रक्त के प्रवाह को देखना।

एनॉमली स्कैन करने से पहले की तैयारी।

एनॉमली स्कैन एक साधारण अल्ट्रासाउंड की तरह ही होता है। इसे करवाने से पहले कोई खास तैयारी करने की जरूरत नहीं है। नीचे बताई गई कुछ सामान्य बातों को ध्यान में रख कर आप आराम से एनॉमली स्कैन करवा सकती हैं –

  • समय पर डायग्नोस्टिक सेंटर पहुंच जाएं और पूरी तरह से सहज हो जाएं।
  • घर से खाना खाकर जाएं। क्योंकि अल्ट्रासाउंड कराने में समय लग सकता है।
  • स्कैन से पहले पानी पिएं, ताकि आपका मूत्राशय भरा हुआ हो। खाली मूत्राशय में स्कैन करने से सटीक परिणाम नहीं मिलते। इसलिए, जब तक मूत्राशय भरा हुआ न हो, तब तक प्रतीक्षा करें।
  • स्कैन के लिए ढीले कपड़े पहन कर जाने से आपको स्कैन करवाने में आसानी होगी।
  • स्कैन के दौरान अपने शरीर पर कोई आभूषण न पहनें।
  • लेख के अगले भाग में जानिए कि एनॉमली स्कैन कैसे किया जाता है।

एनॉमली स्कैन परीक्षण कैसे किया जाता है?

Anomaly scan को प्रशिक्षित सोनोग्राफर्स की देखरेख में कुछ इस प्रकार किया जाता है ।

  • आपको एक बेड पर पीठ के बल लेटाया जाएगा।
  • सोनोग्राफर आपके पेट पर एक जेल लगाएगा, ताकि अल्ट्रासाउंड प्रोब और आपकी त्वचा के बीच अच्छा संपर्क बना रहे और भ्रूण साफ तरीके से दिख सके।
  • इसके बाद अल्ट्रासाउंड प्रोब को आपके पेट पर घुमाया जाएगा और भ्रूण की अल्ट्रासाउंड तस्वीर कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखने लगेगी।
  • भ्रूण की साफ तस्वीर पाने के लिए सोनोग्राफर पेट पर थोड़ा दबाव डाल सकता है, लेकिन इससे आपको या गर्भ में पल रहे शिशु को कोई तकलीफ नहीं होगी।
  • पूरी तरह से स्कैन होने में लगभग 15 – 60 मिनट लगेंगे और स्कैन होने के बाद सोनोग्राफर टिश्यू पेपर से जेल को साफ कर देगा।
  • कुछ मामलों में भ्रूण की तस्वीर साफ नहीं आती, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इसके पीछे निम्न कारण हो सकते हैं अगर बच्चा एक अजीब स्थिति में लेटा हुआ हो या बहुत घूम रहा हो।अगर आप औसत वजन से ऊपर हैं। अगर आपके शरीर के टिशू ज्यादा हैं।
  • डॉक्टर आपके पेट पर जब जैल लगाती हैं और अल्ट्रासाउंड प्रोब या ट्रासड्यूसर को पेट पर घुमाती हैं, ताकि शिशु की तस्वीरें ली जा सकें। ट्रांसड्यूसर से ध्वनि तरंगें आपके शिशु के नाक-नक्शों या अंगों को छूकर आती हैं और कम्प्यूटर पर शिशु की तस्वीरें बनती हैं।
  • अल्ट्रासाउंड डॉक्टर शिशु की सिर से पांव तक अलग-अलग तरह की छवि अलग-अलग कोनों से लेने का प्रयास करेंगी जब उन्हें शिशु के अंगों की साफ तस्वीर मिल जाती है, तो वह उनका माप लेती हैं।
  • अगर डॉक्टर को ग्रीवा यानी सर्विक्स के बारे में सूचना चाहिए होता है तो इसके सटीक माप के लिए आपको योनि के जरिये स्कैन (ट्रांसवेजाइनल स्कैन) करवाने की जरुरत हो सकती है। कई बार भ्रूण से जुड़ी असामान्यताओं का पता लगाने के लिए भी योनि स्कैन करवाने की जरुरत होती है।
  • अल्ट्रासाउंड में डॉक्टर शुरुआत में आपको स्क्रीन पर शिशु के दिल की धड़कन और शरीर के अंगों जैसे चेहरे, को दिखाएंगी। इसके बाद वे शिशु को विस्तृत तौर पर देखेंगी।
  • आपके लिए शिशु के अंगों का पहचानना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि डॉक्टर इनको अनुप्रस्थ या तिरछे दृश्य में देखती हैं।
  • स्कैन में आपके शिशु की हड्डियां सफेद दिखाई देंगी और सौम्य ऊत्तक स्लेटी (ग्रे) और चितकबरे दिखाई देंगे। शिशु के चारों तरफ मौजूद एमनियोटिक द्रव काला दिखाई देगा।
  • अगर, आप 3डी या 4डी स्कैन करवा रही हैं, तो इस स्तर पर आप शायद अपने शिशु के चेहरे की थोड़ी स्पष्ट तस्वीर देख पाएंगी।
  • जब आप को स्क्रीन पर शिशु को दिखा चुके होते हैं, तो डॉक्टर बाकी का स्कैन करने के लिए स्क्रीन को अपनी तरफ घुमा लेंगी। स्कैन के अंत में वे आपको स्क्रीन पर तस्वीरें दिखाएंगी। कुछ अस्पतालों या डायग्नोस्टिक केंद्रों में एक अन्य स्क्रीन सामने भी लगी होती है, ताकि आप पूरा स्कैन होते हुए देख सकें।

Anomaly scan के परिणाम का क्या मतलब होता है?

Anomaly scan की मदद से गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में निम्नलिखित बातों का पता लग सकता है इसलिए इस परिणाम को किया जाता है ताकि समय रहते सारे प्रबंधन किया जा सके–

  • सिर व दिमाग का आकार और विकास।
  • शिशु के चेहरे का विकास।
  • रीढ़ की हड्डी और आसपास की हड्डियों का विकास।
  • दिल और उसके बाकी हिस्सों का विकास।
  • पेट, किडनी, मूत्राशय और आंत का विकास।
  • हाथ, पैर और उनकी उंगलियों का आकार और विकास।
  • नाल यानी नाभी की स्थिति और विकास।
  • पेट के आकार को चेक करना (Abdominal
    circumference) की जांच।
  • हाथ की हड्डी की लंबाई।
  • जांघ की हड्डी की लंबाई।
  • एमनियोटिक द्रव की मात्रा।
  • आपका शिशु किस तरह बढ़ रहा है और गर्भ में उसकी हलचल देखना।
  • शिशु के आंतरिक अंग सही प्रकार से विकसित हो रहे हैं ये देखने के लिए।
  • डाउन सिंड्रोम से संबंधित ।
  • लेख के इस भाग में हम बात करेंगे कि स्कैन के जरिए कौन-सी असामान्यताओं के बारे में पता किया जा सकता है।

एनॉमली स्कैन से कौन सी असामान्यताएं पता चल सकती हैं?

एनॉमली स्कैन की मदद से आप नीचे बताई गई असामान्यताओं का पता लगा सकते हैं डॉक्टर आपको टाइम रहते बता सकते है ताकि आगे का प्रबंधन सही सलामत हो सके।

  • अनेंसेफली – गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग और रीढ़ की हड्डी का पूरी तरह विकास नहीं होना।
  • ओपन स्पाइना बिफिडा – गर्भ में पल रहे शिशु की रीढ़ की हड्डी की हड्डियों का विकास नहीं होना।
  • डायाफ्रामिक हर्निया – छाती और पेट को विभाजित करने वाली मांसपेशियों में छेद।
  • एक्सोम्फालोस – गर्भ में पल रहे शिशु के पेट का पूरी तरह विकास न होना
  • क्लेफ्ट लिप्स – कटे-फटे होंठ
  • गैस्ट्रोस्काइसिस – आंतों का गलत तरीके से फैल जाना
  • लीथल डिसप्लेसिया – अविकसित या छोटे हाथ/पैर
  • मल्टीसिस्टिक डिस्प्लास्टिक किडनी – किडनी में अलग-अलग आकार के अनियमित सिस्ट होते हैं
  • ट्राइसॉमी 18 – एडवर्ड्स सिंड्रोम
  • ट्राइसॉमी 13 – पटाऊ सिंड्रोम
  • ट्रिसोमी 21 – डाउन सिंड्रोम।

स्कैन करते समय सोनोग्राफर द्वारा देखे जाते हैं, जिसमे बच्चे के सिर से पैर तक सारी चीजें मौजूद होती हैं। भ्रूण में पाई जाने वाली असामान्यताएं आम हो सकती हैं जिनका आपके बच्चे के जन्म के बाद इलाज किया जा सकता है। यदि वे गंभीर हैं, तो उनपर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है।

जबकि स्कैन असामान्यताओं को खोजने के उद्देश्य से किया जाता है, लेकिन शिशु में इसमें से पाई जाने वाली कोई भी असामान्यताओं का पता लगाना उतना आसान नहीं होता है। उदाहरण के लिए, यदि ऐब्डामनल वॉल, गुर्दे, अंगों या रीढ़ की हड्डी के साथ किसी प्रकार की कोई समस्या होती है, तो काफी संभावना है कि इस स्कैन से उसका पता लगाया जा सके । लेकिन दिल में स्पॉटिंग दोष की संभावना या यह आकलन करना कि क्या मांसपेशियों में कोई छेद तो नहीं है जो छाती और पेट को अलग करता है, व मस्तिष्क में अतिरिक्त द्रव निर्माण आदि का पता लगाना तुलनात्मक रूप से ज्यादा मुश्किल होता है।

यदि कोई असामान्यता दिखाई देती है, तो सोनोग्राफर रिपोर्ट के अवलोकन की पुष्टि करने के लिए किसी दूसरे विषेशज्ञ को इस रिपोर्ट की जाँच करने के लिए दे सकते हैं ताकि इसपर बेहतर से बेहतर कार्रवाई की जा सके।

अतः इन सारे abnormality का पता लगाया जा सकता है एनामॉल स्कैन के माध्यम से।

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क्या एनॉमली स्कैन सटीक होता है।

मध्य-गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड स्कैन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बच्चे के विकास को निर्धारित करने में मदद करता है और उन असामान्यताओं का शीघ्र पता लगाने में सहायता करता है जो बच्चे में विकसित हो रही हो। एनॉमली स्कैन आमतौर पर सटीक होते हैं और एक स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं। हालांकि, यह हमेशा आवश्यक नहीं है कि स्कैन 100% सटीक हो और हर समय सही परिणाम दिखाता हो।

ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे में असामान्यताएं निर्धारित करना मुश्किल होता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण अंगों में और एनॉमली स्कैन इसे दिखा भी सकता है और नहीं भी। एक सोनोग्राफर को शिशु की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए पेट को कई बार स्कैन करने की आवश्यकता होती है। आमतौर पर, माता-पिता को इस बात की सहमति देने के लिए भी कहा जाता है कि वो इस बात से सहमत हैं की स्कैन के परिणाम 100% सटीक ना होने की भी संभावना होती है।

अगर स्कैन किसी समस्या की ओर इंगित करता है तो क्या होगा।

यह समझना आवश्यक है कि एनॉमली स्कैन रिपोर्ट हमेशा 100% सटीक नहीं होती है और ये अवलोकन हमेशा सही नहीं होते हैं। इसके अलावा, ध्यान दें कि इस स्तर पर किसी गंभीर समस्या की पहचान करने की संभावना दुर्लभ है। हालांकि, यदि कोई समस्या देखी जाती है, तो आपके डॉक्टर इससे निपटने के लिए आपको सलाह देंगे । यदि स्कैन के जरिए किसी समस्या की पहचान की जाती है, तो आप निम्नलिखित चरणों की अपेक्षा कर सकती हैं–

ऐसी परिस्थितियां सामने आ सकती हैं, जहाँ सोनोग्राफर को सब कुछ दिखाई नहीं देता है, क्योंकि जब स्कैन किया जा रहा था, तब आपका शिशु सही स्थिति में नहीं था। इसके साथ ही, यदि आपका वजन अधिक है, तो शरीर में मौजूद वसा के कारण स्कैन ठीक से संगत नहीं होता है। ऐसी स्थितियों में, आपको 23वें सप्ताह में दोबारा स्कैन करवाना पड़ सकता है।

यदि सोनोग्राफर को किसी समस्या का पता चलता है, तो आपको तुरंत सूचित किया जाएगा और यह सलाह दी जाती है कि आप स्कैन के परिणाम मिलने के 72 घंटे के भीतर भ्रूण चिकित्सा विशेषज्ञ से जरूर मिलें।

यदि आपके बच्चे को हृदय की समस्या होने का संदेह है, तो आपको भ्रूण इको स्कैन करवाने के लिए कहा जा सकता है। यह स्कैन आपके बच्चे के दिल की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेगा।

आपका डॉक्टर पता लगाई गई समस्या के लिए उपयुक्त समाधान सुझाएंगे। यह समस्या की गंभीरता पर निर्भर करेगा की इस स्तर में हस्तक्षेप की आवश्यकता है या नहीं। समाधान के रूप में आमतौर पर जन्म के बाद बच्चे की सर्जरी की जाती है। लेकिन कुछ गंभीर समस्याओं के मामले में, सर्जरी तब ही की जाती है, जब बच्चा गर्भ में होता है।
अपने गर्भ के अंदर बच्चे को बड़े होते हुए महसूस करता बेहद खूबसूरत अहसास होता है। इसे मामलों में, आपको अपने जीवनसाथी जाना चाहिए । इन स्कैन को करने वाले नैदानिक केंद्र आमतौर पर आपको स्कैन करने के बाद स्कैन की तस्वीरें और वीडियो प्रतियां प्रदान करते हैं।

क्या Anomaly scan माँ या बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है?

एक्स-रे के विपरीत, अल्ट्रासाउंड Anomaly scan में आयनीकृत विकिरण का उपयोग नहीं किया जाता है और इसलिए यह माँ या बच्चे के लिए हानिकारक नहीं होता है। इसके अलावा, सोनोग्राफर यह सावधानी बरतता है कि स्कैन के दौरान माँ सहज रहे।

जेल और ट्रांसड्यूसर के उपयोग से स्कैनिंग प्रक्रिया थोड़ी असहज हो सकती है, लेकिन यह स्कैन करने के लिए हानिकारक या दर्दनाक नहीं है।

Anomaly scan परीक्षण के लाभ क्या है?

Anomaly scan को करवाने का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि शिशु में किसी भी तरह की असामान्यता जन्म से पहले ही पता चल जाती है। फिर डॉक्टर उसी के अनुसार इसे ठीक करने के लिए अपना इलाज शुरू करते हैं।

यह एक स्कैन है और इसमें किसी प्रकार का दर्द नहीं होता। इससे आपको या गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता।

Anomaly scan परीक्षण की लागत क्या है?

Anomaly scan की लागत अस्पताल, डॉक्टर और जगह पर निर्भर करती है। इसकी औसतन लागत लगभग 1200 से लेकर 5 हजार तक हो सकती है। इसलिए, यह स्कैन करवाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से इसकी लागत के बारे में जरूर पूछ लें।

Anomaly scan का क्या परिणाम होता है।

Anomaly scan परिणाम गर्भ में बच्चे की प्रगति को दर्शाता है और बच्चे का विकास ग्राफ को निर्धारित करने में मदद करता है। परिणाम या तो स्थिति को सामान्य दिखाएंगे या फिर बच्चे में पाए जाने वाली असामान्यताओं को ओर इशारा करेगा। यदि बच्चे के विकास से जुड़े उनमें कोई दोषों पाए जाते हैं, तो आपके डॉक्टर इसके लिए सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे।

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FAQ : Anomaly scan से जुड़े सवाल जवाब?

Q) क्या लेवल 2 अल्ट्रासाउंड चित्र मिल सकते हैं?
Ans– हां, आपको लेवल 2 अल्ट्रासाउंड स्कैन के पिक्चर्स मिल सकते हैं। हालांकि, कुछ अस्पताल इन पिक्चर्स के अलग से पैसे लेते हैं, क्योंकि ये थर्मल पेपर पर बनाए जाते हैं और इनकी लागत ज्यादा होती है।

Q) लेवल 2 अल्ट्रासाउंड या कहे तो एनॉमली स्कैन का रिजल्ट कितने देर में मिल जाता है?
Ans– इसकी प्रिंट की हुई रिपोर्ट आपको कब मिलेगी, यह अस्पताल पर निर्भर करता है। वैसे आमतौर पर यह रिपोर्ट तीन से चार घंटे में दे दी जाती है।

Q) क्या स्कैन से पहले ब्लाडर फुल होने की जरुरत है?
Ans– कुछ सोनोलोजिस्ट फुल ब्लॉडर में स्कैन करना चाहते हैं तो कुछ सोनोलोजिस्ट ऐसी कोई डिमांड नहीं करते हैं।

Q) क्या स्कैन से डाउन सिंड्रोम का पता चलता है?

Ans– इस स्कैन से डाउन सिंड्रोम का पता जरुर चलता है लेकिन इसकी भी संभावना है कि बेबी के पोजिशन की वजह से सबकुछ साफ-साफ नजर ना आए। आजकल ट्रिपल मेकर टेस्ट करने का चलन है जो 12-18 सप्ताह में होता है और इससे क्रोमोजोमल डिस्ऑर्डर का पता चलता है।

निष्कर्ष : Anomaly scan in Hindi आर्टिकल में हमने Anomaly scan बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की है जैसे कि Anomaly scan के फायदे, नुकसान, कैसे किया जाता है, क्यों किया जाता है साथ ही Anomaly scan क्या है आदि। तो दोस्तो आशा करती हूं कि आपको हमारा Anomaly scan in Hindi आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपके पास इस आर्टिकल से जुड़ी कोई सवाल या जवाब है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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