उन्माद या मेनिया के लक्षण , कारण , इलाज , देखभाल , परहेज , और नर्सिंग देखभाल ।

उन्माद या मेनिया के लक्षण , कारण , इलाज , देखभाल , परहेज , और नर्सिंग देखभाल ।
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उन्माद या मेनिया के बारे :–

उन्माद या मेनिया एक मानसिक स्वास्थ कंडिशन है जिसमे आप अवसादग्रस्त एपिसोड को फील करते है । उन्माद यानी मेनिया एक मूड डिसऑर्डर होता है , जिसमे व्यक्ति भावनात्मक उतेजना , बढ़ी हुई शारीरिक क्रियाएं (hyperactivity) , उल्लासित मन ( मूड elevation ) , विचारो की उड़ान ( flight of ideas ) आदि लक्षण पाए जाते हैं ।
1).पुरूषों में महिलाओं की अपेक्षा उन्माद ( mania) अधिक पाया जाता है।
2). 2 से 3 सप्ताह से लेकर 4 से 5 माह तक इसकी अवधि हो सकती है ।
3). अधिकांश 15 से 30 वर्ष के आयु वर्ग में होता है ।

उन्माद या मेनिया रोग के कारण :–
–आनुवांशिकता
– तनाव युक्त लाइफ
– करीबी लोगो का दूर हो जाने
– आर्थिक तनाव
– किसी भी तरह का मानसिक दवाब

उन्माद या मेनिया के लक्षण :–
उन्माद या मेनिया एपिसोड के काल एवं गंभीरता पर mania का symptoms की निर्भरता होती है ।

(1). उन्माद या मेनिया के लक्षण में मुड का बिगड़ना (Disturbance in mood) :–
A). Mild elevation of Mood / हाइपोमेनिया इस condition में रोगी :
– अपने विषय में रोगी द्वारा उच्च विचार रखा जाता है ।
–आति आशावादी और ओवर कॉन्फिडेंट होता है ।
– बातचीत करने पर रोगी बुद्धिमान एवं सामाजिक व्यक्ति लगता है एवं स्वस्थ दिखाई देता है ।

B). Exaltation / severe mood disorder :
इसमें रोगी को स्वयं को।
रोगी में डिल्यूजन ऑफ grandiosity पाई जाती है । उसके द्वारा स्वयं को महान और धनी माना जाता है !

C). Elation / moderate elevated mood ऐसी स्थती में :
–रोगी अत्यधिक खुश होता है
–रोगी बहुत सन्तुष्ट होता है
–अनेक बार चिड़चिड़ाहट और बैचेन दिखाई देती है
–रोगी को अपनी बुराई सहन नहीं होता
–रोगी को सुख का आभास और हर्षोणमाद होता है
–सायकोमोटर एक्टिविटी में बढ़ोतरी हो जाती है ।

(2).उन्माद या मेनिया के लक्षण में चिन्तन विकार (thought disturbance):–
– बातो को भूल जाना
– गोल में हमेशा बदलाव होते रहना
–रोगी के साथ बातचीत करना कठिन होता है क्योंकि वह अत्यधिक बोलता है ।

(3).उन्माद या मेनिया के लक्षण में प्रतिबोधन विकार ( perception ):–
–इंपेयर्ड judgement
–ऑडिटरी hallucination , इल्लूजन उपस्थित होता है

(4). उन्माद या मेनिया के लक्षण में बढ़ी हुई मनो– शारीरिक क्रियाएं ( increased psychomotor activities) :–
– रोगी बहुत सक्रिय और व्यस्त होता है
– कभी रेस्ट नहीं लेता
– ओवर साइलेंस होता है
– एक साथ कई काम करता है

(5). उन्माद या मेनिया के लक्षण में व्यवहार में बिगाड़ ( disturbance of behavior ) :–
– hyperactivity
– वजन में कमी आ जाती है
– सेक्स में रुचि बढ़ जाती है
– नशीले पदार्थों का ज्यादा इस्तेमाल करना
– साफ सफाई में कमी
– आपराधिक गतिविधियां
– खाने, पीने, सोने की आदतों में बदलाव

उन्माद या मेनिया का प्रकार ( types of mania ):–

उन्माद या मेनिया लक्षणों की तीव्रता के आधार पर –लक्षणों की तीव्रता के आधार पर तीन प्रकार होता है
A) acute उन्माद या मेनिया यानी कम समय का उन्माद या मेनिया
B) हाइपोमेनिया या माइल्ड टू मॉडरेट उन्माद या मेनिया
C) डिलीरियम या सीवर उन्माद या मेनिया
उन्माद या मेनिया उत्पति के आधार पर –उत्पति के आधार पर दो प्रकार के होता है
प्राथमिक उन्माद या मेनिया ( primary mania )
दूतियाक उन्माद या मेनिया ( secondary mania )

उन्माद या मेनिया का कोई ऑर्गेनिक कारण होता है , जैसे – सायकोटिक लक्षण के साथ उन्माद , अनस्पेसिफिड मैनिक एपिसोड , प्रसव के बाद होने वाला उन्माद , बिना सायकॉटिक लक्षण के साथ mania , कैटेटोनिक लक्षणों के साथ mania ।

उन्माद या मेनिया के रोगी के मैनेजमेंट :–

(1). हॉस्पिटैलिटी – जिस लोग कोउन्माद या मेनिया रोग होता है , उसको निम्न अवस्थाओं में हॉस्पिटल में भर्ती कराते है जब,
– सीवर mania
– क्रिमिनल एक्टिविटी
– प्रलापक उन्माद की अवस्था
– यौन आक्रमण से पीड़ित
– नर हत्या संबध प्रविर्तिया

(2). इलेक्ट्रो कंवल्सिव थैरेपी – सीवर उन्माद या मेनिया के केस और जो रोगी ड्रग थैरेपी से प्रभावित नहीं होता या जिनको ड्रग थैरेपी नहीं दे सकते , उनपर ECT यानी इलैक्ट्रो करेंट थैरेपी का उपयोग करते है । और इसको पहले सप्ताह में 3 बार , दूसरे सप्ताह में 2 बार , तीसरे सप्ताह में 1 बार । इस प्रकार से देते है इस प्रकार 6 से 8 ECT के कोर्स से रोगी अत्यधिक कंट्रोल हो जाता है ।

(3). ड्रग थैरेपीantipsychotic drugs या न्यूरोलेप्टिक ड्रग जैसे :
Chlorpromazine hydrochloride , haloperidol , thioproperazine , trifluperidol , आदि ।उन्माद या मेनिया रोगी की कंडिशन या रोग की गंभीरता पर इनकी dose या अवधि को निर्भरता होती है !
– लिथियम थैरेपी : इसको एंटीमैनिक ड्रग भी कहा जाता है ! यह औषधि बाइपोलर mania की चिक्त्शा हेतु उपयोगी होती है इसकी प्राप्ति lithane , एस्कलिथ , licab , और lithonate के नाम से की जाती है। प्रतिदिन इसकी 900 mg से 3 gm मात्र दी जाती है ब्लड serum में लिथियम का लेवल सीवर mania के रोगी में 1 से 1.5 Eq per liter और maintenance लेवल 0.6 से 1.2 Eq per liter होनी चाहिए । इसकी अधिकता से लीथियम टॉक्सिटी हो सकती है !

Mechanism of action :– मस्तिष्क में neurotransmitters का स्तर उन्माद या मेनिया समान रोगों में बढ़ जाया करती है इन neurotransmitters की मुक्ति को रोककर इनको नष्ट करके तथा रिसेप्टर्स की सुग्रहिता को कम करके लिथियम पागलपन को ठीक करती है ।
Pharmacokinetics :– लिथियम कार्बोनेट अत्यंत शीघ्र ही अवशोषित हो जाया करती है इसकी लोडिंग dose लेने के 2 से 4 घंटों में ही इसकी अधिकतम मात्रा रुधिर में प्रवेश कर जाया करती है । शरीर में यह यकृत एवं गुर्दों में जल्द ही प्रवेश कर जाता है और यह पेशी , मस्तिष्क वा हड्डी में धीरे धीरे पहुंचता है । बॉडी में नमक की कमी होने पर इसकी विषाक्तता उत्पन्न होती है !
– Toxicity effect of lithium therapy : gastrointestinal upset , cramps , Tremors रोगी के इससे बचाव हेतु सीवर mania के समय हर सप्ताह एवं maintenance स्टेज में हर माह ब्लड सिरम टेस्ट किया जाना चाहिए ।

नर्सिंग केयर ऑफ पेशेंट taking lithium थैरेपी :–
. Lithium चिकत्सा के साथ diuretics , haloperidol वा thioridazine औषधीय नहीं देनी चाहिए
. नर्स को चाहिए lithium चिकत्सा ले रही रोगी के भोजन में सोडियम की प्रयाप्त मात्रा सुनिश्चित करे
.lithium को लगातार दे भोजन के बाद औषधि दे
. निश्चित समय पर ही इसकी मात्रा दे
. रोगी को अधिक मात्रा में पानी पीने को बोले
.समय समय पर सिरम lithium की जांच कराए जिसका सैंपल प्रातः काल अंतिम खुराक लेने के 12–14 घंटो उपरांत लें
. रोगी को लगातार follow up का महत्त्व समझना चाहिए ।

(4). Psycho therapy : उन्माद या मेनिया  रोगियों के लिए मनोचिकत्सा अधिक महत्वपूर्ण चिकत्सा पद्धति है । इसमें सायकोथेरेपी individual , group , behavioral , cognitive , family इस प्रकार की थैरेपी दी जाती है ।
उन्माद या मेनिया रोगी में मदद निम्न प्रकार से कर सकते है :–
. तुरंत मनोचिकित्सा से मिले
. यदि रोगी नशा लेता हो तो नशे का सेवन बंद कराए
. रोगी के आस पास के वातावरण को सामान्य बनाए रखें
. रेगुलर दवाई दे डॉक्टर के सलाह के बिना दवाई बंद न करे !
दवाई खाते हुए कुछ साइड इफेक्ट्स का ख्याल रखना चाहिए जैसे की :–हाथ पैर में कंपन होना , मुंह सुखना , कब्ज होना , उल्टी होना , वजन बढ़ना आदि लेकिन साइड इफेक्ट्स होने पर दवा का सेवन रोके नहीं लेकिन सावधानियां भी रखी जा सकती है ।
उचित मात्रा में पानी ले , exercise करे , समय पर सोए , संतूलित आहार करे !

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ऊपर बताए गए मेडिसिन का प्रभाव सभी व्यक्ति पर अलग अलग होता है इसलिए डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई भी दवाएं नही लें।
QNA :–
Q 1) manic सिंड्रोम कौन सी बीमारी है ?
Ans :– manic सिंड्रोम आनुवांशिकता मेंटल डिसऑर्डर है जो आपके सोच , मनोदशा , भावना और व्यवहार को प्रभावित करता है !
Q 2) बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है ?
Ans:– इसमें रोगी का दिमाग लगातार बदलते रहता है बाइपोलर डिसऑर्डर एक कॉम्प्लेक्स बीमारी है !
Q 3) डांस उन्माद या मेनिया क्या है !
Ans:– यह एक सामाजिक घटना थी जो यूरोप के मुख्य भूमि पर 14 वी और 17 वी शताब्दी के बीच हुई थी। कभी कभी लगातार इसमें गलत तरीकों से नाचने वाला 1000 लोगो के शामिल किया जाता था !
4) mania में सब सही लगता है क्या ?
Ans:– नहीं , वह गलत कर रहा है उसको एहसास होता है !

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